Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 March 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 08 March 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations. Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : Eastern Container Terminal

संदर्भ

श्रीलंका सरकार ने कोलंबो बन्दरगाह के “ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल(ECT) पर किसी भी बाह्य देश के साथ किसी भी प्रकार के समझौते अथवा बेचने या पट्टे पर देने से मना करने और भारत-जापान के साथ ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल (ECT) पर हुए त्रिपक्षीय समझौते को रद्द करने के पश्चात् कहा है कि क्षतिपूर्ति के रूप में वह भारत, जापान के लिए संभावित निवेश के लिए बेस्ट कंटेनर टर्मिनल की पेशकश करेगी.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि श्रीलंका ने पिछले महीने कोलंबो बन्दरगाह के “ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल” (ECT) पर किसी भी बाहरी देश के साथ किसी भी प्रकार के समझौते अथवा बेचने या पट्टे पर देने से मना कर दिया था. श्रीलंका सरकार का यह निर्णय भारत-जापान-श्रीलंका के मध्य हुए त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन है, जिसके अंतर्गत भारत का अडानी ग्रुप और जापानी कंपनी रणनीतिक कोलंबो बंदरगाह में 700 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाली थी. इस निर्णय के बाद भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से भेंट भी की थी.

दरअसल, श्रीलंका सरकार ने बंदरगाह की मजदूर यूनियन के दबाव में यह निर्णय लिया है. मजदूर यूनियन काफी समय से बंदरगाह में किसी विदेशी कंपनी के निवेश के विरुद्ध प्रदर्शन कर रही थी. अब कोलंबो बन्दरगाह के “ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल” का विकास श्रीलंका पोर्ट ऑथोरिटी अकेले ही करेगी.

श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत की चिंताएँ

हाल ही में श्रीलंका ने उत्तरी जाफना प्रायद्वीप के तीन श्रीलंकाई द्वीपों- डेल्फ्ट, नैनातिवु और अनलातिवु पर हाइब्रिड पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने के लिये चीन की एक कंपनी को अनुबंध दे दिया है. ये द्वीप समूह तमिलनाडु के रामेश्वरम से मात्र 45 किमी. दूर स्थित हैं.

भारत की चिंताएँ

भारतीय तट के इतने समीप किसी चीनी कंपनी की उपस्थिति स्वाभाविक तौर पर भारत के लिए चिंता का विषय है. वह भी ऐसे समय पर जब भारत-चीन सीमा पर तनाव अपने उच्च स्तर पर है. उल्लेखनीय है कि ऐसी परियोजनाओ का उपयोग जासूसी एजेंसियों द्वारा किया जाता रहा है. इसके अलावा श्रीलंका की सरकार द्वारा कोलंबो पोर्ट के रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ECT) के लिये भारत और जापान के साथ किये गए अनबंध को रद्द कर देना भी वर्तमान श्रीलंका सरकार के चीन के दबाव में कार्य करने और चीन के प्रति झुकाव की आशंका पैदा करता है. दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती उपस्थिति, भारत के समक्ष विभिन्‍न चुनौतियाँ खडी कर रही है. पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका में चीन द्वारा महत्वपूर्ण निवेश किए जा रहे हैं. चीन द्वारा भारत को दक्षिण एशिया-हिंद महासागरीय क्षेत्र में घेरने की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स” नीति चिंता का मुख्य बिंदु बनती जा रही है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

String of Pearls

वर्ष 2017 में चीन ने जिबूती में अपनी पहली विदेशी सैन्य सुविधा (Overseas Military Facility) शुरू की और वह अपने महत्त्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के हिस्से के रूप में अफ्रीका के पूर्वी तट, तंज़ानिया और केन्या में बुनियादी ढाँचे में भी भारी निवेश कर रहा है.

चीन की भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश को दर्शाती हैं, जिसे ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ (String of Pearls) कहा जाता है. ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ हिंद महासागर क्षेत्र में संभावित चीनी इरादों से संबंधित एक भू-राजनीतिक सिद्धांत है, जो चीनी मुख्य भूमि से सूडान पोर्ट तक फैला हुआ है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : Polar Silk Road

संदर्भ

चीन द्वारा आर्कटिक महासागर में “पोलर सिल्क रोड” (Polar Silk Road – PSR) के निर्माण की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

  • जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक महासागर के हिमाच्छादित हिस्सों के पिघलने के परिणामस्वरूप पोलर सिल्क रोड के रूप में यहाँ एक नए समुद्री मार्ग के उद्भव से जुड़ी संभावनाओं में वृद्धि हो सकती है.
  • चीन, इसे (पोलर सिल्क रोड) अपनी बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative) के साथ एकीकृत करने पर विचार कर रहा है.

पोलर सिल्क रोड

  • पोलर सिल्क रोड आर्कटिक महासागर के माध्यम से चीन और यूरोप को जोड़ने वाले ब्लू इकोनॉमिक मार्ग का निर्माण करेगा. साथ ही, आर्कटिक में एक वैश्विक बुनियादी ढांचा नेटवर्क के विकास में भी मदद करेगा.
  • यह मार्ग, चीन को तेल और गैस की वैकल्पिक आपूर्ति प्रदान करेगा.

arctic region map

आर्कटिक क्षेत्र का महत्त्व

  1. जलवायु परिवर्तन: आर्कटिक में संबंधित अध्ययन विश्व के अन्य हिस्सों में प्रतिक्रिया-तंत्र में सुधार कर सकता है.
  2. आर्थिक: इस क्षेत्र में पृथ्वी के तेल और प्राकृतिक गैस संसाधनों का 22% अनुमानित भंडार मौजूद है.
  3. भू-राजनीतिक: यह क्षेत्र अमेरिका, यूरोप और एशिया के मध्य स्थित है. अत: यह एक लघु व्यापार पारगमन मार्ग प्रदान कर सकता है.
  4. मत्स्यन हेतु नए क्षेत्र और समुद्री मार्ग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं नौ-परिवहन को प्रभावित कर सकता है.

हाल ही में, भारत ने आर्कटिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, संधारणीय पर्यटन और खनिज तेल तथा गैस के अन्वेषण संबंधी प्रयासों के विस्तार के लिए एक आर्कटिक नीति का प्रारूप भी जारी किया है.

आर्कटिक वृत्त के ऊपर के 66०34 उत्तरी अक्षांश के उत्तर में स्थित क्षेत्र को आर्कटिक क्षेत्र के रूप में संदर्भित किया जाता है. इसके केंद्र में स्थित क्षेत्रों के अंतर्गत उत्तरी ध्रुव एवं आर्कटिक महासागर शामिल हैं.

बेल्ट एंड रोड परियोजना क्या है?

  • बेल्ट एंड रोड परियोजना की घोषणा चीन द्वारा 2013 में हुई थी. BRI पहल एक ऐसी पहल है जिसमें स्थल और समुद्र दोनों में सिल्क रोड की पट्टियाँ होंगी. इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया के आर्थिक क्षेत्र को यूरोप के आर्थिक क्षेत्र से जोड़ना बताया जाता है अर्थात् इसका ध्येय दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है.
  • इस प्रकार इस परियोजना के अन्दर एशिया, यूरोप और अफ्रीका तीन महाद्वीप आते हैं. यदि यह परियोजना लागू होती है तो इसके अन्दर सकल वैश्विक जनसंख्या का 65% और विश्व की GDP का 60% आ जायेगा. साथ ही इसमें अभिकल्पित 6 आर्थिक गलियारों में 70 देश समाहित हो जाएँगे.
  • चीन देश यूरोप, पश्चिम एशिया, पूर्व अफ्रीका एवं स्वयं चीन को स्थलीय और सामुद्रिक व्यापार सम्पर्कों को फिर से जीवित करने और नये ढंग से रचने के लिए लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. इसके अंदर ऐसे आधुनिक बंदरगाह बनाए जा रहे हैं जो तीव्र गति वाली सड़कों और रेल गलियारों से जुड़ जाएँगे.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : BRO

संदर्भ

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने हाल ही में आई अचानक आई बाढ़ के कारण कट गए उत्तराखंड के चमोली जिले के 13 सीमावर्ती गाँवों में 26 दिन के रिकॉर्ड समय में कनेक्टिविटी बहाल कर दी है.

ज्ञातव्य है कि उत्तराखंड में हाल ही में नंदा देवी पर्वत पर एक ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा, धौलीगंगा नदियों की भीषण बाढ़ के कारण त्रासदी का सामना करना पड़ा था. धौलीगंगा और ऋषिगंगा पर निर्मित जल विद्युत परियोजनायें पूरी तरह नष्ट हो गई.

BRO क्या है?

  • BRO का full-form है – Border Roads Organization.
  • BRO वर्ष 2015 से रक्षा मंत्रालय के साथ काम कर रहा है.
  • इसका कार्य सीमा के आस-पास कठिन एवं दुर्गम स्थानों तक सड़क बनाना है.
  • सेना में “Indian Army’s Corps of Engineers” नामक एक इंजीनियरिंग शाखा होती है, उसी से BRO में इंजिनियर लिए जाते हैं.
  • वर्तमान में BRO द्वारा 21 राज्य और एक संघ शासित क्षेत्र (अंडमान और निकोबार) में काम किया जा रहा है.
  • इसके आलावा BRO को अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका में भी काम मिला है.
  • बीआरओ देश की 32,885 किलोमीटर सड़कों और 12,200 मीटर स्थायी पुलों का रखरखाव करता है.
  • उत्तर-पूर्व भारत में आधारभूत संरचना के विकास में BRO का महान योगदान है.

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : OPEC Plus

संदर्भ

हाल ही में, ओपेक प्लस देशों द्वारा अप्रैल माह में आपूर्ति-वृद्धि नहीं करने पर सहमति व्यक्त की गई है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों का यह समूह कोविड-19 महामारी के दौरान मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की प्रतीक्षा कर रहा है.

इस घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है और इस साल यह 33% अधिक हो चुकी है.

भारत के लिए चिंता

भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. भारत अपने तेल का लगभग 84% आयात करता है और अपनी मांग के 3/5 वें हिस्से को पूरा करने के लिए पश्चिम-एशियाई आपूर्ति पर निर्भर है.

चूंकि, भारत कच्चे तेल के सर्वाधिक खपत वाले देशों में से एक है, इस कारण तेल-उत्पादक देशों द्वारा इस तरह की कार्रवाइयों से चिंतित है, क्योंकि इससे उपभोग-आधारित आर्थिक बहाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और विशेष रूप से, ये हमारे कीमत-संवेदनशील बाजार में उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक है.

OPEC

  • OPEC का फुल फॉर्म है – Organization of the Petroleum Exporting Countries. इस प्रकार यह तेल उत्पादक देशों का एक समूह है जिसकी स्थापना 1960 में ईराक के बग़दाद में हुई थी और यह 1961 से प्रभावी हो गया.
  • ओपेक का मुख्यालय इसके गठन के पहले पाँच वर्षों तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में था पर कालांतर में 1 सितंबर, 1965 में इसके मुख्यालय को ऑस्ट्रिया के विएना में स्थानांतरित कर दिया गया.
  • ओपेक का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना है जिससे पेट्रोलियम उत्पादकों के लिए उचित और स्थिर कीमत सुनिश्चित की जा सके.
  • ओपेक देश दुनिया की तेल निर्यात का 40% से ज्यादा का हिस्सा नियंत्रित करता है. यह 82% तेल भंडार के मालिक भी है.

OPEC की सदस्यता

  • OPEC के सदस्य तीन प्रकार के होते हैं – संस्थापक सदस्य, पूर्ण सदस्य और सहयोगी सदस्य.
  • पूर्ण सदस्य वे देश होते हैं जहाँ से अच्छा-ख़ासा कच्चा तेल निर्यात होता है.
  • इस समूह में नए सदस्य तभी शामिल हो सकते हैं जब उनके इस विषय में दिए गये आवेदन पर OPEC के सदस्य 3/4 बहुमत से अपना अनुमोदन दे देते हैं.
  • OPEC के कानून में यह प्रावधान है कि उस देश को भी ओपेक में सहयोगी सदस्य बनाया जा सकता है जो पूर्ण सदस्यता की अर्हता नहीं रखता है, पंरतु किसी विशेष परिस्थिति में उसे सदस्य बना लिया जाता है.
  • वर्तमान में OPEC संगठन में 13 सदस्य देश हैं, जिनके नाम हैं – अल्जीरिया, अंगोला, इक्वेटोरियल गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेज़ुएला.
  • क़तर 2018 में ओपेक से अलग हो गया.
  • इक्वाडोर ने दिसंबर 1992 में अपनी सदस्यता स्थगित कर दी. अक्टूबर 2007 को वह ओपेक में फिर से शामिल हो गया. लेकिन उसने पुनः 1 जनवरी, 2020 को ओपेक की सदस्यता त्याग दी.

ओपेक प्लस’ क्या है?

ओपेक प्लस (OPEC+) कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों का एक गठबंधन है. यह गठबंधन वर्ष 2017 से तेल बाजारों में की जाने वाली आपूर्ति में सुधार कर रहा है.

ओपेक प्लस देशों में अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.


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UPSC Syllabus :Issues related to education.

Topic : Genetically Modified Organisms- GMO

संदर्भ

8 फरवरी को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा एक आदेश के तहत आयातित खाद्य फसलों में ‘आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों’ (Genetically Modified Organisms- GMO) की सीमा 1% निर्धारित कर दी गई है.

  1. इस पर, व्यापारिक संगठनों ने कहा है कि यह सीमा अस्वीकार्य रूप से काफी अधिक है.
  2. यह खाद्य एवं कुछ अन्य उपभोग्य सामग्रियों में जीएमओ की शून्य मात्रा की वकालत करने के तुल्य है.

आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMOs)

  • ये जीवित जीव होते हैं जिनमें विद्यमान आनुवंशिक पदार्थ को प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से आनुवंशिक इंजीनियरिंग का प्रयोग करके बदला गया है.
  • इसमें पौधे, जानवर, बैक्टीरिया और वायरस के जीन का समुच्चय (Combinations) का निर्माण किया जाता है.
  • यह कार्य पारंपरिक क्रॉसब्रीडिंग विधियों (Traditional Crossbreeding Methods) के माध्यम से नहीं होता है.

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें

  • पारंपरिक पादप प्रजनन (Conventional Plant Breeding) में माता-पिता दोनों के वांछित लक्षणों (Desired Traits) के साथ संतति ( Offspring) के लिए एक ही जीन की प्रजातियों का संकरण (Crossing) कराया जाता है. वंश/जींस संबंधित जातियों (स्पीशीज़) का एक समूह होता है. एक वंश में कई स्पीशीज़ हो सकते हैं जिनके लक्षण, गुण अथवा विशेषताएँ समान होती हैं.
  • बीटी कपास (Bt Cotton) भारत में एकमात्र आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified-GM) फसल है. बेसिलस थुरिंगिनेसिस (Bacillus thuringiensis- Bt) जीवाणु मृदा में विद्यमान एक विदेशी जीन है जो बीटी कपास को सामान्य कीट गुलाबी बालवॉर्म (Pink Bollworm) से सुरक्षा प्रदान करने हेतु एक विषाक्त  प्रोटीन का स्राव करता है.
  • दूसरी तरफ हर्बिसाइड टोलरेंट बीटी (एचटी बीटी) (Herbicide Tolerant -Ht Bt) को मृदा में पाए जाने वाले एक अन्य जीवाणु को प्रविष्ट करके प्राप्त किया जाता है, जो पौधे को सामान्य हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट का विरोध करने में सक्षम बनाता है.
  • बीटी बैंगन में प्रविष्ट जीन पौधे के फल और शाखाओं को क्षति पहुँचाने वाले छेदक कीटों (Shoot Borers) के हमलों का विरोध करने में सक्षम बनता है.
  • DMH-11 सरसों में आनुवंशिक संशोधन,  स्वपरागण (Self-Pollinates) के स्थान पर परपरागण (Cross-Pollination) की अनुमति प्रदान करता है.

भारत में GM फसलों की कानूनी स्थिति

  • भारत में आनुवंशिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC) शीर्ष निकाय है जो GM फसलों के वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति प्रदान करती है.
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत बिना अनुमोदन के GM संस्करण (GM Variant) का उपयोग करने पर 5 साल की जेल तथा एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

Prelims Vishesh

Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan: RUSA :-

  • हाल ही में  शिक्षा मंत्री द्वारा RUSA की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की गई है.
  • RUSA एक केंद्र प्रायोजित योजना है. इसका उद्देश्य राज्य के पात्र उच्च शिक्षण संस्थानों को रणनीतिक वित्तपोषण प्रदान करना है.
  • यह योजना केंद्रीय वित्त पोषण (सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए 60:40, विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 90:10 और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए 100%) मानदंडों पर आधारित है और परिणाम केन्द्रित है.

India and Sweden Virtual Summit :-

  • प्रधान मंत्री ने स्वीडन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल होने के निर्णय का स्वागत किया है.
  • ISA एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन है, जो सौर ऊर्जा के लाभों का दोहन करने और स्वच्छ ऊर्जा अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने की दिशा में एक वैश्विक बाजार प्रणाली को स्थापित करने के लिए प्रयासरत है.

Similipal Biosphere Reserve :-

  • हाल ही में ओडिशा के सिमलीपाल बायोस्फीयर रिज़र्व (Similipal Biosphere Reserve) में भीषण आग की घटना देखी गई.
  • सिमिली शब्द को ओडिशा में वृहद रूप से पाये जाने वाले एक पेड़ (सिमुल या सिल्क काटन) के नाम से लिया गया है.
  • सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व, एक नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व भी है.
  • भारत सरकार ने सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व को बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा 1994 में दिया था.
  • यह बायोस्फीयर रिजर्व ओडिशा के मयूरभंज जिले में अवस्थित है.
  • सिमिलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व, वर्ष 2009 से ‘यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क आफ बायोस्फीयर रिजर्व’ का हिस्सा है.
  • इस बायोस्फीयर रिजर्व में टाइगर और हाथी के अलावा विभिन्न प्रकार के पक्षी पाये जाते हैं.
  • यहाँ एरेंगा और मनकीरदियाह नामक दो प्रमुख जनजातियाँ पाई जाती हैं.

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