Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 November 2018

Sansar LochanSansar DCA


Sansar Daily Current Affairs, 08 November 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Earth has three moons

संदर्भ

वैज्ञानिक 50 वर्षों से ये अनुमान लगाते रहे हैं कि दो धूलियों से भरे चाँद (dust moons) पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं. अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि सचमुच दो धुलियों से भरे चाँद पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं, जो हमारी धरती से 9 गुना चौड़ाई में फैले हुए हैं. ये चाँद पृथ्वी से 250,000 मील की दूरी पर हैं. स्मरण रहे कि चाँद की पृथ्वी से दूरी लगभग इतनी ही है.

  • धूलियों वाले इन चाँदों को सबसे पहले 1961 में पौलेंड के खगोलवेत्ता Kordylewski ने देखा था. तब से इन चाँदों को Kordylewski clouds भी कहते हैं.

धूलि चन्द्रमाओं से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • नई खोजों से पता चलता है कि प्रत्येक Kordylewski बादल 15×10 डिग्री चौड़ा है जो 30×20 चन्द्र गोलक (lunar disks) के बराबर है.
  • दोनों धूली चन्द्रमा अन्तरिक्ष में 65,000 x 45,000 मील के अन्तरिक्षीय क्षेत्र में फैले हुए हैं जो पृथ्वी की चौड़ाई से लगभग 9 गुना बड़ा है.
  • धूलि चन्द्रमा विशाल तो हैं पर वे सूक्ष्म धूल कणों के बने हुए हैं. ये कण मुश्किल से 1 माइक्रोमीटर के हैं.
  • जब सूरज का प्रकाश इन धूलि कणों पर पड़ता है तो ये फीका-फीका चमकते हैं, लगभग उसी प्रकार जैसे ग्रहों की कक्षाओं के बीच बिखरी हुई धूलियों से चमकने वाले नक्षत्रीय प्रकास (zodiacal light).
  • क्योंकि धूलि के इन बादलों से अत्यंत ही फीका प्रकाश निकलता है इसलिए इनको तारों के प्रकाश, आकाश की चमक, अंतरिक्ष गंगा के प्रकाश और नक्षत्रीय प्रकाश के बीच में ढूँढना अतिशय कठिन होता है यद्यपि वे पृथ्वी से उतनी ही दूर हैं जितना कि चंद्रमा.

Kordylewski clouds

Kordylewski clouds सदैव बदलते रहते हैं. यह सच है कि वे अपनी कक्षा में बने रहते हैं और वे वहाँ पर करोड़ों वर्षों से वर्तमान हैं, परन्तु इन बादलों का एक बादल से दूसरे बादल में आना-जाना लगा रहता है. इसके अतिरिक्त कुछ धूलिकण पृथ्वी अथवा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से खिंच कर दूर चले जाते हैं. इन बादलों के कुछ कण अंतर्ग्रहीय अन्तरिक्ष तथा उल्का वृष्टि से उत्पन्न होते हैं.


GS Paper 2 Source: PIB

pib_logo

Topic : Ganga Gram Project

संदर्भ

बिहार के बक्सर जिले में स्थित चौसा गाँव के च्यवनऋषि आश्रम में हाल ही में गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलन में गंगा ग्राम परियोजना के संदर्भ में हुई प्रगति की समीक्षा की गई.

गंगा ग्राम परियोजना

  • नमामि गंगे योजना (Namami Ganga Project) के तहत अब एक नयी परियोजना लायी गयी है जिसका नाम गंगा ग्राम परियोजना रखा गया है. इस  परियोजना को 23 December, 2017 को केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से आरम्भ किया था. इस परियोजना के लिए खुले शौच से मुक्त हुए 4,470 गाँवों में से 24 गाँवों का चयन किया गया था.
  • चुने हुए 24 गाँवों में ऐसे प्रयास किए जायेंगे जिससे कि गाँव सही मायनों में स्वच्छ हो सकें.
  • इसके लिए उनमें ठोस और तरल कचरे के निपटान की व्यवस्था की जाएगी.
  • जल संरक्षण के लिए परियोजनाएँ चलाई जायेंगी.
  • तालाबों और अन्य जलाशयों का निर्माण किया जायेगा.
  • अ-रासायनिक खादों (organic farming) और कीटनाशकों के द्वारा खेती की जाएगी.
  • बागबानी (horticulture) पर बल दिया जायेगा.
  • औषधीय गुणों (medicinal plants) वाले पौधों को लगाने के लिए बढ़ावा दिया जायेगा.

गंगा ग्राम परियोजना (Ganga Gram Project) को ऊपर वर्णित 24 गाँवों में 31 December, 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

नमामि गंगे योजना (Namami Ganga Project)

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

  • नमामि गंगे भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गंगा नदी को कारगर ढंग से स्वच्छ बनाना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए इसमें सभी हितधारकों को भी संलग्न किया गया है, विशेषकर गंगा घाटी के उन पाँच राज्यों के हितधारकों को जो राज्य गंगा की घाटी में स्थित हैं, यथा – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल.
  • इस कार्यक्रम में जो कार्य किये जाते हैं, वे हैं – नदी की सतह की सफाई, इसमें गिरने वाले नाली प्रवाह का उपचार, रिवर फ्रंटों का विकास, जैव-विविधता का विकास, वनरोपण एवं जन-जागरूकता के कार्य.

कार्यान्वयन

  • इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga – NMCG) और राज्यों में स्थित इसके समकक्ष संगठनों, जैसे – राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (State Program Management Groups – SPMGs) द्वारा किया जाता है.
  • योजना के सही कार्यान्वयन के लिए एक त्रि-स्तरीय प्रणाली गठित करने का प्रस्ताव है. इस प्रणाली के तीन स्तर होंगे जो निम्नवत हैं –

a) राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्च स्तरीय कार्यदल जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे जिनकी सहायता NMCG करेगी

b) राज्य-स्तर पर एक समिति होगी जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे और जिनकी सहायता SPMG करेगी.

c) जिला-स्तर पर एक जिला-स्तरीय समिति होगी जिसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट करेंगे.

इस कार्यक्रम में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/एजेंसियों के मध्य समन्वय के तन्त्र को सुधारने पर बल दिया गया है.


GS Paper 2 Source: PIB

pib_logo

Topic : International Telecommunications Union (ITU)

संदर्भ

भारत अगले चार वर्ष की अवधि (2019-22) के लिए फिर से अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunications Union – ITU) परिषद् का सदस्य चुन  लिया गया है. इस परिषद् के लिए चुनाव संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में इस वर्ष चल रहे ITU Plenipotentiary Conference में हुए थे.

इस चुनाव में भारत को कुल मिलाकर 165 मत मिले. इस प्रकार उसका स्थान ऑस्ट्रेलेशिया क्षेत्र से चुने 13 देशों में तीसरा तथा वैश्विक स्तर पर चुने 48 देशों में 8वाँ रहा. विदित हो कि ITU में 193 सदस्य होते हैं जो परिषद् के सदस्यों का चुनाव करते हैं.

ITU क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है जिसका उद्देश्य विश्व-भर में दूरसंचार के संचालन और सेवा का तालमेल करना है. जब इसकी स्थापना 1865 में हुई तो इसका नाम उस समय अंतर्राष्ट्रीय बेतार संघ (International Telegraph Union) था. इस प्रकार यह विश्व का सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय संगठन है. ITU का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है.

ITU के मुख्य कार्य

  • रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम का आदर्श, न्यायपूर्ण एवं तार्किक उपयोग सुनिश्चित करना.
  • विश्व-भर में संचालित दूरसंचार के लिए मानक तैयार करना.
  • देशों को आंतरिक संचार गतिविधियों को विकसित तथा संधारित करने में सहयोग करना.
  • ITU की अनुसंशाएँ बाध्यकारी नहीं होती हैं, किन्तु अधिकांश देश उनका अनुपालन करते हैं क्योंकि ऐसा करने से अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक संचार का वातावरण प्रभावकारी बना रहता है.

सदस्यता

  • ITU में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश (पलाऊ गणराज्य को छोड़कर) शामिल हैं तथा साथ ही वेटिकन सिटी भी इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के अतिरिक्त ITU की सदस्यता जिनके लिए खुली हुई है, वे हैं – मालवाहक, उपकरण निर्माता, वित्त प्रदाता निकाय, शोध एवं विकास संगठन तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दूरसंचार से जुड़े हुए निजी संगठन. परन्तु इन सभी निजी क्षेत्र के सदस्यों को मत का अधिकार नहीं होता है.

ITU के प्रक्षेत्र

ITI के तीन प्रक्षेत्र हैं –

  1. रेडियो संचार (Radiocommunication – ITU-R) – ITU रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के आदर्श, न्यायपूर्ण एवं तर्कपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करता है.
  2. दूरसंचार मानकीकरण (Telecommunication Standardization – ITU-T) – विश्व-भर में संचालित दूरसंचार के मानकीकरण के लिए ITU अनुसंशाएँ तैयार करता है.
  3. दूरसंचार विकास (Telecommunication Development – ITU-D)ITU विभिन्न देशों को अपने आंतरिक संचार को विकसित एवं संधारित करने में सहायता करता है.

GS Paper 2 Source: Times of India

toi

Topic : United Nations Postal System

United Nations Postal System diwali ticket

संदर्भ

भारत के हिन्दू पर्व दिवाली के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र डाक प्रशासन (United Nations Postal Administration- UNPA) ने दीयों के चित्रण वाले विशेष डाक टिकट निर्गेत किये हैं.

मुख्य तथ्य

  • ये टिकट $1.15 के हैं.
  • इन टिकटों के लिए एक स्पेशल इवेंट सीट जारी हुई है जिसमें दस टिकटें और टैब हैं. इनमें दीयों और प्रकाशोत्सव का प्रतीकात्मक चित्रण देखने को मिलता है.
  • इस शीट की पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का भवन दिखाई देता है जिसमें प्रकाशमय हैप्पी दिवाली का संदेश अंकित है.
  • टिकटों के बारे में साथ ही एक विवरण भी अंकित है जिसमें कहा गया है दिवाली अर्थात् दीपावली एक आनंदपूर्ण और लोकप्रिय प्रकाश-पर्व है जो भारत में मनाया जाता है और विश्व के कई धर्मों के अवलम्बी भी इसको मनाते हैं.
  • विवरण में यह भी कहा गया है कि दिवाली मनाते समय दीया नाम के मिट्टी के लैंप जलाते जाते हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है. यह पर्व कई समुदायों में नववर्ष का पहला दिन भी होता है.

संयुक्त राष्ट्र डाक प्रशासन क्या है?

यह संयुक्त राष्ट्र की डाक एजेंसी है. यह एजेंसी संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क-स्थित कार्यालयों के लिए डॉलर में, जेनेवा-स्थित कार्यालयों के लिए स्विस फ्रैंक में तथा वियेना-स्थित कार्यालयों के लिए यूरो में डाक टिकेट और डाक स्टेशनरी निर्गत करती है. डाक की दरें वही होती हैं जो सम्बन्धित देश की होती हैं.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : World Food Programme (WFP)

संदर्भ

2030 तक विश्व से भूख को मिटाने के लिए किये जा रहे प्रयासों को समर्थन देने के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme – WFP) एवं चीन के ई-कॉमर्स की अग्रणी कम्पनी अलीबाबा समूह (Alibaba Group) ने एक रणनीतिक भागीदारी तैयार की है. इस विषय में किये गये समझौते के अनुसार अलीबाबा विश्व खाद्य कार्यक्रम की गतिविधियों के डिजिटल रूपांतरण हेतु अपनी आधुनिकतम तकनीक और संसाधन मुहैया करेगा.

“World Hunger Map”

अलीबाबा क्लाउड विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के साथ काम करेगा और एक डिजिटल विश्व खाद्य मानचित्र (World Hunger Map) का निर्माण करेगा. इस मानचित्र से 2030 तक पृथ्वी के नक़्शे से भूख को मिटाने के कार्यक्रमों की निगरानी में सहायता मिलेगी. विदित हो कि भूख मिटाना संयुक्त राष्ट्र के मुख्य सतत विकास लक्ष्यों में से एक है.

WFP क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत आने वाला विश्व खाद्य कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जिसका काम भूख का निवारण और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है.
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम भूख और कुपोषण को मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है.
  • यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) और उसकी कार्यकारिणी समिति का सदस्य भी है.
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम 1961 में हुआ था.
  • इसका प्रशासन एक कार्यकारी बोर्ड करता है जिसमें सदस्य-देशों के प्रतिनिधि होते हैं.
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम की गतिविधियों के लिए धनराशि विश्व की सरकारों, निगमों और निजी दाताओं से आती है.
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम के अन्य आनुषंगिक कार्य हैं – सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करना, बाल मृत्यु दर को घटाना, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना तथा HIV और AIDS समेत रोगों से लड़ना.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

[vc_message icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]

October, 2018 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking

[/vc_message][vc_column_text]
Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]