Sansar Daily Current Affairs, 08 November 2019
Top 100 CA Batch Important Info
करंट अफेयर्स के लिए आयोजित होने वाली टेस्ट सीरीज 15 नवम्बर को आयोजित होने जा रही है. टेस्ट देने की अंतिम तारीख 29 नवम्बर होगी. छात्र 15 नवम्बर से 29 नवम्बर तक किसी भी तिथि में सुविधानुसार परीक्षा दे सकते हैं. स्मरण रहे कि यह परीक्षा मात्र Top 100 छात्रों के चयन करने के उद्देश्य से ली जा रही है. जो छात्र सफल होंगे उनका चयन आगामी आयोजित होने वाली करंट अफेयर्स 12 टेस्ट सीरीज बैच के लिए किया जाएगा. 12 टेस्ट सीरीज की परीक्षा-सारणी वेबसाइट पर 30 नवम्बर को सफल छात्रों के नाम के साथ डाल दिया जाएगा.GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Kalapani Territory
संदर्भ
भारत नए मानचित्र में कालापानी को भारतीय भूभाग के रूप में दिखाने को लेकर नेपाल सरकार ने कड़ी आपत्ति प्रकट की है.
विदित हो कि इस मानचित्र में कालापानी को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अन्दर शामिल किया गया है. नेपाल सरकार का कहना है कि कालापानी नेपाल का एक अटूट अंग है. वस्तुतः कालापानी की स्थिति को लेकर दोनों देशों में विवाद रहा है जिसके समाधान के लिए दोनों देश के विदेश सचिव चर्चाएँ करते रहते हैं.
कालापानी कहाँ पर है?
- कालापानी कैलास मानसरोवर को जाने वाले रास्ते में 3,600 मीटर की ऊँचाई पर पड़ता है.
- इसके एक ओर उत्तराखंड है तो दूसरी ओर नेपाल का सुदूर पश्चिम प्रदेश है.
- 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के समय से कालापानी पर भारत की भारत-तिब्बती सीमा पुलिस का नियंत्रण रहा है.
विवाद का उद्गम
1816 में नेपाल और ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सुगौली संधि की थी जिसमें काली नदी को नेपाल की भारत से लगने वाली सीमा पर माना गया था. इस मानचित्र में रिजलाइन (ridgeline) का कोई उल्लेख नहीं है. बाद में कई ऐसे मानचित्र बने जिनमें ब्रिटेन के सर्वेक्षणकर्ताओं ने काली नदी का उद्गम कभी यहाँ तो कभी वहाँ दिखाया. इस कारण काली नदी के उद्गम को लेकर अस्पष्टता बनी रही जिस कारण दोनों देशों में सीमा को लेकर विवाद होने लगा. दोनों देश अपना-अपना मानचित्र दिखाते थे जिसमें कालापानी को वे अपने-अपने भूभाग के अन्दर बतलाते थे. इन मानचित्रों में कालापानी के भूभाग का क्षेत्रफल भी एक जैसा नहीं होता था.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Quad countries
संदर्भ
पिछले दिनों क्वाड देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति की समीक्षा की जिसमें क्षेत्रीय अवसरंचनाओं के लिए आसियान के नेतृत्व में एक तन्त्र स्थापित करने का समर्थन किया गया.
आसियान क्या है?
ASEAN का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है. इसमें दस देश हैं. इस संस्था को दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में कार्यशील सबसे अधिक प्रभावशाली समूह माना जाता है. भारत के अतिरिक्त कई देश जैसे अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसके संवादी भागीदार (dialogue partners) हैं.
Quad क्या है?
- Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
- ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
- Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्री Shinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.
Quad समूह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक रास्ता मात्र है और उसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. इसके गठन का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मक नहीं है.
अमरीका के लिए Quad का महत्त्व
चीन इस क्षेत्र में एकतरफ़ा निवेश और राजनैतिक संधियाँ कर रहा है. अमेरिका इसे अपने वर्चस्व पर खतरा मानता है और चाहता है कि चीन की आक्रमकता को नियंत्रित किया जाए. चीन के इन क़दमों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमेरिका चाहता है कि Quad के चारों देश आपस में सहयोग करते हुए ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक और आर्थिक नीतियाँ बनाएँ जिससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोका जा सके. भारत-प्रशांत सागरीय क्षेत्र में चीन स्थायी सैन्य अड्डे स्थापित करना चाह रहा है. चारों देशों को इसका विरोध करना चाहिए और चीन को यह बता देना चाहिए कि वह एकपक्षीय सैन्य उपस्थिति की नीति छोड़े और क्षेत्र के देशों से विचार विमर्श कर उनका सहयोग प्राप्त करे. चारों देश अपने-अपने नौसैनिक बेड़ों को सुदृढ़ करें और अधिक शक्तिशाली बाएँ तथा यथासंभव अपनी पनडुब्बियों को आणविक प्रक्षेपण के लिए समर्थ बानाएँ.
भारत का दृष्टिकोण
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते क़दमों को नियंत्रित करना न केवल अमेरिका के लिए, अपितु भारत के लिए उतना ही आवश्यक है. भारत चीन का पड़ोसी है और वह चीन की आक्रमकता का पहले से ही शिकार है. आये दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएँ घटती रहती हैं जो टकराव का कारण बनती हैं. इसके अतिरिक्त यदि चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में हावी हो गया तो वह भारत के लिए व्यापारिक मार्गों में रुकावटें खड़ी करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपने पाले लाने में का भरसक प्रयास करेगा. अंततोगत्वा भारत को सामरिक और आर्थिक हानि पहुँचेगी. सैनिक दृष्टि से भी भारत कमजोर पड़ सकता है. अतः यह उचित ही है कि Quad के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐसी नीति तैयार करे और ऐसे कदम उठाये जिससे चीन को नियंत्रण के अन्दर रखा जाए. कुल मिलाकर यह इन चारों देशों के लिए ही नहीं, अपितु यह पूरे विश्व की शांति के लिए परम आवश्यक है.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment
Topic : Punjab Preservation of Subsoil Water Act, 2009
संदर्भ
पराली जलाने के कारण दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में होने वाले वायु प्रदूषण के लिए कुछ लोग पंजाब भूमिगत जल संरक्षण अधिनियम, 2009 को दोषी मानते हैं.
ऐसा क्यों?
- दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. वहां के किसान कई बार आगाह किए जाने के बावजूद पराली जलाना नहीं बंद कर रहे हैं.
- एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले कुछ वर्षों से गेहूं की बुआई से पहले खेत में पराली को जलाते आ रहे हैं. हालांकि पहले उसका धुआं सिर्फ हरियाणा और पंजाब तक ही सीमित रहता था.
- दरअसल, पहले किसान पराली को सितंबर अंत या अक्टूबर के शुरू में पराली को जलाया करते थे, लेकिन अब अक्टूबर के आखिर में जलाना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट का कहना है कि पराली जलाने में हुई देरी दिल्ली में प्रदूषण का एक महत्त्वपूर्ण कारण बनकर सामने आ रहा है क्योंकि मॉनसून के दौरान पश्चिम की ओर से हवाएं बहती हैं, लेकिन अक्टूबर में हवाओं का रुख बदल जाता है. अक्टूबर के दौरान हवाओं का रुख उत्तर से दिल्ली की ओर बहने लग जाता है.
पंजाब भूमिगत जल संरक्षण अधिनियम, 2009 की आवश्यकता क्यों पड़ी?
पंजाब राज्य में भूमिगत जल का स्तर लगातार दोहन के कारण गिरता चला रहा है. धान की खेती के कारण इसमें और भी तेजी आ जाती है. जल शक्ति मंत्रालय के अधीनस्थ केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड के नवीनतम प्रतिवेदन से पता चलता है कि राज्य के 138 प्रखंडों में 105 प्रखंडों में भूमिगत जल की स्थिति बुरी है. जिस गति से भूमिगत जल में कमी आ रही है इससे 10 वर्षों में 100 मीटर की गहराई तक पाया जाने वाला जल समाप्त हो जाएगा और धरातल के निचले भाग का समूचा जल भंडार अगले 22 वर्षों विलुप्त हो जाएगा.
पंजाब भूमिगत जल संरक्षण अधिनियम, 2009 क्या है?
- पहले किसान अपने मन-मुताबिक तारीख पर धान की बुआई कर सकता था लेकिन तेजी से गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए 2009 में पंजाब भूमिगत जल संरक्षण कानून बनाया गया, जिसके तहत पहली बार धान बोआई की तारीख तय की गई थी.
- इस कानून का उद्देश्य था कि जितनी देरी में धान की बोआई शुरु होगी भू-जल पर संकट उतना कम होगा. क्योंकि वर्षा के कारण भू-जल इस्तेमाल करने की गुंजाइश कम हो जाएगी.
- आमतौर पर पंजाब में मई-जून में धान की खेती शुरु होती थी और अक्तूबर-नवंबर में फसल की कटाई की जाती थी. वहीं, 2009 में लागू हुए कानून के बाद पंजाब में धान की बोआई मई से खिसकर जून में पहुंच गई.
- किसानों को कहा गया कि वे 10 मई तक धान की बुवाई कर दें और इसकी रोपनी 10 जून तक कर लें.
अधिनियम सफल अथवा असफल?
- 2009 में भू-जल संरक्षण को लेकर लागू कानून का सकारात्मक असर राज्य पर पड़ा है. जहां राज्य में भू-जल का स्तर औसत 76 सेंटीमीटर प्रति वर्ष गिर रहा था वहीं, 2009 में कानून लागू होने के बाद भू-जल स्तर में गिरावट का औसत अब 49 सेंटीमीटर है.
- धान बुआई की तारीख पहले खिसकने से भूमिगत जल पर दबाव बढ़ने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता. धान की फसल को हतोत्साह करने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.
Topic : Brus of Mizo
संदर्भ
1997 से त्रिपुरा के विभिन्न शिविरों में रह रहे 32,000 ब्रू जाति के लोगों को सरकार के द्वारा खाद्य आपूर्ति और नकद राशि रोक देने के कारण कठनाइयों का सामना कर पड़ रहा है. इसके लिए ब्रू समुदाय पिछले आठ दिनों से “सड़क रोको” आन्दोलन कर रहा था.
पृष्ठभूमि
सरकार ने इस समुदाय को मिजोरम भेजने के लिए एक पैकेज बनाया था जिसे ये लोग स्वीकार नहीं कर रहे थे. अब सरकार ने खाद्य आपूर्ति और नकद राशि पर लगी रोक को नवम्बर 30 तक के लिए उठा लिया है. इसी बीच ब्रू लोगों को यह निश्चय करना होगा कि वे मिज़ोरम भेजे जाने के बारे में प्रस्ताव स्वीकार करते हैं या नहीं.
ब्रू कौन हैं?
- ब्रू लोगों को रेयांग (Reangs) भी कहा जाता है. ये त्रिपुरा, असम, मणिपुर और मिज़ोरम में रहते हैं.
- त्रिपुरा में इन्हें विशेष रूप से संकटग्रस्त जातीय समूह के रूप में मान्यता मिली हुई है.
- मिज़ोरम के लोग इनको अपने राज्य का समुदाय नहीं मानते हैं और इनको निशाना बनाते हैं.
विवाद क्या है?
1997 में मिजोरम के Dampa Tiger Reserve के एक मिजो वन-रक्षक की हत्या हो गयी थी. उस समय यह संदेह किया गया है कि यह हत्या ब्रू जनजाति के किसी व्यक्ति ने की थी. इस घटना के कारण ब्रू जनजाति और मिजो जनजाति के बीच दंगे होने लगे जिसके कारण ब्रू जनजाति के 5,407 परिवारों के 32,876 लोगों को त्रिपुरा के Jampui Hills में शरण लेनी पड़ी. मिजो समुदाय ने ब्रू समुदाय को बाहर कर देने एवं उनके वोट देने के अधिकार को खत्म करने की माँग की थी.
Prelims Vishesh
National Capital Region -2041 :-
- ‘एनसीआर-2041’ सम्मेलन का आयोजन 11 नवम्बर, 2019 को राष्ट्रीय राजधानी में होगा.
- सम्मेलन की थीम ‘प्लानिंग फॉर टुमारोज ग्रेटस्ट कैपिटल रीजन’ (भावी वृहत्तम राजधानी क्षेत्र की योजना) है.
- सम्मेलन में विश्व के सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्र के समुचित विकास से जुड़े मुद्दों पर विचार किया जाएगा.
- क्षेत्रीय योजना में यातायात, जल, सीवर, ठोस अपशिष्ट, बिजली, भू-उपयोग इत्यादि विभिन्न मुद्दों पर गौर किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र की एक प्रतिवेदन के अनुसार दिल्ली 2028 तक टोक्यो को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा महानगर बन जाएगा.
Indian Railways launches three online applications :-
- भारतीय रेल ने परिचालन प्रौदयोगिकी को सशक्त बनाने के लिए तीन नए ऑनलाइन एप जारी किए हैं. ये ऐप हैं – सीआरएस सेंक्शन मैनेजमेंड सिस्टम, रेल-रोड क्रॉसिंग जीएडी अनुमोदन प्रणाली, टीएमएस फॉर कन्सट्रक्शन.
- इनके माध्यम से रेल परियेाजनाओं की सही निगरानी सुनिश्चित होगी और डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को बढ़ावा मिलेगा.
CBIC’s DIN system :-
- केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) की दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) 08 नवम्बर, 2019 से अमल में आ गई.
- अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से जुड़ी इस क्रांतिकारी डिन प्रणाली का सृजन केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के निर्देश पर हुआ है और अब से सीबीआईसी के किसी भी पत्र-व्यवहार इत्यादि में दस्तावेज पहचान संख्या (डिन) का उल्लेख करना आवश्यक होगा.
- सरकार ने प्रत्यक्ष कर प्रशासन या व्यवस्था में डिन प्रणाली को पहले ही अमल में ला दिया है.
- ‘अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में सबसे पहले डिन का उपयोग किसी भी जांच प्रक्रिया के दौरान जारी समन, तलाशी के लिए अधिकृत करने, गिरफ्तारी पत्रक, जांच नोटिस और पत्रों के लिए किया जाएगा. अब से जीएसटी अथवा सीमा शुल्क अथवा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग यदि कम्प्यूटर सृजित डिन के बिना ही कोई पत्र-व्यवहार करता है तो वह अमान्य होगा.
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