Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 September 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 08 September 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : Declaration of Economic Emergency in Sri Lanka

संदर्भ 

खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी, मुद्रा के अवमूल्यन और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के चलते श्रीलंका सरकार ने हाल ही में आर्थिक आपातकाल की घोषणा की है.

“आपातकालीन नियमों” के अंतर्गत, बाजार की अनियमितताओं और जमाखोरी को रोकने के लिए अधिकारियों को सरकार द्वारा गारंटीकृत कीमतों पर धान, चावल और चीनी सहित आवश्यक खाद्य पदार्थों के स्टॉक को खरीदकर, आम जनता को “रियायती दर” पर आवश्यक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की शक्ति प्रदान की गई है.

आपातकालीन नियमों को लागू करना इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि अभी श्रीलंका में, सभी उपभोक्ताओं तक आवश्यक सामग्री पहुँचने को सुनिश्चित करने के लिए कोई “सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली” या “राशन कार्डव्यवस्था विद्यमान नहीं है.

आर्थिक आपातकाल – भारत के संदर्भ में

आपातकाल तीन स्थितयों में घोषित किया जाता है-  DECLARATION OF EMERGENCY

a) युद्ध या युद्ध की संभावना अथवा सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न संकट

b) राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न संकट

c) आर्थिक संकट

संविधान के अनुच्छेद 360 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें भारत अथवा उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की आर्थिक स्थिरता और साख को खतरा है, तो वह इस आशय की घोषणा कर सकता है. दूसरी घोषणा के द्वारा उसे इस घोषणा को रद्द करने का भी अधिकार है. यह घोषणा संसद के दोनों सदनों के सामने रखी जायेगी और संसद की स्वीकृति मिल जाये, तो यह दो महीनों तक लागू रहेगी. यदि यह घोषणा उस समय की गई है जबकि लोक सभा के भंग होने के पूर्व स्वीकृति न हुई हो, तो युद्ध अथवा आंतरिक अशांति के लिए निर्धारित व्यवस्था काम में लाई जायेगी.

इस घोषणा का प्रभाव यह होगा कि संघ की कार्पालिका शक्ति को राज्यों के आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जायेगा. राष्ट्रपति को यह अधिकार होगा कि वह सरकारी नौकरों, यहाँ तक कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन कम करने और राज्यों के विधानमंडल द्वारा स्वीकृत धन विधेयक (धन विधेयक <<के बारें में पढ़ें) और वित्त विधेयक को अपनी स्वीकृति के लिए रोक कर रखने का आदेश दे. इसका प्रयोग अभी तक नहीं हुआ है.

आपातकाल के विषय में पूरी जानकारी के लिए पढ़ें – आपातकाल


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Eastern Economic Forum

संदर्भ 

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित छठे पूर्वी आर्थिक मंच (Eastern Economic Forum – EEF) के पूर्ण सत्र को विडियो कांफ्रेंस के जरिए संबोंधित किया.

पूर्वी आर्थिक मंच क्या है?

  • विश्व की आर्थिक व्यवस्था, क्षेत्रीय एकीकरण, नए औद्योगिक एवं तकनीकी क्षेत्रों के विकास तथा रूस और अन्य राष्ट्रों द्वारा सामना की जा रही वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए पूर्वी आर्थिक मंच की स्थापना 2015 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक आदेश के द्वारा की थी.
  • इस मंच की बैठक प्रत्येक वर्ष व्लाडिवोस्टक में ही होती है.
  • इस मंच में होने वाले विचार-विमर्श के निमित्त कई पैनल सत्र, गोलमेज वार्ताएँ, दूरदर्शन पर प्रसारित वाद-विवाद, व्यावसायिक कलेवे (business breakfasts) एवं व्यावसायिक संवाद आयोजित होते हैं जिनमें मुख्य रूप से विविध देशों के साथ रूस के रिश्तों पर चर्चा होती है.
  • इस मंच के व्यावसायिक कार्यक्रम में एशिया प्रशांत क्षेत्र और आसियान के अग्रणी प्रतिभागी देशों के साथ अनेक व्यावसायिक संवाद भी होते हैं.

सुदूर-पूर्व (FAR-EAST) किसे कहते हैं?

रूस के सबसे पूर्वी भाग को सुदूर-पूर्व अर्थात् फार ईस्ट कहते हैं. यह भूभाग प्रशांत और आर्कटिक दो महासागरों की सीमाओं को छूता है और इसके समीप ये पाँच देश पड़ते हैं – चीन, जापान, मंगोलिया, अमेरिका और उत्तर कोरिया.

रूस के सुदूर-पूर्वी संघीय जिले के अन्दर देश की एक-तिहाई से अधिक भूमि आती है.

संसाधन : रूस का सुदूर-पूर्वी भाग प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है. ये संसाधन हैं – हीरे, टीन, बोरेक्स, सोना, टंग्स्टन, मछलियाँ और समुद्री भोज्य पदार्थ. रूस के कोयला भंडार और हाइड्रो-इंजीनियरिंग संसाधनों का एक-तिहाई अंश इसी क्षेत्र में अवस्थित है. पूरे रूस के जंगलों का 30% क्षेत्र इसी क्षेत्र में पड़ता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : 13th BRICS Summit

संदर्भ 

13वाँ ‘ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन’ (BRICS Summit) वर्ष 2021 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित होने जा रहा है.

  • भारत, तीसरी बार ‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन’ की अध्यक्षता कर रहा है. इससे पूर्व भारत ने वर्ष 2012 और वर्ष 2016 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी.
  • इस वर्ष, भारत उस समय ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है, जब ब्रिक्स का 15वां स्थापना वर्ष मनाया जा रहा है.

शिखर सम्मेलन की थीम है –  ब्रिक्स@15: ब्रिक्स देशों के मध्य निरंतरता, एकजुटता और सहमति के लिये सहयोग (BRICS@15: Intra-BRICS cooperation for continuity, consolidation and consensus).

भारत की अध्यक्षता में प्राथमिकता वाले क्षेत्र

अपनी अध्यक्षता में भारत ने चार प्राथमिक क्षेत्रों का खाका तैयार किया है. इनमें निम्नलिखित क्षेत्र सम्मिलित है:

  1. बहुस्तरीय प्रणाली,
  2. आंतक विरोध,
  3. सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये डिजिटल और प्रौद्योगिकीय उपायों को अपनाना, और
  4. लोगों के बीच मेल-मिलाप बढ़ाना है.

इन क्षेत्रों के अतिरिक्त, उपस्थित राजाध्यक्ष कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव तथा वर्तमान वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.

पृष्ठभूमि

यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है, जिसमे इस समूह के दो सदस्य, भारत और चीन, कुछ महीने से पूर्वी लद्दाख में एक कड़वे सीमा गतिरोध में उलझे रहे थे.

  • ‘ब्रिक्स’ एक प्रभावशाली ब्लॉक के रूप में जाना जाता है, और यह 3.6 अरब से अधिक लोगों या विश्व की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है.
  • ब्रिक्स देशों की संयुक्त जीडीपी 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, और इसे ध्यान में रखते हुए, इस तरह के शिखर सम्मेलन भारत के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हैं.

BRICS क्या है?

  • BRICS विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले पाँच बड़े देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका – का संघ है. इसका नाम इन देशों के पहले अक्षरों को मिला कर बना है.
  • BRICS की पहली बैठक जून 2009 रूस के Yekaterinburg शहर में हुई थी.
  • 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे “BRIC” के नाम से जाना जाता था.
  • यह नाम 2001 में Goldman Sachs संस्था के अर्थशास्त्री Jim O’Neill द्वारा सुझाया गया था.
  • इसकी बैठक हर वर्ष होती है जिसमें राजनीतिक एवं सामाजिक-आर्थिक सहयोग के क्षेत्र के विषय में चर्चा होती है.
  • BRICS की अध्यक्षता एक देश के पास न होकर प्रतिवर्ष बदलती रहती है और बदलने का एक क्रम भी BRICS के नाम के अनुसार ही होता है अर्थात् पहले B=Brazil, R=Russia आदि आदि…
  • BRICS में सम्बंधित देशों के प्रमुखों की बैठक तो होती है, साथ ही कई क्षेत्रीय (sectoral) बैठकें भी होती हैं जिनकी संख्या पिछले दस वर्षों में 100 पहुँच चुकी है.
  • BRICS देशों के बीच में सहयोग का कार्यक्रम तीन स्तरों अथवा ट्रैकों (TRACKS) पर चलता है. ये ट्रैक हैं –
  1. Track I = सम्बंधित देशों के बीच में औपचारिक कूटनीतिक कार्यकलाप,
  2. Track II = सरकार से सम्बद्ध संस्थानों, यथा – सरकारी उपक्रम एवं व्यवसाय परिषदों के माध्यम से किये गये कार्यकलाप,
  3. Track III = सिविल सोसाइटी के साथ और “जन से जन” स्तर पर किये गए कार्यकलाप.

BRICS और भारत

हालांकि, भारत को व्यापक रूप से एक मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है, लेकिन BRICS के अन्य सदस्यों से तुलना करने के लिए इसकी आर्थिक क्षमता ही एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए. समग्र GDP, सामाजिक असमानताओं एवं बुनियादी स्वास्थ्य और अन्य कल्याण सेवाओं तक पहुँच के मामले में, भारत अन्य BRICS राष्ट्रों से पीछे है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों की वृद्धि हेतु, इस फोरम का उपयोग कर सकता है –

  • भारत द्वारा विदेशी निवेशकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए, अपने बुनियादी डांचे में सुधार हेतु अत्यधिक वित्त की आवश्यकता है. विश्व बैंक और IMF के अतिरिक्त, न्यू डेवलपमेंट बैंक भी एक महत्त्वपूर्ण संगठन है, जो भारत को बुनियादी ढांचे हेतु ऋण प्रदान कर सकता हैं.
  • भारत की शक्ति श्रम, सेवा, जेनेरिक दवाइयों और सूचना प्रौद्योगिकी में निहित है. इसके साथ ही अन्य BRICS भागीदारों के साथ अन्य पर्याप्त सहक्रियाएं हैं, जिनका उपयोग कर इन क्षेत्रों में अंतर-BRICS संबंधों को और मजबूत बनाया जा सकता है.
  • BRICS के सभी सदस्यों छ्वारा तीव्र शहरीकरण की चुनौती का सामना किया जा रहा है. इससे निपटने के लिए भारत ने BRICS सहयोग तंत्र में अर्थवनाईज़ैशन फोरम को शामिल किया है, जिसके माध्यम से एक-दूसरे के अनुभव से सबक लेकर BRICS सहयोग को आगे बढ़ाया जा सकता है.
  • पूर्व सोवियत संघ के विघटन के पश्चात्, रूस के साथ भारत के महत्त्वपूर्ण संबंधों में कमी आती जा रही थी. BRICS एक महत्त्वपूर्ण मंच है, जिसके द्वारा भारत रूस के साथ अपने सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी वार्ता को आगे बढ़ा सकता है.
  • BRICS में सदस्य देशों के मध्य अधिक साझेदारी और सहयोग का वादा किया गया है. यह द्विपक्षीय मुद्दों को हुल करने के लिए भी मंच विकसित कर सकता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to education.

Topic : National Institute Ranking Framework

संदर्भ 

हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (National Institute Ranking Framework – NIRF) द्वारा तैयार की गई ‘इंडिया रैंकिंग’ 2021 निर्गत की है.

भारत में ‘उच्च शैक्षणिक संस्थानों’ (Higher Educational Institutions – HEI) की इंडिया रैंकिंग का यह लगातार छठा संस्करण है.

‘इंडिया रैंकिंग’ 2021 के प्रमुख बिंदु

  1. आईआईटी-मद्रास, आईआईएससी-बैंगलोर और आईआईटी-बॉम्बे देश के शीर्ष तीन उच्च शिक्षा संस्थानों के रूप में उभरे हैं.
  2. सर्वश्रेष्ठ कॉलेज श्रेणी में मिरांडा हाउस इस वर्ष पुन: रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर है.
  3. भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु (IISc Bengaluru) ने पहली बार इंडिया रैंकिंग 2021 में शुरू की गई विश्वविद्यालय के साथ-साथ अनुसंधान संस्थान श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है.

‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (NIRF) क्या है?

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework – NIRF) को सितंबर, 2015 में प्रारम्भ किया गया था.
  • इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत देशभर के शैक्षणिक संस्थानों को उनकी गुणवत्ता एवं प्रदर्शन के आधार पर सूचीबद्ध करने के लिये एक पद्धति की रूपरेखा तैयार की जाती है.
  • शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग करने के लिये कुछ विशेष मानक तय किये गए हैं. इन मानकों में आम तौर पर ‘शिक्षण, शिक्षा और संसाधन’ (Teaching, Learning and Resources), ‘अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास (Research and Professional Practices), ‘स्नातक परिणाम’ (Graduation Outcomes), ‘आउटरीच और समावेशिता’ (Outreach and Inclusivity) और ‘अनुभूति’ (Perception) आदि को शामिल किया जाता हैं.

संस्थानों की रैंकिंग के लिए निम्नलिखित मापदंडों का उपयोग किया जाता है

  1. शिक्षण, अध्ययन एवं संसाधन (Teaching, Learning and Resources)
  2. अनुसंधान एवं व्यावसायिक क्रियाएं (Research and Professional Practices)
  3. स्नातक परिणाम (Graduation Outcomes)
  4. पहुँच एवं समावेशिता (Outreach and Inclusivity)
  5. धारणा (Peer Perception)

‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ सर्वश्रेष्ठ संस्थानों को 11 श्रेणियों में सूचीबद्ध करता है –

  1. समग्र राष्ट्रीय रैंकिंग,
  2. विश्वविद्यालय,
  3. इंजीनियरिंग,
  4. कॉलेज,
  5. चिकित्सा,
  6. प्रबंधन,
  7. फार्मेसी,
  8. कानून,
  9. वास्तुकला,
  10. दंत चिकित्सा और
  11. अनुसंधान.

इस प्रकार की रैंकिंग का महत्त्व

  • इस प्रकार की रैंकिंग से छात्रों को कुछ मापदंडों के आधार पर विश्वविद्यालयों का चयन करने में सहायता मिलती है. 
  • इस रैंकिंग के माध्यम से विश्वविद्यालयों को विभिन्न रैंकिंग मापदंडों पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने और अनुसंधान तथा सुधार के क्षेत्रों में खामियों की पहचान करने में सहायता मिलती है. 
  • राष्ट्रीय स्तर पर संस्थानों की रैंकिंग संस्थानों के बीच बेहतर प्रदर्शन करने और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च रैंकिंग सुनिश्चित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धात्मक भावना पैदा करती है.

Prelims Vishesh

PMGDISHA :-

  • डिजिटल गांवों में 100 प्रतिशत डिजिटल साक्षरता के लिए ‘प्रधान मंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान’ (Pradhan Mantri Gramin Digital Saksharata Abhiyan – PMGDISHA) अभियान शुरू किया गया है.
  • पीएमजी दिशा अभियान भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख डिजिटल साक्षरता योजना है, जिसे ‘पीएमजी दिशा योजना’ के अंतर्गत शुरू किया गया है.
  • इस अभियान के अंतर्गत सितंबर 2021 में कुछ दिनों के लिए ग्रामीण नागरिकों विशेषकर महिलाओं और वंचित समुदायों के लिए तीन दिवसीय प्रमाणन अभियान चलाया जाएगा.

International Literacy Day :-

  • संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्त्व और अधिक साक्षर समाजों के लिए गहन प्रयासों की आवश्यकता की याद दिलाने के लिए” प्रति वर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. इ
  • इस वर्थी की थीम थी: “Literacy for a human-centered recovery: Narrowing the digital divide”
  • यूनेस्को द्वारा 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को के सम्मेलन के 14 सत्र में इस दिवस की घोषणा की गई थी.
  • पहला अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 1967 में मनाया गया था.
  • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार 86% वयस्क जनसंख्या साक्षर है, जबकि भारत में वर्ष 2011 में साक्षरता दर 74% थी.
  • सतत विकास लक्ष्य (SDG) का लक्ष्य – 4 यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि सभी युवा, पुरुषों और महिलाओं सहित वयस्कों का पर्याप्त अनुपात वर्ष 2030 तक साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करें.

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