Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 09 August 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Deputy Chairman of Rajya Sabha

hariwansh narayan singh

सन्दर्भ

9/8/2018 को हरिवंश नारायण सिंह राज्य सभा के उपसभापति चुने गये.

राज्यसभा में उपसभापति का पद

संविधान की धारा 89 में यह प्रावधान है कि राज्यसभा अपने सांसदों में से किसी एक को उपसभापति नियुक्त करेगी. उपसभापति का पद त्यागपत्र देने अथवा पद से हटाये जाने अथवा उसके राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यकाल के समाप्त होने पर रिक्त हो जाता है. इसके पश्चात् उस पद पर तत्काल राज्य सभा के सांसदों में से किसी एक को नियुक्त कर दिया जाता है.

उपसभापति का चुनाव

उपसभापति का चुनाव राज्यसभा सभापति (उप-राष्ट्रपति) के द्वारा निर्धारित तिथि को होता है और इस तिथि के बारे में आवश्यक सूचना राज्यसभा महासचिव के द्वारा सभी सदस्यों को प्रेषित की जाती है. चुनाव की प्रक्रिया में मात्र राज्यसभा सांसद ही सम्मिलित होते हैं. एक से अधिक उम्मीदवारों के बीच में साधारण बहुमत से उपसभापति का चयन किया जाता है.

उपसभापति की शक्तियाँ

संविधान के अनुसार उपसभापति अथवा राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाला किसी भी सांसद के पास राज्यसभा के अध्यक्ष की सभी शक्तियाँ तब तक प्राप्त होंगी जब तक वह सभा की अध्यक्षता कर रहा हो.

उपसभापति पद का महत्त्व

उपसभापति के पद की विशेषता है कि इसमें नियुक्ति केवल राज्यसभा के सदस्यों के द्वारा ही की जाती है. उपसभापति सदन के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : SC to constitute panel to look into issues in prisons across country

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया है जो देश के कारागारों की समस्याओं पर विचार करेगी.

समिति का कार्य

यह समिति कारागारों से सम्बंधित जिन समस्याओं पर विचार करेगी वे हैं –

i) क्षमता से अधिक बंदियों का होना.

ii) इनमें वर्षों से पड़ी हुई महिला कैदियों की समस्या.

इन समस्याओं का अध्ययन करके समिति इनके समाधान के विषय में उपाय सुझाएगी.

पृष्ठभूमि

सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के मूल में एक याचिका है जो देश के 1,382 कारागारों में विद्यमान अमानवीय दशाओं से सम्बन्ध में दायर हुई थी. सुनवाई के क्रम में सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिपण्णी की थी कि कैदियों के भी मानवाधिकार होते हैं और उन्हें कारागार में “पशुओं” की तरह नहीं रखा जा सकता.

कारागारों में सुधार की आवश्यकता

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आँकड़ें बताते हैं कि जेल में अपने परिवार और मित्रों से अलग रह रहे कैदी के द्वारा आत्महत्या करने की संभावना 50% अधिक होती है. सामान्य नागरिकों में आत्महत्या की घटनाएँ एक लाख में 11 के अनुपात से होती है जबकि यह अनुपात जेल में एक लाख में 16.9 होता है.
  • भारतीय कारगारों की 3 समस्याएँ हैं – i) कैदियों का कारागार की क्षमता से अधिक होना ii) जेल कर्मियों की कमी तथा iii) कम निधि की व्यवस्था. अधिक कैदी होने का एक बड़ा कारण जेलों में बहुत अधिक विचाराधीन (under trial) कैदियों का होना है.
  • जेलों में कर्मियों के जितने पद चाहियें उनमें 33% खाली रहते है. इसके अतिरिक्त निरीक्षक स्तर के अधिकारीयों के 36% पद खाली हैं.
  • अधिक कैदी होने के कारण जेल की परिस्थितियाँ मनुष्य के रहने लायक नहीं होती हैं. साथ ही साफ़-सफाई ठीक नहीं होती तथा कैदियों और जेल अधिकारियों के बीच हिंसक संघर्ष भी होते रहते हैं.

विशेष तथ्य

इनकी बहुत बुरी और अमानवीय हालत के कारण जेलों में अपराधियों का पनपना एक आम बात है. भारतीय जेलों को उभरते हुए अपराधियों का विश्वविद्यालय कहा जाता है. जब तक ऐसी परिस्थतियाँ रहती हैं तब तक ये जेल राजनीतिक पहुँच वाले अपराधियों के लिए स्वर्ग तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित विचाराधीन कैदियों के लिए नरक रहेगा.

GS Paper 2 Source: PIB

pib

Topic : Niryat Mitra mobile app

संदर्भ

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात मित्र नामक एक मोबाइल एप का शुभारम्भ किया है.

निर्यात मित्र के बारे में

  • यह एप भारतीय निर्यात संगठन संघ (Federation of Indian Export Organisations – FIEO) के द्वारा विकसित किया गया है.
  • यह app अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सम्बन्ध में ढेर सारी सूचनाएँ उपलब्ध कराता है, जैसे – आयात-निर्यात से सम्बंधित नीतियाँ, लागू होने वाली वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दर, निर्यात के लिए उपलब्ध प्रोत्साहन (incentives), शुल्क (tariff), अधिमान्य शुल्क (preferential tariff), बाजार तक पहुँच के लिए आवश्यक उपाय, जैसे –  SPS और TBT.
  • यह app दूसरे देशों के ITC HS code को भारत के code से जोड़कर उन उपयोगकर्ताओं को सभी वंचित डाटा उपलब्ध कराता है जो किसी देश के HS code के सम्बन्ध में जानना चाहते हैं. वर्तमान में इस app में 87 देशों का डाटा भरा हुआ है.

निर्यात मित्र App का महत्त्व

  • देश का निर्यात व्यापार आजकल अच्छी अवस्था में है और 20% की दर से वृद्धि अंकित कर रहा है. सरकार की योजना व्यवसाय सञ्चालन की सुचारुता (Ease of Doing Business) को आगे बढ़ाना है. इसलिए Niryat Mitra app सभी को एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा और देश के निर्यात को बढ़ावा देगा.
  • इस app में एक मानव संसाधन टूल भी है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र में रूचि रखने वाले उम्मीदवारों को अपने नाम पंजीकृत करने तथा इस क्षेत्र में होने वाली रिक्तियों के लिए आवेदन करने में सहायक होगा. कंपनियाँ भी इसके जरिये उचित आवेदकों के प्रोफाइल ढूंढ सकेंगी और उन्हें काम पर लगा सकेंगी.

अतिरिक्त तथ्य

  • ITC (HS Code) को भारतीय व्यापार स्पष्टीकरण (Indian Trade Clarification – ITC) के नाम से अधिक जाना जाता है. यह कोड कोडिंग की समरस प्रणाली (Harmonized System – HS) पर आधारित होता है. यह कोड भारत में आयात-निर्यात कार्य के लिए अपनाया गया है. भारत का सीमा शुल्क तन्त्र एक आठ अंकों वाला ITC (HS) code का प्रयोग करता है जो देश की व्यापारिक आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त है.
  • यदि ITC-HS code में बदलाव करना हो या कुछ जोड़ना हो तो यह काम विदेश व्यापार महानिदेशालय (Directorate General of Foreign Trade – DGFT) करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP)

संदर्भ

हाल ही में केंद्र सरकार ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में  एक मंत्रिसमूह (GoM) गठित किया है जो 16 सदस्यीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership – RCEP) के विषय में निर्णय लेगा.

लक्ष्य

  • यह समिति RCEP में भारत शामिल हो अथवा नहीं, इस संदर्भ में अनुभव की जा रही अड़चनों को दूर करने पर विचार करेगी.
  • RCEP की एक मंत्रिस्तरीय बैठक सिंगापुर में अगस्त 2018 में होने वाली है. भारत इस बैठक के लिए कैसी रणनीति अपनाए, इस विषय में यह समिति सुझाव देगी.

RCEP को लेकर भारत की चिंताएँ

यद्यपि RCEP पर सहमति देने के लिए भारत पर बहुत दबाव पड़ रहा है, परन्तु अभी तक भारत इससे बच रहा है. इसके कारण निम्नलिखित हैं –

  • ASEAN आयात शुल्कों को समाप्त करना चाह रहा है जो भारत के लिए लाभप्रद नहीं होगा क्योंकि इसका एक सीधा अर्थ होगा की चीनी माल बिना शुल्क के भारत में आने लगेंगे. यहाँ के उद्योग को डर है कि ऐसा करने से घरेलू बाजार में गिरावट आएगी  क्योंकि चीनी माल अधिक सस्ते पड़ेंगे.
  • भारत का यह भी जोर रहा है कि RCEP समझौते में सेवाओं, जैसे – पेशेवरों को आने-जाने के लिए दी जाने वाली कामकाजी VISA, को भी उचित स्थान दिया जाए. अभी तक सेवाओं से सम्बंधित प्रस्ताव निराशाजनक ही रहे हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में कोई भी सदस्य देश सार्थक योगदान करने के लिए तैयार नहीं होगा.

RCEP से सम्बंधित कुछ तथ्य

  • RCEP आसियान के दस सदस्य देशों (ब्रुनेई, म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) तथा आसियान से सम्बद्ध अन्य छ: देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड) के लिए प्रस्तावित है.
  • RCEP के लिए वार्ताएँ कम्बोडिया में नवम्बर 2012 में आयोजित आसियान के शिखर सम्मलेन में औपचारिक रूप आरम्भ की गई थीं. RCEP का लक्ष्य है अधिकांश शुल्कों और गैर-शुल्क अड़चनों को समाप्त कर वस्तु-व्यापार को बढ़ावा देना. अनुमान है कि ऐसा करने से क्षेत्र के उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गुणवत्ता युक्त उत्पादनों के अधिक विकल्प प्राप्त हो सकेंगे. इसका एक उद्देश्य निवेश से सम्बंधित मानदंडों को उदार बनाना तथा सेवा व्यापार की बाधाओं को दूर करना भी है.
  • हस्ताक्षरित हो जाने पर RCEP विश्व का सबसे बड़ा निःशुल्क व्यापार हो जायेगा. विदित हो कि इस सम्बद्ध 16 देशों की GDP $50 trillion की है और इन देशों में साढ़े तीन अरब लोग निवास करते हैं.
  • भारत की GDP-PPP $9.5 trillion की है और जनसंख्या एक अरब तीस लाख है. दूसरी ओर चीन की GDP-PPP $23.2 trillion की है और जनसंख्या एक अरब 40 लाख है.

इसमें चीन की इतनी रूचि क्यों हैं?

चीन वस्तु-निर्यात के मामले में विश्व का अग्रणी देश है. इस बात का लाभ उठाते हुए वह चुपचाप अधिकांश व्यापारिक वस्तुओं पर से शुल्क हटाने की चेष्टा में लगा रहता है और इसके लिए कई देशों पर दबाव बनाता रहता है. उसका बस चले तो व्यापार की 92% वस्तुओं पर से शुल्क समाप्त ही हो जाए. इसलिए चीन RCEP वार्ता-प्रक्रिया में तेजी लाने से और शीघ्र से शीघ्र समझौते को साकार रूप देने में लगा हुआ है.

RCEP के माध्यम से मुक्त एशिया-प्रशांत व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area of the Asia-Pacific – FTAAP) स्थापित करने का लक्ष्य है जिसमें 21 देश होंगे. इन देशों में एशिया-प्रशांत देशों के अतिरिक्त अमेरिका और चीन भी हैं, किन्तु भारत नहीं है.

ज्ञातव्य है कि FTAAP की एक अन्य योजना Trans Pacific Partnership से अमेरिका हट गया है. इससे चीन के लिए अपनी पहल को आगे बढ़ाने का रास्ता प्रशस्त हो गया है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : World Network of Biosphere Reserves

संदर्भ

कंचनजंगा जैवमंडल रिजर्व UNESCO द्वारा नामित वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फीयर रिज़र्व (WNBR) में शामिल होने वाला भारत का 11वाँ जैव मंडल रिज़र्व बन गया है.

यह निर्णय इंडोनेशिया के Palembang में आयोजित UNESCO के अंतर्राष्ट्रीय मानव एवं जैव मंडल समन्वय परिषद् कार्यक्रम (International Coordinating Council of Man and Biosphere Programme) की 30वीं बैठक में हाल ही में लिया गया.

तथ्य

भारत में 10 अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल रिज़र्व हैं. इस वर्ग में कंचनजंगा के शामिल होने से देश में ऐसे रिज़र्व की संख्या भारत में 11 हो गई है. इसके अतिरिक्त यहाँ ऐसे 7 जैवमंडल रिज़र्व भी हैं जिन्हें देश के स्तर पर चिन्हित किया गया है… (11+7 = 18)

Biosphere Reserve की सूची:

1) शीत मरुभूमि, हिमाचल प्रदेश

2) नंदा देवी, उत्तराखंड

3) कंचनजंगा, सिक्किम

4) देहांग-देबांग, अरुणाचल प्रदेश

5) मानस, असम

6) डिब्रू-सैखोवा, असम

7) नोकरेक, मेघालय

8) पन्ना, मध्य प्रदेश

9) पंचमढ़ी, मध्य प्रदेश

10) अचनकमर-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़

11) कच्छ, गुजरात

12) सिमलीपाल, ओडिशा

13) सुंदरबान, पश्चिम बंगाल

14) शेषाचलम, आंध्र प्रदेश

15) अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल

16) नीलगिरि, तमिलनाडु-केरल

17) मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु

18) ग्रेट निकोबार, अंडमान और निकोबार द्वीप

जैवमंडल रिजर्व

  • 1971 में आरम्भ किया गया UNESCO का मानव एवं जैवमंडल कार्यक्रम (MAB) एक अंतरसरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य मानवमात्र एवं पर्यावरण के बीच के सम्बन्ध में सुधार हेतु एक वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है.
  • MAB में प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र एवं शिक्षा का मिश्रण होता है जिसका लक्ष्य मानवमात्र की आजीविका का संवर्धन करना तथा लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना होता है. यह प्राकृतिक एवं प्रबंधनीय पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करते हुए सामाजिक तथा सांस्कृतिक रूप से उचित आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है एवं इस विकास को पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ बनाता है.
  • इसके वैश्विक वायुमंडल रिज़र्व नेटवर्क के अन्दर 122 देशों में 600 से अधिक स्थल आते हैं. इनमें 20 स्थल ऐसे हैं जो दो या दो से अधिक देशों में एक साथ पड़ते हैं.
  • UNESCO की सूची में पहली बार 2000 ई. में भारत का एक रिज़र्व आया था और वह था तमिलनाडु का नीलगिरी जैवमंडल रिज़र्व.
  • ऐसे रिज़र्व में न केवल पशु-पक्षियों और वनस्पतियों को सुरक्षा दी जाती है अपितु वहाँ रहने वाले मानव समुदायों तथा उनके रहन-सहन की शैली को सुरक्षा दी जाती है.

जैवमंडल की परिभाषा

जैवमंडल रिज़र्व किसी देश के मुख्य भूभाग एवं तटीय क्षेत्रों में स्थित एक ऐसा अनूठा इको-सिस्टम होता है जिसे UNESCO के मानव एवं जैव मंडल कार्यक्रम/Man and Biosphere (MAB) programme के तहत निर्धारित ढाँचे के अन्दर अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होती है.

किसी जैवमंडल रिज़र्व में निम्नलिखित तीन लक्ष्य पूरे होने चाहिए –

  • प्राकृतिक एवं अर्ध-प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की जैव-विविधता एवं धरातलीय परिदृश्य (landscapes) का स्थानीय संरक्षण हो.
  • रिज़र्व के अन्दर और आस-पास रहने वाले लोगों का टिकाऊ आर्थिक विकास में योगदान हो.
  • दीर्घकालिक पर्यावर्णिक अध्ययनों, वातावरण से सम्बंधित शिक्षा एवं प्रशिक्षण और अनुसंधान तथा अनुश्रवन के लिए पर्याप्त सुविधा हो.

ऊपर लिखे हुए उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जैवमंडल रिज़र्व अलग-अलग जोन में बाँट दिए जाते हैं, जैसे – कोर एरिया, बफर एरिया. हर एक जोन के लिए अलग-अलग कार्यप्रणाली निर्धारित की जाती है.

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