Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 January 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 09 January 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Henley Passport Index 2021

संदर्भ

हाल ही में जारी किए गए हेनले पासपोर्ट सूचकांक 2021 में दुनिया के सबसे दमदार पासपोर्ट की सूची में भारतीय पासपोर्ट तीन स्थान खिसककर 85वें स्थान पर पहुंच गया है.

उल्लेखनीय है कि पिछले 16 वर्षों से हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा प्रतिवर्ष हेनले पासपोर्ट सूचकांक जारी किया जाता है.

हेलने पासपोर्ट सूचकांक क्या है?

  • हेलने पासपोर्ट सूचकांक (HPI) एक वैश्विक रैंकिंग व्यवस्था है जिसमें विभिन्न देशों को उनके नागरिकों को पर्यटन में मिलने वाली स्वतंत्रता के आधार पर रैंक दिया जाता है.
  • 2006 में आरम्भ होने वाले इस सूचकांक का नाम पहले हेलने एंड पार्टनर्स वीसा रिस्ट्रिकशंस सूचकांक (HVRI) था जिसे जनवरी 2018 में हेलने पासपोर्ट सूचकांक नाम दिया गया.
  • इस सूचकांक में पासपोर्टों की रैंकिंग इस आधार पर दी जाती है कि उनके माध्यम से कितने देशों की यात्रा “बिना वीजा” के की जा सकती है.

रैंकिंग की तकनीक

HPI में पासपोर्टों की रैंकिंग इस आधार पर की जाती है कि उनके माध्यम से कितने अन्य क्षेत्रों में बिना पूर्व-वीजा की यात्रा की जा सकती है. इसके लिए IATA डाटाबेस में वर्णित सभी प्रमुख गन्तव्य देशों और क्षेत्रों पर विचार किया जाता है.

यह सूचकांक अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन प्राधिकरण (International Air Transport Authority – IATA) द्वारा 199 पासपोर्टों और 227 पर्यटन स्थलों के सम्बन्ध में दिए गये आँकड़ों पर आधारित होता है.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2021 से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • इस वर्ष के हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2021 में अधिकांशतः शीर्ष देश यूरोपीय हैं. हालांकि, शीर्ष तीन स्थानों पर एशियाई देश हैं. ये तीन देश है-
  1. जापान- जापान के पासपोर्ट के साथ 191 देशों की बिना वीजा के यात्रा की जा सकती है.
  2. सिंगापुर- यहाँ के पासपोर्ट के साथ 190 देशों की बिना वीजा के यात्रा की जा सकती है.
  3. कोरिया और जर्मनी- यहाँ के पासपोर्ट के साथ 189 देशों की यात्रा की जा सकती है.
  • इस रैंकिंग में अफगानिस्तान अंतिम 110वें स्थान पर है.
  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग में तीन पायदान की गिरावट हुई है. पिछले वर्ष के स्थान इस रैंकिंग में 82वां था और इस वर्ष भारत 85वें स्थान पर पहुंच गया है.
  • भारत से साथ तजाकिस्तान भी 84वें स्थान पर है.
  • चीन के अतिरिक्त सभी पड़ोसी देशों के मुक़ाबले भारत की स्थिति बेहतर है. इस रैंकिंग में चीन 70वें स्थान पर, भूटान 90वें श्रीलंका 100वें, बांग्लादेश 101वें, नेपाल 104वें और पाकिस्तान 107वें स्थान पर है.
  • भारतीय पासपोर्टधारक भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मकाऊ, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, केन्या, मॉरिशस, सेशेल्स, जिम्बॉब्वे, यूगांडा, ईरान और कतर सहित 58 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं.

GS Paper 2 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : International Organization of Securities Commissions

संदर्भ

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority – IFSCA) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (International Organization of Securities Commissions- IOSCO) का सहयोगी सदस्य बन गया है.

भारत में ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र’

  1. देश में पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centre- IFSC) गांधीनगर में स्थित गुजरात अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय टेक-सिटी (Gujarat International Finance Tec-City: GIFT) में स्थापित किया गया है.
  2. सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) को विनियमित करने हेतु 27 अप्रैल 2020 को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) स्थापना की गयी है. इसका मुख्यालय गांधीनगर, गुजरात में स्थित है.
  3. दिसंबर 2019 में संसद द्वारा देश में स्थित सभी IFSCs पर की जाने वाली वित्तीय गतिविधियों को विनियमित करने हेतु एक एकीकृत प्राधिकरण स्थापित करने के लिए विधेयक पारित किया गया था.

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO)

  • स्थापना:अप्रैल 1983
  • मुख्यालय: मेड्रिड, स्पेन 
  • IOSCO का एशिया पैसिफिक हब (IOSCO Asia Pacific Hub) कुआलालंपुर, मलेशिया में स्थित है.
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व के प्रतिभूति नियामकों को एक साथ लाता है. IOSCO विश्व के 95% से अधिक प्रतिभूति बाज़ारों को कवर करता है तथा प्रतिभूति क्षेत्र के लिये वैश्विक मानक निर्धारक का कार्य करता है.
  • यह प्रतिभूति बाज़ारों की दृढ़ता के लिए मानक स्थापित करने के लिये G20 समूह और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) के साथ मिलकर काम करता है.
  • वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली के संदर्भ में अपनी संस्तुतियाँ प्रस्तुत करता है.
  • IOSCO के प्रतिभूति विनियमन के सिद्धांतों और लक्ष्यों को FSB द्वारा तर्कसंगत वित्तीय प्रणालियों के लिये प्रमुख मानकों के रूप में समर्थन प्रदान किया गया है.
  • IOSCO की प्रवर्तन भूमिका का विस्तार ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक’ (IFRS) की व्याख्या के मामलों तक है, जहाँ IOSCO सदस्य एजेंसियों द्वारा की गई प्रवर्तन कार्रवाइयों का एक (गोपनीय) डेटाबेस रखा जाता है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure.

Topic : Industrial Corridor nodes at Krishnapatnam and Tumakuru

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने सीबीआईसी मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स के अंतर्गत कृष्णापट्टनम और तुमकुर में औद्योगिक गलियारा नोड्स और ग्रेटर नोएडा में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक हब को स्वीकृति दी है. तुमकूर औद्योगिक गलियारा और ग्रेटर नोएडा में लॉजिस्टिक हब के विकास के लिए 7,725 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए. इन दोनों परियोजनाओं से 2.8 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार पैदा होने का अनुमान है.

औद्योगिक गलियारा’ क्या होता है?

  1. औद्योगिक गलियारा (Industrial Corridor), मूल रूप से, मुख्य मार्ग के रूप में राज्यों से होकर गुजरने वाला मल्टी मॉडल परिवहन सेवाओं से युक्त गलियारा होता है.
  2. सरल शब्दों में कहा जाए तो औद्योगिक गलियारा मूल रूप से मल्टी-मॉडल परिवहन सेवाओं से युक्त गलियारा होता है, जो कि विभिन्न राज्यों से गुजरते हुए दो विशिष्ट स्थानों को जोड़ता है.
  3. औद्योगिक गलियारे, उद्योग और अवसंरचनाओं के मध्य प्रभावी समेकन उपलब्ध कराते हैं, जिससे समग्र रूप से आर्थिक और सामाजिक विकास में वृद्धि होती है.
  4. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं और औद्योगिक गलियारे इस परस्पर-निर्भरता के लिये उद्योग एवं बुनियादी ढाँचे के बीच प्रभावी एकीकरण सुनिश्चित करते हैं, ताकि समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास हो सके.

औद्योगिक गलियारों में विश्व स्तरीय अवसंरचनाओं का निर्माण किया जाता है, यथा:

  1. द्रुतगति परिवहन नेटवर्क – रेल और सड़क.
  2. अत्याधुनिक कार्गो हैंडलिंग उपकरणों सहित बंदरगाह.
  3. आधुनिक हवाई अड्डे.
  4. विशेष आर्थिक क्षेत्र / औद्योगिक क्षेत्र.
  5. लॉजिस्टिक पार्क / ट्रांसशिपमेंट हब.
  6. औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉलेज पार्क.
  7. टाउनशिप / रियल एस्टेट जैसी पूरक अवसंरचनाएं.

GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : National Board for Wildlife – NBWL

संदर्भ

हाल ही में सरकार ने देश भर में मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन के लिए परामर्शिका को स्वीकृति प्रदान की है.इस परामर्शिका को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife – NBWL) की स्थायी समिति द्वारा, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थितियों से निपटने के लिए निर्गत किया गया है. यह परामर्शिका अंतर-विभागीय समन्वय और प्रभावी कार्यवाही पर बल देती है.

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड क्या है?

  • यह एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अंतर्गत हुई है. NBWL, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम {Wildlife (Protection) Act: WLPA}, 1972 के अधीन वन्यजीवों और वनों के संरक्षण एवं विकास को प्रोत्साहन देने के लिए गठित एक वैधानिक निकाय है.
  • इस बोर्ड की भूमिका परामर्शी है.
  • यह केन्द्रीय सरकार को देश के वन्यजीवन के संरक्षण के लिए नीतियाँ बनाने और अन्य उपाय करने के विषय में परामर्श देता है.
  • इस बोर्ड का प्राथमिक कार्य वन्यजीवों और वनों के संरक्षण और विकास को प्रोत्साहन देना है.
  • इसके पास वनजीवन से सम्बंधित सभी विषयों की समीक्षा करने और राष्ट्रीय उद्यानों एवं आश्रयणियों में या उनके आस-पास स्थित परियोजनाओं का अनुमोदन करने की शक्ति है.
  • बिना इस बोर्ड के अनुमोदन के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव आश्रयणी की सीमाओं में बदलाव नहीं हो सकता.

बोर्ड की संरचना

इस बोर्ड के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं. उनके अतिरिक्त इसमें 46 अन्य सदस्य होते हैं . इनमें से 19 पदेन सदस्य होते हैं. इस बोर्ड में तीन सांसद भी सदस्य होते हैं (2 लोकसभा के और 1 राज्य सभा के). बोर्ड में 5  गैर सरकारी संगठन के अलावा 10 लब्ध-प्रतिष्ठ पर्यावरणवेत्ता, संरक्षणवादी और वातावरणवेत्ता होते हैं.

परामर्शिका की परिकल्पना

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार समस्यात्मक वन्य जीवों से निपटने के लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना.
  • HWC के कारण होने वाली फसल हानि की क्षतिपूर्ति के लिए प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का उपयोग करना. वन क्षेत्रों के भीतर चारे और जल स्रोतों को संवर्धित करना.
  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को अपनाना, बाधाओं का निर्माण, टोल फ्री हॉटलाइन नंबरों के साथ समर्पित सर्किल वार कंट्रोल रूम, हॉटस्पॉट्स की पहचान और बेहतर स्टाल-फेड (पशुशाला जैसे स्थानों पर रखे जाने वाले) जानवरों आदि के लिए विशेष योजनाओं का निर्माण व कार्यान्वयन करना.
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कोई वन्यजीव लोगों की आजीविका या सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष और पुनरावर्ती खतरे का कारण बनता है. इसके कारण उस प्रजाति पर अत्याचार की संभावना निर्मित होती है.
  • मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों में शामिल हैं: वन्यजीवों के पर्यावास की हानि, पशुधन द्वारा अतिचारण, कृषि विस्तार आदि.

GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.

Topic : Blue Economy

संदर्भ

प्रधान मंत्री ने अपने एक संबोधन में कहा कि नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) आत्मनिर्भर भारत का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनने जा रही है.

नीली अर्थव्यवस्था

  • नीली अर्थव्यवस्था से अभिप्राय आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और रोजगार के लिए महासागरीय संसाधनों का सतत उपयोग करते हुए महासागर पारिस्थितिकी-तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करने से है.
  • भारत की कुल अर्थव्यवस्था में नीली अर्थव्यवस्था की भागीदारी 4.1% है.
  • मत्स्य पालन, गहरे समुद्र में खनन और अपतटीय तेल एवं गैस भारत की नीली अर्थव्यवस्था के बड़े घटक हैं.

नीली अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा किए गए उपाय

  • पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा सागरमाला परियोजना को प्रारंभ किया गया है.
  • यह परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह आधारित विकास (port-led development) सुनिश्चित करने वाली एक रणनीतिक पहल है.

मत्स्य संपदा योजना

  • इसका उद्देश्य मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना और वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात आय को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये करना है.
  • सागरमाला पहल के अंतर्गत सभी समुद्र तटवर्ती राज्यों को समाविष्ट करते हुए तटीय आर्थिक क्षेत्र (Coastal Economic Zones: CEZs) विकसित किए जा रहे हैं.
  • CEZ स्थानिक आर्थिक क्षेत्र हैं. इनमें उस क्षेत्र के बंदरगाहों से गहन रूप से जुड़े हुए तटीय जिलों (coastal districts) या अन्य जिलों का एक समूह शामिल है.
  • बहुधात्विक नोड्यूल: भारत को मध्य हिंद महासागर में गहरे समुद्र में खनन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) से स्वीकृति प्राप्त हुई है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

सागर विजन क्या है?

  • इसका पूरा नाम है – Security and Growth for All in the Region.
  • भारत सरकार के द्वारा 2015 में नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) पर ध्यान देते हुए “क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और संवृद्धि-सागर” (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) विजन की शुरुआत की गई थी.
  • यह एक समुद्री पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के भारत के प्रयासों को प्राथमिकता देती है.
  • SAGAR शब्द प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के लिए गढ़ा गया था.

ब्लू बांड से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • इस बांड में सरकारी और निजी दोनों स्रोतों से निवेश प्राप्त होगा.
  • इस बांड के माध्यम से सेशेल्स को सतत मत्स्य पालन सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी.
  • सेशेल्स के ब्लू बांड को विश्व बैंक की ओर से 5 मिलियन डॉलर की गारंटी दी हुई है. इसके अतिरिक्त इसमें वैश्विक पर्यावरणिक सुविधा (Global Environment Facility – GEF) की ओर से 5 मिलियन डॉलर का रियायती ऋण भी दिया गया है. इस ऋण से बांड के लिए ब्याज का भुगतान किया जाएगा.
  • बांड से प्राप्त आय का उपयोग इन कार्यों में किया जाएगा – संरक्षित सामुद्रिक क्षेत्रों का विस्तार, बेहतर मत्स्य पालन और सेशेल्स की नीली अर्थव्यवस्था (blue economy) का विकास.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

महासागर मानव के लिये . संपदा के भंडार होते हैं जिनका उपयोग मानव प्राचीन समय से ही करता रहा है. वर्तमान में भी विभिन्न देश महासागरीय संसाधनों का उपयोग अपनी अर्थव्यवस्था को बल देने के लिये कर रहे हैं. भारत भी नीली अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर बल दे रहा है ताकि महासागरीय संसाधनों का उचित उपयोग किया जा सके. भारत की अवस्थिति इस विचार में अनुपूरक की भूमिका अदा करती है. किंतु इस क्षेत्र की चुनौतियाँ भी कम नहीं है. जलवायु परिवर्तन से लेकर महासागरीय संसाधनों का अनुचित दोहन तथा विनियामक ढाँचे की कमी प्रमुख चुनौती बने हुए हैं. भारत यदि कुशल अवसंरचना के विकास द्वारा महासागरीय संसाधनों का धारणीय उपयोग करने में सक्षम होता है तो यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में प्रमुख योगदान दे सकता है.


Prelims Vishesh

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

  • मन्नथु पद्मनाभन, केरल में जन्मे एक प्रसिद्ध भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे.
  • वह 2 जनवरी, 1878 से – 25 फरवरी, 1970 तक जीवित रहे.
  • उन्होंने अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भाग लिया और मंदिरों में सभी जातियों के प्रवेश की वकालत की.
  • इन्होंने वायोकॉम सत्याग्रह में भी भाग लिया.
  • इन्हें नायर सर्विस सोसायटी (NSS) की स्थापना के लिए भी जाना जाता है.

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