Sansar Daily Current Affairs, 09 July 2020
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Mongolian Kanjur Manuscripts
संदर्भ
संस्कृति मंत्रालय द्वारा मंगोलियाई कंजुर पांडुलिपियों के प्रथम पाँच पुनर्मुद्रित अंक निर्गत किए गए. मंगोलियाई कंजुर के सभी 108 अंकों को राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के अंतर्गत 2022 तक प्रकाशित किए जाने की आशा है.
मंगोलियाई कंजुर
- मंगोलियाई कंजुर मंगोलिया में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण धर्म ग्रंथ माना जाता है. यह 108 अंकों का वैधानिक बौद्ध धर्म ग्रंथ है.
- मंगोलियाई भाषा में ‘कंजुर‘ का मतलब होता है “संक्षिप्त आदेश” जो विशेष रूप से भगवान् बुद्ध के द्वारा बोले गये शब्द होते हैं.
- मंगोलिया में करीब प्रत्येक बौद्ध मठ में कंजुर को रखा जाता है. मंगोलियाई बौद्धों द्वारा इन कंजुर का बहुत आदर किया जाता है और वे एक धार्मिक रिवाज के रूप में अपने प्रतिदिन के जीवन में कंजुर की पंक्तियों का पाठ करते हैं.
- मंगोलियाई कंजुर को तिब्बती भाषा से अनुदित किया गया है. कंजुर की भाषा शास्त्रीय मंगोलियाई है.
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन
- पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा फरवरी 2003 में पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय मिशन की स्थापना की गई थी.
- यह स्वयं में एक अनूठी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि संपदा में संरक्षित ज्ञान का दस्तावेजीकरण, संरक्षण एवं प्रसार करना है.
- भारत में दस मिलियन पांडुलिपियों का अनुमान है, जो किंचित् विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है.
- इस मिशन के अंतर्गत, मंगोलियाई कंजुर के 108 अंकों के पुनर्मुद्रण का कार्य भी संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था, जिसके प्रथम पांच पुनर्मुद्रित अंक निर्गत किए गए है.
भारत और मंगोलिया के मध्य ऐतिहासिक संबंध
भारत और मंगोलिया के मध्य ऐतिहासिक परस्पर संबंध सदियों पुराने हैं.
- मंगोलिया में बौद्ध धर्म का प्रसार भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक राजदूतों द्वारा आरंभिक ईस्वी के दौरान हुआ था.
- इसी वजह से आज मंगोलिया में बौद्धों का सबसे बड़ा धार्मिक प्रभुत्व है.
- भारत के द्वारा 1955 में मंगोलिया के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए गये. तब से, दोनों देशों के मध्य प्रगाढ़ संबंध एक नई ऊँचाई तक पहुँच गए हैं.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : National Tiger Conservation Authority
संदर्भ
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने एक निर्णय में कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई कार्य योजना का अनुपालन किए बिना महाराष्ट्र में बाघ गलियारों में नई सड़क परियोजनाओं को आगे नहीं बढ़ा सकता.
पृष्ठभूमि
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मूल-चंद्रपुर और बामनी-नवेगांव की सड़क निर्माण परियोजनाओं में पर्यावरण और वन्यजीवन को होने वाली क्षति को कम करने से सम्बंधित प्रस्तावित कार्य पर कोई अतिरिक्त व्यय करने में असमर्थता जताई है जिस पर पूर्व में सहमति बनी थी. वहीं दूसरी तरफ, वन्य जीव प्राधिकरण और महाराष्ट्र सरकार इन परियोजनाओं के वित्तीयन के लिए आग्रह कर रही थी.
इसी मामले की सुनवाई करते हुए NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वन्यजीवों को प्रभावित करने की संभावनाओं को देखते हुए सावधानियों के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई योजना का अनुपालन जरूरी है.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन गठित एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत किया गया है.
- इस निकाय के गठन का उद्देश्य बाघों को अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों और कार्यों के अनुसार संरक्षण प्रदान करना है. इसके लिए निकाय समय-समय पर परामर्श तथा आदर्श-मार्गदर्शन निर्गत करता है. ये परामर्श और मार्गदर्शन बाघों की परिस्थिति, संरक्षण के कार्यान्वयन की स्थिति और विशेष रूप से गठित समितियों की अनुशंसाओं पर आधारित होते हैं.
NTCA के कार्य
- व्याघ्र अभयारण्यों के सञ्चालन में आदर्श मानकों के पालन को सुनिश्चित करना.
- अभयारण्य प्रणाली पर विशेष ध्यान देते हुए बाघों के संरक्षण की योजना तैयार करना.
- संसद के समक्ष वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा-प्रतिवेदन उपस्थापित करना.
- राज्य-स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संचालन समिति तथा व्याघ्र संरक्षण फाउंडेशन का गठन करना.
- बाघों के नए अभ्यारण्य घोषित करने के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान करना.
प्रीलिम्स बूस्टर
Malai Mahadeshwara Wildlife Sanctuary :–
- शीघ्र ही राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) कर्नाटक के चामराज नगर जिले में स्थित मलई महादेश्वरा वन्यजीव आश्रयणी को व्याघ्र रिज़र्व के रूप में अधिसूचित करने जा रहा है.
- यहाँ वर्तमान में 20 बाघ रहते हैं.
- इस व्याघ्र रिज़र्व के घोषित हो जाने परचामराज नगर देश का एक ऐसा अनोखा जिला बन जाएगा जहाँ तीन-तीन व्याघ्र रिज़र्व होंगे.
- पहले से जो दो अन्य व्याघ्र रिज़र्व हैं, वे हैं – बांदीपुर रिज़र्व और बिलिगिरी रंगनाथ मंदिर व्याघ्र रिज़र्व.
- जहाँ तक कर्नाटक का प्रश्न है इस राज्य में कुल मिलाकर अब छह व्याघ्र रिज़र्व हो जाएँगे.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to Health.
Topic : National Tiger Conservation Authority
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल में की गई एक घोषणा के अनुसार, मालदीव और श्रीलंका वर्ष 2023 के निर्धारित लक्ष्य से पहले ही दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) को समाप्त करने वाले पहले दो देश बन गए हैं.
मुख्य तथ्य
- इस संबंध में मालदीव और श्रीलंका को बधाई देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि ‘इस प्रकार के रोगों के विरुद्ध बच्चों की रक्षा करना, स्वस्थ आबादी प्राप्त करने के वैश्विक प्रयास का एक महत्त्वपूर्ण कदम है.’
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नियमों के अनुसार, एक देश को खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) मुक्त तब माना जाता है, जब वहाँ कम-से-कम तीन वर्ष से अधिक समय तक खसरा और रूबेला वायरस के स्थानिक संचरण (Endemic Transmission) का कोई भी मामला सामने नहीं आया है.
- उल्लेखनीय है कि मालदीव में खसरे का आखिरी मामला वर्ष 2009 में और रूबेला का अंतिम स्थानिक मामला वर्ष 2015 में सामने आया था. वहीं जबकि श्रीलंका में खसरे का आखिरी मामला वर्ष 2016 में और रूबेला का अंतिम स्थानिक मामला वर्ष 2017 में सामने आया था.
खसरा से सम्बंधित तथ्य
- यह एक अतिशयसंक्रामक वायरल रोग है जो नाक, मुँह या गले के जलकणों से फैलता है. इसमें संक्रमण के 10-12 दिनों के बाद बच्चे को तेज बुखार और नजला हो जाता है तथा उसकी आँखें लाल हो जाती हैं और मुँह के अन्दर उजले छाले पड़ जाते हैं. कुछ दिनों के पश्चात् चेहरे से आरम्भ होकर गर्दन से होते हुए चक्कते नीचे की ओर फैलते चले जाते हैं.
- भीषण खसरा बहुधा उन बच्चों को होता है जो कुपोषित हैं और जिनमेंविटामिन A की कमी है और जिनकी प्रतिरोध क्षमता HIV-Aids जैसे रोगों के कारण दुर्बल हो गयी हो.
- विकट हो जाने के बाद खसरे से कई जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे – अन्धता, कपाल ज्वर, भीषण अतिसार, शरीर में पानी का अभाव, निमोनिया जैसे भयंकर स्वास संक्रमण आदि.
- इससे बचाव के लिए बच्चों को समय-समय पर टीका देना आवश्यक हो जाता है.
रूबेला से सम्बंधित तथ्य
- सामान्यतः यह एक हल्का-फुल्का संक्रमण होता है, परन्तु यदि यह रोग किसी गर्भवती स्त्री को हो जाए तो बच्चे में जन्मजात रूबेला के लक्षण (congenital rubella syndrome – CRS) उत्पन्न हो जाते हैं.
- इससे भ्रूण में दोष आ जाते हैं और नवजात शिशु को मोतियाबिंद और ग्लूकोमा हो सकता है. वह बहरा और मंदबुद्धि भी हो सकता है. रूबेला से जन्मजात बच्चे के हृदय में भी गड़बड़ी हो सकती है.
मेरी राय – मेंस के लिए
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी से जूझ रही है, तो यह सफलता अति उत्साहजनक है और संयुक्त प्रयासों के महत्त्व को प्रदर्शित करती है. इस उपलब्धि के परिणामस्वरूप विश्व-भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों को COVID-19 महामारी से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी. हाल के कुछ सालों में दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के लगभग सभी देशों ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में खसरा के टीके की दो खुराकों और रूबेला के टिके की कम-से-कम एक खुराक को सम्मिलित किया है. WHO द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 के बाद से अब तक इस क्षेत्र में लगभग 500 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है. इसके आलावा इस क्षेत्र में खसरा और रूबेला के निगरानी तंत्र को दृढ करने का कार्य भी किया गया है. ज्ञातव्य है कि WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (WHO South-East Asia Region) के सदस्य देशों ने बीते वर्ष सितंबर माह में खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) के उन्मूलन के लिये वर्ष 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया था और मालदीव तथा श्रीलंका ने इससे पूर्व ही यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया है.
प्रीलिम्स बूस्टर
वैश्विक टीकारण कार्य योजना (GLOBAL VACCINE ACTION PLAN) : इस कार्ययोजना के तहत WHO के पाँच क्षेत्रों में 2020 तक खसरा और रूबेला के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए अपेक्षित टीकाकरण और सर्वेक्षण कार्यों में सभी देशों सहयोग करने के लिए WHO को अग्रणी तकनीकी एजेंसी बनाया गया है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Environmental Pollution & Degradation or Water Resources.
Topic : National Mission for Clean Ganga( NMCG)
संदर्भ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 10 जुलाई, 2020 को मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की सौर परियोजना राष्ट्र को समर्पित करेंगे.
पृष्ठभूमि
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, श्री प्रकाश जावडेकर और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में नई दिल्ली में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक सम्पन्न हुई.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आग्रह किया कि गंगा और इसकी प्रमुख सहायक नदियों के लिए प्रदूषण निगरानी प्रणाली को दृढ़ता प्रदान की जाए, जिसमें प्रदूषणकारी उद्योगों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाता है. इसी प्रकार, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ समन्वय करके पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने पर विशेष बल दिया और इस बात पर सहमति बनी कि उपयुक्त तंत्र को विकसित किया जाएगा.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, श्री प्रकाश जावडेकर ने दोनों मंत्रालय के अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए राष्ट्रीय महत्त्व की नदी परियोजनाओं के लिए क्रमबद्धता और शीघ्रता के साथ कार्य करें और गंगा व इसकी प्रमुख सहायक नदियों की जल गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए संस्थागत तंत्र की स्थापना करें.
रीवा सौर परियोजना
- रीवा परियोजना में एक सौर पार्क (कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर) के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयाँ सम्मिलित हैं. इस सौर पार्क का विकास रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) ने किया है जो मध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड (एमपीयूवीएन) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाई सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) की संयुक्त उद्यम कंपनी है.
- इस सौर पार्क के विकास के लिए आरयूएमएसएल को 138 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. पार्क के विकसित हो जाने के पश्चात्, रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) ने पार्क के अंदर 250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयों का निर्माण करने के लिए रिवर्स ऑक्शन के माध्यम से महिंद्रा रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड, और आरिन्सन क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया था.
रीवा सौर परियोजना की उपलब्धियाँ
- रीवा सौर परियोजना उन उत्कृष्ट अक्षय ऊर्जा परियोजना का एक उदाहरण है जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों के मद्य तालमेल होने पर प्राप्त किया जा सकता है.
- रीवा सौर परियोजना सौर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ने वाली वाली देश की पहली सौर परियोजना है.
- वर्ष 2017 के प्रारम्भ में सौर परियोजना से प्राप्त बिजली की दर लगभग 4.50 रुपये / यूनिट थी जबकि रीवा परियोजना ने 15 वर्षों तक 0.05 रुपये /यूनिट की वृद्धि के साथ पहले वर्ष में 2.97 रुपये /यूनिट और 25 साल की अवधि के लिए 3.30 रुपये /यूनिट की वहनीय दर को प्राप्त करने में सफलता हासिल की गयी.
- यह परियोजना वार्षिक रूप से लगभग 15 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड (CO2) के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी.
- रीवा परियोजना को भारत और विदेशों में इसकी ठोस परियोजना संरचना और नवाचारों के लिए जाना जाता है. एमएनआरई द्वारा बिजली निर्माताओं के जोखिम को कम करने के लिए इसके भुगतान सुरक्षा तंत्र को अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में अनुशंसित किया गया है.
- नवाचार और उत्कृष्टता के लिए इसे वर्ल्ड बैंक ग्रुप प्रेसिडेंट अवॉर्ड भी मिला है. इतना ही नहीं, इसे प्रधानमंत्री की ‘अ बुक ऑफ इनोवेशन: न्यू बिगनिंग्स’ पुस्तक में भी सम्मिलित किया गया है.
- यह परियोजना राज्य के बाहर एक संस्थागत ग्राहक को आपूर्ति करने वाली पहली अक्षय ऊर्जा परियोजना भी है. अर्थात्, यह दिल्ली मेट्रो को अपनी कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत बिजली देगी जबकि शेष 76 प्रतिशत बिजली मध्य प्रदेश के राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आपूर्ति की जाएगी.
- रीवा परियोजना 100 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) की सौर स्थापित क्षमता के साथ 2022 तक 175 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण भी है.
Prelims Vishesh
Kisanrath :–
- पिछले दिनों कृषि, सहकारिता एवं कृषक कल्याण विभाग ने NIC (National Informatics Centre) द्वारा निर्मित एक ऐप का अनावरण किया जिसकी सहायता से किसान और व्यापारी कृषि उत्पादों को तालेबंदी काल में एक मंडी के द्वार से लेकर दूसरी मंडी के द्वार तक ले जाने समर्थ हो सकेंगे.
- इससे किसानों से लेकर कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs), APMC मंडियों के साथ-साथ एक राज्य के अन्दर एवं दूसरे राज्यों के क्रेताओं तक कृषि उत्पादों की आपूर्ति की शृंखला निर्बाध चलती रहेगी.
Atmanirbhar Bharat app innovation challenge :–
- MeitY नामक संस्था ने नीति आयोग के अटल नवाचार अभियान की भागीदारी में देश के तकनीकी विशेषज्ञों तथा स्टार्ट-अप समुदाय को यह चुनौती दी है कि वे मेड इन इंडिया से सम्बंधित विश्व स्तर के ऐपों का सृजन करें.
- इस चुनौती में ये दो तत्त्व सम्मिलित हैं – 1) वर्तमान ऐपों को आगे ले जाना और 2) नए ऐपों का निर्माण.
- इस चुनौती के अंतर्गत ढेर सारे नकद पुरस्कार और उत्प्रेरण दिए जायेंगे. विभिन्न श्रेणियों के लिए चुने गये अच्छे ऐपों के निमित्त 2 लाख से 20 लाख रु. तक का पुरस्कार होगा.
- वे ही ऐप अच्छे माने जायेंगे जो प्रयोग करने में सरल हों, जिनकी सुरक्षा सुविधाएँ उत्तम हो आदि.
Stevioside :–
- हनी यरबा (honey yerba) नामक पौधे के पत्तों में पाया जाने वाला ग्लाइकोसाइड नामक तत्त्व प्राकृतिक मिठास लाने के लिए अतिशय प्रचलन में है.
- किन्तु पिछले दिनों शोधकर्ताओं को पता चला कि इस पदार्थ को यदि सूक्ष्म पदार्थों (nano particles) पर पोत दिया जाए तो (MHCT – Magnetic hyperthermia-mediated cancer therapy) की कार्यकुशलता बढ़ सकती है.
- ज्ञातव्य है कि MHCT कैंसर की एक चुम्बकीय चिकित्सा पद्धति का नाम है.
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