Sansar Daily Current Affairs, 09 July 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Global Minimum Tax Framework
संदर्भ
भारत सहित 130 देशों ने OECD/G20 के वैश्विक न्यूनतम कर फ्रेमवर्क को समर्थन दे दिया है. इस समझौते से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उच्च करारोपण से बचने के लिए अपनाये जाने वाले तरीकों (BEPS) से निपटा जा सकेगा. हालाँकि अभी कुछ मुद्दों पर विवाद की स्थिति है इसलिए आम सहमति वाले समझौते के लिए कुछ महीने और प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है.
इससे पूर्व पिछले महीने 67 समूह के देशों के वित्त मंत्रियों ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर कर लगाने के एक समझौते पर सहमति जताई थी.
प्रमुख बिंदु
- फ्रेमवर्क के अंतर्गत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर कर उन देशों में लगाया जायेगा जहाँ वे व्यापार का संचालन कर रही हैं.
- समर्थक देशों द्वारा कम से कम 15% की न्यूनतम वैश्विक कर की दर का समर्थन किया गया है.
आवश्यकता क्यों?
वर्तमान में अधिकांश बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ किसी देश में सेवाओं से लाभ अर्जित कर उस देश की उच्च कर की दरों से बचने के लिए उस लाभ को निम्न कर दरों वाले देश (Tax Heavens) में शिफ्ट कर देते थे अर्थात् वे यह दिखा देते थे कि हमने उक्त लाभ इस देश से अर्जित किया है, भले ही उस टैक्स हेवन देश में उनका व्यापार न के बराबर हो. ऐसा करने पर नाममात्र कर चुकाना पड़ता था और जिस देश में उन्होंने लाभ अर्जित किया था, उसे राजस्व में नुकसान उठाना पड़ता था. कम्पनियों द्वारा अपनाये जाने वाले इन तरीकों को “बेस ईरोजन प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS)’ भी कहा जाता हैं.
BEPS क्या है?
- BEPS का पूरा नाम है – Base erosion and profit shifting.
- BEPS आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण की समस्या के समाधान के लिए बनाये गये बहुपक्षीय समझौते का प्रतिफल है.
- इसमें यह तय हुआ था कि कराधान की ऐसी रणनीतियाँ बनाई जाएँ जिनसे कर से सम्बंधित उन छिद्रों को बंद किया जाए जिनका फायदा उठाकर लाभ को कृत्रिम रूप से ऐसी जगह भेज दिया जाता है जहाँ कर या तो कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं और जहाँ नाममात्र की आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं जिस कारण निगम कर का भुगतान अत्यंत कम अथवा शून्य होता है.
- BEPS विकासशील देशों के लिए बड़े महत्त्व की वस्तु है क्योंकि ऐसे देश निगम आयकर, विशेषकर बहुदेशीय प्रतिष्ठानों से मिलने वाले आयकर पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं. 2013 से अनुमानतः इन देशों को निगम आयकर में प्रतिवर्ष 4 से 10% अर्थात् 100 से लेकर 240 बिलियन डॉलर का घाटा होता आया है.
टैक्स हेवन देश
कर के स्वर्ग या ‘टैक्स हेवन‘ (tax haven) उन देशों को कहते हैं जहाँ अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम कर लगता है, या बिलकुल कर नहीं लगता.
ऐसे देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को साझा करते हैं. ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवन) हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा कर देते हैं.
GS Paper 2 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : African Swine Fever
संदर्भ
एशिया के छोटे फ़ार्म, ‘अफ्रीकन स्वाइन फीवर’ (African Swine Fever – ASF) के प्रकोप से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं. क्यों?
- सूअर फार्म, मुख्य रूप से छोटे किसानो से मामला बने हुए है.
- भारत सहित कई देशों में, 70% सूअर फार्मों का स्वामित्व छोटे किसानों के अधीन है.
- चीन में होने वाले कुल सूअर-मांस उत्पादन का करीब 98%, छोटे किसानों द्वारा किया जाता है. इन किसानों के पास सूअरों की संख्या 100 से कम ही होती है.
भारत में ‘अफ्रीकन स्वाइन फीवर’ का प्रभाव
अफ्रीकी स्वाइन फीवर करीब एक सदी पुरानी बीमारी है, जो घरेलू सूअरों और जंगली सूअरों को संक्रमित करती है और इसके संक्रमण से मृत्यु दर लगभग 100% होती है. इस बीमारी से, वर्ष 2018 से विश्व के करीब 1/3 सूअर मारे जा चुके हैं.
- इस बीमारी का नवीनतम शिकार भारत है. यहाँ मई 2020 से इससे संक्रमित मामले सामने आ रहे थे, परन्तु पिछले कुछ महीनों में इनकी संख्या में बहुत तेज वृद्धि हुई है.
- अनुमानों के अनुसार, अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के सूअर-मांस उत्पादन में 50 प्रतिशत की कमी हुई है.
ASF क्या है?
- ASF बहुत तेजी से फैलने वाला और पशुओं के लिए घातक रोग है जो पालतू और जंगली दोनों सूअरों को संक्रमित करके उनमें रक्तस्रावी बुखार ला देता है.
- यह ज्वर पहली बार 1920 में अफ्रीका महादेश में पकड़ा गया था.
- इस बुखार का कोई उपचार नहीं है और जिस पशु को यह बुखार हो गया तो उसका मरना शत प्रतिशत तय है. अतः यह नहीं फ़ैल जाए इसके लिए रोगग्रस्त पशुओं को जान से मार देना पड़ता है.
- ASF की विशेषता है कि यह पशु से पशु में फैलता है और मनुष्य पर इससे कोई खतरा नहीं होता.
- संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि ASF बहुत तेजी से एक महादेश से दूसरे महादेश तक फैलने की शक्ति रखता है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Authorised Economic Operator
संदर्भ
हाल ही में, ‘केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड’ (Central Board of Indirect Taxes & Customs- CBIC) द्वारा ‘अधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों’ (Authorised Economic Operators- AEO) के आवेदनों की ऑनलाइन फाइलिंग की व्यवस्था का शुरू की गई है.
इस वेब एप्लिकेशन का नया संस्करण (V 2.0), समय पर हस्तक्षेप करने और उनमें तीव्रता लाने के उद्देश्य से भौतिक रूप से दाखिल किए गये आवेदनों की लगातार और डिजिटल निगरानी सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
भारतीय AEO कार्यक्रम
- AEO कार्यक्रम को वर्ष 2011 में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था.
- WCO SAFE फ्रेमवर्क में विस्तृत सुरक्षा मानक भारतीय AEO कार्यक्रम के आधार हैं.
- निर्यातकों और आयातकों के लिये तीन स्तरीय AEO स्थिति है. ये तीन स्तर हैं – AEO T1, AEO T2 और AEO T3 जहाँ AEO T3 मान्यता का उच्चतम स्तर है.
यह किस प्रकार कार्य करता है?
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न किसी इकाई को WCO द्वारा आपूर्ति शृंखला सुरक्षा मानकों के अनुपालक (compliant) के रूप में अनुमोदित किया जाता है और AEO का दर्जा और कुछ लाभ प्रदान किए जाते हैं.
- AEO दर्जा प्राप्त होने पर व्यापारिक इकाई को प्राप्त होने वाले लाभों में, निकासी में शीघ्रता, कम निरीक्षण, बेहतर सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला भागीदारों के मध्य संचार आदि शामिल होते हैं.
भारतीय AEO कार्यक्रम का उद्देश्य
- व्यावसायिक संस्थाओं को “सुरक्षित और विश्वसनीय” व्यापारिक भागीदारों के रूप में मान्यता देना.
- व्यावसायिक संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणन प्रदान करना.
- परिभाषित लाभों के जरिये व्यावसायिक संस्थाओं को प्रोत्साहित करना जिससे समय और लागत की बचत होती है.
- निर्यात के स्थान से आयात होने के स्थान तक सुरक्षित आपूर्ति शृंखला.
- आवास के समय और संबंधित लागतों में कमी.
- बढ़ी हुई सीमा निकासी.
- सीमा शुल्क सलाह/सहायता यदि व्यापार देशों के सीमा शुल्क के साथ अप्रत्याशित मुद्दों का सामना करता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in space.
Topic : Cassini spacecraft
संदर्भ
हाल ही में, नासा के ‘कैसिनी अंतरिक्ष यान’ (Cassini spacecraft) द्वारा शनि ग्रह के चंद्रमाओं ‘प्लूमस’ (Plumes) से उड़ान भरने के दौरान निम्नलिखित खोजें की गई हैं :-
- शनि के एक चंद्रमा ‘टाइटन’ (Titan) के वायुमंडल में मीथेन गैस विद्यमान है.
- एन्सेलेडस (Enceladus) नामक एक अन्य चंद्रमा पर एक ‘तरल महासागर’ विद्यमान है जिसमें से गैस और पानी के ‘प्लूमस’ का प्रस्फुटन होता रहता है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि ‘एन्सेलेडस’ पर भी अज्ञात मीथेन-उत्पादक प्रक्रियाएँ होने की संभावना है और इस विषय पर खोज किया जाना शेष है.
पृथ्वी पर मीथेन-उत्पादक जीव
पृथ्वी पर पायी जाने वाली अधिकाँश मीथेन ‘जैविक’ (Biological) स्रोतों से पैदा होती है. मीथेनोजेंस (Methanogens) नामक सूक्ष्मजीव एक ‘चयापचय उपोत्पाद’ (Metabolic Byproduct) के रूप में मीथेन का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं.
- इन जीवों के लिए जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती है और ये प्रकृति में पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं.
- मिथेनोजेन, दलदलों, मृत कार्बनिक पदार्थों और यहाँ तक कि मनुष्यों की आँत में भी मिल जाते हैं.
- ये उच्च तापमान में जीवित रहने के लिए जाने जाते हैं और सिमुलेशन अध्ययनों से ज्ञात होता है कि ये सूक्ष्मजीव मंगल ग्रह पर विद्यमान स्थितियों में जिन्दा रहने में सक्षम हैं.
एन्सेलेडस पर मीथेन का उत्पादन अन्य किस प्रकार से हो सकता है?
- एन्सेलेडस के कोर में विद्यमान कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक विघटन से मीथेन निर्मित हो सकता है.
- इस चंद्रमा पर होने वाली ‘जलतापीय अभिक्रियाएँ’ (Hydrothermal Processes) भी कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के निर्माण में सहायक हो सकती हैं.
Cassini Mission क्या है?
- कैसिनी मिशन अंतरिक्षयान शनि ग्रह की ओर 15 अक्टूबर, 1997 के छोड़ा गया था. इसके प्रक्षेपण में NASA, यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी और इटली स्पेस एजेंसी का सहयोग था.
- अब तक यह अन्तरिक्षयान शनि ग्रह (ringed planet) और उसकी चंद्रमाओं से संबधित हजारों चित्र नए तथ्य भेज चुका है.
- कैसिनी अन्तरिक्ष यान शनि पहुँचने वाला चौथा और उसकी कक्षा में प्रवेश करने वाला पहला अन्तरिक्षयान है. इसमेंHuygens नामक एक लैंडर संलग्न है जो 2005 में शनि के चंद्रमा टाइटन पर उतरा था.
मिशन के उद्देश्य
- शनि के छल्ले की त्रि-आयामी संरचना और गतिशील व्यवहार का पता लगाना.
- उपग्रह की सतहों और प्रत्येक वस्तु के भूवैज्ञानिक इतिहास की संरचना का पता लगाना.
- आईपेटस (Iapetus) के अग्रणी गोलार्ध पर काले पदार्थ (dark material) की प्रकृति और उत्पत्ति कापता लगाना.
- चुंबक मंडल के त्रि-आयामी संरचना और गतिशील व्यवहार को मापना.
- बादलों के स्तर पर शनि के वायुमंडल के गतिशील व्यवहार का अध्ययन करना.
- टाइटन के बादलों और धुंध में समय-समय पर होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करना.
- क्षेत्रीय पैमाने पर टाइटन की सतह का पता लगाना.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.
Topic : Agriculture Infrastructure Fund
संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘कृषि अवसंरचना कोष’ (Agriculture Infrastructure Fund – AIF) के अंतर्गत वित्तपोषण सुविधा की केंद्रीय क्षेत्र योजना में विभिन्न संशोधनों को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी गयी है.
नवीनतम संशोधन
- योजना के तहत, पात्रता को विस्तारित करते हुए इसमें, राज्य एजेंसियों / APMCs, राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के परिसंघों, किसान उत्पादक संगठनों के परिसंघों (FPOs) तथा स्वयं सहायता समूहों के परिसंघों (SHGs) को भी शामिल किया गया है.
- कृषि उपज बाजार समितियों (Agricultural Produce Market Committee – APMC) के लिए एक ही बाजार आहाता (premises) के अंदर विभिन्न अवसंरचनाओं जैसे कोल्ड स्टोरेज, सार्टिंग,ग्रेडिंग और परख इकाइयों, कोठों (साइलो) आदि की प्रत्येक परियोजना के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर ब्याज सहायता दी जाएगी.
- कृषि और किसान कल्याण मंत्री के लिए, योजना में किसी लाभार्थी को शामिल करने या हटाने के संबंध में आवश्यक बदलाव करने की शक्ति प्रदान दी गई है.
- वित्तीय सुविधा की अवधि 4 साल से बढ़ाकर 6 साल अर्थात् 2025-26 तक कर दी गई है और इस योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 अर्थात् 2032-33 तक कर दी गई है.
कृषि अवसंरचना निधि (AIF)
- 8 जुलाई, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड’ स्वीकृति दी. इस नई योजना को ‘एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड’ (कृषि अवसंरचना निधि) नाम दिया गया है.
- एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड योजना की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में की थी. इस योजना के अंतर्गत, देश में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के जरिये कृषि क्षेत्र जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्टार्टअपों, प्राथमिक कृषि साख समितियों, कृषि-उद्यमियों को ऋण के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
- योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2029-30 तक 10 वर्षों के लिए है.
- एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के प्रबंधन और निगरानी के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा.
- इस योजना के अंतर्गत 1 लाख करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत और आवंटित किए जाएंगे, जिनमें से चालू 2020-21 वित्तीय वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये और अगले तीन आगामी वित्तीय वर्ष में 30,000 करोड़ रुपये स्वीकृत और वितरित किए जाएंगे.
- योजना के अंतर्गत निर्गत किए गए ऋणों पर सब्सिडाइज्ड ब्याज दर होगी. ब्याज की दर 3 प्रतिशत प्रति वर्ष होगी. 3 प्रतिशत की ब्याज दर 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए लागू होगी.
- ऋण की अदायगी के लिए अधिस्थगन न्यूनतम 6 महीने से लेकर अधिकतम 2 वर्ष तक होगा.
- माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिएक्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) पात्र उधारकर्ताओं को क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगा. क्रेडिट गारंटी कवरेज 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए प्रदान की जायेगी.
Prelims Vishesh
Build Back a Better World (B3W) initiative :-
- B3W पर अपने विचार साझा करते हुए, भारत ने स्पष्ट किया कि विकास परियोजनाएं पारदर्शी एवं पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए और प्राप्तकर्ता देशों पर ऋण का बोझ नहीं होना चाहिए.
- B3W (जी-7 बैठक के दौरान आरंभ) विकासशील देशों में 40+ ट्रिलियन डॉलर की अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को कम करने में मदद करने के लिए एक मूल्य-संचालित, उच्च-मानक युक्त और पारदर्शी बुनियादी ढांचा साझेदारी है.
- B3W पहल का उद्देश्य चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प प्रस्तुत करना है.
- देशों के ऋण में अत्यधिक वृद्धि और देशों की पर्यावरण की जरूरतों के प्रति संवेदनशील नहीं होने के लिए BRI की आलोचना की जाती है.
Tax Inspectors without Borders (TIWB) :-
- भूटान का TIWB कार्यक्रम भारत के साथ साझेदारी में आरंभ किया गया है. इसका उद्देश्य भूटान को अपने कर प्रशासन को मजबूत करने में सहायता प्रदान करना तथा अंतर्राष्ट्रीय कराधान और मूल्य निर्धारण हस्तांतरण के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना है.
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की एक संयुक्त पहल है.
- इसका उदेश्य विकासशील देशों को ऑडिट क्षमता का निर्माण करके राष्ट्रीय कर प्रशासन को मजबूत करने में सहायता करना है.
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत, भारत द्वारा UNDP और TIWB सचिवालय के सहयोग से भूटान को उसके “कर प्रशासन” को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.
Chambal river :-
- कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान गंगा डॉल्फिन और चंबल नदी के घड़ियालों की आबादी में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है.
- चंबल नदी भारत की सबसे स्वच्छ बारहमासी नदियों में से एक है.
- चंबल वर्षा आधारित नदी है तथा यह यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी है.
- इसका उद्गम मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत श्रेणी से होता है और यह राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश से होकर प्रवाहित होती है.
- प्रमुख बांध: गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर, कोटा बैराज आदि.
- सहायक नदियाँ: बनास, कालीसिंघ, पार्वती, क्षिप्रा (शिप्रा) और मेज.
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