Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 March 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 09 March 2019


GS Paper  1 Source: The Hindu

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Topic : Monster Salary Index Report

संदर्भ

मोंस्टर वेतन सूचकांक सर्वेक्षण के परिणाम प्रकाशित हो गये हैं. इस सर्वेक्षण को वीमेन ऑफ़ इंडिया इंक नाम दिया गया है. इसे मोंस्टर इंडिया के सहयोग से  Paycheck.in ने तैयार किया है और इसमें शोध के भागीदार के रूप में IIM अहमदाबाद भी जुड़ा हुआ था.

मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में स्त्रियाँ पुरुषों की तुलना में 19% कम कमाती हैं.
  • भारत में कामकाजी महिलाओं में 60% सोचती हैं कि काम के मामले में उनके साथ भेदभाव होता है.
  • 2018 में पुरुषों की औसत प्रति घंटा कमाई 242.49 रू थी जबकि स्त्रियों की ऐसी कमाई 196.3 ही थी. इस प्रकार पुरुषों ने 46.19 रु. अधिक कमाए.
  • जहाँ तक प्रक्षेत्रवार स्थिति की बात है, सूचना प्रौद्योगिकी अथवा इनसे जुड़ी हुई सेवाओं में पुरुषों को और स्त्रियों को मिलने वाले वेतन में 26% का अंतराल था. इसके बाद विनिर्माण प्रक्षेत्र का स्थान था जिसमें पुरुषों ने स्त्रियों की तुलना में 24% अधिक कमाई की.
  • स्वास्थ्य देखभाल, देखभाल सेवाओं और सामाजिक कार्यों में पुरुषों को स्त्रियों की तुलना में 21% अधिक वेतन मिला.
  • बैंकिंग और बीमा ही एकमात्र ऐसे उद्योग हैं जहाँ पुरुषों ने स्त्रियों की तुलना में केवल 2% की अधिक कमाई की.
  • 47% कामकाजी महिलाओं का विचार था कि उनके विरुद्ध यह भेदभावपूर्ण अवधारणा बन गई है कि एक बार विवाह हो जाने के उपरान्त स्त्रियाँ काम के प्रति उतनी गंभीर नहीं रह पातीं.
  • 46% स्त्रियाँ यह अनुभव करती हैं कि लोग यह सोचते हैं कि जो कामकाजी महिला माँ बनने जा रही है, वह नौकरी छोड़ देगी.
  • 46% स्त्रियों का विश्वास है कि लोग सोचते हैं कि स्त्रियाँ उतने घंटे काम नहीं कर पातीं जितने की पुरुष.

आगे की राह

वेतन के मामले में लैंगिक भेद में मात्र 1% ही कमी चिंता का विषय है. साथ ही इससे प्रकट होता है कि हम लोगों को इस दिशा में बहुत कुछ करना शेष है. इसके लिए आवश्यक होगा कि निगमों और उद्योगों में ऐसे उपाय तत्परता से लागू किये जाएँ जिससे कि पुरुष और स्त्री के वेतन की खाई भरी जा सके.


GS Paper  2 Source: Indian Express

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Topic : India’s Official Secrets Act, its history and use

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में राफेल क्रय के मामले की सुनवाई के समय भारत के महान्यायवादी (Attorney-General) ने अनुरोध किया है कि जिन्होंने सरकारी दस्तावेज चुराए हैं, उनके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई की जाए. उनके इस अनुरोध से एक बार फिर देश का पुराना अधिनियम – भारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम, 1904 – चर्चा में आ गया है.

भारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम, 1904 क्या है?

  • यह अधिनियम सरकारी कामकाज में, विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा और गुप्त सूचनाओं के विषय में, गोपनीयता बनाए रखने के लिए पारित हुआ था.
  • यह अधिनियम 1904 में पारित हुआ था जब लॉर्ड कर्जन भारत का वायसराय था (1899-1905).
  • इस अधिनियम को मुख्यतः इसलिए लाया गया था कि राष्ट्रवादी प्रकाशनों के स्वर को दबाया जा सके.
  • 1904 के अधिनियम के स्थान पर 1923 में एक नया अधिनियम पारित हुआ जिसका नाम था – भारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम. इस अधिनियम के द्वारा गोपनीयता का दायरा बढ़ाकर उसके अंदर प्रशासन से सम्बंधित सभी गुप्त मामलों को शामिल कर लिया गया था.

समीक्षा की आवश्यकता क्यों?

  • पुराने अधिनियम में गोपनीय सूचना का वर्गीकरण इतना विस्तृत है कि बहुत जगहों पर यह सूचना अधिकार अधिनियम से टकराता दिखता है.
  • इसके अनुभाग 5 में यह प्रावधान है कि जो व्यक्ति सूचना देगा और जो व्यक्ति सूचना लेगा, दोनों को दण्डित किया जा सकता है.
  • SAARC के एक प्रतिवेदन में कहा गया है कि यह अधिनियम उस उपनिवेशवाद के एक विरासत के रूप में है जिसमें लोगों पर विश्वास नहीं किया जाता था और सरकारी कर्मचारियों को महत्त्व दिया जाता था.
  • इस औपनिवेशिक अधिनियम के अनुभाग 5 में राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में संभावित उल्लंघनों की चर्चा है जिसको लेकर अलग-अलग मत रहे हैं. इस अनुभाग में शत्रु देश को सहायता पहुँचाने वाली सूचना के आदान-प्रदान को दंण्डणीय बनाया गया है. अतः इसका प्रयोग कर पत्रकारों को सरलता से इस आरोप पर गिरफ्तार किया जा सकता है कि उन्होंने ऐसी सूचना छाप दी है जिससे सरकार अथवा सैन्य बलों को परेशानी हो सकती है.

GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : National Mission on Transformative Mobility and Battery Storage

संदर्भ

कैबिनेट ने ‘परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन’ को स्वीकृति दी स्वच्छ, आपस में जुड़ी, साझा एवं समग्र गतिशीलता पहलों को बढ़ावा देने के लिए मिशन बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों के लिए ‘चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम’ प्रारम्भ किया जाएगा.

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित को मंजूरी दी हैः

  • स्वच्छ, आपस में जुड़ी, साझा, सतत एवं समग्र गतिशीलता पहलों को बढ़ावा देने के लिए ‘परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन’ की शुरुआत करने को स्वीकृति दी गई है.
  • भारत में कुछ व्यापक निर्यात-प्रतिस्पर्धी क्षमता वाले एकीकृत बैटरी एवं सेल-निर्माता गीगा संयंत्रों की स्थापना में सहयोग देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) वर्ष 2024 तक 5 वर्षों के लिए मान्य है.
  • इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी समूची मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) में होने वाले उत्पादन के स्थानीयकरण के लिए पीएमपी बनाने को मंजूरी दी गई है जो वर्ष 2024 तक 5 वर्षों के लिए मान्य है.

परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन

संरचना

  • अंतर-मंत्रालय संचालन समिति के साथ बहु-विषयक ‘परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन’ की अध्यक्षता नीति आयोग के सीईओ करेंगे.
  • संचालन समिति में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारी उद्योग विभाग तथा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव और औद्योगिक मानक ब्यूरो के महानिदेशक शामिल होंगे.

भूमिका

  • इस मिशन के तहत परिवर्तनकारी गतिशीलता के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों, इन वाहनों के कलपुर्जों और बैटरियों से जुड़े चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रमों के लिए विभिन्न रणनीतियों की सिफारिशें पेश की जाएंगी एवं इन्हें अपेक्षित गति प्रदान की जाएगी.
  • इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी समूची मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) में होने वाले उत्पादन के स्थानीयकरण के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) शुरू किया जाएगा. ‘परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन’ के तहत पीएमपी की रूपरेखा तय की जाएगी एवं इस तरह के कार्यक्रम से जुड़े विवरण को अंतिम रूप दिया जाएगा.
  • स्थानीयकरण के प्रत्येक चरण में प्राप्त किए जा सकने वाले मूल्य वर्धन के विवरण को इस मिशन के तहत अंतिम रूप दिया जाएगा और इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों और बैटरियों के लिए एक स्पष्ट ‘मेक इन इंडिया’ रणनीति तैयार की जाएगी.
  • भारत में गतिशीलता या आवागमन में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए विभिन्न पहलों को एकीकृत करने हेतु इस मिशन के तहत मंत्रालयों/विभागों और राज्यों के महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा.

रोडमैप

  • गीगा-पैमाने पर बैटरी विनिर्माण पर अमल के लिए एक चरणबद्ध खाका या रोडमैप पर विचार किया जाएगा. इसके अंतर्गत शुरुआत में वर्ष 2019-20 तक विशाल मॉड्यूल एवं पैक एसेम्बली प्लांटों और इसके बाद वर्ष 2021-22 तक सेल के एकीकृत विनिर्माण पर ध्यान केन्द्रित जाएगा.
  • इस मिशन के तहत बैटरियों से जुड़े पीएमपी का ब्यौरा तैयार किया जाएगा. यह मिशन भारत में बैटरी विनिर्माण उद्योग का समग्र एवं व्यापक विकास सुनिश्चित करेगा.
  • इस मिशन के तहत वह आवश्यक रोडमैप तैयार किया जाएगा जो भारत को अभिनव एवं प्रतिस्पर्धी मल्टी-मोडल मोबिलिटी सॉल्यूशन्स विकसित करने के लिए अपने विशाल आकार से व्यापक लाभ उठाने में समर्थ बनाएगा और इनका उपयोग विभिन्न संदर्भों में वैश्विक स्तर पर किया जा सकेगा.
  • यह मिशन देश में घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए एक सतत मोबिलिटी या गतिशीलता माहौल सुनिश्चित कर एवं ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित कर ‘नए भारत’ में परिवर्तनकारी गतिशीलता से जुड़े रोडमैप को परिभाषित करेगा.

प्रभाव

  • यह मिशन उन मोबिलिटी सॉल्यूशंस को विकसित करने में तेजी लाएगा जो उद्योग जगत, अर्थव्यवस्था और समूचे देश के लिए अत्यंत लाभदायक साबित होंगे.
  • इन मोबिलिटी सॉल्यूशंस से शहरों में आबोहवा बेहतर होगी और इसके साथ ही तेल आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी तथा नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्टोरेज सॉल्यूशंस के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.
  • इस मिशन के तहत ऐसी रणनीति एवं रोडमैप तैयार किया जाएगा जो भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए एक प्रतिस्पर्धी घरेलू विनिर्माण माहौल विकसित करने हेतु अपने विशाल आकार से व्यापक लाभ उठाने में समर्थ बनाएगा.
  • इस दिशा में उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों से सभी नागरिक लाभान्वित होंगे क्योंकि इसका लक्ष्य ‘आसान जीवन’ को बढ़ावा देना तथा देश के नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करना और ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से विभिन्न कौशलों से जुड़े रोजगार अवसर मुहैया कराना है.

पृष्ठभूमि

सितंबर 2018 में आयोजित वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में गतिशीलता के भविष्य के लिए 7 ‘सी’ पर आधारित विजन की रूपरेखा पेश की थी जिनमें कॉमन, कनेक्टेड, कन्वीनियंट, कंजेशन-फ्री, चार्ज्ड, क्लीन और कटिंग-एज मोबिलिटी शामिल हैं. मोबिलिटी या गतिशीलता में अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने और शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन में व्यापक सकारात्मक बदलाव लाने की असीम क्षमता है.


GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : India Cooling Action Plan (ICAP)

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने इंडिया कुलिंग एक्शन प्लान अर्थात् भारत की शीतलीकरण कार्य योजना का अनावरण किया गया. इस प्रकार भारत विश्व का पहला ICAP निर्गत करने वाला देश बन गया है.

  • इस योजना का समग्र लक्ष्य शीतलीकरण की ऐसी व्यवस्था स्थापित करना है कि जिससे लोगों को आराम तो मिले ही अपितु पर्यावरण पर दुष्प्रभाव न पड़े.

ICAP के लक्ष्य

  • सभी प्रक्षेत्रों में शीतलीकरण के माँग को 2037-38 तक 20% से 25 % घटाना.
  • 2037-38 तक वातानुकूलन की माँग को 25% से 30% घटाना.
  • 2037-38 तक शीतलीकरण पर होने वाले बिजली के खर्च को 25% से 40% घटाना.
  • स्किल इंडिया मिशन से तालमेल बिठाते हुए 2022-23 तक सेवा प्रक्षेत्र के एक 1 लाख मिस्त्रियों को प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र देना.

ICAP के मुख्य कार्य

  • India Cooling Action Plan (ICAP) ने अपने लक्ष्यों के निर्धारण हेतु अगले 20 वर्षों में शीतलीकरण की आवश्यकता का मूल्यांकन किया है और साथ ही शीतलीकरण के उपयोग को घटाने के लिए आवश्यक नवीनतम तकनीकों पर भी प्रकाश डाला है.
  • उन तकनीकों की सूची तैयार करना जिनके माध्यम से शीतलीकरण से सम्बंधित आवश्यकता पूरी हो सके.
  • समय-समय पर प्रत्येक प्रक्षेत्र में ऐसे हस्तक्षेप किए जाएँ जिनसे सभी को टिकाऊ शीतलीकरण और ऊष्मीकरण दोनों का लाभ मिल सके.
  • शीतलीकरण सेवा से जुड़े मिस्त्रियों के कौशल्य में वृद्धि पर ध्यान देना.
  • देश में ही विकसित वैकल्पिक तकनीकों के लिए अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से नवाचार का परिवेश गढ़ना.

ICAP के लाभ

ICAP से न केवल पर्यावरण से सम्बंधित लाभ ही होंगे, अपितु समाज भी लाभान्वित होगा. इस प्रकार के लाभ निम्नलिखित हैं –

  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न-आय समूह के लिए बनाए जा रहे घरों में शीतलीकरण उपलब्ध होगा.
  • शीतलीकरण की सुविधा टिकाऊ होगी.
  • इसमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम होगा.
  • बेहतर शीतगृहों के कारण किसानों के कृषि-उत्पाद कम सड़ेंगे और इस प्रकार उनकी आमदनी दुगुनी हो जायेगी.
  • इस योजना के लागू होने से बेहतर आजीविका और पर्यावरणिक सुरक्षा के लिए कौशल्य-युक्त कार्यबल तैयार होगा.
  • वातानुकूलन मशीनों और सम्बंधित उपकरणों के देश में ही निर्माण से मेक इन इंडिया को बल मिलेगा.
  • शीतलीकरण की वैकल्पिक तकनीक के आविष्कार की दिशा में किये जा रहे अनुसंधान में तेजी आएगी.  

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Guidelines For White Label ATMs  

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश में व्हाइट लेबल ए.टी.एम. (WLA) के संचालन की समीक्षा की है और इनके लिए नए मार्ग निर्देश जारी किए हैं.

ये मार्गनिर्देश क्या हैं?

  • व्हाइट लेबल ए.टी.एम. ओपरेटर एक लाख संख्या के ऊपर किसी भी प्रकार के नोट की निकासी सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालयों और मुद्रा मंजूषाओं से पूरा भुगतान करके खरीदेंगे.
  • ये ओपरेटर किसी भी अनुसूचित बैंक (सहकारी बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) से नकद ले सकेंगे.
  • ये ऑपरेटर विपत्र भुगतान और अंतर-संचालनीय नकद जमा सेवाएँ भी ग्राहकों को प्रदान कर सकते हैं बशर्ते कि इसके लिए भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम से उनको आवश्यक प्रमाणपत्र मिला हो.
  • ये ऑपरेटर अपने व्हाइट लेबल ए.टी.एम. के परिसर में मुख्य साइनबोर्ड के अतिरिक्त कहीं भी (स्क्रीन पर भी) गैर-वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के विषय में विज्ञापन लगा सकते हैं. परन्तु उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि स्क्रीन में चल रहे विज्ञापन ग्राहक के द्वारा लेन-देन शुरू करते ही गायब हो जाएँगे.
  • मुद्रा के संधारण और ए.टी.एम. के लिए बने हुए साइबर सुरक्षा ढाँचे से सम्बन्धित बैंकों पर लागू होने वाले सभी मार्गनिर्देश, सुरक्षा उपाय, मानक एवं नियन्त्रण पद्धतियाँ WLA संचालकों पर भी लागू होंगी.

व्हाइट लेबल ए.टी.एम. क्या है?

  • गैर-बैंकिंग संस्थाओं द्वारा स्थापित ATM को White Label ATM कहा जाता है.
  • ये ए.टी.एम. ग्राहकों को उन्हें बैंकों द्वारा निर्गत कार्डों (डेबिट/ क्रेडिट/ प्रीपेड) के माध्यम से बैंकिंग सेवाएँ देते हैं.
  • White label ATM में पैसा जमा नहीं होता है, केवल निकासी होती है.
  • TATA का Indicash ऐसा पहला ATM था जो 2013 में स्थापित हुआ था.
  • व्हाइट लेबल ए.टी.एम. स्थापित इसलिए करने पड़े जिससे कि उन स्थानों पर भी ए.टी.एम. सेवा मिले जहाँ तक साधारण बैंक नहीं पहुँच पाते हैं.

व्हाइट लेबल ए.टी.एम. द्वारा प्रदत्त नकद देने के अतिरिक्त अन्य सेवाएँ

  • खाते की सूचना
  • नकद जमा (WLA पर इसकी अनुमति नहीं)
  • नियमित विपत्र भुगतान (WLA पर इसकी अनुमति नहीं)
  • मोबाइलों के लिए रीलोड वाउचर की खरीद (WLA पर इसकी अनुमति नहीं)
  • छोटे और लम्बे विवरण
  • PIN परिवर्तन
  • चेक बुक के लिए अनुरोध

Prelims Vishesh

Idukki’s Marayoor Jaggery gets GI tag :

  • केरल के इडुक्की जिले में बनने वाले प्रसिद्ध पारम्परिक एवं हस्तनिर्मित गुड़ – मरयूर गुड़ – को भारत सरकार ने भौगोलिक संकेतक टैग (GI Tag) दे दिया है.
  • विदित हो कि यह गुड़ गन्ने से बनता है और इसमें किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं होता है.

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