Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 November 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 09 November 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Earth’s Water A Result Of Asteroid Impacts And Leftover Gas From Sun’s Birth

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संदर्भ

हाल के अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी के महासागरों के जल की उत्पत्ति क्षुद्रग्रहों के पदार्थों के साथ-साथ सूर्य के बनने के समय बची हुई गैस से हुई है. इस अध्ययन में कहा गया है कि धूमकेतुओं में ढेर सारी बर्फ होती है जिससे हमारे महासागरों से कुछ जल प्राप्त हुआ होगा. दूसरी ओर क्षुद्रग्रहों में उतना पानी नहीं होता फिर भी उनमें जो कुछ भी जल की मात्रा होती है, वह हमारे महासागरों के जल का एक स्रोत अवश्य होगी.

भूमिका

वैज्ञानिकों का कथन है कि मंगल ग्रह में 4 मिलियन वर्ष पहले एक महासागर हुआ करता था जिसे अरेबिया नाम दिया गया है. इसी ग्रह पर स्थित Deuteronilus महासागर की उत्पत्ति 3.6 billion वर्ष पहले हुई थी. ये दोनों महासागर ग्रह के विशाल ज्वालामुखीय क्षेत्र – थार्सिस (Tharsis) – में एक साथ अस्तित्व में थे. यह क्षेत्र मंगल के उस भाग में पड़ता है जिसे हम लोग देख नहीं पाते हैं. इसलिए वहाँ तरल जल का अस्तित्व संभव हो सका. अब वह जल समाप्त हो गया है. संभवतः वह भूतल के नीचे जम गया. यह भी हो सकता है कुछ जल अन्तरिक्ष में विलीन हो गया हो. इन विलुप्त समुद्रों की तलहटी को उत्तरी मैदान कहा जाता है.

यह अध्ययन पृथ्वी में स्थित जल के विषय में हाइड्रोजन के विषय में सर्वमान्य सिद्धांतों का खंडन करता है और यह सुझाता है कि वहाँ जल अंशतः उन धूली के बादलों और गैस से उत्पन्न हुआ जो सूर्य के बनने के पश्चात् अवशेष के रूप में रह गए थे.

महत्त्व

यह नई खोज उन सिद्धांतों के सर्वथा अनुरूप है जो सूर्य और ग्रहों के उत्पत्ति की व्याख्या करते हैं. विदित हो कि खगोलवेत्ताओं ने 38,000 से अधिक ग्रहों की खोज की है जो अपने-अपने तारे की परिक्रमा करते हैं. इनमें से कई ऐसे हैं जो चट्टानों से बने हैं और उनकी बनावट हमारी पृथ्वी से कोई अधिक अलग नहीं है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Dredging Corporation Of India

संदर्भ

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस प्रस्ताव की मंजूरी दी है कि Dredging Corporation of India Limited (DCIL) में भारत सरकार के शेयरों का शत प्रतिशत विनिमेश किया जाए और उन्हें चार बंदरगाहों के एक समूह को सौंप दिया जाए. ये चार बंदरगाह हैं –

  • विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
  • पारादीप (ओडिशा)
  • जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह (महाराष्ट्र) और
  • कांडला (गुजरात)

ज्ञातव्य है कि DCIL में भारत सरकार के 73.44% शेयर हैं.

लाभ

  • इस विनिवेश से ऊपर लिखे गये चार बन्दरगाहों में गाद हटाने की गतिविधि को सुगम बनाया जा सकेगा.
  • यदि DCIL और बंदरगाह मिलकर काम करेंगे तो इन बंदरगाहों को आर्थिक बचत होगी तथा संभावित निवेशक DCIL के प्रति आकर्षित होंगे. इस प्रकार DCIL की आर्थिक शक्ति और कार्यशक्ति दोनों में वृद्धि होगी.

DCIL क्या है?

  • DCIL एक मिनी-रत्न सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) है जो समुद्र तल से गाद हटाने का काम करता है.
  • इसकी स्थापना मार्च 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम में है.
  • यह कम्पनी जहाजरानी मंत्रालय के प्रति उत्तरदायी है.
  • इस कम्पनी का भारतीय बंदरगाहों में गाद निकासी करने का एकाधिकार प्राप्त है. यह गाद निकालने के अतिरिक्त समुद्र तट के पोषण तथा समुद्र जल के विस्थापन के पश्चात् भूमि के विकास का भी काम देखती है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Strategic Petroleum Reserves (SPR)

संदर्भ

भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है जिसके अनुसार कर्नाटक के पादुर में स्थित रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves – SPR) में पेट्रोलियम आदि के संग्रहण का काम विदेश की नेशनल ऑयल कंपनियाँ करेंगी.

मुख्य तथ्य

पादुर में तेल भंडार का कार्य PPP model (निजी-सार्वजनिक-भागीदारी) मॉडल का होगा जिससे भारत सरकार पर आर्थिक बोझ कम हो जायेगा. पादुर का भंडारण भूमितल में स्थित एक चट्टानी गुफा में चल रहा है जिसमें 0.625 MMT के चार कक्ष हैं और जिनकी सम्पूर्ण भंडार क्षमता 2.5 मिलियन मेट्रिक टन है.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि भारत ने तीन स्थानों पर भूमिगत भंडार बना रखे हैं जिसमें 5.33 मिलियन टन कच्चा तेल सुरक्षित कर दिया गया है. इन भंडारों से देश की तेल सम्बन्धी आवश्यकताएँ 9.5 दिन तक पूरी की जा सकेंगी. जिन स्थानों में भंडारण किया गया है, वे हैं – विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलौर (कर्नाटक) और पुदुर (कर्नाटक). इन तीनों भंडारों के अतिरिक्त भारत में कच्चे तेल के और पेट्रोलियम उत्पादों के कई और भंडार भी हैं जो तेल कम्पनियों के पास हैं. यदि कभी विदेश से आपूर्ति में बाधा होगी तो ये भंडार काम आयेंगे.

  • भारत सरकार ने 2017-18 बजट में यह घोषणा की थी कि ऐसे ही दो और भंडार अगले चरण में बीकानेर (राजस्थान) और उड़ीसा के जयपुर जिले में चंडीखोल में निर्मित किये जायेंगे.

भंडारों के लिए निर्माण एजेंसी

कच्चे तेल के भंडारण के लिए SCOS सुविधाओं का निर्माण जो एजेंसी करेगी, उसका नाम है – भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited – ISPRL). यह कम्पनी इसी उद्देश्य के लिए विशेष रूप से बनाई गई है और इसका पूर्ण स्वामित्व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ तेल उद्योग विकास बोर्ड (Oil Industry Development Board – OIDB) के पास है.

तेल भंडारों का सामरिक महत्त्व

1990 में जब पश्चिमी एशिया में खाड़ी युद्ध हुआ था तो उस समय भारत के समक्ष खनिज तेल को लेकर एक बहुत बड़ा संकट आ गया था. उस समय भारत के पास बस इतना ही तेल बचा हुआ था जिससे मात्र तीन दिन काम चलाया जा सकता था. उस समय तो किसी प्रकार से संकट टल गया था परन्तु आज भी इस प्रकार के संकट की आशंका बनी हुई है.

भारत की ऊर्जा मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधनों (fossil fuels) पर पूर्णतया निर्भर है और भविष्य में इस परिदृश्य में कोई विशेष परिवर्तन होने की सम्भावना नहीं है. इन इंधनों का 80% आयात से, विशेषकर पश्चिम एशिया से आता है. यदि युद्ध छिड़ जाए तो आपूर्ति का संकट तो छाएगा ही, देश का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD) भी बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है.

इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अटल बिहारी वाजपयी सरकार 1998 में SPR की अवधारणा लायी थी. आज भारत प्रत्येक दिन 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है. यह सब देखते हुए इसका जितना भी भण्डारण किया जाए, वह कम होगा.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Government approves mechanism for sale of enemy shares

संदर्भ

एक अनुमान के अनुसार भारत में स्थित शत्रु सम्पत्तियों (enemy shares) के शेयरों का आज के हिसाब से जो मूल्य है वह 3,000 करोड़ रु. है अर्थात् इन्हें बेचने से सरकार को 3,000 करोड़ रु. मिल सकते हैं. सरकार ने इस विषय में निर्णय लिया है कि वह इन संपत्तियों को बेचकर प्राप्त आय को वित्त मंत्रालय के सरकारी खाते में जमा कर देगी. यह भी निर्णय लिया गया है कि बिक्री का काम विनिमेश एवं सार्वजनिक सम्पदा प्रबंधन विभाग करेगा.

शत्रु शेयरों की संख्या 996 कंपनियों में कुल मिलाकर 6,50,75,877 है और वर्तमान में ये सभी भारतीय सम्पत्ति कस्टोडियन (Custodian of Enemy Property of India- CEPI) के पास सुरक्षित हैं.

महत्त्व

शत्रु शेयरों के विनिवेश से वर्षों से बेकार पड़ी शत्रु सम्पत्ति से पैसा कमाया जा सकता है और उसे विकास तथा सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों में लगाया जा सकता है.

शत्रु सम्पत्ति क्या है?

जब 1962 में भारत और चीन के बीच और 1965 तथा 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुए तो भारत सरकार ने चीन और पाकिस्तान के नागरिकों की भारत-स्थित सम्पत्तियों को भारतीय सुरक्षा अधिनियमों (Defence of India Acts) के तहत अपने हाथ में ले लिया.

इन अधिनियमों में के अनुसार शत्रु उन देशों को कहा गया है जिन्होंने भारत अथवा भारतीयों के विरुद्ध आक्रमण की कार्रवाई की हो. इन संपत्तियों में भूमि और भवनों के अतिरिक्त कंपनियों में लगाए गए शेयर, सोना एवं गहने आदि आते हैं.

शत्रु सम्पत्ति अधिनियम

  • 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् 1968 में शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पारित हुआ जो इन संपत्तियों को विनियमित करता है और इनके कस्टोडियन कौन होंगे, इसका वर्णन करता है.
  • जब महमूदाबाद के राजा, जिनकी बहुत सारी सम्पत्तियाँ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में थीं, के उत्तराधिकारियों ने विभिन्न शत्रु संपत्तियों पर अपना दावा पेश किया तो सरकार ने इस अधिनियम में कतिपय सुधार किये थे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Bionic mushrooms

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संदर्भ

न्यूजर्सी-स्थित Stevens Institute of Technology के अनुसंधानकर्ताओं ने एक आश्चर्यजनक कार्य करते हुए सामान्य दुकान से खरीदे गये एक साधारण सफ़ेद बटन कुकुरमुत्ते को बायोनिक बना दिया और 3D-मुद्रित cyanobacteria संकुलों के माध्यम से इसे आविष्ट कर दिया. ये cyanobacteria बिजली उत्पन्न करते हैं तथा ऐसे ग्रेफीन नैनोरिबन (graphene nanoribbons) बनाते हैं जो बिजली का संग्रहण करने में समर्थ होते हैं.

बायोनिक कुकुरमुत्ते कैसे तैयार हुए?

बायोनिक कुकुरमुत्ते को बनाने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने सबसे पहले एक रोबिटिक बाँह वाले 3D मुद्रक से एक इलेक्ट्रॉनिक स्याही का मुद्रण किया जिसमें ढेर सारे ग्रेफीन नैनोरिबन थे. मुद्रित शाखायुक्त नेटवर्क कुकुरमुत्ते के शीर्ष पर डाला गया और वह कुकुरमुत्ते के अंदर स्थित cyanobacteria कोषांगों में उत्पन्न जैव इलेक्ट्रानों के लिए बिजली-संग्रहण का काम करने लगा.

महत्त्व

बायोनिक कुकुरमुत्ता बिजली उत्पन्न करता है. यह बिजली cyanobacteria द्वारा उत्पादित होती है. बिजली के उत्पादन की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि इन बैक्टीरिया का कहाँ पर कितना घनत्व है और इनको किस तरह कुकुरमुत्ते में सजाया गया है. कहने का अभिप्राय यह है कि जहाँ इस प्रकार के बैक्टीरिया अधिक डाले गये हैं वहाँ अधिक बिजली उत्पन्न होगी.


Prelims Vishesh

NASA’s Ralph and Lucy :-

  • NASA के Ralph और Lucy नामक अन्तरिक्षयान वृहस्पति ग्रह के पास पहुँच गये हैं और वहाँ स्थित ट्रोजन क्षुद्रग्रहों की छानबीन आरम्भ करने ही वाले हैं.
  • ज्ञातव्य है कि ये क्षुद्रग्रह उस समय बने थे जब हमारा सौरमंडल अस्तित्व में आ ही रहा था.

China unveils ‘Heavenly Palace’ space station :-

चीन ने हाल ही में अपने पहले स्थाई चालकों वाले अन्तरिक्ष स्टेशन की एक प्रतिकृति का अनावरण किया है.

Earliest cave paintings of animal discovered in Indonesia, dating back 40,000 years :-

  • इंडोनेशिया के बोर्निओ की एक गुफा में कम-से-कम 40,000 वर्ष पुराने पशुचित्र की खोज की गई है.
  • इस चित्र को विश्व का सबसे प्राचीन पशुचित्र माना जा रहा है.

Central Tribal University :

  • भारत सरकार ने आंध्रप्रदेश में एक केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (Central Tribal University) की मंजूरी दी है.
  • यह विश्वविद्यालय विजयनगरम जिले के रेल्ली गाँव में स्थापित किया जाएगा.

Beyond Fake News Project :-

British Broadcasting Corporation (BBC) ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य गलत सूचना देने और नकली समाचार प्रसारित करने की रोकथाम करना है.

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