Sansar Daily Current Affairs, 10 April 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : VVPAT
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि EVM के परिणाम से पेपर ट्रेल मशीन की पर्चियों के मिलान केवल एक बूथ पर न कर के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पाँच बूथों पर किया जाए जिससे कि चुनाव की प्रक्रिया में अधिक विश्वसनीयता आ सके.
VVPAT क्या है?
- VVPAT मशीन का पूरा नाम – वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन है.
- इस मशीन से मतदाताओं को पता चलता है कि उन्होंने जो मत दिया है वह किस उम्मीदवार को गया.
- यह एक प्रकार का प्रिंटर है जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में जोड़ दिया जाता है.
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिज़ायन की.
यह कैसे काम करता है?
जब कोई मतदाता EVM में एक बटन दबाता है तो VVPAT से एक कागज़ की पुर्जी निकलती है जिसमें प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिन्ह छपा होता है. इस तरह की पर्चियाँ एक बक्से में डाल दी जाती है और मतदाता उसे घर नहीं ले जा सकता है.
लाभ
- इससे मतदाता को तुरंत पता चल जाता है कि उसने जिसे मत देना चाहा उसको मत मिल गया अथवा नहीं.
- यदि कोई विवाद हुआ तो चुनाव अधिकारी हाथ से वोट गिनने के लिए मशीन से निकली पर्चियों को हाथ से गिन सकता है.
- VVPAT मशीन एक प्रत्यक्ष रिकॉर्डिंग इलेक्शन सिस्टम से काम करती है और जालसाजी अथवा अन्य गड़बड़ियों को तुरंत पकड़ लेती है.
- इसके प्रयोग से मतदान की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो जाती है.
- इससे न केवल मतदाता अपितु राजनैतिक दल भी आश्वस्त रहते हैं.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Press Council guidelines to media on poll reporting
संदर्भ
भारतीय प्रेस परिषद् ने हाल ही में नए दिशानिर्देश निर्गत किये हैं जिनमें मीडिया से अनुरोध किया गया है कि वर्तमान लोकसभा चुनावों के विषय में रिपोर्ट करते समय वस्तुनिष्ठता बरते और पैसे लेकर समाचार छापने की प्रथा से दूर रहें.
मुख्य दिशानिर्देश
- किसी विशेष चुनाव अभियान पर रिपोर्ट देते समय कोई समाचार पत्र प्रत्याशी द्वारा उठाये गये किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्न को छोड़ न दे.
- प्रेस को ऐसी रिपोर्टों से बचना चाहिए जिनसे क्षेत्रीयता, धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय अथवा भाषा को लेकर शत्रुता अथवा घृणा की भावना फैलती हो.
- किसी प्रत्याशी के चरित्र एवं आचरण के बारे में झूठा अथवा आलोचनात्मक प्रतिवेदन न छापा जाए.
- मीडिया किसी प्रत्याशी अथवा दल के विरुद्ध ऐसे आरोप न छापे जिन्हें उसने सत्यापित नहीं किया हो.
- मीडिया को भुगतान लेकर समाचार छापने से बचना चाहिए.
- अधिकारियों को चाहिए कि चुनाव स्थल पर मीडियाकर्मियों के प्रवेश के विषय में नियम और आदेश अधिसूचित करें और पास के लिए आवेदन देने के बारे में निर्धारित अंतिम तिथि को उचित रूप से और पहले से ही प्रचारित करें.
- जब कभी कोई समाचार पत्र मतदान-पूर्व सर्वेक्षण छापता है तो वह यह ध्यान में रखे कि वह स्पष्ट रूप से बताये कि ऐसे सर्वेक्षण को किस संस्था ने किया है और इससे जुड़े हुए व्यक्ति और संगठन कौन हैं. साथ ही सर्वेक्षण के लिए कितना बड़ा नमूना और किस प्रकार का नमूना लिया गया है और नमूने लेने की पद्धति क्या रही, ये सारी बातें बता दे.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : New state of matter
संदर्भ
हाल ही में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि उन्होंने भौतिक पदार्थ की एक नई अवस्था का पता लगा लिया है. इस अवस्था में पदार्थ एक साथ ठोस भी होता है और तरल भी. इसमें अणु एक ही समय ठोस और तरल दोनों अवस्था में रहते हैं. इस अवस्था को चेन मेल्टेड स्टेट कहते हैं.
इसका पता कैसे चला?
पोटेशियम एक साधारण धातु है. इस धातु पर जब अत्यधिक दबाव और तापमान डाला जाता है तो इसके अधिकांश अणु एक ठोस जालीदार संरचना (solid lattice structure) का निर्माण करते हैं. किन्तु कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिनपर इस प्रकार दबाव और तापमान और गर्मी डालने से उनमें ठोस और तरल दोनों अवस्थाओं के गुणधर्म आ जाते हैं.
ऐसा क्यों होता है?
अणुओं पर दबाव डालने से एक दूसरे से जुड़ी हुई दो ठोस जालियाँ बन जाती हैं. इनमें से एक जाली के अणुओं के बीच रासायनिक अन्तःक्रिया प्रबल होती है जिसका अभिप्राय यह है कि गर्म करने पर यह संरचना ठोस होती है. दूसरी ओर, अन्य अणु पिघलकर तरल अवस्था में चले जाते हैं. यदि सही ढंग से प्रयोग किया जाए तो सोडियम और बिस्मथ जैसे आधे दर्जन से अधिक तत्त्व पदार्थ की इस नई अवस्था में परिवर्तित होने की क्षमता रखते हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : World Bank report on remittances
संदर्भ
विश्व बैंक ने हाल ही में प्रव्रजन एवं विकास से सम्बंधित एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है.
भारत से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- 2018 में भारत विश्व में सबसे अधिक धन प्रेषण प्राप्त करने वाला देश रहा. प्रवासी भारतीयों ने उस वर्ष 79 बिलियन डॉलर अपने देश में भेजा. यह वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में 14% की थी.
- 2016 (60 बिलियन डॉलर) और 2017 (65.3 बिलियन डॉलर) में भी भारत इस मामले में शीर्षस्थ था. इस प्रकार धन प्रेषण में विगत तीन वर्षों में अच्छी-खासी वृद्धि हुई.
- केरल में आई बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी संभवतः विदेश से प्रवासियों ने अपने परिवारों को अधिक धन प्रेषित किया.
वैश्विक निष्कर्ष
- निम्न एवं माध्यम आय वाले देशों तक 2017 में 483 बिलियन डॉलर भेजे गये थे. 2018 में यह आँकड़ा 529 बिलियन डॉलर हो गया. यह वृद्धि अभूतपूर्व रही.
- जहाँ तक उच्च आय वाले देशों को विभिन्न देशों से भेजे गये धन की बात है, 2017 में 633 बिलियन डॉलर उन देशों में भेजे गये थे जबकि 2018 में यह आँकड़ा 689 बिलियन डॉलर हो गया. धन प्रेषण में हुई इस वृद्धि का एक कारण अमेरिका में अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता और आजीविका की परिस्थिति बताई जाती है. इसका अन्य कारण कुछ खाड़ी सहयोग परिषद् के देशों और रुसी संघ से होने वाला धन प्रवाह भी है.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : CRISPR Technology
संदर्भ
हाल ही में पहली बार CRISPR-Cas9 जीन सम्पादन पद्धति का प्रयोग करते हुए चार छिपकलियों में आनुवांशिक संशोधन किये गये.
मुख्य तथ्य
- जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने Anolis sagrei प्रजाति की छिपकलियों के रंग से सम्बंधित जीनों में हेर-फेर करके उनसे चार ऐसी संतानें उत्पन्न कराई गईं जिनका रंग श्वेत था.
- इसके लिए शोध दल ने विशेषकर के tyrosinase जीन का प्रयोग किया और 146 oocytes में उसका प्रवेश कराया.
- त्वचा का श्वेत होना (Albinism) एक ऐसा गुण है जो संतान में दोनों अभिवावकों से आता है. परन्तु इस शोध से पता चलता है कि CRISPR सोल्यूशन निषेचन के बहुत बाद तक सक्रिय रहा.
जीन क्या होते हैं जीन सम्पादन क्या है?
- गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (N.A.) की बनी वे अति सूक्ष्म रचनाएं जो आनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन कहलाती हैं.
- जीन, डी.एन.ए. के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है.
- जीनों में कूटबद्ध सूचनाओं से ही आगामी पीढ़ी की सन्तान की कद, चमड़े अथवा बाल का रंग, अन्य शारीरिक विशेषताएँ और यहाँ तक की व्यावहारिक गुण आते हैं.
- वैज्ञानिक कभी-कभी विशेष तकनीक से एक प्राणी अथवा पौधे से दूसरे प्राणी अथवा पौधे में जीनों का हस्तांतरण करते हैं जिससे प्राणी के आनुवंशिक गुणों में रूपांतरण हो जाता है. इस प्रक्रिया को जीन सम्पादन कहते हैं.
CRISPR-CAS9 क्या है?
- CRISPR-CAS9 का पूरा नाम है – Clustered, regularly interspaced, short palindromic repeats – protein 9 (Cas9)
- बुनियादी तौर से यह एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा जीन का सम्पादन किया जाता है. इसका प्रयोग समूचे जेनेटिक कोड अथवा किसी विशेष स्थान पर DNA के सम्पादन के लिए किया जा सकता है.
- इस तकनीक से जीन में हेर-फेर करने तथा इस प्रक्रिया को सरलतर, तीव्रतर तथा अधिकांश प्रयोगशालाओं के लिए सुलभ बनाने के क्षेत्र में क्रांति आ गई है.
- CRISPR तकनीक सरल है परन्तु जीनोम के सम्पादन के लिए एक सशक्त साधन है. इससे शोधकर्ता सरलता से DNA क्रम को बदल देते हैं और जीन के कार्य में परिवर्तन ला देते हैं.
- भविष्य में इसका उपयोग आनुवंशिक दोषों को दूर करने, उपचार करने, रोगों का प्रसार रोकने और फसलों में सुधार लाने में किया जा सकता है. किन्तु साथ ही नैतिकतावादी इसका विरोध करते रहे हैं. इसके अतिरिक्त कुछ वैज्ञानिकों यह आशंका है कि इस तकनीक से सम्पाधित कोषों से कैंसर हो सकता है और जीनोम में रूपांतरण का खतरा बढ़ सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Currency chest
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों को मुद्रा वज्रागारों (currency chest) के विषय में नए दिशानिर्देश निर्गत किये हैं.
नए दिशानिर्देश
- वज्रागार का क्षेत्रफल न्यूनतम 1,500 वर्ग फुट होना चाहिए. यदि बैंक पहाड़ी अथवा दुर्गम क्षेत्र में है तो वज्रागार का क्षेत्रफल न्यूनतम 600 वर्ग फुट होना चाहिए.
- नए वज्रागार में प्रत्येक दिन 6 लाख नोटों की आवाजाही की क्षमता होनी चाहिए. यह क्षमता पहाड़ी अथवा दुर्गम क्षेत्रों के लिए 2.1 लाख नोट रखी गई है.
- मुद्रा वज्रागार में 1,000 करोड़ रु. का अधिशेष (चेस्ट बैलेंस लिमिट – CBL) रहना चाहिए. स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुए रिज़र्व बैंक इस सीमा में तर्कसंगत कमी-बेसी कर सकता है.
करेंसी चेस्ट क्या है?
केन्द्रीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का सबसे प्रमुख काम देश में नई-पुरानी करेंसी का संचार करना है. इसमें नई करेंसी और नए सिक्कों का देशभर में वितरण, पुरानी करेंसी को रिसाइकल करना और सभी बैंकों में एकत्र हुए अत्यधिक कैश को अपने पास रखने का काम किया जाता है. इन सभी काम को करने के लिए रिजर्व बैंक को देशभर में कई खजाना बनाना पड़ता है जिसे वह करेंसी चेस्ट कहता है. इस करेंसी चेस्ट या कुबेर के खजाने को देशभर कई जगहों पर बनाया जाता है जिससे रिजर्व बैंक का करेंसी वितरण काम आसानी से किया जा सके.
करेंसी चेस्ट की भूमिका
- देशभर में करेंसी के संचार को बनाए रखने के लिए मौजूदा समय में रिजर्व बैंक के पास लगभग 4,075 करेंसी चेस्ट हैं. इसके अतिरिक्त सिक्कों का संचालन करने के लिए उसके पास 3,746 बैंक शाखाएँ हैं जो छोटे सिक्कों के लिए डिपो का काम करते हैं.
- ये चेस्ट देशभर में फैले हुए हैं क्योंकि संचार के साथ-साथ इन खजानों में किसी भी सामान्य बैंक में जमा कराए गए रुपयों (कैश रिजर्व रेशियो) को भी रखा जाता है.
- करेंसी चेस्ट को देशभर में स्थापित करने के लिए रिजर्व बैंक प्रमुख सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का सहयोग लेता है. इसके अलावा इस काम में 6 सहयोगी बैंकों, सभी नैशनलाइज्ड बैंक, प्राइवेट सेक्टर के कुछ चुने हुए बैंक, 1 विदेशी बैंक, 1 कोऑपरेटिव बैंक और ग्रामीण बैंक को भी शामिल किया जाता है. इस काम को करने के रिजर्व बैंक अपने देशभर में फैले 18 ब्रांच या इशू ऑफिस के जरिए करता है.
Prelims Vishesh
‘Bold Kurukshetra 2019’ :-
भारत और सिंगापुर के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास के 12वाँ प्रकरण – Bold Kurukshetra, 2019 – का हाल ही में उत्तर प्रदेश में स्थित झांसी के बबीना सैन्य शिविर में शुभारम्भ हुआ.
Sri Lanka opens China-financed railway line :–
- चीन की सहायता से श्रीलंका में एक नई रेललाइन बनी है जो तटवर्ती नगर मतारा और हम्बनटोटा के बेलियट्टा को जोड़ती है.
- यह रेल लाइन 75 किलोमीटर लम्बी है और यह देश के सबसे लम्बे और दूसरे सबसे लम्बे रेल पुलों से होकर गुजरती है.
‘Veer Parivar App’ :–
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में “वीर परिवार” नामक एक मोबाइल ऐप का अनावरण किया है जिसके माध्यम से सेवा के दौरान दिवंगत होने वाले केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल (CRPF) कर्मियों के परिवारजन CRPF के अधिकारियों से सीधा सम्पर्क करके अनुदान राशि, पेंशन लाभ और अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के विषय में जानकारी ले सकते हैं.
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