Sansar Daily Current Affairs, 10 August 2020
GS Paper 3 Source : BBC
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : Modernization/ up-gradation of facilities and new infrastructure creation of Defence PSUs and OFB
संदर्भ
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का नया नारा बुलंद किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने 101 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया है. इस सूची में आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफ़ल्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट, रडार आदि शामिल हैं. यह प्रतिबंध चरणबद्ध तरीक़े से दिसबंर 2020 से दिसंबर 2025 के बीच लागू होगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस निर्णय से रक्षा उत्पादन के मामले में स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा. रक्षा मंत्री ने बताया कि इन वस्तुओं की सूची को रक्षा मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों ने परामर्श करने के बाद तैयार किया है. इसमें सेना, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग भी शामिल हैं ताकि वर्तमान और भविष्य में युद्ध उपकरणों को तैयार करने की क्षमता का आकलन किया जा सके.
पृष्ठभूमि
- प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत आह्वान किया था कि हमें पाँच आई पर ध्यान देने की आवश्यकता है, यथा– इंटरनेट (Intent), समावेश (Inclusion), निवेश (Investment), बुनियादी ढांचा (Infrastructure) और नवाचार (Innovation).
- रक्षा मंत्रालय की उपर्युक्त पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान के विजन के अधीन प्रारम्भ की गयी है.
रक्षा वस्तुओं के स्वदेशी उत्पादन की सूची
- हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि रक्षा वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 101 उपकरणों के आयात पर रोक लगाई है. जिन 101 उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है, उसमें बड़ी बंदूकों से लेकर मिसाइल तक सम्मिलित हैं.
- इससे रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही भारतीय रक्षा उद्योग को बड़े अवसर प्राप्त होंगे.
- इन उपकरणों पर रोक लगाने की यह कार्य 2020 से 2024 के मध्य पूरा किया जाएगा.
- भारत सरकार चाहती है कि आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र के अन्य उपकरणों को भी इस सूची में सम्मिलित किया जाएगा. साथ ही सेनाओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं के उत्पादन की समयसीमा सुनिश्चित हो, इसके लिए भी उचित कदम उठाए जाएँ.
पीएसयू और ओएफबी के अपग्रेडेशन से जुड़े तथ्य
- पिनाका रॉकेट कॉम्प्लेक्स आयुध कारखाना चंदा में पिनाका और अन्य रॉकेटों की बढ़ी हुई आवश्यकता के साथ ही एसएचसीजी के लिए को पूरा करने के लिए सुविधाओं का उन्नयन प्रारम्भ किया है.
- ओएलएफ देहरादून में सुविधाओं के आधुनिकीकरण द्वारा टी-90 टैंकों के लिए उच्च-अंत ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक उत्पादों के निर्माण का उद्देश्य पूरा किया जायेगा.
- बीईएल ने डीआरडीओ द्वारा डिजाइन किए गए एंटी टारपीडो डिफेंस सिस्टम ‘मारीच- Maareech’ के निर्माण, एकीकरण और परीक्षण के लिए पूरी तरह से स्वदेशी ‘मारीच- Maareech’ एकीकरण सुविधा शुरू की है.
- HAL ने भारतीय वायुसेना को 500वाँ AL-31FP ओवरहॉल्ड इंजन सौंप दिया है जो सबसे घातक फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान Su-30MKI पर लगाये गए हैं. यह HAK के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया गया है.
- BEML ने नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के हिस्से के रूप में बेंगलुरु में औद्योगिक डिजाइन केंद्र स्थापित किया है. यह केंद्र भारत में अपनी तरह का पहला उद्यम है, जो औद्योगिक डिजाइन और मानव कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्लोबल बेंचमार्किंग के आधार पर औद्योगिक डिजाइन और एर्गोनॉमिक्स में विकासात्मक रणनीतियों को विकसित करेगा.
- P17A परियोजना के अंतर्गत उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा अपने राजा बागान डॉकयार्ड की क्षमता को बढ़ाया गया है.
- रक्षा क्षेत्र में नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के अंतर्गत BDL में सीकर सुविधा केंद्र (SFC) की आधारशिला रखी गयी है. यह मिसाइल सिस्टम (RF Seeker) के निर्माण के लिए एक नई मॉड्यूलर सुविधा उपलब्ध कराकर वॉरहेड्स के निर्माण, परीक्षण सुविधा उपलब्ध कराकर आयात निर्भरता को कम करेगा. यह कोंकल्स-एम, इन्वार, आकाश, एस्ट्रा मिसाइलों आदि के लिए आवश्यक स्वदेशी विकसित वॉरहेड्स के निर्माण और परीक्षण के लिए उत्पादन सुविधा प्रदान करते हुए सभी फ्यूचरिस्टिक मिसाइल वारहेड्स की जरूरतों को पूरा करेगी.
- जीएसएल में नए स्टील स्टील शॉप (एसपीएस) का उद्घाटन किया गया है जो देश के लिए अन्य सहायक बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उच्च प्रौद्योगिकी ग्लास प्रबलित प्लास्टिक (Glass Reinforced Plastic (GRP) के स्वदेशी निर्माण को सक्षम करेगा.
- अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी के अंतर्गत मिश्र धातु निगम लिमिटेड (MIDHANI) ने एक अत्याधुनिक कौशल विकास केंद्र की स्थापना की है और इसे “उत्कृष्टता केंद्र – विशेष सामग्री” के रूप में नाम दिया है. यह सुविधा केंद्र मुख्य रूप से एयरोस्पेस, रक्षा, परमाणु, अंतरिक्ष और अन्य सामरिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले विशेष सामग्रियों के विकास के लिए उपयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहन देने पर केंद्रित होगी.
क्या है आत्मनिर्भर भारत अभियान?
- वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) की परिभाषा में परिवर्तन आया है. आत्मनिर्भरता (Self-Reliance), आत्म-केंद्रित (Self-Centered) से अलग है.
- भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की संकल्पना में विश्वास करता है. चूँकि भारत विश्व का ही एक हिस्सा है, अत: भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है.
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा, अपितु विश्व के विकास में सहयोग किया जाएगा.
मिशन के चरण
मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा:
प्रथम चरण : इसमें चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके.
द्वितीय चरण : इस चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तंभ
आत्मनिर्भर भारत पाँच स्तंभों पर खड़ा होगा :-
- अर्थव्यवस्था (Economy) : जो वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) के स्थान पर बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित हो;
- अवसंरचना (Infrastructure) : ऐसी अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने;
- प्रौद्योगिकी (Technology) : 21वीं सदी प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली;
- गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography) : जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत है;
- मांग (Demand) : भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिये.
मेरी राय – मेंस के लिए
भारत में कोई ऐसी रक्षा से जुड़ी चीज़ नहीं बनती, जो पूरी तरह यहाँ तैयार हो रही हो. इतना अवश्य है कि भारत बड़ी-बड़ी डिफ़ेंस कंपनियों के सप्लाई चेन का हिस्सा है. उदाहरणार्थ बोइंग कंपनी विदेशी है, लेकिन उसके कई कलपुर्जे भारत में बनते हैं, जो विदेशों में भारत बेचता है. फिर उन देशों में उसकी एसेंबलिंग होती है. भारत की रक्षा उपकरणों की निर्यात लिस्ट ऐसे ही उपकरणों की है.
भारत में 2001 तक डिफ़ेंस सेक्टर में सरकारी कंपनियाँ जैसे डीआरडीओ और आर्डिनेंस फ़ैक्टरी का ही दबदबा था. 2001 के बाद सरकार ने निजी कंपनियों की भागीदारी को मंज़ूरी दी. लेकिन आज भी रक्षा सौदों में उनकी हिस्सेदारी 8-10 फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं बढ़ पाई है. एलएंडटी, महिंद्रा, भारत फ़ोर्ज जैसी कुछ एक निजी कंपनियाँ हैं, जो रक्षा क्षेत्र में आगे आ रहीं हैं. रक्षा क्षेत्र में बड़ी सरकारी कंपनियों में भी कुछ एक गिने चुने नाम ही हैं, जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड. भारत डायनमिक्स, बीईएमएल. स्पष्ट है कि पिछले 20 सालों में इस स्थिति में अधिक सुधार नहीं हुआ है.
रक्षा एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें पूँजी लगाने पर प्रतिलाभ मिलने में समय पर्याप्त रूप से लगता है. दूसरी समस्या यह है कि इस क्षेत्र में छोटे बजट से शुरुआत नहीं की जा सकती. इनमें निवेश भी अधिक करना होता है. और तीसरी समस्या यह है कि भारत में इस क्षेत्र में निवेश के बाद प्रतिलाभ की गारंटी अब तक नहीं होती थी. इसके पीछे कारण यह है कि बाहर की कंपनी किसी भी समय पर हमसे बेहतर उपकरण बनाती थी. इसलिए हम प्रतिस्पर्धा में उनसे पीछे छूट जाते थे. विदेश में रक्षा क्षेत्र की जिन कंपनियों के नाम है, साख है, वह 70- 80 सालों से इसी काम में लगी हैं. भारतीय कंपनियाँ उनके मुक़ाबले में अभी कहीं नहीं हैं. और चौथी समस्या है, इन उत्पादों की बाजार में माँग बहुत कम होती है, और ये उपकरण जल्द ख़राब नहीं होते और ना ही बदली किये जा सकते हैं.
अब सरकार के नए निर्णय से निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा. केंद्र सरकार ने कहा है कि अगले पाँच-सात सालों में लगभग 52 हज़ार करोड़ के रक्षा उपकरण भारतीय कंपनियों से ही ख़रीदे जाएँगे. इसलिए कंपनियाँ निवेश के लिए ज़रूर आगे आएँगी और निवेश करेंगी.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
भारत की कंपनियाँ रक्षा क्षेत्र में निवेश करने से क्यों कतराती हैं? अपना मत प्रस्तुत करें.
Why do Indian companies hesitate to invest in the defense sector? Present your views in this regard.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Infrastructure related issues.
Topic : National Infrastructure Pipeline
संदर्भ
हाल ही में वित्त एवं कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline – NIP) हेतु एक ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारम्भ किया है.
न्यू इंडिया में आधारभूत परियोजनाओं से जुड़ी जानकारियों को देखने के लिए सभी हितधारकों के लिए वन स्टॉप समाधान के रूप में ऑनलाइन डैशबोर्ड की परिकल्पना की गई है.
डैशबोर्ड, इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (India Investment Grid – IIG) पर दिखाई दे रहा है. आईआईजी के संवादात्मक और गतिशील ऑनलाइन मंच है, जहाँ देश में अद्यतन और रियल टाइम निवेश के अवसरों का प्रदर्शन किया जाता है.
इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (IIG)
- IIG ,वैश्विक निवेशकों के लिए भारत में निवेश के सर्वश्रेष्ठ अवसरों के प्रदर्शन के लिए एक संवादात्मक और गतिशील ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है.
- इन्वेस्ट इंडिया, द नेशनल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन एजेंसी द्वारा विकसित और प्रबंधित IIG भारत में निवेश के गेटवे के रूप में सेवाएँ देता है. इसे दुनिया-भर में स्थित भारतीय मिशनों और दूतावासों द्वारा व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाता है.
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन और इसका महत्त्व
- अनुमान है कि अपनी वृद्धि दर को बनाये रखने के लिए भारत को 2030 तक अवसंरचना पर 5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन योजना बनाई गई है जिसका काम इस लक्ष्य को कुशलतापूर्वक प्राप्त करना होगा.
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन यह देखेगी कि देश में चल रहीं अवसंरचना से जुड़ी परियोजनाएँ ठीक से तैयार हुईं हैं और उनका काम ठीक से शुरू हुआ है अथवा नहीं.
- ये परियोजनाएँ ग्रीन फील्ड और ब्राउन फील्ड दोनों प्रकार की होंगी. शर्त यह है कि इनकी लागत 100 करोड़ से ऊपर की होनी चाहिए.
- प्रत्येक मंत्रालय/विभाग का यह दायित्व होगा कि वह परियोजनाओं का अनुश्रवन करे और यह सुनिश्चित करे कि उनका समय पर तथा निर्धारित लागत के अन्दर कार्यान्वयन हो जाए.
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का उद्देश्य देश में अवसंरचना के क्षेत्र में वार्षिक निवेश इतना बढ़ाया जाए कि 2024-25 तक पाँच ट्रिलियन डॉलर की GDP का लक्ष्य पूरा किया जा सके.
अवसंरचना में पैसा लगाना आवश्यक क्यों?
- 2008-17 के दशक में भारत ने अवसंरचना में 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया था.
- यदि सतत आधार व्यापक एवं समावेशी वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करना है तो उसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हमारी अवसरंचनाएँ उच्च गुणवत्ता वाली हों.
- भारत की वृद्धि दर अभी ऊँची चल रही है. इसको बनाये रखने के लिए अवसंरचना में निवेश आवश्यक होगा.
- 2024-25 तक पाँच ट्रिलियन GDP (पढ़ें > GDP in Hindi) पाने के लिए भारत को 2019-20 से लेकर 2024-25 तक 4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
राष्ट्रीय अवसंरचना परियोजनाओं से देश की आधारभूत अवसंरचना किस प्रकार सुदृढ़ हो सकेगी? चर्चा करें.
How will national infrastructure projects strengthen the country’s basic infrastructure? Discuss.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.
Topic : Optical Fiber Cable Project
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के लिए समुद्र के नीचे बिछी ऑप्टिकल फाइबर केबल का उद्घाटन किया है. इस केबल के चालू होने के बाद अंडमान एवं निकोबार में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट का सपना पूरा होगा और साथ ही व्यापार और पयर्टन को भी बढ़ावा मिलेगा.
ऑप्टिकल फाइबर केबल परियोजना
इस परियोजना में चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर को 2313 किमी. लंबी सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है.
- ये केबल स्वराज द्वीप, लिटिल अंडमान, कार निकोबार, कामरोता, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आइलैंड में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाएगी.
- यह परियोजना बीएसएनएल द्वारा पूरी की गयी है.
परियोजना के लाभ
- इस केबल के माध्यम से पोर्ट ब्लेयर को 400 gbps और अन्य द्वीपों को 200 gbps तक की इंटरनेट स्पीड मिल सकती है.
- टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन जैसी ई-गवर्नेंस सेवाओं के विस्तार में आसानी होगी.
- द्वीप में ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर बैंकिंग और शॉपिंग से लेकर टेलीमेडिसिन तक की सुविधा उपलब्ध होगी.
- छोटे कारोबारियों को ई-गवर्नेंस का फायदा होगा.
- इसकी लॉन्चिंग के साथ ही अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में इंटरनेट की कीमत कम हो जायेगी.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम क्या है? डिजिटल गवर्नेंस में इसके महत्त्व का वर्णन कीजिये.
What is Digital India Program? Describe its importance in digital governance.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Environment and Biodiversity.
Topic : World Elephant Day
संदर्भ
12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस (World Elephant Day) मनाया जा रहा है.
विश्व हाथी दिवस
- हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है.
- वार्षिक रूप से मनाया जाने वाला यह अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम दुनिया भर के हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित है.
- विश्व हाथी दिवस का लक्ष्य हाथी संरक्षण पर लोगों में जागरूकता पैदा करना और जंगली तथा पालतू हाथियों के बेहतर संरक्षण और प्रबंधन के लिए जानकारी और सकारात्मक समाधानों को साझा करना है.
‘सुरक्ष्य’ (Surakhsya) राष्ट्रीय पोर्टल
- विश्व हाथी दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर मानव-हाथी टकराव पर एक ‘सुरक्ष्य’ नामक राष्ट्रीय पोर्टल का बीटा संस्करण भी लॉन्च किया.
- यह पोर्टल वास्तविक समय पर जानकारी के संग्रह और सही समय पर मानव-हाथी टकरावों को निपटाने के लिए आंकड़ा संग्रह प्रोटोकॉल, डेटा ट्रांसमिशन पाइपलाइन, और डेटा विज़ुअलाइज़ेशन टूल सेट करने में मदद करेगा.
- इससे नीति निर्माताओं को इन मानव-हाथी टकराव के आंकड़ों का लाभ उठाते हुए नीति निर्माण और टकराव को कम करने की कार्य योजना बनाने में मदद मिल सकेगी.
हाथी परियोजना
- हाथी भारत के प्राकृतिक धरोहर पशु हैं और इसके संरक्षण के लिए भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रलय ने 1991-92 में हाथी परियोजना शुरू की गई थी.
- इस परियोजना को आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश ओर पश्चिम बंगाल राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है.
- विदित हो कि एशियाई हाथियों को संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन की रेड लिस्ट में भारत को छोड़कर अधिकांश हाथी वाले देशों के संदर्भ में ‘विलुप्तप्राय’ प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
- 2020 में गुजरात में संपन्न प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन के परिशिष्ट 1 में भारतीय हाथियों को भी सूचीबद्ध किया गया है.
कुछ महत्त्वपूर्ण आँकड़े
- देश में 2017 में आखिरी बार हाथियों की गिनती की गई थी. 2017 में हुई हाथियों की गिनती के अनुसार भारत में 30 हजार हाथी हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है.
- 2 हजार से ज्यादा हाथियों को बंधक बनाया गया है.
- एक दशक पहले देश में 10 लाख हाथी थे.
- 100 हाथियों को हर साल मार दिया जाता है.
- हाथी से संघर्ष में हर वर्ष 500 लोगों की मौत हो जाती है.
प्रीलिम्स बूस्टर
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और भारतीय वन्यजीवन न्यास (WTI) ने मेघालय में स्थित गारो हिल्स के प्रमुख शहर तुरा से ‘गज यात्रा’ शुरू करने का निर्णय लिया है.
- इस आयोजन में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए हाथी का mascot साथ-साथ उन जिलों से ले जाया जायेगा जहाँ हाथियों के झुण्ड अक्सर देखे जाते हैं.
- हाथी और मनुष्य के संबंधों को आदर्श स्थिति में लाने के प्रयास में पारम्परिक जमींदारों –नोकमास (Nokmas) की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है.
- हाथी की रक्षा के लिए 2017 में विश्व हाथी दिवस के अवसर पर इस राष्ट्रव्यापी अभियान ‘गज यात्रा’ की शुरुआत की गई थी.
- भारत में कुल 12 राज्यों में हाथी की बहुलता है. इन सभी राज्यों में गजयात्रा का आयोजन है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में किये गये प्रावधानों के विषय में विस्तार से चर्चा करें. (इस लिंक में जा कर विस्तार से पढ़ें :- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972)
Discuss in detail the provisions made in the Wildlife Protection Act, 1972.
Prelims Vishesh
Delhi HC issues notice to UPSC after plea says quota for disabled neglected :-
- इस वर्ष UPSC की सिविल सेवाओं में प्रत्यक्ष नियुक्ति से सम्बंधित प्राथमिक परीक्षा की अधिसूचना में कुछ लोगों के अनुसार विकलांग व्यक्तियों को दिए जाने वाले न्यूनतम आरक्षण की उपेक्षा की गई है.
- इस आधार पर उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस बार कुल मिलाकर 796 प्रत्याशित रिक्तियाँ बताई गई हैं जबकि विकलांगों के लिए मात्र 24 रिक्तियाँ घोषित की गई हैं. यह संख्या निःशक्त जन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुभाग 34 में निर्धारित कुल रिक्तियों के लिए निर्धारित 4% से कम है. इस हिसाब से विकलांगों के लिए 32 रिक्तियाँ होनी चाहिए थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस विषय में UPSC को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है.
Sub-Mission on Agricultural Mechanization :-
- उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि कार्य में मशीनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2014 में कृषि मशीनीकरण का एक उप-अभियान चलाया गया था जो सभी राज्यों में चल रहा है.
- इस अभियान का उद्देश्य खेती में मशीनों के प्रयोग को बढ़ावा देना तथा बिजली के प्रयोग को बढ़ाकर 2.5 किलोवॉट प्रति हेक्टेयर करना है.
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