Sansar Daily Current Affairs, 10 February 2021
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : ONE NATION-ONE RATION CARD SCHEME
संदर्भ
हाल ही में राजस्थान एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card) सुधार को लागू करने वाला 12वाँ राज्य बन गया है. यह सुधार लागू करने में राजस्थान का नाम अब 11 अन्य राज्यों आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश के साथ शामिल हो गया है.
एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना क्या है?
यह एक राष्ट्रीय योजना है जो यह सुनिश्चित करती है कि कि जन-वितरण प्रणाली से लाभ लेने वाले सभी व्यक्ति, विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले, देश के अन्दर किसी भी अपनी पसंद की PDS दुकान से अनाज आदि प्राप्त कर सकें.
अब तक यह सुविधा आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे 17 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध कराई गई है.
लाभ
इस योजना का लाभ यह होगा कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी युक्त अनाज पाने से कोई निर्धन व्यक्ति इसलिए वंचित न हो जाए कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान चला गया है. इस योजना से एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि कोई व्यक्ति अलग-अलग राज्यों में जन-वितरण प्रणाली का लाभ लेने के लिए एक से अधिक राशन कार्ड नहीं बनवा पायेगा.
माहात्म्य
इस योजना से के फ़लस्वरूप लाभार्थी किसी एक PDS दुकान से बंधा नहीं रह जाएगा और ऐसी दुकान चलाने वालों पर उसकी निर्भरता घट जायेगी और साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी कटौती होगी.
चुनौतियाँ
- प्रत्येक राज्य के पास जन-वितरण प्रणाली के विषय में अपने नियम होते हैं. यदि एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना लागू की गई तो संभावना है कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले. वैसे भी सभी जानते हैं कि इस प्रणाली में भ्रष्टाचार होता रहता है.
- इस योजना से जन-सामान्य का कष्ट बढ़ जाएगा और बिचौलिए तथा भ्रष्ट PDS दुकान के मालिक उसका शोषण करेंगे.
- इन्हीं कारणों से तमिलनाडु ने इस योजना का विरोध किया है और कहा है कि इसको लागू करने से अवांछित परिणाम होंगे. साथ ही उसका कहना है कि यह योजना संघवाद पर कुठाराघात करती है.
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) : यह अधिनियम भारत सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया था.इसका उद्देश्य लोगों को उचित मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन, सस्ते दामों में उपलब्ध कराते हुए उनकी खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा प्रदान करना है.
मेरी राय – मेंस के लिए
इस योजना से कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सकेगा.
योजना को लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए.
योजना कागज पर तो अच्छी है, लेकिन इसे लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देना होगा. कई राज्य इस मामले में काफी पिछड़े हैं. इसके अतिरिक्त पीडीएस से जुड़े दुकानदार भी इस मामले में अड़ंगा लगा सकते हैं. सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना करनी होगी. अगर राशन दुकान मालिकों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका तो इस योजना का मकसद पूरा नहीं होगा. पीडीएस में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं. राशन कार्ड के पोर्टेबल होने के बावजूद दुकानदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने की राह में राजनीति समेत कई बाधाएँ हैं. सरकार के एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू करने से पहले इन पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Govt to set up 1,000 farmer producer organisations, allocates Rs 6,865 crore
संदर्भ
कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) के माध्यम से कृषि को एक सतत उपक्रम में बदलने के प्रयास में केंद्र सरकार ने देश में 10,000 नए FPOs बनाने और उन्हें बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया है जिसके लिए बजट में 6,865 रु. करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है, ऐसा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय का कहना है.
योजना के प्रमुख बिंदु
- भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ केन्द्रीय क्षेत्र की इस योजना के तहत, एफपीओ के गठन और संवर्धन कार्यान्वयन एजेंसियों (आईए) के माध्यम से किया जाना है.
- वर्तमान में एफपीओ के निर्माण और संवर्धन के लिए लघु किसान कृषि-व्यवसाय संकाय (SFAC), NCDC, NABARD, NADED, ग्रामीण विकास मंत्रालय आदि कार्यान्वयन एजेंसियों (आईएएस) को अंतिम रूप दिया गया है.
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ (आईए), क्लस्टर-आधारित व्यापार संगठनों (सीबीबीओ) को सम्मिलित कर प्रत्येक एफपीओ को 5 वर्ष की अवधि के लिए समेकित, पंजीकृत और पेशेवर हैंडहोल्डिंग सहायता प्रदान करेगी.
- वर्ष 2020-21 के दौरान, एफपीओ के गठन के लिए कुल 2200 एफपीओ उपज क्लस्टर आवंटित किए गए हैं, जिसमें विशेष एफपीओ उपज क्लस्टर जैसे आर्गेनिक के लिए 100 एफपीओ, तिलहनों के लिए 100 एफपीओ आदि शामिल हैं, इनमें से 369 का निर्माण एफपीओ देश के 115 आकांक्षी जिलों (ADs) के गठन के लिए वर्तमान वर्ष के लिए रखा गया है.
कृषि उत्पादक संगठन (FARMER PRODUCER ORGANISATION – FPO) क्या है?
- यह कृषि उत्पादकों का एक समूह है जिसके सदस्य इस संगठन में अंशधारकों (shareholders) के रूप में पंजीकृत होते हैं. यह समूह कृषि उत्पादक से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों को देखता है और सदस्य उत्पादकों के लाभ के लिए काम करता है.
- ‘किसान उत्पादक संगठनों’ का अभिप्राय किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के समूह से होता है.
- इस प्रकार के संगठनों का प्रमुख उद्देश्य कृषि से संबंधित चुनौतियों का प्रभावी समाधान करना होता है.
- FPOs प्राथमिक उत्पादकों जैसे- किसानों, दूध उत्पादकों, मछुआरों, बुनकरों और कारीगरों आदि द्वारा गठित क़ानूनी इकाई होती हैं.
- FPOs को भारत सरकार तथा नाबार्ड जैसे संस्थानों से भी सहायता प्राप्त होती है.
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शहद के एफपीओ (HONEY FPOS) के बारे में
- ये एफपीओ मध्य प्रदेश मुरैना, पश्चिम बंगाल सुंदरवन, बिहार में पूर्वी चंपारण, राजस्थान में भरतपुर और उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले में नेफेड के सहयोग से बनाये गये हैं.
- इसके लिए 500 करोड़ रूपये का फंड आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत राहत पैकेज के रूप में दिया गया है. वहीं अनेक अन्य योजनाओं के माध्यम से भी मधुमक्खी पालकों को निरंतर प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
- भारत सरकार की योजना के अंतर्गत इन पांचों नए एफपीओ से जुड़े लगभग पांच सौ गांवों के 4 से 5 हज़ार शहद उत्पादकों को इस परियोजना से सीधा लाभ पहुंचेगा. शहद उत्पादकों द्वारा निकाला जाने वाला 60 हजार क्विंटल शहद अब उनके स्वयं के द्वारा ही प्रोसेस करके नाफेड की मदद से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा, जिससे इनकी आय बढ़ेगी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure. Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.
Topic : Motion of thanks to President’s Address
संदर्भ
25 राजनीतिक दलों के 50 से अधिक वक्ताओं ने ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ (Motion of thanks) पर राज्यसभा में तीन दिनों तक चलने वाली बहस में भाग लिया.
- धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा सदन द्वारा स्वयं या कार्यमंत्रणा समिति की सिफारिश पर आवंटित 3 या 4 दिन होती है.
- आबंटित समय का बंटवारा विभिन्न दलों तथा गुटों के लिए सदन में उनकी संख्या के अनुपात में किया जाता है.
- चर्चा के लिए नियत दिनों में सदन अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों पर सुविधानुसार चर्चा कर सकती है.
- अभिभाषण पर चर्चा बहुत व्यापक होती है और सदस्य राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सभी प्रकार की समस्याओं पर बोल सकते हैं.
- जिन मामलों का उल्लेख अभिभाषण में विशिष्ट रूप से नहीं होता है, उन पर भी धन्यवाद प्रस्ताव में संशोधनों के माध्यम से चर्चा की जाती है.
- धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा प्रधानमंत्री या किसी अन्य मंत्री द्वारा उत्तर दिए जाने पर समाप्त हो जाती है. इसके बाद उसके संशोधनों को निपटाया जाता है और धन्यवाद प्रस्ताव मतदान के लिए रखा जाता है तथा स्वीकृत किया जाता है.
- धन्यवाद प्रस्ताव स्वीकृत किये जाने के बाद उसकी सूचना अध्यक्ष द्वारा एक पत्र के जरिये सीधे राष्ट्रपति को दी जाती है.
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की सीमा
- इसके सम्बन्ध में एकमात्र प्रतिबन्ध यह है कि एक तो सदस्य उन मामलों का उल्लेख नहीं कर सकते जिनके लिए केंद्र सरकार प्रत्यक्षत: उत्तरदायी नहीं है
- दूसरा यह कि वे वाद-विवाद के दौरान राष्ट्रपति का नाम नहीं ले सकते क्योंकि अभिभाषण की विषय-वस्तु के लिए सरकार उत्तरदायी होती है, न कि राष्ट्रपति.
धन्यवाद ज्ञापन में संशोधन
धन्यवाद ज्ञापन में संशोधन के लिए सांसद सूचना दे सकते हैं. ये संशोधन अभिभाषण में कथित विषयों के बारे में हो सकते हैं. इसके अतिरिक्त कोई सांसद उस समय भी संशोधन प्रस्तुत कर सकता है यदि उसे लगे की अभिभाषण में कोई विषय छूट गया है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : United Nations Human Rights Council- UNHRC
संदर्भ
हाल ही में, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council) के साथ फिर से जुड़ने संबंधी योजना की घोषणा की है. लगभग तीन साल पहले, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ से अलग कर लिया था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् क्या है?
- UNHRC संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है जिसकी स्थापना 2006 में विश्व-भर में मानवाधिकार की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए तथा साथ ही मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जाँच करने लिए की गई है.
- UNHRC में 47 देशों के प्रतिनिधि सदस्य हैं जिनका चयन 3 वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा किया जाता है.
- यह परिषद् वर्ष में तीन बार बैठती है और विश्व-भर में चर्चित मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर विचार करती है तथा बहुमत से अबाध्यकारी संकल्प जारी करती है.
- मानवाधिकार परिषद् संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में मानवाधिकार की स्थिति की समय-समय पर समीक्षा करती है. समीक्षा के समय यह गैर-सरकारी संगठनों से मानवाधिकार के कथित उल्लंघनों के विषय में सूचना प्राप्त करती है और उनपर जाँच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय देती है.
- जब 2006 में यह परिषद् गठित हुई थी तो उस समय में भी अमेरिका इसमें शामिल नहीं हुआ था क्योंकि तत्कालीन US राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का कहना था कि इस परिषद् में वैसे लोग सदस्य बनाए गए हैं जो स्वयं मानवाधिकार के उल्लंघन के दोषी हैं.
- हालाँकि ओबामा के काल में अमेरिका इस परिषद् में शामिल हो गया था.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Srivilliputhur–Megamalai Tiger Reserve in TN approved
संदर्भ
केंद्र द्वारा तमिलनाडु में अवस्थित श्रीविल्लीपुत्तुर-मेघमलाई व्याघ्र अभयारण्य को अनुमोदित किया गया है. यह भारत का 51वाँ बाघ अभयारण्य (Tiger Reserve) होगा.
इस अभ्यारण्य में मेघमलाई और श्रीविल्लीपुत्तुर ग्रिज़ल्ड स्क्विरल (गिलहरी) वन्यजीव अभ्यारण्य शामिल होंगे. विदित हो कि तमिलनाडु में अवस्थित अन्य टाइगर रिजर्व के नाम हैं – कलक्कड़ मुंडनतुरई, अनामलाई, मुदुमलाई और सत्यमंगलम.
श्रीविल्लीपुत्तुर-मेघमलाई व्याघ्र अभयारण्य
- मेघमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य थेनी और मदुरै (हाईवेवी पर्वत व इलायची पहाड़ियों में) जिलों में विस्तारित है, जबकि श्रीविल्लीपुत्तुर ग्रिजल्ड गिलहरी वन्यजीव अभयारण्य केरल के पेरियार टाइगर रिजर्व के साथ जुड़ा हुआ है.
- मेघमलाई में खुर वाले स्तनपायी, चित्तीदार हिरण, भारतीय गौर, जंगली शूकर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं.
- श्रीविल्लीपुत्तुर में ग्रिज़ल्ड स्क्विरल (गिलहरी), उड़न गिलहरी, तेंदुआ, नीलगिरि ताहर, सांभर, हाथी, लॉयन टेल्ड मकाक आदि जीव पाए जाते हैं.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन गठित एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत किया गया है.
- इस निकाय के गठन का उद्देश्य बाघों को अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों और कार्यों के अनुसार संरक्षण प्रदान करना है. इसके लिए निकाय समय-समय पर परामर्श तथा आदर्श-मार्गदर्शन निर्गत करता है. ये परामर्श और मार्गदर्शन बाघों की परिस्थिति, संरक्षण के कार्यान्वयन की स्थिति और विशेष रूप से गठित समितियों की अनुशंसाओं पर आधारित होते हैं.
NTCA के कार्य
- व्याघ्र अभयारण्यों के सञ्चालन में आदर्श मानकों के पालन को सुनिश्चित करना.
- अभयारण्य प्रणाली पर विशेष ध्यान देते हुए बाघों के संरक्षण की योजना तैयार करना.
- संसद के समक्ष वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा-प्रतिवेदन उपस्थापित करना.
- राज्य-स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संचालन समिति तथा व्याघ्र संरक्षण फाउंडेशन का गठन करना.
- बाघों के नए अभ्यारण्य घोषित करने के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान करना.
समस्याएँ एवं चुनौतियाँ
- विश्व के देशों में भारत का उन देशों में आता है जहाँ प्रति-व्यक्ति जंगल सबसे कम है. जंगल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने वाला एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तंत्र होता है क्योंकि यह कार्बन को सोख लेता है. जंगलों को काटे जाने से बाघों के निवास स्थान संकुचित होते जा रहे हैं.
- भारत और पूरे विश्व में व्याघ्र संरक्षण में एक बहुत बड़ी समस्या उनका शिकार है. जब तक बाघ के शरीर के अवयवों का अवैध बाजार रहेगा तब तक यह समस्या रहेगी.
- भारत के सुन्दरबन में जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है जिसका बहुत बड़ा दुष्प्रभाव उस क्षेत्र में रहने वाले रॉयल बंगाल बाघों पर हुआ है.
संरक्षण के लिए किये गये प्रयास
- राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने वन संरक्षकों के लिए एक मोबाइल अनुश्रवण प्रणाली विकसित की है जिसका नाम M-STrIPES (Monitoring System for Tigers – Intensive Protection and Ecological Status) दिया गया है.
- 2010 में St. Petersburg व्याघ्र शिखर सम्मलेन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों के नेताओं ने यह संकल्प लिया था कि बाधों की संख्या की दुगुनी कर दी जायेगी और इसके लिए एक नारा दिया था – ‘T X 2’
- भारत में 1973 में ही बाघों के संरक्षण के लिए Project Tiger आरम्भ किया गया था. इस परियोजना के तहत अभी तक देश में 50 अभ्यारण्य बनाए जा चुके हैं जिनका भौगोलिक क्षेत्रफल देश का 2.2% है.
- विश्व बैंक के वैश्विक व्याघ्र पहल (Global Tiger Initiative – GTI) कार्यक्रम ने बाघों से सम्बंधित एजेंडा को सबल बनाने के लिए वैश्विक प्रतिभागियों को प्रेरित किया है. कालांतर में यह कार्यक्रम वैश्विक व्याघ्र पहल परिषद् (Global Tiger Initiative Council – GTIC) का रूप ले चुकी है. इस परिषद् के अन्दर दो अलग-अलग उप कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जो हैं – वैश्विक व्याघ्र मंच कार्यक्रम (Global Tiger Forum) और वैश्विक हिम तेंदुआ पारिस्थितिकी सुरक्षा कार्यक्रम (Global Snow Leopard Ecosystem Protection Program).
कुछ विवादास्पद परियोजनाएँ
- कान्हा और पेंच बाघ रिजर्व को जोड़ने वाले गलियारे में राजमार्ग और रेलवे लाइनों का विस्तार किया जा रहा है.
- महाराष्ट्र के मेलघाट बाघ रिजर्व से होकर एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है.
- मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 100 वर्ग किलोमीटर केन-बेतवा नदी लिंकिंग परियोजना में चला जाएगा.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
बाघों की संख्या :
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघ हैं (526 ), उसके बाद कर्नाटक में (524) हैं. तीसरे स्थान पर उत्तराखंड है, जहाँ 442 बाघ हैं.
Prelims Vishesh
Chah Bagichar Dhan Puraskar Mela Scheme :-
- असम के गुवाहाटी में चाह बगीचार धन पुरस्कार मेला (Chah Bagichar Dhan Puraskar Mela Scheme) के तीसरे चरण का आयोजन किया गया.
- चाह बगीचार धन पुरस्कार मेला योजना की शुरुआत वर्ष 2017- 18 में असम सरकार द्वारा की गयी थी.
- इसका उद्देश्य, चाय बागान क्षेत्रों में लोगों को बैंक खाते खोलने के लिए प्रोत्साहित करना है.
- इस योजना के तहत, चाय समुदाय के श्रमिकों के लिए उनके बैंक खातों में 2500 रु. प्रदान किए जाएँगे.
Dhekiajuli :-
- हाल ही में, प्रधान मंत्री द्वारा असम के शहीदों के शहर ढेक्याजुली का दौरा किया गया.
- ढेक्याजुली वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित है.
- यहाँ असम के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन न्यौछावर किया था.
- ढेक्याजुली, स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अल्प आयु (12 वर्षीय) की शहीद मानी जाने वाली तिलेश्वरी बरुआ की निवास-स्थल के रूप में भी जाना जाता है.
- इससे पहले प्रधान मंत्री ने असम में ऐतिहासिक महत्व के एक अन्य स्थान शिवसागर के जेरेंगा पोथार (Jerenga Pothar) का भी दौर किया था.
- ज्ञातव्य है कि जेरेंगा पोथार में, 17वीं शताब्दी की अहोम राजकुमारी जयमती ने अपने जीवन का बलिदान दिया था.
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