Sansar Daily Current Affairs, 10 July 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : 2019 “State of the Education Report for India: Children with Disabilities”
संदर्भ
यूनेस्को ने पिछले दिनों भारत के दिव्यांग बच्चों की शिक्षा से सम्बंधित अपना 2019 का प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है. इस प्रतिवेदन में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के अधिकार से सम्बंधित उपलब्धियों एवं चुनौतियों का विवरण दिया गया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- इस प्रतिवेदन के अनुसार भारत में दिव्यांग बच्चों की संख्या 78,64,636 है जो यहाँ की सम्पूर्ण बाल जनसंख्या का 7% है.
- पाँच वर्ष के दिव्यांग बच्चों में से तीन चौथाई तथा 5 से 19 वर्ष के दिव्यांग बच्चों में एक चौथाई किसी भी पाठशाला में नहीं जाते.
- पाठशालाओं में नाम लिखाने वाले ऐसे बच्चों की संख्या प्रत्येक वर्ष अच्छी खासी घटती जाती है.
- पाठशालाओं में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों में लड़कियाँ कम हैं और लड़के अधिक हैं.
- बहुत सारे दिव्यांग बच्चे साधारण पाठशालाओं में नहीं जा कर अपना नाम राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (NIOS) में लिखाते हैं.
- दिव्यांग बच्चों में भी वे बच्चे सबसे कम पढ़ाई करते हैं जिनकी विकलांगता एक से अधिक है और जो मानसिक रोग और मानसिक मंदता के शिकार हैं.
चुनौतियाँ
- वैसे तो सभी सरकारें दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए योजना पर योजना लाती हैं और इसलिए बहुत-से ऐसे बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं, परन्तु अब भी बहुत कुछ करना शेष हैं.
- भारत में 71% बच्चे किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में पढ़ते हैं, परन्तु 5 से 19 वर्ष के 61% बच्चे ही विद्यालय जाते हैं.
- दिव्यांग बच्चों में से 12% आगे चलकर विद्यालय छोड़ देते हैं.
- 27% विकालंग बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने किसी शैक्षणिक संस्थान में कभी पढ़ाई नहीं की.
- 2009 से 2015 के बीच NIOS में भी नाम लिखाने वाले दिव्यांग बच्चों की संख्या घट गई है.
आगे की राह
समावेशी शिक्षा को लागू करना एक जटिल कार्य है जिसके लिए बच्चों और उनके परिवारों की विविध आवश्यकताओं की समझ होना अनिवार्य है. भारत ने इस दिशा में एक ठोस कानूनी ढाँचा स्थापित किया है और सरकार द्वारा चलाये जा रहे कई कार्यक्रमों और योजनाओं के फलस्वरूप विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों के नामांकन की दर में सुधार हुआ है.
फिर भी, प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए और भी उपाय आवश्यक हैं जिससे कि एजेंडा 2030 के लक्ष्यों को और विशेषकर सतत विकास लक्ष्य 4 को पूरा किया जा सके.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : New Code on Wages
संदर्भ
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पारिश्रमिक संहिता के नए संस्करण (new version of Code on Wages Bill) की मंजूरी दी है. इस संहिता में न्यूनतम पारिश्रमिक निर्धारित करने के मानदंड बताये गये हैं. ये मानदंड सरकारी कर्मचारियों और महात्मा गाँधी नरेगा कर्मियों को छोड़कर सभी संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों के कर्मियों पर लागू होंगे.
नई संहिता में इन सभी पुराने अधिनियमों को समाहित किया गया है – पारिश्रमिक भुगतान अधिनियम, 1936, न्यूनतम पारिश्रमिक अधिनियम, 1948, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 तथा समान मुआवजा अधिनियम, 1976.
पृष्ठभूमि
पारिश्रमिक संहिता उन चार संहिताओं में से एक है जिनके अन्दर सभी 44 श्रम कानून आ जाएँगे. ये चार संहिताएँ पारिश्रमिक, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण तथा औद्योगिक संबंधों से सम्बंधित प्रावधान करती हैं.
न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण की विधि
- प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, न्यूनतम पारिश्रमिक कौशल और भौगोलिक क्षेत्र जैसे कारकों से जोड़ा जाएगा. अभी क्या होता है कि न्यूनतम पारिश्रमिक का निर्धारण काम की श्रेणियों के आधार पर होता है, जैसे – कुशल काम, अकुशल काम, अर्ध-कुशल काम और उच्च कुशलता वाले काम. इसके अतिरिक्त अभी भौगोलिक क्षेत्र के साथ-साथ काम की प्रकृति का भी ध्यान रखा जाता है जैसे खनन आदि. न्यूनतम पारिश्रमिक केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत 45 अनुसूचित आजीविकाओं तथा राज्यों के अंतर्गत 1,709 अनूसूचित आजीविकाओं पर लागू होता है.
- जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, अन्य सभी कारकों को हटाते हुए मात्र कौशल और भौगोलिक क्षेत्र को ही न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण का आधार रखा गया है.
निर्धारण की नई विधि का लाभ
विधेयक में प्रस्तावित न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण की विधि से आशा की जाती है की पूरे देश में अभी जो 2,500 न्यूनतम पारिश्रमिक दरें चल रही हैं, उनकी संख्या घटकर 300 रह जायेगी.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Govt is considering enhancing RBI powers
संदर्भ
भारत सरकार RBI से प्राप्त एक प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार कर रही है जिसमें उस बैंक ने अधिक शक्तियां मांगी हैं. RBI का कहना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के निमित्त विनियामक एवं पर्यवेक्षणात्मक तंत्र में सुधार लाने के लिए ये शक्तियां आवश्यक हैं.
पृष्ठभूमि
ऐसा देखा गया है कि कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ बैंकों से ऋण लेकर या तो उन्हें चुकाती नहीं अथवा चुकाने में विलम्ब करती हैं जिस कारण वित्तीय बाजारों का आत्मविश्वास हिल गया है. यह डर भी है कि यह रोग एक कम्पनी से दूसरी कम्पनी तक फ़ैल सकता है. वास्तव में डिफ़ॉल्ट रेटिंग वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के लिए तरलता पूर्णतः समाप्त हो चुकी है और इससे नीति-निर्माताओं के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ पहले से बड़ी हो गई हैं.
आवश्यकता
RBI द्वारा जो शक्तियां मांगी जा रही हैं उनके प्रयोग से RBI गैर-वित्तीय कम्पनियों का विनियमन उसी प्रकार कर सकेगा जो वह बैंकों के लिए कठोरतापूर्वक कर रहा है. RBI ने पहले से ही किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी का पर्यवेक्षण करने का समय 18 महीने से घटाकर 12 महीने कर दिया है.
चुनौतियाँ
वित्तीय प्रणाली से धनराशि उधार लेने वाले प्रतिष्ठानों में सबसे बड़े प्रतिष्ठान गैर-बैंकिंग कम्पनियाँ ही हैं. मार्च 2019 के समय इन्हें कुल मिलाकर 8.44 लाख करोड़ रु. की उधारी मिली थी और उन्हें 7.33 लाख करोड़ रु. लौटाने हैं.
ये कम्पनियाँ सार्वजनिक निधि, जैसे – बैंक उधारी, डिबेंचर और वाणिज्यिक कागजात, पर मुख्य रूप से निर्भर रहती हैं और यही उनकी पूर्ण देनदारी का 70% है.
जब बैंक और म्यूच्यूअल फण्ड इन कम्पनियों को यह सोचकर नया ऋण देना बंद कर देते हैं कि ये अपनी देनदारी पूरी नहीं कर सकेंगे तो वित्तीय बाजार संभवतः लड़खड़ा सकता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Court of Justice
संदर्भ
संभावना है कि जुलाई, 2019 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कुलभूषण जाधव के मामले में अपना निर्णय दे दे.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) का मुख्यालय हॉलैंड शहर के द हेग में स्थित है. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में वैधानिक विवादों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना की गई है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय परामर्श माना जाता है एवं इसके द्वारा दिए गये निर्णय को बाध्यकारी रूप से लागू करने की शक्ति सुरक्षा परिषद् के पास है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के द्वारा राज्यों के बीच उप्तन्न विवादों को सुलझाया जाता है, जैसे – सीमा विवाद, जल विवाद आदि. इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियाँ अंतर्राष्ट्रीय विवाद के मुद्दों पर इससे परामर्श ले सकती हैं.
न्यायालय की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है. किसी एक राज्य के एक से अधिक नागरिक एक साथ न्यायाधीश नहीं हो सकते. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं जिनका कार्यकाल 9 वर्षों का होता है. ये 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्रों से चुने जाते हैं –
- अफ्रीका से तीन.
- लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों से दो.
- एशिया से तीन.
- पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों में से पाँच.
- पूर्वी यूरोप से दो.
न्यायाधीशों को प्राप्त स्वतंत्रता
- एक बार यदि कोई व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के लिए सदस्य चुन लिया जाता है तो वह किसी भी देश का प्रतिनिधि नहीं रह जाता है.
- न्यायालय के सदस्य स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं जिनका पहला काम खुले दरबार में यह शपथ लेना होता है कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग निष्पक्ष रूप से और विवेक के साथ करेंगे.
- न्यायाधीशों की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाने के लिए यह व्यवस्था है कि उन्हें तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि अन्य सदस्य इस बात पर सर्वसहमति से एक हों कि वे आवश्यक सेवा-शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. वस्तुतः ऐसी स्थिति आज तक कभी आई नहीं है.
Prelims Vishesh
‘PAHAL’ scheme :-
- भारत सरकार का अनुमान है कि पहल योजना के कारण मार्च, 2019 तक 59,599 करोड़ रु. की बचत हुई है.
- विदित हो कि पहल अर्थात् प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ योजना लाने का उद्देश्य था कि गैस सिलिंडर इधर-उधर न जाएँ और ये सम्बंधित लाभार्थी को ही मिलें.
- इस योजना के अन्य उद्देश्य हैं एक से अधिक अथवा बोगस LPG कनेक्शन समाप्त कर देना. इस योजना के अंतर्गत LPG सिलिंडर बाजार मूल्य पर बेचे जाते हैं और सब्सिडी की राशि सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में चली जाती है.
National Water Grid :-
- पिछले दिनों वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस वर्ष एक प्रस्ताव लाकर विद्युत ग्रिड के सदृश एक राष्ट्रीय जल ग्रिड का निर्माण किया जाएगा.
- विदित हो कि भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा “एक राष्ट्र, एक ग्रिड” है जिसके अनुसार ऊर्जा के मामले में एक राष्ट्रीय ग्रिड पहले से स्थापित हो चुका है.
Longest electrified tunnel in Indian Railways :-
- पिछले दिनों दक्षिण-मध्य रेलवे (SCR) ने भारतीय रेलवे के सबसे लम्बी बिजली की सुविधा से युक्त सुरंग का लोकार्पण कर दिया है.
- यह सुरंग आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में चर्लोपल्ली और रापुरु स्टेशनों के बीच स्थित है. इसकी लम्बाई 6 किमी. है.
Kerala Champions Boat League :-
- केरल में होने वाली प्रसिद्ध ऐतिहासिक वल्लमकलि नामक “स्नेक बोट प्रतिस्पर्धा” को एक विश्व-स्तरीय खेल आयोजन में बदलने के लिए केरल के प्रयटन विभाग ने भारतीय प्रीमियर लीग (IPL) की तर्ज पर उसे चैंपियन बोट लीग (CBL) के रूप में आयोजित करने का विचार किया है.
- इस प्रतिस्पर्धा में 100 से लेकर 138 फुट लम्बी नावों की दौड़ होती है. प्रत्येक नाव में 100 व्यक्ति बैठकर पतवार चलाते हैं. इन नावों की आकृति सांप से मिलती है क्योंकि इसका एक पिछला हिस्सा 20 फुट तक ऊपर की ओर मुड़ा रहता है.
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