Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 June 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 10 June 2021


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Appointment to various Constitutional posts, powers, functions and responsibilities of various Constitutional Bodies.

Topic : Election Commissioner

संदर्भ

हाल ही में, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे को नया ‘निर्वाचन आयुक्त’ (Election Commissioner) नियुक्त किया गया है.

पांडे की नियुक्ति से तीन सदस्यीय आयोग के रूप में ‘निर्वाचन- दल’ की पूर्ण शक्ति बहाल हो जाएगी.

निर्वाचन आयोग

भारत एक प्रजातन्त्रात्मक देश है. यहाँ प्रत्यक्ष मतदान द्वारा व्यवस्थापिका का संगठन किया जाता है. आम चुनाव के निष्पक्षतापूर्वक सम्पादन हेतु एक निर्वाचन आयोग की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार की गई है. निर्वाचन आयोग पर कार्यपालिका अथवा न्यायपालिका किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है और यह आयोग निष्पक्षतापूर्वक अपने कार्य को संपन्न करता है. निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) या मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है और अन्य दो चुनाव आयुक्त होते हैं. Chief Election Commissioner of India प्रायः Indian Civil Services के मेम्बर या IAS होते हैं.

नियुक्ति

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अधीन इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इसकी सहायता पहुँचाने के लिए राष्ट्रपति अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी करता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को छोड़कर भारत में चुनाव आयुक्तों की संख्या कितनी हो यह निर्धारित करना राष्ट्रपति का ही कार्य है. मुख्य चुनाव आयुक्त को पदच्युत करने के लिए उस प्रणाली को अपनाना होता है जिस प्रणाली को उच्चतम न्यायलाय के न्यायाधीश को पदच्युत करने के लिए अपनाना होता है. निर्वाचन आयोग के अन्य सदस्यों को राष्ट्रपति तभी पदच्युत करता है जब मुख्य चुनाव आयुक्त उससे इस प्रकार की सिफारिश करता है.

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है या 65 वर्ष की आयु तक होता है (इनमें से जो भी पहले हो).
  2. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों का वेतन और पेंशन सुप्रीम कोर्ट के जज की सैलरी इतनी ही होती है.
  3. चुनाव आयुक्त अपना कार्य स्वयं के निर्णय और विवेक से करती है. यदि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों के बीच यदि किस बात पर मतभेद हो तो ऐसे मामले बहुमत की राय के अनुसार तय किये जाते हैं.

भारत के संविधान ने यह सुनिश्चित किया है कि आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करेगा. मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के सामान संसद द्वारा महाभियोग (impeachment) के जरिए ही हटाया जा सकता है. दूसरे शब्दों में जब तक दो-तिहाई लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ अवास्तविक आचरण या अनुचित कार्रवाइयों के लिए वोट न कर दें, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाया नहीं जा सकता.

निर्वाचन आयोग के कार्य

भारत निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग भारत के राष्ट्रपतिउपराष्ट्रपति, संसद, विधान सभाओ, विधान परिषदों, निगमों, नगरपालिकाओंजिला परिषदों, ग्राम पंचायतों आदि के निर्वाचनों का सञ्चालन करता है.

निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग मुख्य रुप से निन्मलिखित कार्य संपन्न करता है: –

  1. भारत के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का चुनाव करना
  2. लोकसभा और विधान मंडलों के मतदाताओं की सूची तैयार करवाना और उनका निरीक्षण करना
  3. लोकसभा, राज्यसभाओं और विधानमंडलों के निर्वाचन की व्यवस्था, नियंत्रण और निरितिक्षण करना
  4. चुनाव के सम्बन्ध में जो वाद-विवाद अथवा संदेह उत्पन्न हों तो उनके निर्णय के लिए चुनाव न्यायालयों (Election Tribunals) की नियुक्ति करना
  5. चुनाव आयुक्त को अपने कार्यों को सुचारू रूप से सम्पादन करने के लिए बहुत से अन्य कर्मचारियों की आवश्यकता होती है. आयोग के आवेदन पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल द्वारा की जाती है.

GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Smart Kitchen Project of Kerala

संदर्भ

केरल सरकार द्वारा एक ‘स्मार्ट किचन प्रोजेक्ट’ (Smart Kitchen project) प्रारम्भ करने की घोषणा की गई है. इस योजना का ध्येय रसोई-घरों का आधुनिकीकरण करना तथा घरेलू काम-काज में गृहणियों के सामने आने वाली कठिनाईयों को कम करना है.

स्मार्ट किचन प्रोजेक्ट

  1. इस योजना का कार्यान्वयन, एक राज्य द्वारा संचालित चिट-फंड एवं ऋण-दाता फर्म ‘केरल राज्य वित्तीय उद्यम’ (KSFE) द्वारा किया जाएगा.
  2. इस योजना के अंतर्गत, KSFE द्वारा घरेलू गैजेट या उपकरण खरीदने हेतु सभी वर्गो की महिलाओं लिए सुलभ ऋण (Soft Loans) प्रदान कराया जाएगा.
  3. इस ऋण/लागत पर लगने वाले ब्याज को लाभार्थी, स्थानीय स्वशासी निकाय और राज्य सरकार के बीच समान रूप से साझा किया जाएगा.

योजना का माहात्म्य

  1. जेंडर बजटिंग (Gender budgeting): सरकार का मानना है कि श्रम में महिलाओं की बेहतर भागीदारी के लिए, इन पर पड़ने वाले घर के कामों के बोझ को कम करना होगा.
  2. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना: रसोई में मशीनीकरण बढ़ाकर, श्रम में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to education.

Topic : QS World University Rankings

संदर्भ

अग्रणी वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक क्यूएस (क्वाक्वेरेली साइमंड्स)’ अर्थात (QS – Quacquarelli Symonds) द्वारा विश्व की अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय रैंकिंग का 18वाँ संस्करण निर्गत किया गया है.

‘क्वाक्वेरेली साइमंड्स’ (QS) एकमात्र अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग है जिसे ‘अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग विशेषज्ञ समूह’ (IREG) का अनुमोदन प्राप्त है.

विश्व के शीर्ष तीन संस्थान

  1. मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने लगातार दसवें वर्ष शीर्ष स्थान प्राप्त किया है.
  2. वर्ष 2006 के बाद पहली बार ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है.
  3. स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है.

भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन

  1. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली, शीर्ष-200 रैंक में स्थान प्राप्त करने वाले भारत के तीन विश्वविद्यालय बने रहे.
  2. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पहली बार स्थान प्राप्त की है, और इसे 561-570 बैंड में रखा गया है.
  3. भारत के 35 विश्वविद्यालयों में से 17 के CPF स्कोर में बढ़ोतरी हुई है, जबकि 12 विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन इस संकेतक में गिरा है.
  4. चुनौतियाँ: हालांकि, भारतीय विश्वविद्यालय क्यूएस के ‘संस्थागत शिक्षण क्षमता’ मापदंड में संघर्ष करना पड़ रहा है. भारत के 35 विश्वविद्यालयों में से 23 विश्वविद्यालयों की ‘संकाय/छात्र अनुपात संकेतक’ में गिरावट हुई है, और मात्र 6 विश्वविद्यालयों ने इस संकेतक में सुधार किया है.
  5. ‘संकाय/छात्र अनुपात’ श्रेणी में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय ‘शीर्ष 250 में सम्मिलित नहीं है.

QS विश्व विद्यालय रैंकिंग 

QS विश्व विद्यालय रैंकिंग विश्व-भर के महाविश्वविद्यालयों की रैंकिंग से सम्बंधित एक वार्षिक प्रकाशन है जो Quacquarelli Symonds (QS) द्वारा निर्गत किया जाता है.

इसके लिए QS जिन मानदंडों को मूल्यांकन के लिए अपनाता है, वे मुख्यतः हैं – विश्वविद्यालय की पढ़ाई-लिखाई के विषय में प्रसिद्धि, पढ़ाने वालों और पढ़ने वालों के बीच अनुपात, प्रत्येक पढ़ाने वाले को मिली प्रशस्तियाँ, विदेशी छात्रों की संख्या तथा विश्वविद्यालय में पढ़ाने की उत्कृष्टता.

इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ एमिनेन्स योजना क्या है?

  • यह योजना भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की है. इसका उद्देश्य भारतीय संस्थानों को वैश्विक मान्यता दिलवाना है.
  • चुने गये संस्थानों को सम्पूर्ण शैक्षणिक एवं प्रशासनिक स्वयत्तता मिलेगी.
  • सरकार इन संस्थानों में से दस को चलाएगी और उन्हें विशेष धनराशि मुहैया कराएगी.
  • उत्कृष्ट संस्थान के रूप में संस्थानों को चुनने के लिए एक विशेष विशेषज्ञ समिति गठित की गई है.
  • उत्कृष्ट संस्थान के रूप में चयन के लिए वही शैक्षणिक संस्थान योग्य माने जाएँगे जिन्हें वैश्विक-स्तर पर शीर्षस्थ 500 संस्थानों में स्थान मिला हुआ है.
  • इसके लिए वह संस्थान भी आवेदन कर सकता है जिसको राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढाँचे (NIRF) के अंदर शीर्षस्थ 50 में स्थान मिला है.
  • ‘उत्कृष्ट संस्थान’ के रूप में चुने गए प्रत्येक ‘सार्वजनिक संस्थान’ को पाँच साल की अवधि में 1000 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता दी जायेगी. निजी संस्थानों को यह वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी. निजी संस्थानों को यह दर्जा तभी मिलेगा जब वह आगामी 15 वर्ष के लिए अपनी ऐसी योजना प्रस्तुत करे जो भरोसा देने वाली हो.
  • इन संस्थानों को विदेशी छात्रों को प्रवेश देने के लिए, विदेशी अध्यापकों को भर्ती करने के सन्दर्भ में अधिक स्वायत्तता प्रदान की जाएगी.
  • उन्हें UGC की अनुमति के बिना शीर्ष 500 विश्व-संस्थानों के साथ अकादमिक सहयोग करने की भी अनुमति प्रदान की जायेगी.

उत्कृष्ट संस्थानों को प्राप्त सुविधाएँ

  1. ये संस्थान अपने कार्यबल के 25% तक शिक्षकों को विदेशी शिक्षकों को नियुक्त कर सकते हैं.
  2. ये देश के अन्दर अन्य शैक्षणिक संस्थानों से सहयोग कर सकेंगे.
  3. विदेशी छात्रों को अपने संस्थान में मेधा के आधार पर ले सकेंगे बशर्ते उनकी संख्या देशी छात्रों के 30% तक हो.
  4. बिना किसी सीमा के ये संस्थान विदेशी छात्रों से शुल्क ले सकेंगे.
  5. उत्कृष्ट संस्थान बन जाने के बाद ये संस्थान UGC के पाठ्यक्रम से हट कर अपना पाठ्यक्रम निर्धारित कर सकते हैं.
  6. ये संस्थान अपने कार्यक्रमों के ऑनलाइन पाठ्यक्रम चला सकते हैं, परन्तु इसके लिए इसकी 20% की अधिकतम सीमा है.
  7. ऐसे संस्थानों में UGC के निरीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी.

विश्व-स्तरीय संस्थानों की आवश्यकता क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग के अनुसार, भारत में विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालयों का अभाव है और यहाँ के शिक्षकों को विदेश की तुलना में कम पैसा दिया जाता है. चीन की तुलना में भारत में विश्वविद्यालय के स्तर पर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या आधी है. इस मामले में वह अधिकांश लैटिन अमेरिकी और अन्य मध्यम आय वाले देशों से कहीं पीछे है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Vaccine nationalism

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के निर्वाचित अध्यक्ष और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने वैक्सीन राष्ट्रवाद (Vaccine nationalism) के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा है, कि इससे महामारी को मिटाने के लिए विभिन्न देशों द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बरबाद कर देगा और “हर कीमत पर” इसे टाला जाना चाहिए.

उन्होंने, विकसित देशों और शेष विश्व के ‘टीकाकरण कवरेज’ में असमानता को “अस्वीकार्य” बताया.

वैक्सीन राष्ट्रवाद क्या है?

  • ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ का आशय उस तंत्र से है, जिसके जरिये एक देश पूर्व-खरीद समझौतों का प्रयोग करते हुए अपने स्वयं के नागरिकों या निवासियों के लिये वैक्सीन की खुराक को सुरक्षित करता है और अन्य देशों को वैक्सीन देने से पूर्व अपने घरेलू बाज़ारों को प्राथमिकता देता है.
  • सम्पूर्ण विश्व में वैक्सीन के लिए होड़ मची है, और अमीर देश ये सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि, वो अपनी आबादी को कई बार टीका लगाने से भी ज़्यादा टीकों की ख़ुराक जुटा लें या उसकी आपूर्ति सुनिश्चित कर लें. वही, ग़रीब देशों के कोविड-19 के टीकों के लिए हाथ में कटोरा लेकर क़तार में खड़े होने का मंज़र भी साफ़ दिखाई दे रहा है. बहुत से विश्लेषक इसे ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ का नाम दे रहे हैं.

अतीत में इसका उपयोग

वैक्सीन राष्ट्रवाद नयी अवधारणा नहीं है. वर्ष 2009 में फ़ैली H1N1 फ्लू महामारी के आरंभिक चरणों में विश्व के धनी देशों द्वारा H1N1 वैक्सीन निर्माता कंपनियों से खरीद-पूर्व समझौते किये गए थे.

  1. उस समय, यह अनुमान लगाया गया था कि, अच्छी परिस्थितियों में, वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की अधिकतम दो बिलियन खुराकों का उत्पादन किया जा सकता है.
  2. अमेरिका ने समझौता करके अकेले 600,000 खुराक खरीदने का अधिकार प्राप्त कर लिया. और, जिन देशों द्वारा इस वैक्सीन के लिए खरीद-पूर्व समझौता किया गया, वे सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देश थे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

महामारी के कारण आर्थिक मोर्चे पर संकट का सामना कर रहे पड़ोसी देशों के लिये भारत द्वारा दी जा रही वैक्सीन की खेप कई मायनों में काफी महत्त्वपूर्ण है और इससे भारत अपने निकटवर्ती पड़ोसी देशों व हिंद महासागर के देशों में दीर्घकालिक ख्याति अर्जित कर सकेगा. यह भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है. यदि भारत दुनिया में कोरोना वैक्सीन का विनिर्माण केंद्र बन जाता है, तो इससे भारत के आर्थिक विकास पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. भारत को COVID-19 वैक्सीन की घरेलू ज़रूरत और अपनी कूटनीतिक प्रतिबद्धताओं में  संतुलन स्थापित करना होगा. ज्ञातव्य है कि 16 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ भारत का COVID-19 टीकाकरण अभियान विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है. भारत के लिये बड़ी चुनौती यह होगी कि वह विश्व को वैक्सीन की आपूर्ति करने के साथ ही अपने उन नागरिकों के लिये भी वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करे, जो इसकी लागत को वहन करने में सक्षम नहीं हैं. भारत निश्चित रूप से चीन की राह पर नहीं चलना चाहेगा, जिसके पास कोविड-19 की वैक्सीन तो बहुत हैं, मगर भरोसा किसी पर नहीं.


Prelims Vishesh

Operation Blue Star :-

  • हाल ही में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 37वीं वर्षगाँठ मनाई गई है.
  • भारतीय सेना की तरफ से स्वर्ण मंदिर पर कि गई कार्यवाही को ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के नाम से जाना जाता है.
  • जून 1984 की घटना के बाद से हर साल यहां 6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ मनाई जाती है.
  • 5 जून, 1984 को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे अलगाववादियों को बाहर निकालने के लिये भारतीय सैन्य अभियान को दिया गया एक कोड नाम है.
  • ऑपरेशन मुख्य रूप से अमृतसर में हरमंदिर साहिब परिसर पर नियंत्रण करने के लिये दिया था.

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