Sansar Daily Current Affairs, 10 March 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Time to review 50% cap on quota? Supreme court asks states
संदर्भ
हाल ही में सर्वोच्च नायालय के न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए तय 50% की सीमा पर पुनर्विचार करने के सम्बन्ध में राज्यों के सुझाव माँगे हैं. ज्ञातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों वाली पीठ ने वर्ष 1992 में कहा था कि विभिन्न श्रेणियों में दिया जाने वाला कुल आरक्षण, कुछ विशेष परिस्थितियों के अलावा 50% से अधिक नहीं होना चाहिये.
वर्तमान मुद्दा
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ महाराष्ट्र सरकार के मराठा युवाओं के लिए राज्य की सरकारी नौकरियों में किए गए 12% के अतिरिक्त आरक्षण के विरुद्ध याचिका पर 15 मार्च से सुनवाई करने जा रही है. याचिकाकर्ता के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय से राज्य में आरक्षण 60% से भी अधिक हो जायेगा.
जस्टिस भूषण ने इस मामले को 50% की सीमा तक सीमित न करते हुए व्यापक स्वरूप दिया है, जिसमें इंदिरा साहनी निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता भी शामिल है तथा राज्यों से इस पर राय भी माँगी है. इसके अतिरिक्त जस्टिस भूषण की पीठ 102वें संविधान संशोधन की भी जाँच करेगी कि क्या इस संशोधन के तहत बनाये गये पिछड़ी जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCBC) राज्यों द्वारा पिछड़े वर्गों के लिए बनाये कानूनों के ऊपर विशेष शक्तियाँ रखता है. ज्ञातव्य है कि इस संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 342 को भी जोड़ा गया था जिसके अनुसार राष्ट्रपति को किसी राज्य में पिछड़ी जातियों को केन्द्रीय सूची में शामिल कर आरक्षण देने की शक्ति दी गई थी.
आरक्षण का संवैधानिक आधार – अनुच्छेद 335
संविधान का अनुच्छेद 335 यह मान्य करता है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को समान स्तर पर लाने के लिए विशेष उपाय किये जा सकते हैं.
इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघ एवं एम. नागराज मामला
- 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघ में एक महत्त्वपूर्ण न्याय-निर्णय दिया था. इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत आरक्षण मात्र सरकारी नौकरी में घुसने के समय दिया जा सकता है न कि प्रोन्नति में.
- इसमें यह भी कहा गया था कि जो प्रोन्नतियाँ पहले ही हो चुकी हैं, वे ज्यों की त्यों रहेंगी और इस न्याय-निर्णय के बाद पाँच वर्षों तक मान्य रहेंगी. यह भी व्यवस्था दी गई कि इन प्रोन्नतियों में क्रीमी लेयर को बाहर रखना अनिवार्य है.
- परन्तु संसद ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए जून 17, 1995 में अनुच्छेद 16 में 77वें संशोधन के माध्यम से उपवाक्य (4A) जोड़ दिया जिससे प्रोन्नति में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण मिल गया.
- संसद के इस कार्य के विरुद्ध कई लोग सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे. इस विषय में वहाँ जो मामला चला उसे नागराज मामला (Nagaraj case) कहा जाता है.
- सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान में किये गये उपर्युक्त संशोधन को वैध ठहराया, परन्तु साथ ही यह भी निर्देश दिया कि प्रोन्नति में आरक्षण करने के पहले इन आँकड़ों को अवश्य जमा करने चाहिएँ – पिछड़ापन, सरकारी नौकरी में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और साथ ही यह भी देख लेना होगा कि कहीं इस आरक्षण से कहीं सरकारी सेवा की कार्यकुशलता पर बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and Bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.
Topic : POCSO
संदर्भ
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) ने एक अध्ययन रिपोर्ट निर्गत की है. इस अध्ययन रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि भारत में पॉक्सो कानून का कार्यान्वयन पर्याप्त रूप से नहीं हो पा रहा है.
पॉक्सो एक्ट के संदर्भ में केएससीएफ के अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा पॉक्सो के क्रियान्वयन के संदर्भ में अध्ययन में निम्न बिंदु सामने आए हैं-
- हर वर्ष यौन शोषण के लगभग 3000 मामले न्यायालय तक पहुँच नहीं पाते है जिसमें 99% मामले में यौन शोषण की शिकार बच्चियाँ होती हैं. इसका प्रमुख कारण पर्याप्त सबूत और सुराग न मिलने से पुलिस द्वारा इन मामलों की जाँच को अदालत में आरोप पत्र दायर करने से पहले ही बंद कर दिया जाता है.
- हाल के वर्षों में यौन अपराधों में वृद्धि के बाद भी 2017 से 2019 में पुलिस के द्वारा बंद किए गए पॉक्सो के मामलों की संख्या बढ़ी है.
- देश में बाल यौन उत्पीड़न की शिकार हुई प्रत्येक चार पीड़ित लड़की न्याय से वंचित हुई क्योंकि पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण पुलिस के द्वारा उन मामलों को बंद कर दिया गया.
- NCRB के आँकड़ों के अनुसार, पुलिस के द्वारा बंद किए गए या ऐसे मामले जिनका निपटारा किया गया है उनमें अधिकांश मामलों में केस को बंद करने का कारण यह दिया गया है कि “मामले सही हैं, लेकिन अपर्याप्त सबूत हैं.” आँकड़ों के अनुसार पुलिस ने वर्ष 2019 में 43% मामलों को इसी आधार पर बंद कर दिया गया जो 2017 और 2018 की तुलना में बंद किए गए मामलों से अधिक है.
- अध्ययन में यह भी सच हमारे समक्ष आया है कि पॉक्सो से जुड़े मामलों में केस को बंद करने में दूसरा सर्वाधिक दिया गया महत्त्वपूर्ण कारण “झूठी शिकायतों” को दिया गया है. यद्यपि ऐसे मामलों में पिछले वर्षों की तुलना में वर्ष 2019 में कमी आई है.
- इसके साथ ही फाउंडेशन के द्वारा किए गए अध्ययन से यह भी तथ्य सामने आया है कि अदालतों के द्वारा भी न्याय में काफी ज्यादा समय लिया जा रहा है. ज्ञातव्य है कि वर्ष 2019 के अद्यतन आँकड़ों के अनुसार बाल उत्पीड़न के मामलों में लगभग 89% पीड़ित पक्ष अदालत में न्याय का इंतजार कर रहे हैं.
- इसके साथ ही फाउंडेशन के द्वारा किए गए अध्ययन से यह भी तथ्य सामने आया है कि पॉक्सो एक्ट के आधे से भी अधिक मामले करीब 51% पाँच राज्यों में दर्ज किए गए. ये राज्य हैं – मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली.
POCSO अधिनियम क्या है?
बाल यौन अपराध सुरक्षा अधिनियम (POCSO Act) 2012 में पारित हुआ था. इसका उद्देश्य बच्चों के प्रति यौन अपराध पर कारगर ढंग से कार्रवाई सुनिश्चित करना था. इस अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को “बच्चा” कहा गया है. अधिनियम में दी गई परिभाषा के अनुसार यौन अपराध के कई रूप हो सकते हैं, जैसे – यौन उत्पीड़न, अश्लील चित्रण, शारीरिक बलात्कार आदि. इसमें यह भी कहा गया है कि उन यौन अपराधों को भीषण माना जाएगा जिनमें किसी मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चे का उत्पीड़न किया जाएगा और जब इस प्रकार का अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा जो अन्यथा विश्वास के पात्र होते हैं, यथा – परिवार का सदस्य, पुलिस अधिकारी, शिक्षक अथवा चिकित्सक.
POCSO अधिनियम के कानूनी प्रावधान
POCSO के अनुच्छेद 19 में बच्चों के विरुद्ध किये गए यौन अपराध की सूचना देने के बारे में प्रक्रिया का वर्णन है. किन्तु इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ऐसी सूचना देने के लिए कोई समय-सीमा भी है.
ज्ञातव्य है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में विभिन्न ऐसे अपराधों के लिए मामला दायर करने हेतु अलग-अलग समय-सीमा निर्धारित की गई है जिनमें अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है. किन्तु जिन अपराधों के लिए तीन वर्ष से अधिक की सजा हो सकती है उसके लिए CrPC में मामला दायर करने के लिए समय की सीमा निर्धारित नहीं है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : River disputes;Issues and challenges pertaining to the federal structure.
Topic : Mullaperiyar Dam
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय 16 मार्च को मानसून के दौरान मुल्लापेरियार बाँध की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछले वर्ष केरल के इडुक्की जिले के एक निवासी द्वारा मुल्लापेरियार बांध के जलस्तर को 130 फीट तक कम करने के लिए यह कहते हुए याचिका दायर की गई थी कि राज्य में मानसून की प्रगति के कारण, क्षेत्र में भूकंप और बाढ़ का खतरा है.
इस पर कोर्ट ने तमिलनाडु, केरल सरकारों से एफिडेविट मांगे थे.
मुल्लापेरियार बाँध
- 1887 में निर्मित यह बांध केरल के इड्डुक्की जिले में मुलयार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है.
- यह पश्चिम की ओर बहने वाली पेरियार नदी के पानी को तमिलनाडु मेँ वृष्टि छाया क्षेत्रों में पूर्व की ओर मोड़ता है.
- पेरियार सिंचाई कार्य हेतु त्रावणकोर के महाराजा और भारत राज्य के सचिव के बीच 1886 में हुए 999 वर्षों के लिए एक पट्टा करारनामा हुआ था. 1970 के दूसरे समझौते के द्वारा तमिलनाडु को बिजली उत्पान के कार्य की भी अनुमति प्रदान की गयी थी. इसके द्वारा तमिलनाडु राज्य अपने पाँच दक्षिणी ज़िलों के लिये पीने के पानी और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करता है.
विवाद की पृष्ठभूमि
वर्ष 1979 में पेरियार बांध में भूकम्प के कारण हुई क्षति के बारे में केरल प्रेस में रिपोर्ट आयी. केन्द्रीय जल आयोग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने मार्च, 2001 की अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया कि कार्यान्वित उपायों की मजबूत करने के साथ बांध की सुरक्षा को खतरे में डाले बिना जल स्तर को 136 फीट से 142 फीट तक बढ़ाया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 27.2.2006 के अपने आदेश में तमिलनाडु सरकार को मुल्ला पेरियार बांध में जल स्तर को बढ़ाकर 136 फीट से 142 फीट करने और शेष सुदुढ़ीकरण उपायों को करने की अनुमति प्रदान की.
परन्तु केरल सरकार ने 18 मार्च, 2006 केरल सिंचाई और जल संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 पारित किया जिसके अंतर्गत मुल्ला पेरियार बांध के जल स्तर को 136 फीट से अधिक ऊँचा करने पर प्रतिबंध लगाया गया था.
तमिलनाडु सरकार इसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय गई. सर्वोच्च न्यायालय ने बांध की जाँच के लिए एक समिति गठित की. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह निष्कर्ष दिया कि यह बाँध जल विज्ञान दृष्टिकोण से सुरक्षित है. परन्तु समय-समय पर कई याचिकाओं के लगते रहने के कारण यह मामला अभी भी न्याय निर्णयाधीन है.
संक्षेप में कहा जाये तो तमिलनाडु राज्य की मुख्य चिंता यह है कि वह मुल्लापेरियार बांध के जलाशय स्तर को 142 फीट तक नहीं बढ़ा सकता है. दूसरी ओर, केरल राज्य इस बांध की सुरक्षा के बारे में चिंतित है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : CISF
संदर्भ
प्रतिवर्ष 10 मार्च को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force – CISF) का स्थापना दिवस मनाया जाता है. इसकी स्थापना वर्ष 1969 में CISF अधिनियम, 1968 के तहत की गयी थी.
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के बारे में
- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) भारत का एक अर्धसैनिक बल हैं, जिसका कार्य सरकारी कारखानों एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है. यह देश के विभिन्न महत्त्वपूर्ण संस्थानों, ऐतिहासिक इमारतों, मेट्रो आदि की भी सुरक्षा करता है.
- यह गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है.
- वर्ष 2011 से पहले इन्हें अर्द्ध सैनिक बल माना गया था लेकिन इसके बाद इसे केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
- केन्द्रीय सशखत्र पुलिस बल इस प्रकार हैं: CISF, CRPF, BSF, ITBP और SSB
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in Space; Latest developments in S&T
Topic : Ramjet Engine
संदर्भ
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (Solid Fuel Ducted Ramjet – SFDR) तकनीक का सफल परीक्षण किया है. इस तकनीक का सफल परीक्षण लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली स्वदेशी मिसाइल विकसित करने में सक्षम बनाएगा.
रैमजेट इंजन के बारे में
इस इंजन का प्रयोग सुपरसोनिक मिसाइलों में किया जाता है. इसमें आगे की ओर से हवा अंदर आती है, जहाँ यह टरबाइन घुमाने के लिए ईंधन दहन के लिए प्रयुक्त होती है. रैमजेट इंजन में एक कम्प्रेशर लगा होता है, जो हवा के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है, इससे दबाव बढ़ता है और मिसाइल को अधिक गति मिलती है.
सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) तकनीक के विषय में
- यह एक रैमजेट इंजन पर ही आधारित तकनीक है जिसमें एक विशेष प्रकार के ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है.
- रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत काम करता है.
- इसकी स्थापना 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDEs) और तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) के संयोजन के बाद किया गया.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.
Topic : Economic Freedom Index
संदर्भ
अमेरिकी थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन ने हाल ही में आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (Economic Freedom Index) जारी किया. इस सूचकांक में, सिंगापुर ने लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है.
प्रमुख बिंदु
- सिंगापुर का समग्र अंक 0.3 अंक बढ़कर 89.7 हो गया. इस सुधार के पीछे सरकारी खर्च में मुख्य कारण रहा.
- दूसरे स्थान पर न्यूजीलैंड, तीसरे पर ऑस्ट्रेलिया और चौथे स्थान पर स्विट्ज़रलैंड रहा.
- बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्रिटेन 7वें जबकि अमरीका 20वें स्थान था.
- भारत ने इस वर्ष 56.5 के स्कोर के साथ 184 देशों में से 121वाँ स्थान प्राप्त किया है.
- भारत में व्यापारिक स्वतंत्रता में सुधार हुआ परन्तु न्यायिक प्रभावशीलता में गिरावट के चलते भारत की स्थिति जस की तस बनी रही.
- चीन को 58.4 अंकों के अपने स्कोर के साथ 107वें स्थान पर रखा गया है.
सूचकांक के बारे में
इसे वर्ष 1995 में द हेरिटिज फाउंडेशन और द वॉल स्ट्रीट जर्नल नामक थिंक-टैंक द्वारा बनाया गया था. यह सूचकांक दुनिया के देशों के बीच आर्थिक स्वतंत्रता को मापता है. यह सूचकांक “द वेल्थ ऑफ नेशंस” में एडम स्मिथ के दृष्टिकोण से प्रेरित है.
Prelims Vishesh
Satellite Man of India :-
- 10 मार्च को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महती भूमिका निभाने वाले प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव की जयंती मनाई गई.
- भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और संचार तथा प्राकृतिक संसाधनों के सुदूर संवेदनों में उनके व्यापक उपयोग की दिशा में मौलिक योगदान देने के कारण प्रोफ़ेसर उडुपी रामचंद्र राव को ‘सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से विभूषित किया जाता है.
- उल्लेखनीय है कि गूगल के द्वारा भी उनके 89वाँ जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक डूडल बनाया गया है.
Referendum :-
- हाल ही में स्विट्जरलैंड में एक रेफेरेंडम (एक प्रकार का जनमत संग्रह) में करीब सभी सार्वजनिक स्थानों पर नकाब और बुर्के सहित पूरे चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में मतदान किया.
- रेफेरेंडम एक ऐसे एकल राजनीतिक प्रश्न पर मतदाताओं द्वारा सामान्य मतदान के लिए प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक साधन है, जो उन्हें प्रत्यक्ष निर्णय के लिए संदर्भित किया गया है.
प्रत्यक्ष लोकतंत्र के अन्य साधन:
- प्रत्यावर्तन / वापस बुलाना (Recall): मतदाताओं द्वारा कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व एक प्रतिनिधि या एक अधिकारी को हटाने के लिए.
- पहल (Initiative): अधिनियम बनाने हेतु विधायिका को एक विधेयक प्रस्तुत करना.
- जनमत संग्रह (Plebiscite): किसी भी सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर लोगों का मत प्राप्त करना.
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