Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 October 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 10 October 2018


GS Paper 1 Source: PIB

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Topic : Chhotu ram

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संदर्भ

किसान नेता सर छोटू राम की एक 64 फुट की प्रतिमा उनके गाँव सांपला, रोहतक जिला (हरियाणा) में अनावृत की गई.

सर छोटू राम कौन थे?

  • सर छोटू राम का जन्म नवम्बर 24, 1881 में हुआ था. उन्हें किसानों का मसीहा माना जाता था. स्वतंत्रता के पहले के युग में किसानों को सशक्त बनाने तथा किसानों के हित में कानूनों को पारित कराने में उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण थी. ब्रिटिश काल में उन्होंने किसानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी.
  • जहाँ तक राजनीति का प्रश्न है, वे उस नेशनल यूनियनिष्ट पार्टी (National Unionist Party) के सह-संस्थापक थे जिसने स्वतंत्रता के पहले के भारत में पंजाब प्रांत पर सदैव शासन किया और कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग को परे रखा.
  • छोटू राम को राव बहादुर की उपाधि मिली थी. उन्हें 1937 ई. सर की उपाधि दी गई. लोगों के बीच वे दीनबन्धु कहे जाते थे.
  • 2013 में गुआर किसानों ने नेशनल यूनियनिष्ट जमींदार पार्टी नामक नई पार्टी की स्थापना करके उनकी विरासत को पुनर्जीवित किया है.

GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : How are Cyclones named?

संदर्भ

हाल ही में “तितली” नामक चक्रवातीय आँधी ने बंगाल की खाड़ी तथा “लुबान” नामक चक्रवातीय आँधी ने अरब सागर पर दस्तक दी है.

चक्रवातों का नाम कैसे पड़ता है?

सितम्बर 2004 में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से सम्बंधित एक अंतर्राष्ट्रीय पैनल ने निर्णय किया कि इस क्षेत्र के देश अपना-अपना नाम देंगे जिसके आधार पर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाली आँधियों का नाम रखा जाएगा.

  • 8 देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड – ने 64 नाम सुझाए.
  • आँधी आने पर नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय विशेषज्ञ मौसम वैज्ञानिक केंद्र (Regional Specialized Meteorological Centre) नामों की सूची में से एक नाम चुनता है.

चक्रवातों का नाम देना आवश्यक क्यों है?

ज्ञातव्य है कि अटलांटिक आँधियों के लिए 1993 से ही नाम दिए जाते रहे हैं. परन्तु उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण पहले नहीं होता था क्योंकि यह भय था कि बहुल राष्ट्रीयता वाले इस क्षेत्र का कोई न कोई देश नाम के मामले में संवेदनशील हो सकता है. अब उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का भी नामकरण होता है. इसका उद्देश्य यह है कि लोग किसी चक्रवात के बारे में आसानी से समझ सकें और याद रख सकें. ऐसा करने से आपदा के बारे में जागरूकता, तैयारी, प्रबंधन एवं उसके निवारण में सुविधा हो सके.

चक्रवातों के नामकरण विषयक मार्गनिर्देश

किसी चक्रवात के नामकरण के लिए सामान्य नागरिक भी अपना सुझाव मौसम विज्ञान महानिदेशक को दे सकता है. किन्तु इस निदेशालय ने नाम चुनने के लिए कठोर नियम बना रखे हैं –

  • उदाहरण के लिए नाम को छोटा और आसानी से समझ लेने लायक होना चाहिए.
  • नाम ऐसा हो जो सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील न हो और उसका कोई ऐसा अर्थ न हो जो आक्रोश पैदा कर सके.
  • व्यापक मृत्यु एवं विनाश लाने वाले चक्रवात का नाम दुबारा उपयोग में नहीं आता है. ज्ञातव्य है कि अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत महासागरीय आँधियों के नाम की सूची के नामों का कुछ-कुछ वर्षों के बाद दुबारा प्रयोग होता है.

चक्रवातों की श्रेणियाँ

  • श्रेणी 1 : 90 से 125 किमी. प्रति घंटे चलने वाली हवाएँ, घरों को नाममात्र की क्षति, पेड़ों और फसलों को कुछ क्षति.
  • श्रेणी 2 : 125 से 164 किमी. प्रति घंटे की विध्वंसक हवाएँ, घरों को छोटी-मोटी क्षति, पेड़ों, फसलों और कारवाँओं को अच्छी-खासी क्षति, बिजली जाने का जोखिम.
  • श्रेणी 3 : 165 से 224 किमी. प्रति घंटे की अति विध्वंसक हवाएँ, छतों और भवन-संरचना को कुछ क्षति, कुछ कारवाँओं का विनाश, बिजली जाने की संभावना.
  • श्रेणी 4 : 225-279 किमी. प्रति घंटे की अति विध्वंसक हवाएँ, छतों और भवन संरचनाओं को अच्छी-खासी क्षति, कारवाँओं का विनाश, उनका हवाओं में उड़ जाना, चारों ओर बिजली का जाना.
  • श्रेणी 5 : 280 किमी. प्रति घंटे से अधिक की गति की अत्यंत खतरनाक हवाएँ जो दूर-दूर तक विनाश लाती हैं.

छः छः वर्ष पर फिर से उपयोग किये गए नाम

अटलांटिक और प्रशांत महासागर की आँधियों के नाम हर छठे वर्ष फिर से उपयोग में लाये जाते हैं. पर यदि कोई आँधी अत्यंत जानलेवा और क्षतिकारक सिद्ध होती है तो भविष्य में उस आँधी के नाम को दुहराया नहीं जाता है क्योंकि म्यामी-स्थित US नेशनल हरीकेन सेंटर के पूर्वानुमानकर्ताओं का कहना है कि ऐसा करना असंवेदनशील तथा भ्रमोत्पादक होता है.

चक्रवातीय मौसम

देश में चक्रवात अप्रैल से दिसम्बर के बीच होते हैं. भीषण आँधियों से दर्जनों की मृत्यु हो जाती है और निचले क्षेत्रों से हजारों को खाली कराया जाता है. साथ ही फसल और सम्पत्ति को व्यापक क्षति पहुँचती है.

हरिकेन, चक्रवात और तूफ़ान में अंतर

  • हरिकेन, चक्रवात और तूफान – ये सभी उष्णकटिबंधीय आँधियाँ हैं. ये सभी एक हैं, बस इनके नाम स्थान विशेष में बदल जाते हैं.
  • उत्तरी अटलांटिक महासागर और पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर के ऊपर बनने वाली आँधी हरिकेन, हिन्द महासागर और दक्षिणी प्रशांत महासागर के ऊपर बनने आँधी चक्रवात तथा पश्चिमोत्तर प्रशांत महासागर के ऊपर बनने वाली आँधी तूफ़ान कहलाती है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Section 151A of the Representation of the People Act, 1951

संदर्भ

राजनैतिक गलियारे में हाल में यह चर्चा का विषय था कि कर्नाटक में तीन सीटों पर प्रस्तावित लोकसभा उपचुनाव आवश्यक हैं अथवा नहीं, क्योंकि मुख्य लोक सभा चुनाव अब सर पर आ चुके हैं. इसी संदर्भ में चुनाव आयोग ने एक व्यवस्था दी है जिसमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151A का उल्लेख करते हुए इन चुनावों को अनिवार्य बताया गया है.

पृष्ठभूमि

विशेषज्ञों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर यह मंतव्य दिया था कि लोकसभा चुनाव 2019 इतने निकट आ चुके हैं कि अब किसी भी लोकसभा सीट के लिए चुनाव करवाना व्यर्थ है. पत्र में राष्ट्रपति से यह अनुरोध किया गया कि इस आशय की चुनाव आयोग द्वारा निर्गत अधिसूचना वापस ले ली जानी चाहिए. यह भी तर्क दिया गया कि लोक सभा की कुछ सीटें वर्तमान में तो आंध्र प्रदेश में भी खाली हैं पर उनके लिए अधिसूचना नहीं निकाल कर मात्र कर्नाटक के लिए क्यों निकाली गई?

धारा 151A क्या है?

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151A में यह प्रावधान है कि यदि लोकसभा अथवा विधानसभा की सीट खाली हो जाती है तो छः महीने के अंदर उसके लिए उपचुनाव कराये जाने चाहिएँ. परन्तु यह तब ही हो जब उन सीटों के लिए आम चुनाव एक वर्ष अथवा उससे अधिक समय के उपरान्त होने हों.

चुनाव आयोग का तर्क

चुनाव आयोग का तर्क है कि कर्नाटक में लोकसभा की सीटों में रिक्ति जब हुई तो उस समय लोकसभा आम चुनाव में एक वर्ष से अधिक की देरी थी. इसलिए इन सीटों के लिए धारा 151A के अनुसार उपचुनाव कराना बाध्यकारी है. दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश में लोकसभा की सीटें उस समय खाली हुईं जब 2019 लोकसभा चुनाव होने में एक वर्ष से कम का समय बचा था. इसलिए आंध्रप्रदेश की सीटों के लिए उपचुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया गया.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : ‘MedWatch’

संदर्भ

भारतीय वायुसेना ने मेडवाच (MedWatch) नामक एक अनावरण किया है. यह app उपयोगकर्ताओं को स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी देगा, जैसे – प्राथमिक उपचार, स्वास्थ्य सूचनाएँ, पोषण आदि तीनों सेनाओं में यह इस प्रकार पहला app है.

मुख्य तथ्य

  • इस app की अवधारणा भारतीय वातुसेना के चिकित्सकों की है तथा इसे सूचना तकनीक निदेशालय (Directorate of Information Technology – DIT) ने बिना किसी वित्तीय बजट के साथ तैयार किया है.
  • मेडवाच न केवल वायु सैनिकों को अपितु भारत के सभी नागरिकों को सूचना से सम्बंधित सही, वैज्ञानिक एवं प्रमाणिक जानकारी देगा.
  • मेडवाच द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों में कुछ इस प्रकार हैं – मूलभूत प्राथमिक उपचार, स्वास्थ्य के विषय, पोषण से जुड़े तथ्य, समय पर चिकित्सकीय समीक्षा हेतु स्मारित करना, टीकाकरण, स्वास्थ्य रिकॉर्ड कार्ड, BMI संगणक, हेल्प लाइन नंबर और वेब लिंग.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : 2nd World Conference on Access to Medical Products: Achieving the SDGs 2030

संदर्भ

भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से नई दिल्ली में “चिकित्सकीय उत्पादों की सुलभता – सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2030 की प्राप्ति” विषय पर दूसरे वैश्विक सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है.

सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य

इस सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य पहले वैश्विक सम्मलेन 2017 की अनुशंसाओं को आगे ले जाना एवं सतत विकास लक्ष्य के संदर्भ में चिकित्सकीय उत्पादों की सुलभता के लिए किये गये कामों (व्यापारिक समझौतों सहित) को सुदृढ़ करना है.

सम्मेलन के अन्य विशेष उद्देश्य

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के 13वें वैश्विक कार्ययोजना के संदर्भ में चिकित्सकीय उत्पादों की सुलभता हेतु अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना.
  • शोधों एवं आविष्कारों में तीव्रता लाते हुए नए-नए चिकित्सकीय उत्पादों के निर्माण तथा नई तकनीकों की खोज के लिए वातावरण गढ़ना.
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और स्वास्थ्य के विषय में ऐसी सूचनाओं, जानकारियों और नीतियों पर विचार करना जिससे SDG 2030 का लक्ष्य प्राप्त हो सके.

पृष्ठभूमि

सार्वभौम स्वास्थ्य समावेश (Universal Health Coverage – UHC) के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्य (SDG) को पाने के लिए यह अत्यावश्यक है कि लोगों के पास कारगर, सुरक्षित, सुनिश्चित गुणवत्ता से युक्त एवं सस्ते चिकित्सकीय उत्पाद, जैसे – औषधियाँ टीकाएँ, निदान सुविधा, उपकरण आदि सुलभ हो. चिकित्सकीय उत्पादों को सुलभ बनाने की दिशा में भारत द्वारा किये गये योगदान को आज सम्पूर्ण विश्व मानता है.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : South-East Asia Regulatory Network (SEARN)

संदर्भ

उन्नत संगणन विकास केंद्र (South-East Asia Regulatory Network (Centre for Development of Advanced Computing) के द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई विनियामक नेटवर्क (South East Asia Research Network – SEARN) के निमित्त बनाए गए एक सूचना आदान-प्रदान गेटवे का हाल ही में अनावरण किया गया. यह दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों के बीच स्वास्थ्य के विषय में सहयोग को बढ़ावा देगा.

SEARN क्या है?

  • यह एक मंच है जो शोध के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने का काम करता है. यह लन्डन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में कार्यशील है.
  • यह मंच शोधों के निष्कर्षों के संचार तथा प्रचार में सहयोग करता है.
  • यह शोध उन के विषयों तथा उनसे जुड़े लोगों और सहयोगकर्ताओं को एक-दूसरे से जोड़ता है जो मुख्य तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई हितों से सम्बद्ध हैं.

SEARN में कौन-कौन हैं?

SEARN में ASEAN के सभी देश निम्नलिखित देश हैं –

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, म्यांमार (बर्मा), कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, तिमोर-लेस्ट (पूर्वी तिमोर) और फिलीपींस, श्रीलंका और थाईलैंड.

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