Sansar Daily Current Affairs, 10 September 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World Hindu Congress (WHC)
संदर्भ
अमेरिका के राज्य Illinois के शिकागो शहर में दूसरा विश्व हिन्दू कांग्रेस (WHC) सम्मेलन आयोजित हो रहा है. इस सम्मलेन का प्रेरणा मन्त्र है “सुमंत्रिते सुविक्रान्ते” अर्थात् मिल-जुल कर सोचो, वीरतापूर्वक लक्ष्य प्राप्त करो.
यह सम्मेलन शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गये स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित हुआ है जिसमें विश्व-भर के सभी पृष्ठभूमियों वाले हिन्दुओं को आमंत्रित किया गया है.
विश्व हिन्दू कांग्रेस क्या है?
- विश्व हिन्दू कांग्रेस एक वैश्विक मंच है जिसमें हिन्दू सम्मिलित होकर अपनी प्रगति का आत्मनिरीक्षण करते हैं तथा आजकल की सबसे अधिक विकट समस्याओं के समाधान हेतु सामूहिक संसाधनों पर विचार-विमर्श करते हैं.
- यह कांग्रेस हर चौथे वर्ष में आयोजित होती है जिसमें सात समानंतर बैठकें चलती हैं. इन बैठकों में जिन विषयों पर विचार किया जाता है, वे हैं – हिन्दुओं की आर्थिक स्थिति, उनकी शिक्षा, मीडिया, संगठनात्मक और राजनैतिक नेतृत्व तथा हिन्दू स्त्रियों तथा युवाओं का योगदान.
- इस मंच से विश्व भर में हिन्दुओं पर प्रभाव डालने वाले महत्त्वपूर्ण विषयों का भी समाधान निकालने का प्रयास किया जाता है, जैसे – मानवाधिकार, भेद-भाव तथा सांस्कृतिक आक्रमण.
विश्व हिन्दू कांग्रेस का महत्त्व
भूतकाल में हिन्दुओं ने समय-समय पर कई मंचों और सम्मेलनों का आयोजन किया है परन्तु इनमें लिए गये संकल्पों का कार्यान्वयन संतोषजनक नहीं रहा है. पहले हुए आयोजनाओं में शिक्षा, मीडिया, राजनीति और अर्थव्यवस्था जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर नियमित रूप से विमर्श नहीं होता था. साथ ही ऐसे आयोजन बहु-आयामी प्रकृति के नहीं होते थे. विदित हो कि हिन्दुओं की आवश्यकताएँ आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों हैं. दुर्भाग्यवश इनकी बहुत सारी सांसारिक आवश्यकताओं और चुनैतियों के समाधान के प्रश्न को दूसरों के लिए छोड़ दिया जाता रहा है. विश्व हिन्दू कांग्रेस इस महत्त्वपूर्ण अंतराल को भरने का काम करता है. विश्व हिन्दू कांग्रेस, विश्व हिन्दू फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अनौपचारिक संगठन है, परन्तु यह विश्व-भर के हिन्दू संगठनों के स्वयंसेवकों के प्रयासों पर निर्भर है. प्रत्येक कांग्रेस विश्व के अलग-अलग भागों में होगी. विश्व हिन्दू कांग्रेस में भागीदारी के लिए सभी हिन्दू संगठनों, संघों तथा संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : BIMSTEC Military Exercise
संदर्भ
महाराष्ट्र के शहर पुणे के औंध में स्थित विदेशी प्रशिक्षण केंद्र (Foreign Training Node) में बिम्सटेक का पहला क्षेत्रीय प्रशिक्षण अभ्यास हो रहा है. इसमें BIMSTEC के सदस्य देशों की सेनाएँ सम्मिलित हो रही हैं. ये देश हैं – भारत, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और नेपाल.
इस सैन्य अभ्यास की theme है – “Counter-terrorism in semi-urban terrain and cordon and search” अर्थात् उप-नगरीय धरातल में आतंकवाद से लड़ाई, आतंकवादियों को घेरना और उन्हें खोज निकालना.
इस सैन्य अभ्यास का सबसे बड़ा उद्देश्य BIMSTEC के सदस्य देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना और आतंकवाद-विरोध के क्षेत्र में इन देशों में अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है.
ज्ञातव्य है कि नेपाल की सेना इस अभ्यास में शामिल नहीं होने जा रही है. ऐसा इसलिए हुआ कि नेपाल में सभी दल प्रधानमन्त्री के.पी. ओली को चेतावनी दे रहे हैं कि नेपाल का हमेशा से सिद्धांत रहा है कि वह सैनिक मामलों में अपने पड़ोसी देशों से समान दूरी बनाए रखता है और इसलिए BIMSTEC में नेपाली सेना का जाना उचित नहीं है.
BIMSTEC की स्थापना एवं स्वरूप
- BIMSTEC का full form है – Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation.
- यह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना Bangkok Declaration के अंतर्गत जून 6, 1997 में हुई थी.
- इसका मुख्यालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है.
- वर्तमान में इसमें 7 देश हैं (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका) जिनमें 5 दक्षिणी-एशियाई देश हैं और 2 दक्षिण-पूर्व एशिया के देश (म्यांमार और थाईलैंड) हैं.
BIMSTEC के उद्देश्य
- BIMSTEC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (बंगाल की खाड़ी से संलग्न) के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
- आज यह संगठन 15 प्रक्षेत्रों में सहयोग का काम कर रहा है, ये प्रक्षेत्र हैं – व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्स्य पालन, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों का लोगों से सम्पर्क, जलवायु परिवर्तन.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : 4th World Summit on Accreditation(WOSA-2018)
संदर्भ
चौथा विश्व प्रमाणीकरण सम्मलेन (वोसा – 2018) नई दिल्ली में आयोजित हो रहा है. इसका आयोजन राष्ट्रीय प्रमाणीकरण बोर्ड (National Board of Accreditation – NBA) कर रहा है.
WOSA 2018 की theme है – “CHALLENGES AND OPPORTUNITIES IN OUTCOME BASED ACCREDITATION” अर्थात् परिणाम आधारित प्रमाणीकरण से जुड़ी हुई चुनौतियाँ और अवसर.
इसके अतिरिक्त पाँच छोटी-छोटी थीमें भी हैं. ये हैं –
- ज्ञान परिणामों के माध्यम से उत्कृष्टता प्राप्त करना. (Achieving Excellence through Learning Outcomes)
- प्रौद्योगिक शिक्षा में उद्योग की भूमिका (Role of Industry in Technical Education)
- उच्चतर शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और रेटिंग (Ranking and Rating of Higher Education Institutions)
- सरकारी वित्त पोषण को गुणवत्ता से जोड़ना (Linking Government Funding with Quality)
- बड़े क्षेत्राधिकारों में प्रमाणीकरण के लिए आईसीटी का उपयोग (Use of ICT in Accreditation in Large Jurisdictions)
सम्मलेन का महत्त्व
आज इनपुट/आउटपुट पर आधारित प्रमाणीकरण के स्थान पर परिणाम-आधारित प्रमाणीकरण का दौर चल रहा है. इस संक्रमण के संदर्भ में जो चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, उनपर विचार करने के लिए यह सम्मेलन एक उपयोगी मंच सिद्ध होगा.
इस सम्मलेन में विश्व-भर के प्रतिभागी विमर्श करेंगे और परिणामस्वरूप नए-नए विचार उभरेंगे और विश्व-भर में व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा की चुनौतियों और अवसरों का पता लगेगा.
WOSA क्या है?
- विश्व प्रमाणीकरण सम्मेलन (WOSA) एक द्विवार्षिक सम्मेलन है जो राष्ट्रीय प्रमाणीकरण बोर्ड (NBA) द्वारा आयोजित होता है.
- इस मंच पर प्रतिभागी हितधारकगण प्रमाणीकरण के विषय में ज्ञान एवं सूचना साझा करते हैं.
- NBA अब तक ऐसे तीन सम्मलेन 2012, 2014 और 2016 में करा चुका है.
NBA क्या है?
- राष्ट्रीय प्रमाणीकरण बोर्ड मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संगठन है जो प्रमाणीकरण के माध्यम से भारत के व्यावसायिक और तकनीकी संस्थानों की गुणवत्ता निर्धारित करता है.
- इस बोर्ड को जून 2014 से वाशिन्गटन समझौते के अंतर्गत स्थाई हस्ताक्षरकर्ता का दर्जा (Permanent Signatory Status of Washington Accord) प्राप्त है.
- यह बोर्ड विश्व-भर में परिणाम आधारित मूल्यांकन और प्रमाणीकरण के लिए स्थापित मानकों आधार पर यह सुनश्चित करता है कि उसके द्वारा प्रमाणिकृत कार्यक्रमों में उत्तीर्ण होने वाले छात्र विश्वस्तरीय क्षमता से युक्त हों.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Heritage tag for 2 irrigation facilities in Telangana
संदर्भ
पिछले महीने कनाडा के Saskatoon शहर में अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद् की बैठक हुई, जो अंतर्राष्ट्रीय सिंचाई एवं जल-निकासी आयोग (International Commission on Irrigation and Drainage – ICID) का सर्वोच्च निर्णायक निकाय है. इस बैठक में तेलंगाना सरकार द्वारा नामित गोदावरी नदी पर निर्मित Sadarmatt anicut (निर्मल जिला) और Pedda Cheruvu (कामरेड्डी जिला) को धरोहर सिंचाई संरचनाओं (Heritage Irrigation Structures) की ICID पंजी (ICID Register) में सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया.
Sadarmatt anicut
इसका निर्माण 1891-92 में निर्मल जिले के गाँव मेडमपल्ली के निकट गोदावरी नदी पर निर्मित श्रीराम सागर परियोजना के बायीं ओर 50 किलोमीटर नीचे की ओर हुआ था. उसको बनाने वाला नवाब इकबाल उद्दौला था जिसकी एक उपाधि विकार-उल-उमराह बहादुर थी. इस एनीकट में प्रवाहित पानी मुख्य रूप से स्वर्णवगु झरने से आता है.
इस एनीकट को मात्र सिंचाई के लिए बनाया गया था और यह 13,100 एकड़ में पानी पहुँचाता है. इसके पानी से इस क्षेत्र में धान, मकई और हल्दी की खेती होती है.
Pedda Cheruvu
Pedda Cheruvu जिसका तेलगु भाषा में अर्थ है “विशाल जलाशय” का निर्माण 1897 में हैदराबाद के छठे निजाम मीर महबूब अली खान के शासनकाल में हुआ था.
अंतर्राष्ट्रीय सिंचाई एवं जल-निकासी आयोग (ICID) क्या है?
- ICID एक अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी, स्वैच्छिक तथा अलाभकारी गैर-सरकारी संगठन है जो जल एवं भूमि प्रबंधन में सुधार लाकर तथा सिंचित एवं जल निकासी वाली भूमि की उत्पादकता को बढ़ाकर विश्वभर में सभी लोगों तक खाद्य एवं फाइबर की आपूर्ति बढ़ाने के प्रति समर्पित है.
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
- अंतर्राष्ट्रीय शांति वर्ष से सम्बन्धित कार्यक्रमों और लक्ष्यों के प्रति इसके महत्त्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए 15 सितम्बर, 1987 में ICID को संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा शांतिदूत के रूप में नामित किया गया था.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Debts Recovery Tribunals
संदर्भ
केंद्र सरकार द्वारा ऋण वसूली प्राधिकरणों (Debts Recovery Tribunals – DRT) के पास ऋण वसूली के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जमा किये गये आवेदन हेतु वित्त की सीमा दस लाख रु. से बढ़ाकर बीस लाख रु. कर दी गई है.
इसके निहितार्थ
- देश भर के 39 ऋण वसूली प्राधिकरणों के पास लंबित मामलों की संख्या घटाने के लिए यह कदम उठाया गया है.
- यदि अब बाकी कर्ज की राशि 20 लाख रु. से कम है तो कोई बैंक अथवा वित्तीय संस्था DRT में मामला दर्ज नहीं कर पायेगा.
ऋण वसूली प्राधिकरण – DRT क्या है?
- ऋण वसूली प्राधिकरणों की स्थापना बैंकों और अन्य वित्त संस्थानों के ग्राहकों से ऋण की वसूली करने के लिए की गई थी. इन प्राधिकरणों की स्थापना बैंकों एवं वित्तीय संथाओं को देय ऋण वसूली अधिनियम, 1993 (Recovery of Debts due to Banks and Financial Institutions Act – RDBBFI,1993) के अंतर्गत हुई थी.
- DRT के द्वारा पारित किसी आदेश के विरुद्ध अपील ऋण वसूली अपीलीय प्राधिकरण (Debts Recovery Appellate Tribunal – DRAT) के पास की जा सकती है.
- DRT का अध्यक्ष केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक ऐसा अधिकारी होता है जो जिला जज बनने की योग्यता रखता हो.
- इसका कार्यकाल 5 वर्ष अथवा 62 वर्ष की उम्र तक होता है.
- उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त देश का कोई भी न्यायालय प्राधिकरण द्वारा विचारित मामले पर क्षेत्राधिकार नहीं रखता है.
Prelims Vishesh
Singapore’s Temasek to invest in NIIF’s Master Fund :-
- सिंगापुर की निवेश कम्पनी Temasek राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (National Investment and Infrastructure Fund – NIIF) में 400 million डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार हो गई है.
- ज्ञातव्य है कि यह कोष (NIIF) 2015 में भारत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ रु. की राशि से देश में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश करने के लिए गठित की गई थी.
Snow leopard :-
- हाल ही में हिमाचल प्रदेश के वन्यजीव विभाग के अधिकारीयों ने राज्य के किन्नौर जिले में स्थित लीपा-असरा वन्यजीव अभ्यारण्य (Lippa-Asra wildlife sanctuary) में एक हिम तेंदुआ (snow leopard) देखा है.
- ज्ञातव्य है कि यह तेंदुआ IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में दर्ज है.
- यह तेंदुआ हिमाचल प्रदेश का राज्य पशु है.
In a first in Asia, Bengaluru airport set to use face recognition as ‘boarding pass’:-
कैम्पेगौडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेंगलुरु अगले वर्ष एशिया का पहला ऐसा हवाई अड्डा बन जाएगा जहाँ बोर्डिंग के लिए यात्रियों के चेहरे से पहचाना की जायेगी.
‘Pondicherry shark’:-
- हाल ही में शोधकर्ताओं ने शार्क की एक संकटग्रस्त प्रजाति पांडिचेरी शार्क को पूर्वी गोदावरी नदी के मुहाने पर देखा है.
- इस शार्क को स्थानीय लोग “Pala Sora” के नाम से जानते हैं.
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