Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 11 April 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : EC stalls release of biopics

संदर्भ

भारतीय निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक पर रोक लगा दी है. साथ ही चुनाव आयोग ने इस बायोपिक को नमो टीवी पर भी दिखाने पर रोक लगा दी है. चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए ये रोक लगाई है. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी किसी फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती है जो किसी राजनीतिक दल या राजनेता के चुनावी हितों का पोषण करती हो.

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की राहत के लिए निर्वाचन आयोग उचित स्थान होगा. कोर्ट ने कहा था कि यदि यह फिल्म 11 अप्रैल को प्रदर्शित भी होती है, जैसा कांग्रेस कार्यकर्ता का दावा है, तो उसे राहत के लिए निर्वाचन आयोग के पास ही जाना होगा. यह याचिका कांग्रेस कार्यकर्ता अमन पंवार ने दायर की थी.

भारतीय निर्वाचन आयोग क्या है?

भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रतिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था. भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी. भारत के निर्वाचन आयोग से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्‍य इस प्रकार हैं :-

(a) संविधान के भाग-15 के अनुच्छेद-324 से 329 में निर्वाचन से संबंधित उपबंध दिया गया है.
(b) निर्वाचन आयोग का गठन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्तों से किया जाता है, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है.
(c) मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65  वर्ष की आयु, जो पहले हो तब तक होगा. 
(d) मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बराबर वेतन (90 हजार रुपये मासिक) एवं भत्ते प्राप्त होंगे. 
(e) पहले चुनाव आयोग एक सदस्यीय आयोग था, लेकिन अक्टूबर 1993 में तीन सदस्यीय आयोग बना दिया गया.

संविधान के अनुच्छेद 324 को चुनाव आयोग के लिए अधिकारों का हौज कहा जाता है. विदित हो कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को चुनाव के संचालन, निर्देशन और नियंत्रण के अधिकार मिलते हैं.

निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य: 

(i) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन,
(ii)
 मतदाता सूचियों को तैयार करवाना, 
(iii)
 विभिन्न राजनितिक दलों को मान्यता प्रदान करना,
(iv) राजनितिक दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह प्रदान करना,
(v)
 चुनाव करवाना, 
(vi) राजनितिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करवाना.

निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक प्रावधान 

(i) निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है अर्थात् इसका निर्माण संविधान ने  किया है.
(ii) मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं.
(iii) मुख्य चुनाव आयुक्त महाभियोग जैसी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है.
(iv) मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समान ही है.
(v) नियुक्ति के पश्चात मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शशर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है.

आदर्श आचार संहिता

आदर्श आचार संहिता (MCC) उन मार्गनिर्देशों को कहते हैं जिन्हें भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों पर लागू किये जाते हैं. ये मार्गनिर्देश मुख्यतः इन विषयों से सम्बन्धित होते हैं – भाषण, निर्वाचन दिवस, निर्वाचन बूथ, चुनाव घोषणापत्र, जुलूस तथा सामान्य-आचरण.

लक्ष्य : इन मार्गनिर्देशों का उद्देश्य स्वतंत्र एवं न्यायपूर्ण चुनाव कराना है.

कब लागू होती हैअभी तक आदर्श आचार संहिता आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के तुरंत पश्चात् लागू हो जाती है और जब तक चुनावी प्रक्रिया चलती रहती है यह प्रभावी रहती है.

संहिता की वैधानिक स्थिति : आदर्श आचार संहिता का कोई वैधानिक आधार नहीं है. यह चुनावों से जुड़ी हुई नैतिकता के नियम हैं जिनपर मात्र पालन करने का दबाव होता है. परन्तु वैधानिक स्वीकृति नहीं होते हुए भी आयोग इस संहिता को लागू करने से नहीं रुकता.

इतिहास : भारतीय चुनाव आयोग ने सबसे पहले 1971 के पाँचवे चुनाव के समय आदर्श आचार संहिता निर्गत की थी और वह उसे समय-समय पर संशोधित करता रहता है. संहिता राजनैतिक दलों की सहमति से बनी थी और उन दलों ने यह वचन दिया था कि वे  इसमें वर्णित सिद्धांतों का पालन करेंगे और इसे अक्षरशः मान्यता देंगे.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Electoral bond scheme

संदर्भ

हाल ही में चुनाव आयोग ने कहा कि वह चुनावी बॉन्ड के विरुद्ध नहीं है बल्कि चंदा देने वाले की पहचान गुप्त रखने के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को याद दिलाया कि उसने केंद्र को लिखे अपने पत्र में चुनावी बॉन्ड को प्रतिगामी कदम करार दिया था. कोर्ट ने पूछा कि क्या आयोग अपना रुख बदल रहा है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन दानकर्ता के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए क्योंकि लोगों और चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है.  

सरकार का तर्क 

  • सरकार का कहना है कि चुनावी बांड की व्यवस्था देश में राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है और सरकार इस दिशा में किसी भी नए सुझाव पर विचार के लिए तैयार है.
  • सरकार ने कहा कि अभी तक राजनीतिक दलों को चंदा देने और उनका खर्च दोनों नकदी में होता चला आ रहा है. चंदा देने वालों के नामों का या तो पता नहीं होता है, या वे छद्म होते हैं. कितना पैसा आया यह कभी नहीं बताया जाता और व्यवस्था ऐसी बना दी गई है कि अज्ञात स्रोतों से संदिग्ध धन आता रहे.
  • सरकार का प्रयास यह है कि ऐसी वैकल्पिक प्रणाली लाई जाए, जो राजनीति चंदे की व्यवस्था में स्वच्छता ला सके.

चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  • ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
  • चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
  • इलेक्टोरल बांड1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
  • हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
  • परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
  • बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
  • चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
  • चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
  • चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  • चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.

चुनावी बांड के फायदे

अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.


GS Paper  2 Source: Times of India

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Topic : International Maritime Organisation (IMO)

संदर्भ

हाल ही में जहाज़ों और बंदरगाहों के मध्य इलेक्ट्रॉनिक सूचना विनिमय को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने वैश्विक स्तर पर एक नया नियम लागू किया है. इसका  उद्देश्य सीमा पार व्यापार को आसान और परेशानी मुक्त बनाना है. विदित हो कि दुनिया भर में 10 बिलियन टन से ज्यादा माल का कारोबार समुद्र के मार्ग से ही किया जाता है.

मुख्य तथ्य

  • यह नियम सीमा पार व्यापार को सुगम बनाने और लॉजिस्टिक्स चेन को अधिक कुशल बनाने हेतु है.
  • यह नियम समुद्री व्यापार में प्रशासनिक बोझ को कम करेगा और समुद्री व्यापार तथा संचार की दक्षता में वृद्धि करेगा.
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुविधा(Convention on Facilitation of International Maritime Traffic- FAL) पर IMO के सम्मेलन के अंतर्गत लाया गया है.

FAL कन्वेंशन

इसे 1965 में अपनाया गया. इसका मुख्य उद्देश्य जहाजों, मालवाहक और यात्रियों के बंदरगाहों में निर्बाध पारगमन को प्रोत्साहन देना है.

भारत की स्थिति

  • भारत ने दिसंबर, 2018 में बंदरगाहों पर एक पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम- PCS1x आरम्भ किया.
  • ‘PCS1x’एक क्लाउड आधारित तकनीक है जिसे मुंबई स्थित लॉजिस्टिक्स समूह जे.एम. बक्सी ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है.
  • PCS1x इंजन, वर्कफ़्लो, मोबाइल एप्लीकेशन, ट्रैक और ट्रेस, बेहतर उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस, सुरक्षा सुविधाओं आदि की सूचना प्रदान करता है और समावेशन को बेहतर बनाता है.
  • PCS1x की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर को जोड़ सकता है जो समुद्री उद्योग के लिये सेवाएँ प्रदान करता है. इससे हितधारकों को सेवाओं के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचने में मदद मिलती है.
  • यह भुगतान की सुविधा भी प्रदान करता है जिससे बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली पर निर्भरता कम होती है.
  • PCS1x एक डेटाबेस प्रदान करता है जो सभी लेन-देन के लिये एकल डेटा बिंदु के रूप में कार्य करता है.
  • ऐसा अनुमान है कि यह सुविधा लेन-देन में लगने वाले के समय को दो दिन तक कम कर देगी. इससे भारत में समुद्री व्यापार में बड़ा बदलाव आएगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business- EDB) एवं लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index – LPI) रैंक में सुधार होगा.

IMO क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहाजों की सुरक्षा तथा उनमें सुधार और जहाजों से निकलने वाली प्रदूषण को रोकने के लिए गठित किया गया एक संगठन है.
  • यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी के रूप में कार्य करता है.
  • इसका मुख्यालय लंदन में स्थित है.
  • IMO में वर्तमान में 174 सदस्य राज्य और तीन सहयोगी सदस्य हैं.
  • यह समुद्री यातायात से जुड़े कानूनी और आर्थिक मामलों के साथ-साथ समुद्री यातायात को सुगम बनाने के लिए भी कार्य करता है.ernational
  • इस संगठन की स्थापना 17 मार्च 1948 को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में जिनेवा में आयोजित एक सम्मेलन में की गई थी.
  • इस के महासचिव कोरिया गणराज्य केकिटाक लिम है जिन्हें 1 जनवरी 2016 को 4 साल की अवधि के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया है.

GS Paper  2 Source: Times of India

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Topic : International Finance Corporation (IFC)

संदर्भ

अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय मछुआरों के एक समूह एवं गुजरात ग्राम पंचायत के पक्ष में और अमेरिका के मुख्यालय वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के विरुद्ध फैसला सुनाया है.

मामला क्या है?

भारतीय मछुआरों और ग्रामीणों का मानना था कि गुजरात में कोयला-आधारित बिजली संयंत्र, जो IFC द्वारा वित्त-पोषित है, पारिस्थितिकी तन्त्र को नुक्सान पहुँचा रहा है. इसलिए उन्होंने इस सन्दर्भ में अमेरिकी न्यायालय का दरवाजा ठकठकाया.

IFC क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो विकासशील देशों में निजी प्रक्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश, परामर्श और संपदा प्रबंधन की सेवाएँ प्रदान करता है.
  • यह संस्था विश्व बैंक समूह का एक सदस्य है और इसका मुख्यालय अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में है.
  • इसकी स्थापना 1956 में विश्व बैंक समूह के निजी प्रक्षेत्र शाखा के रूप में हुई थी. इसका काम पूर्ण रूप से लाभ मात्र के उद्देश्य से उन वाणिज्यिक परियोजनाओं में पैसा लगाकर आर्थिक विकास को आगे ले जाना था जिनसे गरीबी घटाई जा सकती थी और विकास बढ़ाया जा सकता था.
  • वैसे तो इस निगम का स्वामित्व और प्रशासन इसके सदस्य देशों के पास होता है, परन्तु इसके पास कार्यकारी नेतृत्व और स्टाफ भी होते हैं जो इसके सामान्य कार्यों के संचालन के उत्तरदायी होते हैं.

कार्य

  • यह भाँति-भाँति के ऋण और वित्तीय सेवाएँ देता है और कम्पनियों को जोखिम को झेलने में समर्थ बनाता है, परन्तु यह प्रबंधन में भागीदारी करने से बचता है.
  • यह निगम कंपनियों को निर्णय लेने तथा इन निर्णयों के पर्यावरण और समाज पर होने वाले प्रभावों के आकलन के विषय में परामर्श भी देता है.
  • यह सरकारों को अवसरंचना बनाने और भागीदारियाँ करने के विषय में परामर्श देकर निजी प्रक्षेत्र के विकास में सहयोग भी करता है.

GS Paper  3 Source: Indian Express

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Topic : Deadly drug-resistant fungus’ India connection

संदर्भ

अमेरिका और यूरोप में कई लोगों को अपना शिकार बना चुका घातक फंगस कैंडिडा ऑरिस भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी अपना पैर पसार रहा है. पिछले पाँच वर्ष में यह वेनेजुएला और स्पेन में फैल चुका है.

क्या है कैंडिडा ऑरिस और यह क्यों खतरनाक है?

  • कैंडिडा ऑरिस भी एक फंगस है. जब यह मानव रक्त में शामिल होता है तो यह अंदरुनी अंगों को प्रभावित करता है. अभी तक यह कई मरीजों की यह जान ले चुका है.
  • यह इसलिए और भी खतरनाक हो गया है क्योंकि लोगों को इसके बारे में जानकारी न के बराबर है.
  • इस पर अब तक दवाएँ भी नहीं बन पाई हैं. दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस संक्रमण और उसके इलाज पर शोध कर रहे हैं.
  • विशेष तकनीक के बिना इसे लैब में पहचाना नहीं जा सकता. इस इंफेक्शन से प्रभावित होने वाले मरीज अक्सर किसी दूसरी बीमारी के चलते बीमार होते हैं, ऐसे में इसे पहचानना और भी अधिक कठिन हो जाता है.
  • जब इस तरह का नया इंफेक्शन पनपता है तो दवाइयां भी अपना असर दिखाना कम कर देती हैं. ऐसे में कई स्तरों पर सुरक्षा अपनानी पड़ती है.
  • जिन मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर है, उनमें इसके इंफेक्शन का खतरा अधिक है. यह फंगस खून के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है.
  • कैंडिडा ऑरिस पर एंटी फंगल दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं. यह संक्रमण दवा प्रतिरोधी है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडर्न मेडिसिन प्रति डिफेंस विकसित कर रहा है. यह फंगस अस्पताल में मौजूद लोगों के हाथों और उपकरणों, बोट के जरिए ले जाए जाने वाले मीट, खाद से उपजाई गई सब्जियों, सीमा के पार यात्रा कर रहे यात्रियों और अन्य चीजों के आयात-निर्यात व प्रभावित मरीज के जरिए घर और अस्पताल में आने-जाने से आसानी से सभी जगह फैल जाता है.

कैसे फैल रहा है?

  • यह फंगस हॉस्पिटल में मौजूद लोगों के हाथों, उपकरणों, दूसरे देशों से आ रहे यात्रियों, सामान आदि के जरिए घर और अस्पतालों में फैल रहा है.
  • बुखार आना, दर्द होना, लगातार थकावट लगना आदि इसके संकेत हैं.

GS Paper  3 Source: Indian Express

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Topic : Black holes

संदर्भ

पिछले काफी समय से कृष्ण विवर (black hole) को लेकर अनुसंधान कर रहे खगोलविदों को अंततः सफलता मिल ही गई. वैज्ञानिकों ने हाल ही में ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की है.

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पृष्ठभूमि

पिछले 50 वर्ष से अधिक समय से वैज्ञानिक ब्लैक होल के विषय में अनुसंधान कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने पाया कि आकाशगंगा के केंद्र में कुछ बहुत चमकीला है और उसी समय से इसे लेकर वैज्ञानिकों में उत्सुकता बढ़ने लगी और इसकी सच्चाई जानने के लिए अनुसंधान शुरू की गई. वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक होल में इतना मजबूत गुरुत्वाकर्षण है कि तारों को इसकी परिक्रमा करने में 20 वर्ष तक का समय लगता है. जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी सौर प्रणाली में आकाशगंगा की परिक्रमा में 23 करोड़ साल लगते हैं. 

वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैक होल की तस्वीर खींचने में वैज्ञानिकों को 6 टेलीस्कोप के मिश्रण का इस्तेमाल करना पड़ा. क्योंकि एक पारंपरिक टेलीस्कोप से इसकी तस्वीर खींच पाना संभव नहीं था. इसलिए वैज्ञानिकों को Event Horizon Telescope का इस्तेमाल करना पड़ा. वैज्ञानिकों द्वारा जारी की गई तस्वीर में ‘Galaxy Messier 87’ के मध्य में एक Black Hole दिख रहा है. यह पृथ्वी से 53 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है. 

क्या हैं ब्लैक होल?

कृष्ण विवर अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो  आकार में बहुत छोटे होते हैं. इसके प्रबल गुरुत्वाकर्षण के चंगुल से  प्रकाश की किरणों का भी निकलना असम्भव होता है. चूँकि इससे प्रकाश की किरणें भी बाहर नहीं निकल पाती हैं, अत: यह हमारे लिए अदृश्य बना रहता है.

कैसे बनते हैं ब्लैक होल?

कृष्ण विवरों का निर्माण किस प्रकार से होता है, यह जानने से पहले, तारों के  विकासक्रम को समझना आवश्यक होगा. एक तारे का विकासक्रम आकाशगंगा (Galaxy) में उपस्थित धूल एवं गैसों के एक अत्यंत विशाल मेघ (Dust & Gas Cloud)  से आरंभ होता हैं. इसे ‘नीहारिका’ (Nebula) कहते हैं. नीहारिकाओं के अंदर हाइड्रोजन की मात्रा सर्वाधिक होती है और 23 से 28 प्रतिशत हीलियम तथा अल्प मात्रा में कुछ भारी तत्व होते हैं.

जब गैस और धूलों से भरे हुए मेघ के घनत्व में वृद्धि होती है. उस समय मेघ अपने ही गुरुत्व के कारण संकुचित होने लगता है. मेघ में संकुचन के साथ-साथ उसके केन्द्रभाग के ताप एवं  दाब में भी वृद्धि हो जाती है. अंततः ताप और दाब इतना अधिक हो जाता है कि हाइड्रोजन के नाभिक आपस में टकराने लगते हैं और हीलियम के नाभिक का निर्माण करनें लगतें हैं . तब तापनाभिकीय संलयन (Thermo-Nuclear Fusion) शुरू हो जाता है. तारों के अंदर यह अभिक्रिया एक नियंत्रित हाइड्रोजन बम विस्फोट जैसी होती है. इस प्रक्रम में प्रकाश तथा ऊष्मा  के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है. इस प्रकार वह मेघ ऊष्मा व प्रकाश से चमकता हुआ तारा बन जाता है. 

आकाशगंगा में ऐसे बहुत से तारे होते हैं जिनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से तीन-चार गुना से भी अधिक होता है. ऐसे तारों पर गुरुत्वीय खिचांव अत्यधिक होने के कारण तारा संकुचित होने लगता है, और दिक्-काल (Space-Time) विकृत होने लगती है, परिणामत: जब तारा किसी निश्चित क्रांतिक सीमा (Critical limit) तक संकुचित हो जाता है, और अपनी ओर के दिक्-काल को इतना अधिक झुका लेता है कि अदृश्य हो जाता है. यही वे अदृश्य पिंड होते हैं जिसे अब हम ‘कृष्ण विवर’ या ‘ब्लैक होल’ कहतें है. अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर (John Wheeler) ने वर्ष 1967 में पहली बार इन पिंडो के लिए ‘ब्लैक होल’ (Black Hole) शब्द का उपयोग किया.


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