Sansar Daily Current Affairs, 11 January 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : GST Council
संदर्भ
हाल ही में सम्पन्न अपनी 32वीं बैठक में GST परिषद् ने ऐसे कई निर्णय लिए जिनका उद्देश्य छोटे और मंझोले व्यवसायियों के ऊपर से कर घटाना और अनुपालन का बोझ कम करना है.
लिए गये निर्णय
- GST से मुक्ति के लिए कंपनियों के लिए निर्धारित वार्षिक टर्न-ओवर की सीमा को 20 लाख रू. से बढ़ाकर 40 लाख रू. कर दिया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों में यह सीमा पहले 10 लाख रू. थी जो अब 20 लाख रू. कर दी गई है.
- कम्पोजीशन योजना के लिए अर्हता की सीमा के लिए वांछित वार्षिक टर्न-ओवर को अप्रैल 1, 2019 से डेढ़ करोड़ रू. कर दिया गया है. अब तक केवल निर्माता और व्यापारी ही इस योजना के लिए योग्य थे. परन्तु अब यह योजना उन छोटे सेवा-प्रदाताओं तक बढ़ा दी गई है जिनका वार्षिक टर्न-ओवर 50 लाख रू. तक का है. इसके लिए निर्धारित कर की दर 6% है.
- केरल राज्य को राज्य के अन्दर आपूर्ति पर दो वर्ष तक 1% अधिकर लगाने की छूट दी गई है जिससे वह हाल में आई बाढ़ के सन्दर्भ में आपदा राहत कार्यों के लिए वित्त जुटा सके.
इन निर्णयों का निहितार्थ
- GST का एक बहुत बड़ा अंश औपचारिक सेक्टर और बड़ी कंपनियों से आता है. यह जो निर्णय लिए गये हैं उनसे छोटी और मंझोली कंपनियों को सहायता मिलेगी. इससे GST राजस्व पर साधारण प्रभाव पड़ेगा.
- केरल को आपदा अधिकार के रूप में 1% लगाने की छूट देने से अन्य राज्य भी अतिरिक्त अधिकार की माँग भविष्य में उठा सकते हैं.
- GST की सीमा को बढ़ाने से 10 लाख व्यापारी GST भरने से मुक्ति पा लेंगे. दूसरी ओर कम्पोजीशन योजना की सीमा बढ़ाने से उन 20 लाख छोटे व्यवसाइयों को लाभ पहुंचेगा जिनका वार्षिक टर्न ओवर 1 करोड़ रू. से 5 करोड़ रू. के बीच है.
कम्पोजीशन योजना किसके लिए है?
वर्तमान में जिन कंपनियों का वार्षिक टर्न-ओवर 1 करोड़ रू. तक का है, वे ही इस योजना में आ सकती हैं और 1% की न्यून दर पर त्रैमासिक आधार पर रिटर्न जमा कर सकती हैं.
GST परिषद् की संरचना
इसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं –
- केन्द्रीय वित्त मंत्री परिषद् के अध्यक्ष होंगे.
- केन्द्रीय राजस्व वित्त राज्य मंत्री इसके सदस्य होंगे.
- इस परिषद् में प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित वित्त अथवा कर के प्रभार वाले मंत्री अथवा अन्य कोई भी मंत्री इसके सदस्य होंगे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Henley Passport Index
संदर्भ
2019 का हेनले पासपोर्ट सूचकांक निर्गत कर दिया गया है. यह सूचकांक अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन प्राधिकरण (International Air Transport Authority – IATA) द्वारा 199 पासपोर्टों और 227 पर्यटन स्थलों के सम्बन्ध में दिए गये आँकड़ों पर आधारित होता है.
पृष्ठभूमि
हेनले पासपोर्ट सूचकांक (HPI) में विभिन्न देशों की वैश्विक रैंकिंग इस आधार पर दी जाती है कि वहाँ उनके नागरिकों को भ्रमण करने की कितनी स्वतंत्रता मिली हुई है. यह सूचकांक 2006 में आरम्भ हुआ था जब उसका नाम हेनले एंड पार्टनर्स वीजा प्रतिबंध सूचकांक हुआ करता था. कालांतर में इसका स्वरूप बदला गया और जनवरी 2018 में इसे हेनले पासपोर्ट सूचकांक का नाम दिया गया.
रैंकिंग की तकनीक
HPI में पासपोर्टों की रैंकिंग इस आधार पर की जाती है कि उनके माध्यम से कितने अन्य क्षेत्रों में बिना वीजा की यात्रा की जा सकती है. इसके लिए IATA डाटाबेस में वर्णित सभी प्रमुख गन्तव्य देशों और क्षेत्रों पर विचार किया जाता है.
विभिन्न देशों की रैंकिंग
- 2018 में भारत की रैंकिंग 81वीं थी जो इस वर्ष बढ़कर 79वीं हो गई है.
- जापान पहले की भाँति शीर्ष स्थान पर रहा क्योंकि उस देश के पासपोर्ट से 190 देशों तक वीजा-रहित यात्रा की जा सकती है.
- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल की रैंकिंग पहले से गिरकर क्रमशः 104, 102 और 94 हो गई.
- दक्षिणी कोरिया के पासपोर्ट की शक्ति बढ़कर सिंगापुर के बराबर हो गई जहाँ 189 देशों की यात्रा के लिए सुविधा दी जाती है.
- पिछले दो वर्षों में चीन का पासपोर्ट 85 से उछलकर 69वें स्थान पर आ गया.
- यूरोप के देशों ने भी इस मामले में अच्छा प्रदर्शन किया. यद्यपि इंग्लैंड की रैंकिंग में इस वर्ष भी गिरावट देखी गई.
GS Paper 2 Source: Business Standard
Topic : Democracy Index 2018
संदर्भ
हर वर्ष की भाँति The Economist के द्वारा 2018 का लोकतंत्र सूचकांक (democracy index) निर्गत कर दिया गया है.
यह सूचकांक 165 देशों और दो क्षेत्रों में लोकतंत्र की स्थिति दर्शाता है. यह सूचकांक इन पाँच श्रेणियों पर आधारित होता है – चुनाव की प्रक्रिया और बहुलतावाद; नागरिक स्वतंत्रताएँ; सरकार का कारोबार; राजनैतिक भागीदारी; तथा राजनीतिक संस्कृति. इन पाँच श्रेणियों के अन्दर भी 60 संकेतक होते हैं. सभी पर विचार कर के प्रत्येक देश को इन चार वर्गों में बाँटा जाता है – पूर्ण लोकतंत्र; त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र; संकर शासनतंत्र; तथा निरंकुश राजतंत्र.
भारत का प्रदर्शन
इस बार भारत की रैंकिंग पिछले वर्ष की तुलना में एक स्थान बढ़कर 41वीं हो गई है. सूचकांक के अनुसार यह देश त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में आता है. इस बार भारत को दिया गया अंक 7.23 है जो पिछले वर्ष भी यही था. जब से यह सूचकांक प्रकाशित होना आरम्भ हुआ तब से इस बार भारत को सबसे कम अंक मिले हैं.
अमेरिका को 25वाँ स्थान मिला है. भारत की भाँति सूचकांक में जिन देशों को “त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र” कहा गया है, वे हैं – इटली, फ़्रांस, बोत्सवाना और द. अफ्रीका.
त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की परिभाषा
सूचकांक के अनुसार उन देशों को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र कहा जाता है जहाँ चुनाव स्वतंत्र और न्यायपूर्ण ढंग से होते हैं. यद्यपि वहाँ मीडिया की स्वतंत्रता में कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. ऐसे लोकतंत्र में बुनियादी नागरिक स्वतंत्रताओं का आदर होता है किन्तु कुछ कमियाँ भी होती हैं, जैसे- प्रशासन की समस्या, अल्प-विकसित राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक भागीदारी का निम्न-स्तर.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World Gold Council (WGC)
संदर्भ
विश्व स्वर्ण परिषद् ने 2019 में सोने की माँग के विषय में एक प्रतिवेदन निर्गत किया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- 2019 में सोने की माँग वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन, भारत जैसी मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में अपनाई जाने वाली मौद्रिक नीति तथा डॉलर की आवाजाही पर निर्भर होगी.
- सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है इसलिए जब बाजार अस्थिर होता है तो सोने की माँग सामान्यतया बढ़ जाती है.
- भारत और चीन में सोने की सबसे अधिक खपत होती है. इन देशों के अतिरिक्त कुछ अन्य उभरते हुए बाजार भी हैं. सोने की 70% माँग इन देशों से ही आती है.
विश्व स्वर्ण परिषद् क्या है?
- विश्व स्वर्ण परिषद् (World Gold Council) स्वर्ण उद्योग के लिए बाजार विकास का एक संगठन है. यह स्वर्ण उद्योग से जुड़े हुए हर कार्य को देखता है चाहे वह सोने का खनन हो या सोने का निवेश.
- इस परिषद् का उद्देश्य सोने की माँग को उत्प्रेरित करना और उसे बनाए रखना है.
- विश्व स्वर्ण परिषद् एक ऐसा संघ है जिसमें विश्व की अग्रणी स्वर्ण खदान कंपनियाँ सदस्य होती हैं. यह परिषद् अपने सदस्यों को उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से खनन करने में सहायता देती है. इसी परिषद् ने Conflict Free Gold Standard को विकसित किया है.
- विश्व स्वर्ण परिषद् का मुख्यालय इंग्लैंड में है और इसके कार्यालय भारत, चीन, सिंगापुर, जापान एवं अमेरिका में हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : National Clean Air Programme
संदर्भ
भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme – NCAP) नामक कार्यक्रम की घोषणा की है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य वायु की गुणवत्ता को समयबद्ध तरीके से सुधारने के लिए एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करना है.
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व
- 2017 से लेकर 2024 तक पूरे देश में 5 और PM10 संघनन (concentration) में 20-30% कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना.
- इस कार्यक्रम को पूरे देश में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) वायु (प्रदूषण प्रतिषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के अनुभाग 162 (b) के अनुसार लागू करेगा.
- इस कार्यक्रम के लिए पहले 2 वर्ष में 300 करोड़ रू. का आरम्भिक बजट दिया गया है.
- इस कार्यक्रम में 23 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के 102 शहरों को चुना गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2011 और 2015 की अवधि में इन शहरों की वायु गुणवत्ता से सम्बंधित आँकड़ों के आधार पर किया गया है. इन शहरों में वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वायु की गुणवत्ता लगातार अच्छी नहीं रही है. इनमें से कुछ शहर ये हैं – दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई.
- इस कार्यक्रम में केंद्र की यह भी योजना है कि वह पूरे भारत में वायु गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क को सुदृढ़ करे. वर्तमान में हमारे पास 101 रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटर हैं. परन्तु निगरानी की व्यस्था को सुदृढ़ करने के लिए कम से कम 4,000 मॉनिटरों की आवश्यकता होगी.
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में एक त्रि-स्तरीय प्रणाली भी प्रस्तावित है. इस प्रणाली के अंतर्गत रियल-टाइम भौतिक आँकड़ों के संकलन, उनके भंडारण और सभी 102 शहरों में एक्शन ट्रिगर प्रणाली की स्थापना अपेक्षित होगी. इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से पौधे लगाये जाएँगे, स्वच्छ तकनीकों पर शोध होगा, बड़े-बड़े राजमार्गों की लैंडस्केपिंग की जायेगी और कठोर औद्योगिक मानदंड लागू किये जाएँगे.
- इस कार्यक्रम के तहत राज्य-स्तर पर भी कई कदम उठाये जाएँगे, जैसे – दुपहिये वाहन का विद्युतीकरण, बैटरी चार्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करना, BS-VI मापदंडों को कठोरता से लागू करना, सार्वजनिक यातायात तन्त्र को मजबूत करना तथा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का तीसरे पक्ष से अंकेक्षण कराना आदि.
- इस राष्ट्रीय योजना में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च समिति, अवर सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव है. इसी प्रकार राज्यों के स्तर पर भी परियोजना निगरानी के लिए समितियाँ होंगी जिनमें वैज्ञानिक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे.
कार्यक्रम के लाभ
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से यह लाभ हुआ है कि वायु प्रदूषण को घटाने के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गये हैं जिसके लिए बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. इन लक्ष्यों से यह लाभ होगा कि उन क्षेत्रों का पता चल जाएगा जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है और यह भी पता चलेगा कि वहाँ प्रदूषण घटाने का लक्ष्य पाने के लिए कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जाने चाहिएँ.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : ECO Niwas Samhita 2018
संदर्भ
हाल ही में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency -BEE) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (Central Public Works Department – CPWD) ने भवनों में ऊर्जा सक्षमता को बढ़ावा देने के लिए समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं.
विदित हो कि दिसम्बर 14, 2018 को आवासीय भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण निर्माण संहिता, 2018 (Energy Conservation Building Code) का अनावरण किया गया था जिसका उद्देश्य आवासीय क्षेत्र में ऊर्जा की बचत को बढ़ावा देना है.
इस संहिता के प्रावधानों को लागू करने के लिए ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (BEE) को प्राधिकृत किया गया है.
इस संहिता में इस बात पर बल दिया गया है कि अपार्टमेंट, टाउनशिप अथवा घर इस प्रकार बनाए जाएँ कि उनके निवासियों को ऊर्जा की बचत का लाभ प्राप्त हो. इस संहिता का अनावरण ऊर्जा मंत्रालय ने किया है.
यह संहिता क्या है?
- यह संहिता वास्तुविदों, विशेषज्ञों, निर्माण-सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं एवं डिवेलपरों आदि सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के पश्चात् तैयार हुई है.
- इसमें जो मानदंड सूचीबद्ध किये गये हैं, वे जलवायु एवं ऊर्जा से सम्बंधित आँकड़ों से सम्बंधित कई मानदंडों पर आधारित हैं.
- इस संहिता से उन वास्तुविदों और भवन-निर्माताओं को सहायता मिलेगी जो नए आवासीय संकुलों के रूपांकन एवं निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं.
- आशा की जाती है कि इस संहिता को लागू करने से 2030 तक प्रतिवर्ष 125 बिलियन बिजली इकाई के समतुल्य ऊर्जा की बचत होगी जो 100 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन के बराबर है.
ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (BEE)
यह एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत मार्च 2002 में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा की गई थी. इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- ऊर्जा सक्षमता एवं संरक्षण से सम्बंधित नीति एवं कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना.
- ऊर्जा की माँग को आदर्श स्थिति में लाकर पूरे देश में ऊर्जा सुविधा की सघनता (energy intensity) को घटाना.
- वैश्विक तापवृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाना.
यहाँ पर ध्यान रहे कि UNFCCC को समर्पित अभिलेख में भारत ने यह वचन दिया है कि वह 2030 तक ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में 33-35% की कमी लाएगा.
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