Sansar Daily Current Affairs, 11 January 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Panel to study NFHS-5 findings
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण –5 (National Family Health Survey-5) के निष्कर्षों का अध्ययन करने के लिए प्रीति पंत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है.
पृष्ठभूमि
हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के परिणाम को जारी किया था. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) सम्पूर्ण भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के सन्दर्भ में भारतीय परिवारों के एकत्र किए गए विभिन्न नमूनों का एक सर्वेक्षण है. भारत का पहला राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-1) 1992-93 में आयोजित किया गया था.
NFHS-5 के निष्कर्षों का अध्ययन करने हेतु गठित समिति से जुड़े प्रमुख बिन्दु
- भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Health and Family Welfare Ministry) ने हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (National Family Health Survey-5) के प्रतिकूल निष्कर्षों की जांच करने हेतु एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह का गठन किया है.
- इसके साथ ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुपोषण (Malnutrition), स्टंटिंग (Stunting), एनीमिया (Anaemia) और सी-सेक्शन (C-section) से संबंधित संकेतकों को सुधारने के लिए कार्यक्रम सम्बन्धी एवं नीतिगत हस्तक्षेपों की भी संस्तुति की है.
- समिति की अध्यक्षता संयुक्त सचिव प्रीति पंत कर रही हैं और इसमें दवा और पोषण विशेषज्ञ सम्मिलित हैं.
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा यह निर्देशित किया गया कि तकनीकी विशेषज्ञ समूह को नियमित रूप से बैठक करनी है और जल्द से जल्द अपनी संस्तुति को साझा करना है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण
- यह पूरे देश भर में व्यापक पैमाने पर आयोजित किया जाने वाला एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण है, जिसे कई चरणों में पूरा किया जाता है.
- सर्वेक्षण का पहला चरण 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के आँकड़े प्रदर्शित करता है, जबकि शेष 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (चरण- II) में कार्य प्रगति पर है.
- इसका आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रबंधन में किया जाता है, जहाँ मुंबई स्थित अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है.
मेरी राय – मेंस के लिए
भारत की जनसंख्या पहले ही 125 करोड़ के आँकड़े को पार कर चुकी है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ दशकों में भारत, विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को भी पीछे छोड़ देगा.
- कई जानकारों का मानना है कि बच्चों की संख्या पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित कोई भी नीति भारत के तकनीकी क्रांति को आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक शिक्षित युवाओं की कमी की संख्या को और भी गंभीर कर देगा.
- ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ के कारण चीन के समक्ष मौजूद समस्याएँ (जैसे- लैंगिक असंतुलन) भारत के सक्षम भी उत्पन्न हो सकती हैं.
- NFHS-5 के आधार पर मौजूदा कार्यक्रमों को मज़बूत करने और नीतिगत हस्तक्षेप के लिये नई रणनीतियों को विकसित किया जा सकता है.
- नीति निर्माताओं को हालिया NFHS-5 आँकड़ों के आधार पर वर्तमान नीतियों और कार्यक्रमों में आवश्यक परिवर्तन करना चाहिये.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations
Topic : Want equality-based friendship with India, says Nepal PM
संदर्भ
हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि नेपाल, भारत के साथ समानता पर आधारित मित्रता चाहता है.
मुख्य तथ्य
- हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने नेपाली संसद के ऊपरी सदन को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल, भारत के साथ समानता पर आधारित मित्रता चाहता है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली 14 जनवरी को सीमा से जुड़े विवाद और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत का दौरा करेंगे.
- उन्होंने कहा कि नेपाल ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में काफी प्रगति की है. नेपाल, भारत का वास्तविक दोस्त बनना चाहता है. नेपाल, भारत के साथ समानता-आधारित मित्रता चाहता है तथा नेपाल-भारत सम्बन्धों को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है.
- हालाँकि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने नेपाली संसद के ऊपरी सदन को संबोधित करने के दौरान भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दे का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि उनका देश नेपाल-भारत और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित 370 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्र को वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध है.
- प्रधानमंत्री ओली का कहना है कि पिछले 58 वर्षों से भारत के कब्ज़े में रहा उक्त क्षेत्र नेपाल का है, क्योंकि इससे पहले के 146 वर्षों में यह क्षेत्र नेपाल के कब्ज़े में था.
भारत के लिये नेपाल का महत्त्व
- नेपाल की अहमियत इस वजह से भी ज्यादा है कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के ‘पड़ोस की नीति’ के मद्देनजर नेपाल उनके शुरुआती विदेशी दौरों में से एक था. जबकि इससे पहले आखिरी बार वर्ष 1997 में नेपाल के साथ भारत की कोई द्विपक्षीय वार्ता हुई थी.
- मौजूदा सरकार ने नेपाल सरकार के साथ कई महत्त्वपूर्ण समझौते भी किये हैं. कृषि, रेलवे संबंध और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास सहित कई द्विपक्षीय समझौतों पर सहमति बनी है.
- इनमें बिहार के रक्सौल और काठमांडू के बीच सामरिक रेलवे लिंक का निर्माण किया जाएगा, ताकि लोगों के बीच संपर्क तथा बड़े पैमाने पर माल के आवागमन को सुविधाजनक बनाया जा सके. इसके अलावा मोतिहारी से नेपाल के अमेलखगंज तक दोनों देशों के बीच ऑयल पाइपलाइन बिछाने पर भी हाल ही में सहमति बनी है.
- नेपाल का दक्षिण क्षेत्र भारत की उत्तरी सीमा से सटा है. भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता माना जाता है. बिहार और पूर्वी-उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल के मधेसी समुदाय का सांस्कृतिक एवं नृजातीय संबंध रहा है.
- दोनों देशों की सीमाओं से यातायात पर कभी कोई विशेष प्रतिबंध नहीं रहा. सामाजिक और आर्थिक विनिमय बिना किसी गतिरोध के चलता रहता है. भारत-नेपाल की सीमा खुली हुई है और आवागमन के लिये किसी पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है. यह उदाहरण कई मायनों में भारत-नेपाल की नज़दीकी को दर्शाता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations
Topic : South China Sea
संदर्भ
हाल ही में अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अपने समुद्री बलों को एकीकृत रूप से तैनात करने का निर्णय लिया है.
मुख्य तथ्य
- दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट (South China Morning Post – SCMP) के अनुसार, दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने अगले एक दशक में अमेरिकी नौसेना(US Navy), मरीन कॉर्प्स (Marine Corps) और कोस्ट गार्ड (Coast Guard) सहित अपने अन्य समुद्री बलों को एकीकृत रूप से तैनात करने की योजना की घोषणा की है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की यह एकीकृत ऑल-डोमेन नौसैनिक शक्ति (integrated all-domain naval power) चीन का दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में दृणाता से मुकाबला करेगी.
- इसके अतिरिक्त, कुछ दिनों पूर्व ही अमेरिका और जापान ने प्रशांत महासागर में चीन की आक्रामकता से परेशान वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की नौसेनाओं व तट रक्षक बलों की क्षमता-निर्माण हेतु विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम की पेशकश की है. इसके अलावा, इन देशों को आधुनिक तकनीक युक्त विभिन्न उपकरणों के हस्तांतरण की पेशकश भी की है .
- दक्षिण चीन सागर में अवैध रूप से मछली पकड़ने से निपटने के लिए जुलाई,2020 में अमेरिका और वियतनाम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया था.
दक्षिणी चीन सागर विवाद क्या है?
- मूल विवाद दक्षिणी चीन सागर में स्थित दो द्वीप समूहों को लेकर है जिनका नाम स्प्रैटली द्वीप और पारासेल है. ये दोनों द्वीपसमूह वियतनाम और फिलिपिन्स के बीच पड़ते हैं.
- चीन इन दोनों पर अपना दावा करता है. दूसरी ओर चीन के इस दावे का विरोध फिलिपिन्स, वियेतनाम, मलेशिया और ताईवान की ओर से हो रहा है. ब्रूनेई को भी इसमें आपत्ति है.
- फिलीपींस द्वारा मामले को 2013 में न्यायालय में लाया गया था, जो स्कारबोरो शोल पर केंद्रित था. हालाँकि बीजिंग के द्वारा कार्यवाही का बहिष्कार करने का निर्णय किया गया.
- द हेग, नीदरलैंड स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) ने फैसला दिया था कि दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक अधिकार के चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है.
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इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
“नाइन-डैश” लाइन क्या है?
नाइन-डैश लाइन दक्षिणी हैनात द्वीप के दक्षिण और पूर्व में सैकड़ों किलीमीटर में फैला क्षेत्र है जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पार्मेल और स्प्रैटली द्वीप श्रृंखला को कवर करता है. चीन ने अपने दावे की पुष्टि हेतु 2000 वर्षों के इतिहास का हवाला दिया जिसमें इन दो द्वीप श्रृंखलाओं को इसके अभिन्न हिस्से के रूप में माना गया था.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : National Green Tribunal – NGT
संदर्भ
हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal-NGT) ने कहा है कि राज्य कानून से ऊपर नहीं (State is not above the law) है.
मुख्य तथ्य
- तमिलनाडु के थूथुकुडी (Thoothukudi) जिले में मछली लैंडिंग सेंटर(fish landing centre) के निर्माण में एक संयुक्त समिति(joint committee) ने उल्लंघन पाया है.
- संयुक्त समिति ने एनजीटी को प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा है कि थूथुकुडी (Thoothukudi) जिले में मत्स्य विभाग के एक मछली लैंडिंग केंद्र के निर्माण में तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone -CRZ) अधिसूचना, 2011 के नियमों का उल्लंघन हुआ है. इसके निर्माण में आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई है.
- इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal-NGT) की दक्षिणी बेंच ने कहा है कि राज्य कानून से ऊपर नहीं है यदि इसके द्वारा कार्यान्वित किसी परियोजना में उल्लंघन होते हैं.
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) क्या है?
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के अंतर्गत की गई थी.
- पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण से जुड़े मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटान हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना की गई, जो औद्योगिक गतिविधियों से सम्बंधित आवश्यक निर्देश जारी करने का कार्य करता है.
- NGT का उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा एवं वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्बंधित मामलों का कारगर एवं त्वरित निपटारा करना है.
- न्यायाधिकरण पर्यावरण से सम्बंधित सभी कानूनी अधिकारों को लागू करने से सम्बंधित मामलों को देखता है और साथ ही यह किसी व्यक्ति या संपदा को होने वाली क्षति के लिए मुआवजा एवं राहत भी दिलवाता है.
- अधिनियम के अनुसार, इस न्यायाधिकरण में अधिकतम 20 विशेषज्ञ सदस्य एवं 20 न्यायिक सदस्य हो सकते हैं.
- परन्तु वर्तमान में 10 विशेषज्ञ सदस्य एवं 10 न्यायिक सदस्य ही कार्यरत हैं.
- इसका अध्यक्ष एक न्यायिक सदस्य होता है जो न्यायाधिकरण के प्रसाशन का प्रमुख होता है.
- अधिनियम के अनुसार, अध्यक्ष को उच्च न्यायालय का कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए.
- सदस्योंका चयन सर्वोच्च न्यायालय के एक कार्यरत न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा किया जाता है.
- न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्यों का चुनाव उच्च न्यायालय के कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से किया जाता है.
- विशेषज्ञसदस्यों का चुनाव भारत सरकार के अपर-सचिव श्रेणी के कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त अधिकारियों में से किया जाता है जिनके पास पर्यावरण विषयक मामलों में कार्य करने का न्यूनतम पाँच वर्षों का अनुभव हो. विशेषज्ञ सदस्य के रूप में वे लोग भी चुने जा सकते हैं जिनके पास सम्बंधित विषयों में PhD की डिग्री हो.
- यह न्यायाधिकरण अपनी कार्यवाहियों हेतु Code of Civil Procedure, 1908 को अपनाने के लिए बाध्य नहीं है परन्तु इसे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का अनुसरण करना होता है.
- न्यायाधिकरण को पर्यावरण संबंधी किसी भी आवेदन को 6 महीने के अन्दर-अन्दर निष्पादित करना जरूरी है.
Prelims Vishesh
Sand Boa :-
- सैंड बोआ (sand boa) एक दुर्लभ साँप है. इसे भारत में इसे रेड सैंड बोआ सांप (Red Sand Boa Snake) भी कहा जाता है. यह साँप भारत के कुछ भागों को छोडकर लगभग हर जगह पाया जाता है.
- भारत में स्थानीय स्तर पर सैंड बोआ (sand boa) को ‘दो मुँह वाला सांप ’ (Two-Headed Snake) भी कहते हैं. वैसे इसका वैज्ञानिक नाम एरिक्स जॉनी (Eryx Johnii) है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सैंड बोआ की कीमत काफी ज्यादा है. इसीलिए इसका अवैध व्यापार होता है.
- हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में पिछले कुछ दिनों से सैंड बोआ (sand boa) का अवैध व्यापार काफी बढ़ा है.
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