Sansar Daily Current Affairs, 11 July 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Lal Bahadur Shastri
संदर्भ
पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री ने वाराणसी हवाई अड्डे में स्थापित लाल बहादुर शास्त्री की मूर्ति का अनावरण किया.
लाल बहादुर शास्त्री से सम्बंधित तथ्य
- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर के निकट मुग़लसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था.
- उनकी उपाधि “शास्त्री” इसलिए थी क्योंकि उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की स्नातक-स्तरीय डिग्री ली थी.
- वे लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लोक सेवक मंडल के एक आजीवन सदस्य थे. विदित हो कि लोक सेवक मंडल का कार्य पिछड़े वर्गों का उत्थान करना था. कालांतर में वे उसके अध्यक्ष भी बने.
- स्वतंत्रता के संघर्ष में उन्होंने असहयोग आन्दोलन और नमक सत्याग्रह दोनों में प्रतिभागिता की थी.
- स्वतंत्रता मिलने के पश्चात् 1961 में उन्हें गृह मंत्री नियुक्त किया गया था. उस समय उन्होंने भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए एक समिति गठित की थी.
- उन्होंने प्रसिद्ध शास्त्री समीकरण (Shastri Formula) का सृजन किया था जो असम और पंजाब में भाषा को लेकर हो रहे आन्दोलनों के समाधान के लिए दिया गया था.
- 1964 में इन्होंने श्रीलंका की प्रधानमंत्री सिरीमावो बंदरनायक के साथ श्रीलंका में भारतीय तमिलों की दशा के बारे में एक समझौता किया था. इस समझौते को सिरिमावो-शास्त्री समझौते के नाम से जाना है.
- जवाहर लाल नेहरु के मृत्यु के अनंतर वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने.
- अपने प्रधानमंत्रित्व में उन्होंने श्वेत क्रांति और हरित क्रांति का सूत्रपात किया.
- भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध के पश्चात् उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किये थे. अगले ही दिन उनका निधन हो गया था.
- 1966 में उन्हें निधनोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया था.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : UNESCO World Heritage Sites
संदर्भ
पिछले दिनों UNESCO ने गुलाबी नगर जयपुर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया. इस प्रकार अब भारत में ऐसे स्थलों की संख्या 38 हो गयी है. भारत के विश्व धरोहर स्थलों में 30 सांस्कृतिक सम्पदाएँ, 7 प्राकृतिक सम्पदाएँ और 1 मिश्रित सम्पदा आती हैं.
विश्व धरोहर स्थल क्या है?
UNESCO विश्व धरोहर स्थल वह स्थान है जो UNESCO विशेष सांस्कृतिक अथवा भौतिक महात्म्य के आधार पर सूचीबद्ध करता है. यह सूची UNESCO विश्व धरोहर समिति के द्वारा प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम द्वारा संधारित की जाती है. इस समिति में 21 देश सदस्य होते हैं जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा करती है.
प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल जिस देश में होता है उसके वैधानिक भूक्षेत्र का एक भाग बना रहता है, परन्तु UNESCO अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में इसके संरक्षण का जिम्मा लेता है.
विश्व धरोहर स्थल के लिए पात्रता
- विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुने जाने के लिए उस स्थान पर विचार किया जाता है जो पहले से ही श्रेणीबद्ध लैंडमार्क के रूप में मानी है और जो भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अनूठा है. इसका विशेष सांस्कृतिक अथवा महत्त्व होना आवश्यक है, जैसे – कोई प्राचीन भग्नावशेष अथवा ऐतिहासिक स्मारक, भवन, नगर, संकुल, मरुभूमि, वन, द्वीप, झील, स्थापत्य, पर्वत अथवा जंगल.
- विश्व धरोहर स्थल उस स्थल को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक है अथवा मनुष्यकृत है. इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा ढाँचा जिसका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है अथवा ऐसी जगह जिसके लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, वह विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) कहलाता है.
- ऐसे धरोहर स्थलों को संयुक्त राष्ट्र संघ और UNESCO की ओर से औपचारिक मान्यता दी जाती है. UNESCO का विचार है कि विश्व धरोहर स्थल मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और इनकी सांस्कृतिक एवं भौतिक सार्थकता ही है.
विश्व धरोहर स्थल का वैधानिक दर्जा
जब UNESCO किसी स्थल को विश्व धरोहर स्थल नामित करता है तो प्रथमदृष्टया यह मान लिया जाता है कि सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील यह स्थल वैधानिक रूप से सुरक्षित होगा. सुरक्षा की यह गारंटी जेनेवा और हेग संधियों में वर्णित प्रावधानों से प्राप्त होती है. विदित हो कि ये संधियाँ युद्ध के समय सांस्कृतिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून की परिधि में लाती हैं.
संकटग्रस्त स्थल (endangered sites) क्या होते हैं?
- यदि विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किसी स्थल पर सशस्त्र संघर्ष और युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण, अवैध शिकार अथवा अनियंत्रित नगरीकरण अथवा मानव विकास से खतरा उत्पन्न होता है तो उस स्थल को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची में डाल दिया जाता है.
- ऐसा करने का उद्देश्य यह होता है कि पूरे विश्व में इन खतरों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए और उनके प्रतिकार के लिए उपाय करने को प्रोत्साहन मिले. खतरों को दो भागों में बाँट सकते हैं – पहले भाग में वे खतरे हैं जो सिद्ध हो चुके हैं और दूसरे भाग में वे खतरे हैं जो संभावित हैं.
- UNESCO प्रतिवर्ष संकटग्रस्त सूची के स्थलों के संरक्षण के बारे में जानकारी लेता रहता है. समीक्षोपरान्त सम्बंधित समिति अतिरिक्त कदम उठाने का अनुरोध कर सकती है. चाहे तो वह उस स्थल को सूची से इस आधार पर निकाल दे कि खतरे समाप्त हो गये हैं अथवा उसे संकटग्रस्त सूची एवं विश्व धरोहर की सूची दोनों से विलोपित भी कर सकती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Drugs and Cosmetic Rules, 1945
संदर्भ
पंजीकृत चिकित्सक केवल जेनेरिक दवाएँ ही रोगी को दें यह सुनिश्चित करने के लिए औषधि एवं प्रासधन नियमावली, 1945 में संशोधन लाने पर विचार कर रही है. सरकार का प्रस्ताव है कि वह चिकित्सकों को जेनेरिक दवाओं के नमूने मुफ्त में देगी.
जेनेरिक दवाएँ क्या हैं?
जेनेरिक दवाएँ बिना ब्रांड वाली दवाओं को कहते हैं. जेनेरिक दवाएँ उतनी ही गुणवत्तायुक्त और कारगर हैं जितनी ब्रांड की गई महँगी दवाइयाँ. साथ ही इनके दाम इन महँगी दवाइयों की तुलना में बहुत कम होते हैं. इनके सस्ते होने का कारण यह है कि इनकी प्रभावशालिता पहले से सिद्ध होती है और इसके लिए बार-बार क्लिनिकल ट्रायल नहीं करने पड़ते हैं.
जेनेरिक दवाएँ उतनी चलती क्यों नहीं हैं?
इसका मुख्य कारण यह है कि लोगों के पास इन दवाओं की जानकारी नहीं है, फिर ये बहुत सस्ती होती हैं इसलिए लोग समझ बैठते हैं कि इनकी गुणवत्ता कम होती है. अधिकांश सरकारी अस्पतालों को छोड़कर अधिकांश चिकित्सक भी ब्रांड वाली दवाओं का ही सुझाव देते हैं जिसके अनुसार दवा विक्रेता ब्रांड वाली दवाएँ थमा देते हैं. निजी चिकित्सक ब्रांड वाली दवाओं पर बल देते हैं क्योंकि उन्हें फार्मा कंपनियों से इनके लिए उत्प्रेरण राशि मिलती है.
जेनेरिक दवाओं को मुहैया करने के लिए सरकारी उपाय
जेनेरिक दवाओं की व्यापक आपूर्ति के लिए सरकार प्रधान मंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना चला रही है. इसके अंतर्गत कई विशेष केंद्र बनाए गये हैं जहाँ से जनसाधारण को सस्ते दाम पर गुणवत्तायुक्त दवाएँ दी जाएँगी. इस परियोजना के संचालन के लिए ब्यूरो ऑफ़ फार्मा PSU ऑफ़ इंडिया (BPPI) को भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग के अंतर्गत कार्यकारी एजेंसी चुना गया है.
GS Paper 3 Source: Indian Express
Topic : India to be a $5-trillion economy
संदर्भ
भारत सरकार ने पिछले दिनों यह घोषणा की कि वह 2024 की मई के पहले-पहले भारत को एक पाँच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाएगी.
वर्तमान स्थिति
2014 में भारत की GDP 1.85 ट्रिलियन डॉलर थी. आज यह बढ़कर 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई है और भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है.
तो क्या भारतीय लोग विश्व के छठे सबसे धनी लोग हैं?
इसका उत्तर नहीं में है. यह सच है कि यह विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परन्तु यहाँ के लोग विश्व के छठे सबसे अमीर लोग नहीं हैं.
लोगों की समृद्धि का सबसे बढ़िया पैमाना अर्थव्यवस्था का आकार नहीं, अपितु लोगों की प्रति व्यक्ति आय होता है. वास्तव में विशाल जनसंख्या के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय कम रह जाती है. उदाहरण के लिए, इंग्लैंड में रहने वालों की प्रति व्यक्ति आय 2018 में भारतीयों की औसत आय से 21 गुना अधिक थी.
क्या भारत ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य 2024 तक पा लेगा?
यदि भारत 12% की दर से वृद्धि करता है (8% वास्तविक जीडीपी वृद्धि और 4% मुद्रा स्फीति) तो 2018 के 2.7 ट्रिलियन डॉलर के स्तर से भारत 2024 में 5.33 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है. पर इसके लिए भारत को अपनी वृद्धि दर तेज रखनी होगी.
इसका GDP पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यदि भारत की GDP 2024 तक 5.33 ट्रिलियन डॉलर हो जाती है तो उस समय भारत की जनसंख्या संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पूर्वानुमान के अनुसार 1.43 बिलियन होगी. इस प्रकार भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी उस समय 3,727 डॉलर हो जायेगी. यह बढ़ोतरी तो अच्छी होगी, किन्तु यह बहुत कम मानी जायेगी. विदित हो कि इंडोनेशिया की जीडीपी 2018 में जितनी थी उससे यह कम होगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Zero Budget Natural Farming
संदर्भ
पिछले दिनों बजट भाषण के समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि किसानों की आय को दुगुना करने के लिए सरकार शून्य बजट प्राकृतिक कृषि पर ध्यान देगी. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में इसका प्रयोग अभी भी हो रहा है.
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि क्या है?
जैसा कि इसका नाम बताता है कि शून्य बजट प्राकृतिक कृषि वैसी खेती है जिसमें फसल को उगाने और कटाई में आने वाला खर्च शून्य होता है. ऐसा इसलिए होता है कि इस कृषि में किसान को कोई खाद अथवा कीटनाशक खरीदना नहीं पड़ता है. वह रसायनिक खाद के बदले जैविक खाद तथा कीटनाशक का प्रयोग करता है.
इसमें जो खाद का प्रयोग होता है वह केंचुओं, गोबर, गोमूत्र, सड़े हुए पौधों और मलमूत्र और ऐसे अन्य जैविक खाद डालते हैं. इससे न केवल किसान का खर्च बचता है अपितु मिट्टी भी खराब होने से बच जाती है.
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि के लाभ
- इसमें किसानों की लागत कम होती है क्योंकि वे जिन खादों और कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं वे उन्हें स्थानीय स्रोतों से मिल जाते हैं.
- इसके अतिरिक्त स्थानीय गायों से प्राप्त गोबर आश्चर्यजनक रूप से मिट्टी की उर्वरकता और पौष्टिक महत्त्व को फिर से जीवित कर देता है. माना जाता है कि एक ग्राम गोबर के अन्दर 300 से लेकर 500 करोड़ तक लाभकारी सूक्ष्म जीव होते हैं. ये सूक्ष्म जीव मिट्टी में स्थित सूखे जैविक तत्त्वों को विघटित कर देते हैं और उन्हें पौधों के लिए सहज उपयोग में लाये जाने वाले पोषक तत्त्वों में बदल देते हैं.
- ज्ञातव्य है कि वैश्विक तापमान बढ़ने से आजकल मानसून हर वर्ष एक जैसा नहीं रहता है और भारत में कई जगह भूजल घटता जा रहा है. अतः यदि शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है तो न केवल कृषकों को अपितु पूरे देश को लाभ होगा.
- शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में साधारण कृषि की तुलना में 10% जल और 10% बिजली कम लगती है.
- शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में यह क्षमता है कि वह फसलों को परिस्थिति के अनुकूल ढाल देती है.
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि की चार महत्त्वपूर्ण विधियाँ
- मिट्टी की आर्द्रता को सुधारने के लिए जलवाष्प का संघनन.
- गोबर और मूत्र से बने पदार्थों से बीज को उपचारित करना.
- घास-पतवार से ढक कर मिट्टी को वायु से युक्त करना.
- गोबर और गोमूत्र के घोल से मिट्टी की उर्वरता सुनिश्चित करना.
भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक कृषि के लिए क्या कर रही है?
- भारत सरकार 2015-16 से परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजनाओं (RKVY) जैसी समर्पित योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को देश में बढ़ावा देती आई है.
- 2018 में PKVY से सम्बंधित मार्गनिर्देशों में सुधार करते हुए कई प्रकार की प्राकृतिक कृषि के मॉडल बताये गए हैं, जैसे – प्राकृतिक कृषि, ऋषि कृषि, वैदिक कृषि, गो कृषि, होम कृषि, शून्य बजट प्राकृतिक कृषि इत्यादि. राज्यों को कहा गया है कि वे इनमें से किसी भी कृषि को किसान की पसंद के अनुसार अपना सकती हैं.
Prelims Vishesh
Operation Sudarshan :-
सीमा सुरक्षा बल ने सुदर्शन के कूट नाम से एक व्यापक अभ्यास किया है जिसका उद्देश्य पंजाब और जम्मू में पड़ने वाली पाकिस्तान की सीमा के किनारे-किनारे घुसपैठ विरोधी ग्रिड को सशक्त करना है.
Manghdechhu hydropower project :-
- मध्य भूटान के ट्रोंग्सा जोन्खाग जिले में मंगडेछू नदी पर एक पनबिजली संयंत्र की परियोजना पिछले दिनों पूरी हुई है.
- इस संयंत्र से 720 मेगावाट बिजली तैयार होगी. ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के सहयोग से भूटान सरकार 10,000 मेगावाट पनबिजली के उत्पादन के लिए 10 परियोजनाएँ चला रही है. मंगडेछू परियोजना इन्हीं में से एक है.
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