Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 June 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 11 June 2021


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : World history.

Topic : Atlantic Charter

संदर्भ

हाल ही में, अगस्त 1941 में ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल और अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट द्वारा हस्ताक्षरित एक घोषणापत्र, जिसे अटलांटिक चार्टर कहा जाता है, से संबंधित दस्तावेजों का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने निरीक्षण किया.

दोनों नेताओं द्वारा ‘लोकतंत्र और खुले समाज के सिद्धांतों, मूल्यों और संस्थानों की रक्षा’ का संकल्प लेते हुए एक नए अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर करने की योजना है.

अटलांटिक चार्टर क्या है?

  • अटलांटिक चार्टर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट और ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा 14 अगस्त, 1941 को (द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान) न्यूफाउंडलैंड में सरकार के दो प्रमुखों की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त घोषणा थी.
  • अटलांटिक चार्टर को बाद में वर्ष 1942 में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा में संदर्भ द्वारा शामिल किया गया था.
  • द्वितीय विश्व युद्ध एक ऐसा संघर्ष था जिसमें 1939-45 के वर्षों के दौरान विश्व के करीब हर हिस्से को शामिल किया गया था.
  • प्रमुख युद्धरत थे:
    1. एक्सिस शक्तियाँ: जर्मनी, इटली और जापान.
    2. सहयोगी: फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन.

मुख्य तथ्य: अटलांटिक चार्टर

  • दस्तावेज़ का नाम: अटलांटिक चार्टर
  • हस्ताक्षर किए जाने की तारीख: 14 अगस्त, 1941
  • हस्ताक्षर करने का स्थान: न्यूफ़ाउंडलैंड, कनाडा
  • हस्ताक्षरकर्ता: फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और विंस्टन चर्चिल, बेल्जियम, चेकोस्लोवाकिया के निर्वासन में सरकारों के बाद, ग्रीस, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड और युगोस्लाविया, सोवियत संघ और फ्री फ्रेंच ताकतों. अतिरिक्त राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से संधि का समर्थन व्यक्त किया.
  • दस्तावेज़ का उद्देश्य: युद्ध के बाद की दुनिया के लिए मित्र राष्ट्रों की साझा नैतिकता और लक्ष्यों को परिभाषित करना.
  • दस्तावेज़ के मुख्य बिंदु: दस्तावेज़ के आठ प्रमुख बिंदु क्षेत्रीय अधिकारों, आत्मनिर्णय की स्वतंत्रता, आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित हैं, निरस्त्रीकरण, और नैतिक लक्ष्य, जिसमें समुद्र की स्वतंत्रता और काम करने की इच्छा के लिए एक दृढ़ संकल्प शामिल है डर.”

अटलांटिक चार्टर में शामिल प्रमुख बिंदु

  1. अटलांटिक चार्टर में आठ सामूहिक सिद्धांत शामिल किए गए थे.
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वार विश्व-युद्ध से कोई भी क्षेत्रीय लाभ नहीं उठाने पर सहमति व्यक्त की गई, और उन्होंने संबंधित नागरिकों की इच्छा के विरुद्ध किए जाने वाले किसी भी क्षेत्रीय परिवर्तन का विरोध किया.
  3. जिन राष्ट्रों पर युद्ध के दौरान दूसरे देशों के कब्ज़ा हो गया था, या उनकी सरकार गिर गई थी, उनके लिए, अपनी सरकार बनाने के लिए सहायता करना.
  4. नागरिकों को अपनी खुद की सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : BREACH OF PRIVILEGE

संदर्भ

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल के. पटेल द्वारा द्वीपों का दौरा करने की अनुमति देने से इनकार करने पर, भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने उनके विरुद्ध ‘विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव’ (Breach of Privilege motion) दायर किया है.

सांसद ने कहा है, कि एक सांसद का स्वतंत्र रूप से घूमने और लोगों से मिलने का अधिकार, उनके पद के विशेषाधिकार का अभिन्न अंग है.

पृष्ठभूमि

जिला प्रशासन ने यह कहते हुए जवाब दिया है, कि जारी कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सांसद को द्वीप की यात्रा करने की अनुमति नहीं है.

विशेषाधिकार क्या है?

एक सांसद या विधायक होना सिर्फ जनप्रतिनिधि होना नहीं है अपितु ये लोग संविधान के पालक और नीतियाँ/कानून बनाने वाले लोग भी हैं. कार्यपालिका के साथ मिलकर यही लोग देश का वर्तमान और भविष्य तय करते हैं. इन पदों की महत्ता और निष्ठा को देखते हुए संविधान ने इन्हें कुछ विशेषाधिकार दिए हैं. संविधान के अनुच्छेद 105 और अनुच्छेद 194 के खंड 1 और खंड 2 के तहत विशेषाधिकार का प्रावधान किया गया है. भारतीय संविधान में विशेषाधिकार के विषय इंग्लैंड के संविधान से लिए गये हैं.

संविधान के अनुच्छेद 105 (3) और 194 (3) के तहत देश के विधानमंडलों को वही विशेषाधिकार मिले हैं जो संसद को मिले हैं. संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि ये स्वतंत्र उपबंध हैं. यदि कोई सदन विवाद के किसी भाग को कार्यवाही से हटा देता है तो कोई भी उस भाग को प्रकाशित नहीं कर पायेगा और यदि ऐसा हुआ तो संसद या विधानमंडल की अवमानना मानना जाएगा. ऐसा करना दंडनीय है. इस परिस्थिति में अनुच्छेद 19 (क) के तहत बोलने की आजादी (freedom of speech and expression) के मूल अधिकार की दलील नहीं चलेगी.

विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव कैसे लाया जाता है?

नियम 222

लोकसभा के नियम 222 के तहत कोई भी सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से कोई भी प्रश्न उठा सकता है जिसमें उसे लगता है कि किसी सदस्य या सभा या समिति के विशेषाधिकार का हनन हुआ है.

नियम 223

नियम 223 के तहत किसी भी सदस्य को, जो विशेषाधिकार का प्रश्न उठाना चाहता है, लिखित सूचना लोक सभा महासचिव को उसी दिन देनी होती है जिस दिन प्रश्न उठाना होता है. यदि प्रश्न किसी साक्ष्य पर आधारित हो तो सूचना के साथ साक्ष्य भी देना होता है.

नियम 224

हालाँकि विशेषाधिकार का प्रश्न उठाने के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं जिनकी चर्चा लोकसभा के नियम 224 में की गई है. पहली, इसके तहत एक ही बैठक में एक से अधिक प्रश्न नहीं उठाये जायेंगे. दूसरी, जो भी प्रश्न उठाया जायेगा वह हाल ही में उठाये गए किसी ख़ास विषय तक सीमित हो और उस विषय में सभा का हस्तक्षेप जरूरी है.

नियम 225

लोक सभा में Parliamentary Privilege से जुड़ी प्रक्रिया की चर्चा लोकसभा के नियम 225 से 228 के तहत की गई है. नियम 225 के अनुसार किसी भी सदस्य द्वारा विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने के बाद यदि लोकसभा अध्यक्ष उसपर अपनी सहमति जताते हैं तो उसके बाद नियम के अनुसार सदन में उस सदस्य का नाम पुकारा जाता है. इसके बाद सम्बंधित सदस्य Parliamentary Privilege के मुद्दे पर अपनी सफाई रखते हैं. लेकिन अगर लोकसभा अध्यक्ष को लगता है कि सम्बंधित विषय विशेषाधिकार हनन की शर्तों को पूरा नहीं करता है तो वह नियमों का हवाला देते हुए उसे सहमति देने से इनकार कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि अध्यक्ष को लगता है कि मामला बहुत गंभीर है या इस पर देर नहीं की जा सकती है तो वह सदन में प्रश्नकाल के खत्म होने के बाद किसी भी बैठक के दौरान विशेषाधिकार के प्रश्न उठाने की अनुमति दे सकते हैं.

अगर सदन के भीतर विशेषाधिकार प्रश्न उठाने का विरोध किया जाता है तो उस स्थिति में अध्यक्ष उन सदस्यों को, जो इसकी अनुमति चाहते हैं, अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहते हैं. यदि कम-से-कम 25 सदस्य इसके पक्ष में खड़े होते हैं तो अध्यक्ष उसपर अपनी अनुमति दे देते हैं. लेकिन 25 से कम सदस्य खड़े होते हैं तो अध्यक्ष द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है.

नियम 226

इसके साथ ही नियम 226 में यह प्रावधान है कि अगर अध्यक्ष द्वारा अनुमति दे दी जाती है तो सभा उस प्रश्न पर विचार करती है. उसके बाद उस प्रश्न को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया जाता है.

नियम 227

नियम 227 के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष द्वारा Parliamentary Privilege से जुड़े किसी भी सवाल को जाँच, अनुसंधान या प्रतिवेदन के लिए विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है. इसके बाद समिति उस सौंपे गये प्रत्येक प्रश्न की जाँच करेगी और सभी मामलों में तथ्यों के मुताबिक यह निर्धारित करेगी कि संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privilege) का उल्लंघन हुआ है या नहीं और यदि हुआ है तो इसका स्वरूप क्या है और किन परिस्थतियों में हुआ है. पूरी जाँच करने के बाद समिति अपने विवेक के अनुसार सिफारिश करती है. इसके अतिरिक्त समिति नियमों के अधीन रहते हुए यह राय भी दे सकती है कि उसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए किस प्रक्रिया का पालन किया जाए.

नियम 228

नियम 228 के तहत लोक सभा अध्यक्ष को यह भी शक्ति प्राप्त है कि वह विशेषाधिकार समिति में या विशेषाधिकार से जुड़े किसी भी मामले पर अपनी राय दे सकते हैं.

विशेषाधिकार के प्रश्न सम्बन्धी प्रक्रिया राज्य सभा में लोक सभा के जैसी ही है. इसकी चर्चा राज्य सभा के नियम 187-203 के बीच की गई है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Cabinet approves MoU between India and Argentine Republic on cooperation in the field of Mineral Resources

संदर्भ

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और अर्जेंटीना गणराज्य के मध्य समझौता ज्ञापन को स्वीकृति प्रदान की है.

यह लिथियम के निष्कर्षण और खनन सहित खनिजों के अन्वेषण एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग जैसी गतिविधियों को सुदृढ़ करेगा. जातव्य है कि चीन सरकार की स्वामित्वाधीन फर्मों ने अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में लिथियम खदान रियायतें प्राप्त की हैं. इससे लिथियम त्रिकोण का सृजन हुआ है. इस परिप्रेक्ष्य में यह समझौता भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है.

सामरिक धातु और खनिज (जैसे लिथियम, क्रोमियम व वैनेडियम) आधुनिक तकनीक एवं उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, परन्तु इनकी आपूर्ति सीमित होती है तथा व्यवधान के अधीन है.

वर्तमान में, भारत सामरिक खनिजों की आपूर्ति के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है. सामरिक सामग्री की वैश्विक आपूर्ति के संबंध में चीन का एकाधिकार है.

सामरिक खनिजों के लिए भारत की पहलें

  • देश के भीतर खनिज निक्षेपों का पता लगाने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम 2021 अधिनियमित किया गया है.
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पाए जाने वाले सामरिक खनिजों के साथ नक्सलवाद की समस्या का बेहतर समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है.
  • सरकारी कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में कोबाल्ट एवं लिथियम खदानों का अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है.
  • नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड और मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड की संयुक्त उद्यम फर्म कोबाल्ट व लिथियम की प्रत्यक्ष खरीद की संभावना तलाश रही है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Glaciers of the Himalayas : Climate Change, Black Carbon, and Regional Resilience: WB

संदर्भ

विश्व बैंक ने “हिमालय के हिमनद: जलवायु परिवर्तन, ब्लैक कार्बन और क्षेत्रीय प्रत्यास्थता” शीर्षक से रिपोर्ट निर्गत किया है. शोध पत्र के अनुसार ब्लैक कार्बन को कम करने के लिए मौजूदा नीतियों के पूर्ण कार्यान्वयन से 25% की कमी प्राप्त की जा सकती है, परन्तु नई नीतियों को लागू करने और देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से इन नीतियों को कार्यवाहियों में शामिल करने से अधिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं.

रिपोर्ट में हिमालय, काराकोरम और हिंदूकुश पर्वत शृंखलाओं को सम्मिलित किया गया है. इसके अनुसार, हिमनद वैश्विक औसत हिम राशियों की तुलना में शीघ्रता से पिघल रहे हैं.

मुख्य तथ्य

  • ब्लैक कार्बन जीवाश्म ईंधन, काष्ठ और अन्य ईंधन के अपूर्ण दहन से निर्मित होने वाले कणिकीय पदार्थ (particulate matter) का एक सक्षम जलवायु-तापन घटक है.
  • यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद ग्रह को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.
  • यह सौर ऊर्जा को अवशोषित करता है और वातावरण को गर्म करता है.
  • यह एक अल्पकालिक प्रदूषक है और अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विपरीत, ब्लैक कार्बन का शीघ्रता से क्षय हो जाता है.
  • उत्सर्जन समाप्त होने की स्थिति में इसे वातावरण से उन्मूलित किया जा सकता है.

ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए भारत के वर्तमान नीतिगत उपाय

  • ईंधन दक्षता मानकों को बढ़ावा देने के लिए भारत स्टेज उत्सर्जन मानक अपनाए गए हैं.
  • डीजल वाहनों को चरणबद्ध रूप से खत्म किया जा रहा है तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों का तेजी से अंगीकरण (फेम / FAME इंडिया) योजना आरंभ की गई है.
  • भोजन पकाने के स्वच्छ तरीकों को प्रोत्साहित करने के लिए उज्ज्वला योजना संचालित की जा रही है.

Prelims Vishesh

Rules for post-retirement hiring of officials by government organizations :-

  • संविदा या परामर्श के आधार पर किसी सेवानिवृत्त अधिकारी की नियुक्ति से पूर्व सरकारी संगठनों को स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होगा.
  • हालांकि, इसके लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग ने एक स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित की है जिसे सरकारी संगठनों द्वारा अपनाया जाना अपरिहार्य होगा.
  • यदि सेवानिवृत्त अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में सेवा प्रदान की है, तो उन सभी संगठनों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी, जहां वह व्यक्ति सेवानिवृत्ति से पूर्व 10 वर्षों के दौरान नियोजित था.
  • CVC ने सभी सरकारी संगठनों को अपने कर्मचारियों के लिए उचित नियम तैयार करने का भी निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी क्षेत्र में किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने से पूर्व, कूलिंग ऑफ पीरियड (cooling off period) का पालन किया गया है या नहीं.

Expert Group on Fixation of Minimum Wages and National Floor Wages :-

  • श्रम और रोजगार मंत्रालय ने प्रोफेसर अजीत मिश्रा की अध्यक्षता में तीन वर्ष की अवधि के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है.
  • यह मजदूरी पर अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार करेगा और न्यूनतम मजदूरी तथा राष्ट्रीय आवश्यकता आधारित न्यूनतम मजदूरी दर के निर्धारण के लिए एक वैज्ञानिक मानदंड एवं प्रक्रियाओं को नियत करने में सहयोग करेगा.
  • समूह मजदूरी संहिता, 2019 (Code of Wages, 2019) के तहत न्यूनतम मजदूरी तथा राष्ट्रीय आवश्यकता आधारित न्यूनतम मजदूरी दर के निर्धारण में भी केंद्र सरकार की सहायता करेगा.

Corbevax Vaccine from Bio-E :-

  • कॉर्बविक्स वैक्सीन, पुनः संयोजक डी.एन.ए. तकनीक पर आधारित पुनः संयोजक प्रोटीन मंच पर निर्भर है.
  • इसमें क्लोन किए गए स्पाइक प्रोटीन को जैव प्रसंस्करण के माध्यम से लैब में निर्मित किया जाता है.
  • उदाहरण के लिए, पुनः संयोजक प्रोटीन के लिए मेजबान के रूप में ई. कोलाई (E. coli) का उपयोग वस्तुतः कम लागत, जैव रसायन और आनुवंशिकी, तीव्र विकास एवं बेहतर उत्पादकता आदि के संबंध में लाभ प्रदान कर सकता है.
  • अन्य टीकों (जहाँ मानव शरीर की कोशिकाओं को निर्देशित किए जाने के पश्चात स्पाइक प्रोटीन का निर्माण होता है) की तुलना में इनकी कीमत कम होती है तथा इनका उत्पादन भी सुगम होता है.

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