Sansar Daily Current Affairs, 11 March 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Kashi Vishwanath Corridor
संदर्भ
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में काशी-विश्वनाथ गलियारा परियोजना का शिलान्यास किया.
मुख्य तथ्य
- इस परियोजना का उद्देश्य पवित्र विश्वनाथ मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र का कायाकल्प करना है. ऐसा 1780 के बाद पहली बार हो रहा है, जब इंदौर की महारानी अहल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनुरुद्धार किया थी.
- इस परियोजना के अंतर्गत 50 फुट का एक गलियारा बनाया जाएगा जो गंगा के मनिकर्णिका और ललिता घाटों को सीधे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर से जोड़ देगा.
- गलियारे में बीच में ही एक संग्रहालय बनाया जाएगा जिसमें वाराणसी के प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति का प्रदर्शन होगा.
पृष्ठभूमि
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान् शिव को समर्पित विख्यात हिन्दू मंदिरों में से एक है. इसकी गणना भगवान् शिव के पवित्रतम 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है. यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर अवस्थित है.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : India Urban Observatory & Video Wall
संदर्भ
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने आधुनिकतम इंडिया अर्बन ऑबजर्वेटरी एवं वीडियो वॉल का उद्घाटन किया.
इंडिया अर्बन ऑबजर्वेटरी एंड वीडियो वॉल क्या है?
- इंडिया अर्बन ऑबजर्वेटरी एंड वीडियो वॉल आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक मंच है.
- इस मंच में असंख्य स्रोतों के माध्यम से शहरी आवासों से सम्बंधित सूचनाओं के विषय में उपलब्ध क्षण-प्रतिक्षण का डाटा संगृहीत होगा जिसका उपयोग शहरों के बेहतर प्रबंधन में होगा .
- इसमें चार हितधारक हैं – 1. सरकार 2. नागरिक 3. शिक्षा और 4. उद्योग के साथ-साथ शहरी निकाय.
इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?
समुदायों के सशक्तीकरण के लिए यह जरूरी है कि शहर अपनी कार्यप्रणाली, सार्वजनिक सेवाओं, शासन प्रणालियों, सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्धियों और विफलताओं को सुधारने के लिए विभिन्न स्रोतों के माध्यम से उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग करें और सूचना तक पहुंच के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करें. भविष्य का शासन डाटा-संचालित शासन होगा, इसमें कोई संदेह नहीं.
लाभ
- यह शहरों में वास्तविक समय और अभिलेखीय दोनों स्रोतों से डेटा प्राप्त करेगा.
- वीडियो वॉल के द्वारा मंत्रालय के विभिन्न पहलों के बारे में जागरूकता फैलाई जायेगी और नागरिकों/आगंतुकों के साथ निरंतर सक्रिय जुड़ाव के उद्देश्य से ऑबजर्वेटरी और विभिन्न अभियानों/कार्यालयों से प्राप्त अनुभवों का प्रदर्शन किया जाएगा.
- ऑबजर्वेटरी से परिवहन, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल, वित्त जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए सार्थक संकेतकों की विश्वसनीय जानकारी को अद्यतन करने में सहायता मिलेगी.
- इससे सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और भविष्य की रणनीतियों को आवश्यकता अनुरूप ढालने और नीतिगत हस्तक्षेपों के जरिये विकसित करने में भी सहायता मिलेगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : India launches third IT corridor in China
संदर्भ
भारत ने चीन में अपने तीसरे सूचना प्रौद्योगिकी गलियारे की शुरुआत की है.
तीसरा सूचना प्रौद्योगिकी गलियारा
- यह भारतीय और चीनी कंपनियों के बीच साझेदारी के लिए सेवाएं देगा.
- भारत की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के संगठन नासकॉम ने आईटी गलियारा विकसित करने के लिए चीन के शुझोऊ शहर के साथ साझेदारी की है.
- यह शहर चीन के जिआंगसू प्रांत में है.
- नासकॉम इससे पहले डालियान और गुईआंग शहरों में ऐसे गलियारे खोल चुका है.
- ऐसे पुराने गलियारों में नासकॉम 300 से अधिक कंपनियों के लिए मौके पैदा करने में सफल रहा है.
- इसमें 10 से ज्यादा भारतीय लघु उद्यम कंपनियों ने 45 लाख डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है NASSCOM का पहला आर्थिक गलियारा चीन के बंदरगाह वाले शहर Dalian में दिसम्बर, 2017 में खोला गया था जो भारत का चीन में पहला IT Hub था. दोनों गलियारों का उद्देश्य है कि वहाँ सूचना-प्रौद्योगिकी के कार्यालय स्थापित किये जाएँ जिनमें पदस्थापित अधिकारी स्थानीय चीनी कंपनियों से बात-चीत कर उन्हें भारत में IT इकाइयाँ खोलने के लिए प्रेरित करें. ज्ञातव्य है कि भारत सूचना प्रौद्योगिकी और आईटी-सक्षम सेवा के मामले विश्व में अग्रणी है और इससे भारत को 164 अरब डॉलर से अधिक वार्षिक राजस्व की प्राप्ति होती है और 120 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात होता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Pulse Polio Program 2019
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की पूर्व संध्या पर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर देशव्यापी पल्स पोलियो कार्यक्रम-2019 की शुरुआत की. विदित हो कि 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया था.
- देश से पोलियो उन्नमूलन के लिए टीकाकरण अभियान के तहत 5 वर्ष से कम उम्र के 17 करोड़ से ज्यादा बच्चों को पोलियो की दवाएँ दी जाएँगी.
- इस टीकाकरण अभियान का उद्देश्य बच्चों को पहले की अपेक्षा 5 से अधिक बीमारियों से पूरी तरह सुरक्षित करना है.
- इसके लिए न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट, रोटावायरस और मिजिल्स रूबेला जैसे नए टीके शुरु किए गए हैं.
- बच्चों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए सरकार ने इंजेक्शन के जरिए पोलियो की दवा देने के वास्ते अपने नियमित टीकाकरण अभियान में इनएक्टिवेटेड पोलियो टीका (IPV) भी शामिल किया गया है.
इनएक्टिवेटेड पोलियो टीका (IPV) क्या है?
- इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन या आईपीवी इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है. इसमें वायरस के एक निष्क्रिय (मृत) रूप का उपयोग किया जाता है जिसमें पोलियो का कारण बनने की क्षमता नहीं होती है.
- IPV मुख्य रूप से उन देशों में उपयोग किया जाता है जहां पर पोलियो वायरस पहले ही समाप्त हो चुका है.
- चूँकि ओपीवी एक जीवित पोलियो वायरस से बना होता है इसलिए जीवित वायरस के टीके से पोलियो के खिलाफ सुरक्षा अत्यधिक प्रभावी होने के बावजूद प्रति वर्ष पोलियो के कुछ मामलों का कारण पोलियो ड्राप या ओरल पोलियो वैक्सीन होते थे.
- अमेरिका में सन 2000 में निष्क्रिय पोलियो टीके (आईपीवी) का उपयोग शुरू हो गया. भारत ने नवंबर 2015 से ओरल पोलियो वैक्सीन या पोलियो ड्राप (ओपीवी) के साथ अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्शन योग्य पोलियो टीका या इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) को भी पेश किया है.
पोलियो क्या है?
- बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या ‘पोलियोमेलाइटिस’ भी कहा जाता है, एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है जो आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है.
- यह एक उग्र स्वरूप का बच्चों में होनेवाला रोग है, जिसमें मेरुरज्जु (spinal cord) के अष्टश्रृंग (anterior horn) तथा उसके अंदर स्थित धूसर वस्तु में अपभ्रंशन (degenaration) हो जाता है और इसके कारण चालकपक्षाघात (motor paralysis) हो जाता है.
- इस रोग का औपसर्गिक कारण एक प्रकार का विषाणु (virus) होता है, जो कफ, मल, मूत्र, दूषित जल तथा खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है; मक्खियों एवं वायु द्वारा एक स्थान में दूसरे स्थान पर प्रसारित होता है तथा दो से पाँच वर्ष की उम्र के बालकों को ही आक्रांत करता है.
- लड़कियों से अधिक यह लड़कों में हुआ करता है तथा वसंत एवं ग्रीष्मऋतु में इसकी बहुलता हो जाती है.
- जिन बालकों को कम अवस्था में ही टाँसिल का शल्यकर्म कराना पड़ जाता है उन्हें यह रोग होने की संभावना और अधिक होती है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : PMUY
संदर्भ
सरकार ने हाल ही में प्रत्येक घर को स्वच्छ रसोई ईंधन उपलब्ध कराने की योजना के तहत 7 करोड़वां मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन जारी किया. इसके साथ ही कुल 8 करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन देने की योजना का 87 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत 7 करोड़ निशुल्क गैस कनेक्शन पिछले 34 महीने में दे दिये गये हैं यानी प्रतिदिन करीब 69,000 कनेक्शन वितरित किये गये.
उज्ज्वला योजना
- पीएमयूवाई की शुरूआत एक मई 2016 को की गयी। इसके तहत मार्च 2019 तक गरीब परिवार की पांच करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। बाद में लक्ष्य को बढ़ाकर 2021 तक 8 करोड़ कर दिया गया और अब सभी घर को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है.
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) का शुभारम्भ डॉ. बी.आर.अम्बेडकर की जयंती परतेलंगाना राज्य में किया गया.
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लक्ष्य गरीब परिवारों तक एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) कनेक्शन पहुँचाना है.
- इस योजना के अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक-जाति-जनगणना (SECC) के माध्यम से पहचान किये गए गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की वयस्क महिला सदस्य को केंद्र सरकार द्वारा प्रति कनेक्शन 1600 रुपये की वित्तीय सहायता के साथ जमा-मुक्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है.
- यह योजना पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही है.
PMUY के फायदे
- शुद्ध ईंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार
- अशुद्ध जीवाश्म ईंधन के प्रयोग न करने से वातावरण में कम प्रदूषण
- खाने पर धुएं के असर से मृत्यु में कमी
- छोटे बच्चों में स्वास्थ्य समस्या से छुटकारा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ठोस इंधन के प्रयोग से भारत में 13% मृत्यु होती है और लगभग 40% फेफड़ों की बीमारी की जड़ में यही है. 30% मोतियाबिंद और 20% स्केमिक हृदय रोग, फेफड़ा कैंसर और फेफड़ा संक्रमण ठोस इंधन के चलते होता है.
GS Paper 2 Source: Economic Times
Topic : Dam Rehabilitation and Improvement Project (DRIP)
संदर्भ
विश्व बैंक, भारत सरकार एवं कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड की राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसका उद्देश्य बाँध पुनर्वास एवं सुधार योजना के अंतर्गत 137 मिलियन डॉलर अतिरिक्त वित्त की व्यवस्था कर 220 से अधिक चुने हुए बड़े-बड़े बाँधों को फिर से सुदृढ़ करना और उन्हें आधुनिक बनाना है.
इस अतिरिक्त राशि से ओडिशा के हीराकुड बाँध के लिए एक और स्पीलवे (spillway) बनाया जाएगा तथा अन्य कई बाँधों से जुड़े संस्थागत, वैधानिक तथा बाँध तकनीकी ढाँचे को सुदृढ़ किया जाएगा.
DRIP क्या है?
DRIP एक छह वर्षीय परियोजना है जिसे भारत सरकार का जल संसाधन मंत्रालय विश्व बैंक के सहयोग से कार्यान्वित कर रहा है. इस परियोजना का समन्वयन और पर्यवेक्षण केन्द्रीय जल आयोग के केन्द्रीय बाँध सुरक्षा संगठन के द्वारा हो रहा है. इसके लिए वह संगठन एक परामर्शी प्रतिष्ठान की सहायता ले रहा है.
लक्ष्य
- DRIP का फुल फॉर्म है – Dam Rehabilitation and Improvement Project.
- DRIP को भारत में विश्व बैंक की सहायता सेजल संसाधन मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था.
- शुरू में यह परियोजना केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के 223 बाँधों के लिए थी, परन्तु बाद में इसमें कर्नाटक, उत्तराखंड और झारखंड भी शामिल कर लिए गए जिससे बाँधों की योग संख्या 250 हो गयी.
- ड्रिप के मुख्य उद्देश्य हैं – चुनिन्दा बांधों की सुरक्षा और सक्षमता में सुधार, भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा से सम्बंधित संस्थागत निर्माण को मजबूत बनाना.
- सात ड्रिप राज्य हैं– झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड.
भारत में बाँध की स्थिति
- बड़े बांधों की संख्या के अनुसार चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है.
- भारत में बड़े बांधों की संख्या 5264 है, जबकि 437 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं. इन बांधों द्वारा जल की कुल भंडारण क्षमता लगभग 283 बिलियन घन मीटर है.
- हमारे लगभग 80 प्रतिशत बड़े बांध 25 वर्षों से अधिक पुराने हैं. लगभग 209 बांध 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. इन बांधों का निर्माण ऐसे दौर में किया गया था जब डिजाइन और सुरक्षा संबंधी मानकों का स्तर वर्तमान युग की तुलना में काफी नीचे था.
कृषि, ग्रामीण, शहरी क्षेत्र में जल सुरक्षा और सतत विकास के साथ-साथ औद्योगिक विकास के क्षेत्र में इन बांधों की महत्वपूर्ण भूमिका है. स्वतंत्रता के समय से लेकर भारत सरकार के लिए ये प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल रहे हैं. पिछले 70 वर्षों से अधिक समय में भारत ने इस महत्त्वपूर्ण सुविधा पर काफी धनराशि लगाई है. खाद्य, ऊर्जा और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सूखे तथा बाढ़ में कमी लाने के क्रम में, जलाशयों के सीमित जल के भंडारण और प्रबंधन के लिए यह आवश्यक भी है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : BEE Star Ratings
संदर्भ
ऊर्जा मंत्रालय ने घोषणा की है कि दो अन्य बिजली के उपकरणों – माइक्रोवेव ओवन और वाशिंग मशीन – को अब उनकी ऊर्जा दक्षता मैट्रिक्स के आधार पर स्टार रेटिंग दी जायेगी.
विदित हो कि अभी तक टीवी, फ्रिज और एयर कंडीशनर आदि उपकरणों को स्टार रेटिंग दी जाती थी परन्तु अब 2020 तक कंपनियों को उपर्युक्त दोनों उत्पादों को रेटिंग देना आवश्यक हो जाएगा.
जिन उपकरणों में ऊर्जा की रेटिंग का देना अनिवार्य होगा, वे हैं – बर्फ के जमाव से मुक्त रेफ्रिजरेटर, ट्यूब के आकार वाले फ्लोरेसेंट लैम्प, कमरे में प्रयुक्त होने वाले एयर कंडीशनर, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर, रंगीन टीवी, CST AC, सीधे ठंडा करने वाले रेफ्रिजरेटर और बिजली के गीजर.
मुख्य तथ्य
- उपकरणों की स्टार रेटिंग एक मूल भावना प्रदान करती है कि प्रत्येक उत्पाद कितना ऊर्जा कुशल है. उच्च रेटिंग, उच्च उपकरण की दक्षता है.
- जिन उपकरणों में कम बिजली खर्च होती है, उनको अधिक तारे दिए जाते हैं और जिनमें अधिक खपत होती है, उनमें कम तारे दिए जाते हैं.
- तारों के ये लेबल दो प्रकार के होते हैं – बड़ा और छोटा.
- बड़ा लेबल – यह लेबल बिजली अधिक खर्च करने वाले उपकरणों में होता है. इन लेबलों से यह भी पता चलता है कि उपकरण में बिजली की वार्षिक खपत कितनी है, उपकरण का ब्रांड नाम क्या है, उत्पादन की श्रेणी कौन-सी है आदि. इसके अन्दर रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर, गीजर और वॉशिंग मशीन आते हैं.
- छोटा लेबल – यह लेबल भी बिजली की खपत को दिखलाता है, परन्तु यह उन मशीनों में लगाया जाता है जो बिजली की कम खपत करती है, जैसे – सीलिंग फैन, ट्यूब लाइट, कंप्यूटर, लैपटॉप और टी.वी.
- रेटिंग के लिए ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (BEE) ने मानक तय कर दिए हैं.
- वाशिंग मशीन में बिजली के साथ पानी की खपत के लिए भी मानक तय किए गए हैं.
- ब्यूरो ने पंजीकरण और मंजूरी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को तैयार किया गया है.
ऐसा करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- भारत में हर साल लगभग 61 लाख वाशिंग मशीन की बिक्री होती है जिसमें सालाना 8 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है.
- वहीं पिछले साल 12.1 लाख माइक्रोवेव ओवन बिके थे जिसमें सालाना 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है.
लाभ
- बिजली मंत्रालय के अनुसार इस कदम का मुख्य उद्देश्य आम लोगों के लिए घरेलू उपकरणों में बिजली की खपत को कम करना है.
- कम बिजली की खपत करने वाले एप्लायंसेज को लेकर लोगों को जागरुक भी करेगा.
- कंपनियां स्टार रेटिंग को जल्दी अपनाएं इसके लिए रेटिंग प्रक्रिया को आसान किया गया है.
ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (BEE)
यह एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत मार्च 2002 में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा की गई थी. इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- ऊर्जा सक्षमता एवं संरक्षण से सम्बंधित नीति एवं कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना.
- ऊर्जा की माँग को आदर्श स्थिति में लाकर पूरे देश में ऊर्जा सुविधा की सघनता (energy intensity) को घटाना.
- वैश्विक तापवृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाना.
GS Paper 3 Source: Livemint
Topic : Return Policy for militants in Jammu and Kashmir
संदर्भ
जम्मू-कश्मीर सरकार आतंकवादियों को समर्पण के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक नई नीति बनाने पर विचार कर रही है. इसके लिए प्रारूप तैयार है और उस पर राज्य के गृह विभाग और मुख्य सचिव का अनुमोदन मिलना शेष है.
विदित हो कि यह योजना समर्पण से सम्बंधित पुरानी पहलों का एक सुधार हुआ संस्करण है जिसमें सामाजिक-आर्थिक धारा में आतंकवादियों को दुबारा एकात्मक करने पर नया बल दिया गया है.
नई नीति के मुख्य तथ्य
- इसमें प्रस्ताव है कि जो आतंकवादी हथियार डाल देगा उसको 6,000 रु. प्रतिमाह भत्ता दिया जाएगा. परन्तु यह राशि उन आतंकवादियों को नहीं मिलेगी जिनको जघन्य अपराधों में लिप्त पाया गया है.
- नई नीति में समर्पणकर्ता को नौकरी देने और उनको सुधारने का भी प्रस्ताव है.
माहात्म्य
- हथियार डालने वालों के पुनर्वास के लिए उनको आजीविका के अवसर देने के साथ-साथ सुधारात्मक उपाय भी उतने ही आवश्यक है. इससे सरकार की यह मंशा प्रकट होगी कि वह भटके हुए युवाओं को अपनाना चाहती है.
- जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य है जहाँ अनेक आतंकवादियों ने समर्पण किया है. अतः यदि इस नीति को लागू किया गया तो एक दुर्धर्ष आतंकवादी के सफल पुनर्वास को देखकर अन्य आतंकवादियों को समर्पण करने की प्रेरणा मिलेगी.
पहले की पहलें
2010 में भी इस प्रकार की एक नीति बनी थी जिसमें उन आतंकवादियों के पुनर्वास की परिकल्पना थी जिन्होंने जनवरी 1989 से लेकर दिसम्बर 2009 तक की अवधि में हथियार उठाये थे, किन्तु कालांतर में हृदय-परिवर्तन के कारण मुख्य धारा में लौटना चाहते थे.
2004 की पुनर्वास नीति का कार्यान्वयन तत्कालीन सरकार के द्वारा किया गया था. इसमें पुनर्वास की यह शर्त लगाई गई थी कि समर्पण करने वाले आतंकवादी को यह भरोसा देना होगा कि वह हिंसा के पथ पर अब नहीं चलेगा तथा भारत की एकात्मता और भारतीय संविधान को मानता है. इस नीति में समर्पण करने वाले आतंकवादियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने और पहले तीन वर्षों में प्रतिमाह 2,000 रु. देने का प्रावधान था.
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