Sansar Daily Current Affairs, 11 March 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Culture will cover the salient aspects of Art forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Dholavira
संदर्भ
‘धोलावीरा: एक हड़प्पाकालीन नगर’ को वर्ष 2019-2020 में ‘विश्व धरोहर स्थल’ (World Heritage Site) में शामिल किए जाने हेतु नामांकन के लिए प्रस्तावित किया गया है.
विदित हो कि वर्तमान में भारत में 38 विश्व विरासत स्थल हैं. इसके अतिरिक्त भारत में 42 स्थलों “सम्भावित सूची” में सूचीबद्ध किया गया है जोकि “विश्व विरासत स्थल” में शामिल होने के लिए एक पूर्व शर्त होती है.
धोलावीरा
- Who discovered Dholavira? इसकी खोज जगतपति जोशी (JP Joshi) ने 1967-68 में की लेकिन इसका विस्तृत उत्खनन 1990-91 में रवीन्द्रसिंह बिस्ट (RS Bisht) ने किया.
- यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
विशेषताएँ
- धोलावीरा नगर तीन मुख्य भागों में विभाजित था, जिनमें दुर्गभाग (140×300 मी.) मध्यम नगर (360×250 मी.) तथा नीचला भाग (300×300 मी.) हैं. मध्यम नगर केवल धोलावीरा (dholavira) में ही पाया गया है. यह संभवतः प्रशासनिक अधिकारियों एवं महत्त्वपूर्ण नागरिकों के लिए प्रयुक्त किया जाता था. दुर्ग भाग में अतिविशिष्ट लोगों के निवास रहे होंगे, जबकि निचला नगर आम जनों के लिए रहा होगा. तीनों भाग एक नगर आयताकार प्राचीर के भीतर सुरक्षित थे. इस बड़ी प्राचीर के अंतर्गत भी अनेक छोटे-बड़े क्षेत्र स्वतंत्र रूप से मजबूत एवं दुर्भेद्य प्राचीरों से सुरक्षित किये गए थे. इन प्राचीर युक्त क्षेत्रों में जाने के लिए भव्य एवं विशाल प्रवेशद्वार बने थे.
- धोलावीरा नगर के दुर्ग भाग एवं माध्यम भाग के मध्य अवस्थित 283×47 मीटर की एक भव्य इमारत के अवशेष मिले हैं. इसे स्टेडियम बताया गया है. इसके चारों ओर दर्शकों के बैठने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं.
- यहाँ से पाषाण स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने मिले हैं. पत्थर के भव्य द्वार, वृत्ताकार स्तम्भ आदि से यहाँ की पाषाण कला में निपुणता का पर्चे मिलता है. पौलिशयुक्त पाषाण खंड भी बड़ी संख्या में मिले हैं, जिनसे विदित होता है कि पत्थर पर ओज लाने की कला से धोलावीरा के कारीगर सुविज्ञ थे.
- धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
- इस प्रकार धोलावीरा एक बहुत बड़ी बस्ती थी जिसकी जनसंख्या लगभग 20 हजार थी जो मोहनजोदड़ो से आधी मानी जा सकती है. हड़प्पा सभ्यता से उद्भव एवं पतन की विश्वसनीय जानकारी हमें धौलावीरा से मिलती है. जल स्रोत सूखने व नदियों की धरा में परिवर्तन के कारण इसका विनाश हुआ.
- गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में मानसर एवं मानहर नदियों के मध्य अवस्थित सिन्धु सभ्यता का एक प्राचीन तथा विशाल नगर, जिसके दीर्घकालीन स्थायित्व के प्रमाण मिले हैं. इसका अन्वेषण जगतपति जोशी ने 1967-68 ईस्वी में किया लेकिन विस्तृत उत्खनन रवीन्द्रसिंह बिस्ट द्वारा संपन्न हुआ.
- यहाँ 16 विभिन्न आकार-प्रकार के जलाशय मिले हैं, जो एक अनूठी जल संग्रहण व्यवस्था का चित्र प्रस्तुत करते हैं. इनमें दो का उल्लेख समीचीन होगा —
- एक बड़ा जलाशय दुर्ग भाग के पूर्वी क्षेत्र में बना हुआ है. यह लगभग 70x24x7.50 मीटर हैं. कुशल पाषाण कारीगरी से इसका तटबंधन किया गया है तथा इसके उत्तरी भाग में नीचे उतरने के लिए पाषाण की निर्मित 31 सीढ़ियाँ बनी हैं.
- दूसरा जलाशय 95 x 11.42 x 4 मीटर का है तथा यह दुर्ग भाग के दक्षिण में स्थित है. संभवतः इन टंकियों से पानी वितरण के लिए लम्बी नालियाँ बनी हुई थीं. महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन्हें शिलाओं को काटकर बनाया गया है इस तरह के रॉक कट आर्ट का यह संभवतः प्राचीनतम उदाहरण है.
धौलावीरा से उपलब्ध साक्ष्य
- अनेक जलाशय के प्रमाण
- निर्माण में पत्थर के साक्ष्य
- पत्थर पर चमकीला पौलिश
- त्रिस्तरीय नगर-योजना
- अपने समय में क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारतीय सैन्धव स्थलों में सबसे बड़ा शहर कहलाता था.
- घोड़े की कलाकृतियाँ के अवशेष भी मिलते हैं
- श्वेत पौलिशदार पाषाण खंड मिलते हैं जिससे पता चलता है कि सैन्धव लोग पत्थरों पर पौलिश करने की कला से परिचित थे.
- सैन्धव लिपि के दस ऐसे अक्षर प्रकाश में आये हैं जो काफी बड़े हैं और विश्व की प्राचीन अक्षरमाला में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
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सिन्धु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर
विश्व धरोहर स्थल क्या है?
UNESCO विश्व धरोहर स्थल वह स्थान है जो UNESCO विशेष सांस्कृतिक अथवा भौतिक महात्म्य के आधार पर सूचीबद्ध करता है. यह सूची UNESCO विश्व धरोहर समिति के द्वारा प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम द्वारा संधारित की जाती है. इस समिति में 21 देश सदस्य होते हैं जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा करती है.
प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल जिस देश में होता है उसके वैधानिक भूक्षेत्र का एक भाग बना रहता है, परन्तु UNESCO अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में इसके संरक्षण का जिम्मा लेता है.
विश्व धरोहर स्थल के लिए पात्रता
- विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुने जाने के लिए उस स्थान पर विचार किया जाता है जो पहले से ही श्रेणीबद्ध लैंडमार्क के रूप में मानी है और जो भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अनूठा है. इसका विशेष सांस्कृतिक अथवा महत्त्व होना आवश्यक है, जैसे – कोई प्राचीन भग्नावशेष अथवा ऐतिहासिक स्मारक, भवन, नगर, संकुल, मरुभूमि, वन, द्वीप, झील, स्थापत्य, पर्वत अथवा जंगल.
- विश्व धरोहर स्थल उस स्थल को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक है अथवा मनुष्यकृत है. इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा ढाँचा जिसका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है अथवा ऐसी जगह जिसके लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, वह विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) कहलाता है.
- ऐसे धरोहर स्थलों को संयुक्त राष्ट्र संघ और UNESCO की ओर से औपचारिक मान्यता दी जाती है. UNESCO का विचार है कि विश्व धरोहर स्थल मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और इनकी सांस्कृतिक एवं भौतिक सार्थकता ही है.
विश्व धरोहर स्थल का वैधानिक दर्जा
जब UNESCO किसी स्थल को विश्व धरोहर स्थल नामित करता है तो प्रथमदृष्टया यह मान लिया जाता है कि सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील यह स्थल वैधानिक रूप से सुरक्षित होगा. सुरक्षा की यह गारंटी जेनेवा और हेग संधियों में वर्णित प्रावधानों से प्राप्त होती है. विदित हो कि ये संधियाँ युद्ध के समय सांस्कृतिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून की परिधि में लाती हैं.
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : SAVITRIBAI PHULE
संदर्भ
10 मार्च को भारतीय समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई गई.
सावित्रीबाई फुले से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- महराष्ट्र के नयगाँव में जनवरी 3, 1831 को जन्मी सावित्रीबाई फुले को भारत की सबसे पहली महिलावादी (feminist) माना जाता है क्योंकि ब्रिटिश राज में उन्होंने स्त्रियों के शिक्षाधिकार के लिए बड़ा संघर्ष किया था.
- 1848 में वे भारत की पहली महिला शिक्षा बनीं और उन्होंने अपने समाज सुधारक पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए एक विद्यालय खोला था.
- पति-पत्नी ने मिलकर जाति पर आधारित भेदभाव के विरुद्ध भी काम किया था जिसके लिए उन्हें पुणे के परम्परावादी समुदायों का प्रतिरोध झेलना पड़ा था.
- 1854 में सावित्रीबाई फुले ने एक विधवाश्रम स्थापित किया जिसमें 1864 से निर्धन स्त्रियाँ और उन बालिका वधुओं को रखा जाने लगा था जिनको उनके परिवारों ने छोड़ दिया था.
- सत्यशोधक समाज के कार्यकलाप में भी फुले की एक बड़ी भूमिका थी. विदित हो कि इस समाज की स्थापना ज्योतिराव फुले ने वंचित निम्न जातियों को समान अधिकार दिलाने के लिए थी.
- महाराष्ट्र में प्लेग फैलने पर रोगियों के उपचार के लिए सावित्रीबाई ने 1897 में एक चिकित्सालय खोला था.
- उन्होंने बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की भी स्थापना की थी.
- 2014 में उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया गया.
संकटग्रस्त स्थल (ENDANGERED SITES) क्या होते हैं?
- यदि विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किसी स्थल पर सशस्त्र संघर्ष और युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण, अवैध शिकार अथवा अनियंत्रित नगरीकरण अथवा मानव विकास से खतरा उत्पन्न होता है तो उस स्थल को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची में डाल दिया जाता है.
- ऐसा करने का उद्देश्य यह होता है कि पूरे विश्व में इन खतरों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए और उनके प्रतिकार के लिए उपाय करने को प्रोत्साहन मिले. खतरों को दो भागों में बाँट सकते हैं – पहले भाग में वे खतरे हैं जो सिद्ध हो चुके हैं और दूसरे भाग में वे खतरे हैं जो संभावित हैं.
UNESCO प्रतिवर्ष संकटग्रस्त सूची के स्थलों के संरक्षण के बारे में जानकारी लेता रहता है. समीक्षोपरान्त सम्बंधित समिति अतिरिक्त कदम उठाने का अनुरोध कर सकती है. चाहे तो वह उस स्थल को सूची से इस आधार पर निकाल दे कि खतरे समाप्त हो गये हैं अथवा उसे संकटग्रस्त सूची एवं विश्व धरोहर की सूची दोनों से विलोपित भी कर सकती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Chief Minister
संदर्भ
तीरथ सिंह रावत, को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है.
मुख्यमंत्री
जिस प्रकार संघ की मंत्रीपरिषद का प्रधान भारत का प्रधानमंत्री होता है, उसी प्रकार राज्य की मंत्रिपरिषद का प्रधान एक मुख्यमंत्री होता है. 1935 ई. के अधिनियम के अंतर्गत, मुख्यमंत्री को भी प्रधानमंत्री की संज्ञा दी गई थी. उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री का पद नहीं था. संविधान के निर्माताओं ने संघ में प्रधानमंत्री के पद का प्रावधान करते हुए राज्यों में मुख्यमंत्री के पद का प्रावधान किया है. कार्य, अधिकार तथा शक्ति की दृष्टि से दोनों में साम्य है. संघ शासन में जो स्थान भारत के प्रधानमंत्री का है, राज्य के शासन में वही स्थान राज्य के मुख्यमंत्री का है. राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है, राज्यपाल तो सिर्फ एक सांविधानिक प्रधान है. मुख्यमंत्री का स्थान महत्त्वपूर्ण है.
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है. परन्तु, व्यवहार में राज्यपाल की वह शक्ति अत्यधिक सीमित है. चूँकि राज्यों में उत्तरदायी अथवा संसदीय स्वरूप की कार्यपालिका की व्यवस्था की गई है, अतः विधानमंडल में जिस दल का बहुमत होता है, राज्यपाल उसी दल के नेता को मुख्यमंत्री का पदग्रहण और मंत्रिपरिषद के निर्माण के लिए आमंत्रित करता है. सामान्यतः, मुख्यमंत्री विधान सभा का सदस्य होता है, परन्तु इसके अपवाद भी हैं और विधान परिषद् के सदस्य भी मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त हुए हैं. यदि विधान सभा में किसी दल का स्पष्ट बहुमत न हो या किसी दल का सर्वमान्य नेता न हो, तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति में राज्यपाल को कुछ स्वतंत्रता हो सकती है.
मुख्यमंत्री की योग्यता, वेतन, कार्यकाल
संविधान में मंत्रियों के लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं की गई है. केवल इतना ही कहा गया है कि प्रत्येक मंत्री को अनिवार्यतः राज्य के विधानमंडल का सदस्य होना चाहिए. यदि नियुक्ति के समय कोई मंत्री विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य न हो, तो उसे नियुक्ति की तिथि के छह महीनों के अंतर्गत किसी सदन का सदस्य बनना पड़ेगा, अन्यथा मंत्रिपद त्यागना होगा. व्यवहार में वही व्यक्ति मंत्री नियुक्त होता है, जो अपने दल में प्रभावी व्यक्ति होता और मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र होता है. मंत्रियों को राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि के अनुसार वेतन, भत्ते आदि मिलते हैं. संविधान में मंत्रियों की अवकाश-आयु, शिक्षा-सम्बन्धी योग्यता तथा कार्यकाल निश्चित नहीं किये गए हैं. सामान्यतः मंत्रियों का कार्यकाल 5 वर्ष है, जो विधान सभा की अवधि है. संविधान में कहा गया है कि मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर रहेंगे. परन्तु, मंत्रियों को पदच्युत करने में राज्यपाल की स्वतंत्रता बहुत सीमित है. चूँकि मंत्री विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं, इसलिए जब तक उन्हें विधान सभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त है और मुख्यमंत्री उन्हें चाहता है तब तक राज्यपाल उन्हें पदच्युत नहीं कर सकता. यदि राज्यपाल ऐसा करे, तो समस्त मंत्रिपरिषद त्यागपत्र देकर सांविधानिक संकट उपस्थित कर सकती है. हाँ, विधानमंडल मंत्रियों के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर उन्हें पदच्युत कर सकता है.
मुख्यमंत्री के कार्य
- मुख्यमंत्री का प्रथम कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना है. वह मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या निश्चित करता है और उसके लिए नामों की एक सूची तैयार करता है.
- वह मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या निश्चित करता है और उसके लिए नामों की एक सूची तैयार करता है. इस कार्य में वह प्रायः स्वतंत्र है; परन्तु व्यवहार में उसके ऊपर भी प्रतिबंध लगे रहते हैं. उसे अपने दल के प्रभावशाली व्यक्तियों, राज्य के विभिन्न भागों तथा सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों को मंत्रिपरिषद में सम्मिलित करना पड़ता है.
- इसके अतिरिक्त, उसे अपने दल की कार्यकारिणी समिति का भी परामर्श लेना पड़ता है. उस दल के कुछ वयोवृद्ध अनुभवी व्यक्तियों तथा नवयुवकों को भी मंत्रिपरिषद में सम्मिलित करना पड़ता है.
- मुख्यमंत्री राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृत से मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण करना है. इस कार्य में उसे बहुत कुछ स्वतंत्रता रहती है; परन्तु उसे अपने सहयोगियों की इच्छा का आदर करना ही पड़ता है.
- मुख्यमंत्री मंत्रियों से पारस्परिक सहयोगपूर्वक कार्य करता है, उनके मतभेद और विवाद का निर्णय करता है. उसे सभी विभागों के कार्यों की निगरानी और सामंजस्य का व्यापक अधिकार प्राप्त रहता है. वह विधान सभा का नेता होता है. अतः, विधेयक को पारित कराने, धनराशि की स्वीकृति आदि में उसका व्यापक प्रभाव पड़ता है.
- वह राज्यपाल को विधान सभा को विघटित करने का परामर्श दे सकता है.
- वह विधान सभा का प्रमुख प्रवक्ता होता है. अतः, उसके आश्वासन प्रामाणिक माने जाते हैं. वह विधान सभा में सरकार की नीति या अन्य आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण विषयों पर भाषण देता है.
- संविधान के अनुसार नियुक्ति के जो अधिकार राज्यपाल को प्राप्त हैं, उनका प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है. उदाहरण के लिए, राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्य तथा राज्य के अन्य मुख्य पदाधिकारियों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री का हाथ रहता है.
- मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों का सभापतित्व करता है तथा सरकार के नीति-निर्धारण में उसका महत्त्वपूर्ण हाथ रहता है. वह मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच संपर्क की कड़ी है. वह मंत्रिपरिषद के निर्णयों एवं अन्य शासन-सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण विषयों की सूचना राज्यपाल को देता है.
- राज्य की सर्वोच्च कार्यपालिका शक्ति मुख्यमंत्री के हाथों में है. वह राज्य का वास्तविक शासक होता है. यहाँ तक कि राज्यपाल कोई भी कार्य मुख्यमंत्री के विश्वास तथा सम्मान का पात्र बनकर ही कर सकता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : UIGHUR
संदर्भ
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर तुर्की में सैकड़ों उइगर मुस्लिम महिलाओं ने चीन के साथ तुर्की के प्रत्यर्पण समझौते के विरुद्ध प्रदर्शन किया और चीन के शिनजियांग प्रांत में बड़े पैमाने पर बने शिविरों को बंद करने की माँग की. ज्ञातव्य है कि दिसम्बर 2020 में चीन ने तुर्की के साथ आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए संधि पर हस्ताक्षर किये थे. पिछले कुछ समय में चीन और तुर्की के मध्य सम्बन्ध दृढ़ हुए हैं.
उइगर कौन हैं?
- उइगर मुसलमानों की एक नस्ल है जो बहुत करके चीन के Xinjiang प्रांत में रहती है.
- उइगर लोगउस प्रांत की जनसंख्या के 45% हैं.
- विदित हो कि तिब्बत की भांति Xinjiang भी चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र घोषित है.
उइगरों के विद्रोह का कारण
- कई दशकों से Xinjiang प्रांत में चीन की मूल हान (Han) नस्ल के लोग बसाए जा रहे हैं. आज की तिथि में यहाँ 80 लाख हान रहते हैं जबकि 1949 में इस प्रांत में 220,000 हान रहा करते थे.
- हान लोग अधिकांश नई नौकरियों को हड़प लेते हैं और उइगर बेरोजगार रह जाते हैं.
- उइगरों की शिकायत है कि सैनिक उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं जबकि सरकार यह दिखाती है कि उसने सभी को समान अधिकार दिए हुए हैं और विभिन्न समुदायों में समरसता है.
चीन की चिंता
- चीन का सोचना है कि उइगरों का अपने पड़ोसी देशों से सांस्कृतिक नाता है और वे पाकिस्तान जैसे देशों में रहने वाले लोगों के समर्थन से Xinjiang प्रांत को चीन से अलग कर एक स्वतंत्र देश बनाना चाहते हैं.
- विदित हो Xinjiang प्रांत की सीमाएँ मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान से मिलती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : UDAN Scheme
संदर्भ
हाल ही में दिल्ली से त्रिशूल सैन्य एयरबेस, बरेली के लिए पहली फ्लाइट को हरी झंडी दी गई. ज्ञातव्य है कि त्रिशूल सैन्य एयरबेस का उड़ान योजना के तहत नवीनीकरण किया गया है.
उड़ान योजना क्या है?
UDAN भारत सरकार की एक मूर्धन्य योजना है जिसका अनावरण अप्रैल, 2017 में किया गया था. यह योजना जून, 2016 में लागू राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (National Civil Aviation Policy – NCAP) का एक प्रमुख अवयव है. UDAN क्षेत्रीय विमानन बाजार को विकसित करने के लिए एक नवोन्मेषी योजना (innovative scheme) है. यह योजना बाजार तंत्र पर आधारित है जिसके अंतर्गत वायुयान सेवादाताओं के द्वारा सीटों के लिए सब्सिडी हेतु बोली लगाई जाएगी. यह योजना इस प्रकार की अभी तक की पहली योजना है जो आर्थिक रूप से आम नागरिकों के लिए व्यवहार्य और लाभदायक है. इससे विश्व-स्तर पर क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती उड़ानें भरी जा सकेंगी.
चुने गए एयरलाइन ऑपरेटरों को सामान्य जहाज़ों में न्यूनतम 9 और अधिकतम 40 उड़ान सीटें रियायती दरों पर देनी होंगी तथा हेलीकाप्टरों में न्यूनतम 5 और अधिकतम 13 सीटों का प्रावधान करना होगा. सामान्य जहाज़ों और हेलिकोप्टरों में क्रमशः लगभग एक घंटे और आधे घंटे की यात्रा के लिए आरक्षित सीटों का अधिकतम किराया 2,500 रु. तय किया गया है.
उड़ान योजना के लाभ
- इस योजना के द्वारा नागरिकों को वायुयात्रा की कनेक्टिविटी मिलेगी
- यह सभी हितधारकों के लिए एक स्पर्द्धा की स्थिति प्रदान करेगा
- रोजगार के अवसर प्रदान करेगा
- क्षेत्रीय हवाई संपर्क और बाजार का विस्तार होगा
- राज्य सरकारों को दूरदराज के क्षेत्रों के विकास, व्यापार और वाणिज्य के विस्तार और पर्यटन की वृद्धि का लाभ प्राप्त होगा.
उड़ान 1.0
- इस चरण के तहत 5 एयरलाइन कंपनियों को 70 हवाई अड्डों (36 नए बनाए गए परिचालन हवाई अड्डों सहित) के लिये 128 उड़ान मार्ग प्रदान किये गए.
उड़ान 2.0
- वर्ष 2018 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 73 ऐसे हवाई अड्डों की घोषणा की जहाँ कोई सेवा प्रदान नही की गई थी या उनके द्वारा की गई सेवा बहुत कम थी.
- उड़ान योजना के दूसरे चरण के तहत पहली बार हेलीपैड भी योजना से जोड़े गए थे.
उड़ान 3.0
- पर्यटन मंत्रालय के समन्वय में उड़ान 3.0 के तहत पर्यटन मार्गों का समावेश.
- जलीय हवाई-अड्डे को जोड़ने के लिए जल विमान का समावेश.
- उड़ान के दायरे में पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई मार्गों को लाना.
उड़ान 4.0
- उड़ान 4.0 के तहत छत्तीसगढ़ में बिलासपुर और अंबिकापुर हवाई अड्डों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
- उड़ान योजना राज्य के उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करती है जो हवाई सेवा से नहीं जुड़े हैं.
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय जिन राज्यों पर विशेष ध्यान दे रहा है, छत्तीसगढ़ उनमें से एक है.
मेरी राय – मेंस के लिए
यदि विमानन क्षेत्र को प्रतिस्पर्द्धी बनाने व अच्छी सेवाएँ देने के लिये निजी क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ावा दिये जाने की नीति है तो फिर विमानन कंपनियाँ घाटे में क्यों चली जाती हैं और क्यों बंद हो जाती हैं? कारोबारी प्रबंधन के जानकारों से लेकर नियामक तक विमानन कंपनियों में संकट की आहट को आखिर समय रहते क्यों नहीं पहचान पा रहे हैं? क्या इस क्षेत्र के लिये सरकार की ओर से कारगर नीतियाँ नहीं बनाई जा रही हैं? क्या इस पर निगरानी के लिये कोई तंत्र नहीं होना चाहिये? स्पष्ट है कि भारत में विमानन उद्योग के लिये हालात अच्छे नहीं हैं. आखिर इसके लिये किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाए?
सुरक्षित विमान यात्रा भी विमानन क्षेत्र की एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. बोइंग 737 मैक्स विमानों पर पूरे विश्व में रोक लग चुकी है. दो विमान हादसों में 300 से ज़्यादा यात्रियों की मौत के बाद यह रोक लगाई गई थी. इन विमानों में प्रयोग होने वाली सॉफ्टवेयर प्रणाली MCAS में समस्या होने से दुर्घटनाएँ हुई थीं. बोइंग 737 मैक्स विमानों के डिज़ाइन में लगातार बदलाव किये जाते रहे हैं. पायलटों को उड़ान संबंधी नए मानकों का प्रशिक्षण नहीं मिला था जिसके कारण ये दुर्घटनायें हुईं थीं. अब DGCA को सुरक्षा संबंधी मानदडों में कड़े बदलाव करने होंगे.
Prelims Vishesh
Vaccine Passport :-
- फ़रवरी 2021 इज़राइल पहला देश बना था जिसने कोविड 19 का टीका लगवा चुके व्यक्तियों के लिए एक प्रमाणन प्रणाली शुरू की थी. इसे “वैक्सीन पासपोर्ट” कहा जा रहा है.
- वैक्सीन पासपोर्ट एक डिजिटल दस्तावेज होता है जो इसका बात का प्रमाण होता है कि संबंधित व्यक्ति का कोविड 19 टीकाकरण हो चुका है और वह सुरक्षित है. ऐसे व्यक्तियों को इजरायल में कुछ विशेष स्थानों पर जाने, काम करने की छूट दी जाती है. उल्लेखनीय है कि कोविड 19 महामारी से उबरने के लिए विभिन्न देशों में लोगों के आवागमन को सामान्य करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वैक्सीन पासपोर्ट भी इसी का एक हिस्सा है. हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड 19 टीकाकरण के सर्टिफिकेट को अंतर्राष्ट्रीय यात्रा हेतु आवश्यक किये जाने के विरुद्ध है क्योंकि अभी तक इन टीकों की प्रभाविता का ठीक से पता नही चल सका है.
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