Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 September 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 11 September 2021


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.

Topic : Swachh Bharat Mission

संदर्भ

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-II के अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2021 का शुभारंभ किया.

स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2021

  • स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण – 2021, ग्रामीण क्षेत्रों में ओ.डी.एफ. प्लस पहलों में तीव्रता लाने और ओ.डी.एफ. निरंतरता में वर्धन के लिए स्वच्छता, आरोग्यकारिता एवं साफ-सफाई का एक सर्वेक्षण है.
  • साथ ही, यह ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) गतिविधियों में सुधार की गति बढ़ाने पर भी केंद्रित है.
  • पेयजल और स्वच्छता विभाग (Department of Drinking Water and Sanitation -DDWS) ने वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में “स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण शुरू किया था.
  • सर्वेक्षण 2021 के संचालन के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी को कार्यभार सौंपा गया है.

महत्त्व

  • यह सर्वेक्षण जमीनी स्तर पर चुनौतियों की पहचान करके और सभी राज्यों के साथ कार्य करके परिणामों में व्याप्त अंतराल को समाप्त करने में सहयोग करेगा.
  • स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण ने गांवों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को भी प्रोत्साहन दिया है, जिससे स्वच्छ गांवों के निर्माण की दिशा में गांवों द्वारा नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकें.
  • नागरिक प्रतिपुष्टि कार्यक्रम को और भी दृढ करेगी. 

स्वच्छ भारत मिशन

  1. स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना और कूड़ा साफ रखना है.
  2. स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है.
  3. यह अभियान 02 अक्टूबर, 2014 को आरंभ किया गया. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी से मुक्त कराया, परन्तु ‘स्वच्छ भारत’ का उनका सपना पूरा नहीं हुआ.
  4. महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था.

स्वास्थ्य और स्वच्छता में सम्बन्ध

यदि देखा जाए तो कई ऐसे बीमारियाँ हैं जिनका प्रत्यक्ष सम्बन्ध साफ-सफाई की आदतों से है. मलेरिया, डेंगू, डायरिया और टीबी जैसी बीमारियां इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. यह सर्वविदित है कि साफ-सफाई मानव स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है. जिन बीमारियों के मामले ज्यादातर सामने आते हैं और जिनसे ज्यादा मौतें होती हैं, अगर उनके आंकड़ों पर गौर करें तो कहा जा सकता है कि शरीर की तथा परिवेश की वह अचूक मांग है जिसके माध्यम से न सिर्फ स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है बल्कि बीमारियों से लड़ने पर देश भर में हो रहा अरबों का सालाना खर्च भी बचाया जा सकता है. स्वस्थ शरीर में निवसित स्वस्थ मस्तिष्क की उत्पादकता, बढ़ने से देश की उत्पादकता जो बढ़ेगी, सो अलग. इतना ही नहीं, शरीर के स्वस्थ रहने के लिए हर स्तर पर स्वच्छता आवश्यक है और इस तथ्य को हमारे महापुरुषों ने भी लगातार स्वीकारा है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Land reforms in India.

Topic : SWAMITVA scheme

संदर्भ

हाल ही में केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह स्वामित्व योजना पर राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया. इस राष्ट्रीय बैठक ने विभिन्‍न हितधारकों को पायलट चरण में योजना के कार्यान्वयन प्रक्रिया से प्राप्त ज्ञान और अनुभव को साझा करने तथा चर्चा करने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान किया. इस सम्मेलन ने स्वामित्व योजना की प्रक्रियाओं, सामने आई सर्वोत्तम प्रथाओं, समय पर कार्यान्वयन के लिए तकनीकी हस्तक्षेप, और संपत्ति कार्ड की विश्वसनीयता, छठी अनुसूची के क्षेत्रों सहित अन्य विचारों के संबंध में राज्यों के लिए क्रॉस-लर्निंग मंच प्रदान किया.

स्वामित्व योजना क्या है?

यह प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया योजना का ही हिस्सा है. राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल, 2020 को इसे अनावृत किया गया था. पंचायती राज मंत्रालय की इस योजना का पूरा नाम सर्वेक्षण ऑफ़ विजिलेंस एंड मैपिंग विद इम्पोवरिश्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरिया’ है. इसके अंतर्गत ड्रोन के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार करना है.

वैसे, अब सबकी निगाहें इस योजना के क्रियान्वयन पर रहेंगी, क्योंकि अच्छी योजनाएँ तो पहले भी बहुत -सी बनती रही हैं, परन्तु उन पर ठीक से अमल नहीं हो पाने से वे लालफीताशाही के चंगुल में फँसती रही हैं.

आधार कार्ड में लोगों के नाम, जन्म तिथि, फोटो आदि गलत लगने की ढेरों शिकायतें आती रही हैं. इससे बिना कारण लोग परेशान होते हैं. कहीं भू-रिकॉर्ड में गलत जानकारी दर्ज हो गई तो यह योजना गाँवों के लोगों की मुश्किलें और विवाद बढ़ा देगी. इसलिए सरकारी तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह योजना पारदर्शी हो और लोगों को परेशानी न उठानी पड़े. इससे इस योजना की लोगों में विश्वसनीयता बढ़ेगी और इसकी सफलता भी सुनिश्चित होगी.

सरकार का कहना है कि लोग इस कार्ड का उपयोग बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कार्यों में भी कर सकते हैं. इससे गाँवों में भूमि विवाद भी खत्म हो जाएँगे. भूमि के सत्यापन की प्रक्रिया में तीव्रता आएगी व भ्रष्टाचार को रोकने में सहयोग मिलेगा. सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की योजना को सकारात्मक पहल कहा जा सकता है.

लाभ

  • गाँवों तथा ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों को आधार प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी.
  • संपत्ति कर के जरिये ग्राम पंचायतों की आमदनी के एक स्थायी स्रोत तथा स्थानीय व्यवस्था के लिये अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध किया जाएगा.
  • एकीकृत संपत्ति सत्यापन व्यवस्था के जरिये संपत्ति सम्बन्धी विवाद को निपटाने में सहायता मिलेगी.
  • प्राप्त आधिकारिक प्रमाण पत्र के जरिये संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति पर बैंक ऋण तथा संपत्ति से जुड़ी अन्य योजनाओं का फायदा उठा सकेगें.
  • वर्तमान ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि पर निर्मित मकानों तथा जोत के वास्तविक आकार के संदर्भ में उपलब्ध आँकड़ों में स्पष्टता की बहुत कमी है, इस योजना के माध्यम से कृषि जोत के आकार से जुड़े आँकड़ों को दृढ़ बनाने में सहयोग मिलेगा.

कैसे होगा संपत्ति का सर्वेक्षण?

केंद्र सरकार ने इस प्रकार के ‘आबादी क्षेत्रों’ में सर्वेक्षण के लिए राज्यों को अपने-अपने नियम बनाने के लिए कहा है.

सर्वेक्षण के दौरान ग्राम पंचायत के सदस्य, राजस्व विभाग के अधिकारी, गाँव के ज़मीन मालिक और झगड़ा-फसाद रोकने हेतु पुलिस की टीम मौक़े पर तैनात रहती है.

आपस में सहमति से अपनी-अपनी दावे वाली ज़मीन पर चूना लगा कर ज़मीन मालिक मोटी बाउंड्री बना देते हैं, जिसकी तस्वीर उड़ते ड्रोन से खींची जाती है. इसके लिए गाँव के कई चक्कर ड्रोन को लगाने होते हैं जिससे हर कोण से तस्वीरों का मिलान किया जा सके और कंप्यूटर की सहायता से ज़मीन का नक़्शा तैयार किया जा सके.

जिस गाँव का सर्वेक्षण होता है, वहाँ के सभी सदस्यों को इसकी सूचना पूर्व से ही दे दी जाती है, जिससे कुछ लोग जो दूसरी जगह नौकरी या किसी और काम से बाहर हों, वे भी सर्वेक्षण वाले दिन वहाँ आ सके.

एक बार पूरा नक़्शा तैयार कर लेने के पश्चात्, जिसके नाम की ज़मीन है, वह ब्यौरा पूरे गाँव को बताया जाता है. जिस किसी को कोई भी आपत्ति दर्ज करानी हो तो इसके लिए कम से कम 15 दिन और अधिक से अधिक 40 दिन का समय दिया जाता है.

जिस ज़मीन पर कोई आपत्ति नहीं होती और सभी पक्षों की सहमति होती है, राजस्व विभाग के अधिकारी उसके काग़ज़ात ज़मीन मालिक को सुपुर्द कर देते हैं. इसे ऑनलाइन माध्यम से डाउनलोड भी किया जा सकता है.

ऐसे घरों के मालिकाना हक़ के लिए राज्य सरकारें चाहें, तो इसके लिए अपना अलग-अलग क़ानून बना सकती हैं. मिसाल के तौर पर हरियाणा सरकार ने इस आबादी क्षेत्र की ज़मीन की जवाबदेही ग्राम पंचायतों के ज़िम्मे सौंप दी है.

इसलिए किसी भी विवाद को हल करने की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायतों की होगी. परन्तु ग्राम पंचायतों को आबादी क्षेत्र की जानकारी संबंधित राजस्व विभाग ही देगा. सभी राज्यों में यह काम सर्वेक्षण ऑफ़ इंडिया के साथ मिल कर किया जा रहा है.

ऐतिहासिक दृष्टिकोण

अकबर के शासनकाल में राजा टोडरमल ने भारत में सबसे पहले भूमि पैमाइश शुरू की. इसके पश्चात् अंग्रेजों के काल में करीब पूरे देश के भू-रिकॉर्ड तैयार किए गए. ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि का रिकॉर्ड तो राजस्व विभाग के पास विद्यमान होता है, पर मकानों को लेकर रिकॉर्ड करने की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई थी. विलम्ब से ही सही, अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों की तरह मकानों के नक्शे व अन्य रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध हो जाएंगे.

चूंकि अब अधिकतर ग्राम पंचायतें इंटरनेट का फायदा उठा रही हैं, इसलिए अब स्वामित्व योजना पर अमल में परेशानी नहीं होनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण में गांवों के भू-संपत्ति मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड वितरित करने की योजना का शुभारंभ किया. पहले चरण में लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिकों के मोबाइल फोन पर एसएमएस से लिंक भेजा गया और उसे डाउनलोड करने पर उन्हें प्रॉपर्टी कार्ड मिलने शुरू हो गए. इस तरह 763 गांवों के 1.32 लाख लोगों को ऑनलाइन प्रॉपर्टी कार्ड सौंपे गए. अब राज्य सरकारें विधिवत तौर पर लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड बांटेंगी.

इस योजना से देश के गाँवों में ऐतिहासिक परिवर्तन आएगा. इस योजना ने देश के गाँव और गरीब लोगों को बड़ी शक्ति दी है. प्रॉपर्टी कार्ड का दस्तावेज एक कानूनी दस्तावेज है और इससे गाँव में रहने वाले लोग आत्मनिर्भर बनेंगे. आशा है कि स्वामित्व योजना भी गाँवों में कई विवादों को समाप्त करने का बहुत बड़ा माध्यम बनेगी.  स्वामित्व योजना के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों के आँकड़ों में स्पष्टता लाने के साथ इसके जरिये ग्रामीण जनता तथा ग्राम पंचायतों को अधिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर ग्रामीण भारत के विकास को एक दृढ़ आधार प्रदान किया जा सकेगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

चुनौतियाँ

  • संपत्ति से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ों का अभाव: इस योजना को लागू करने का एक मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों से जुड़े आँकड़ों में सुधार लाना है मगर वर्तमान में ऐसे आकड़ों के अभाव में इस योजना के क्रियान्यवयन के समय अनेक विवादों का सामना करना पड़ सकता है.      
  • संयुक्त परिवारों में संपत्ति का बँटवारा: अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक परिवारों में संपत्ति का विभाजन बहुत ही जटिल होता है, इसलिए ऐसी संपत्तियों के मामलों में आधिकारिक पत्र निर्गत करना एक चुनौती होगी. 
  • स्वामित्त्व पंजीकरण: केंद्र सरकार ने अभी तक इस योजना के अंतर्गत आधिकारिक प्रमाण पत्र में संपत्ति के पंजीकरण से सम्बंधित बहुत अधिक जानकारी नहीं दी है, जैसे- स्वामित्त्व पंजीकरण की प्रकृति क्या होगी (उदाहरण- खेती, शहरी मकान का पंजीकरण आदि). साथ ही इस योजना के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका अतीव महत्त्वपूर्ण होगी, क्योंकि भूमि’ राज्य का विषय है.  
  • ऋण मिलने की प्रक्रिया: केंद्र सरकार के अनुसार, स्वामित्व योजना का एक प्रमुख ध्येय संपत्ति के मालिकों को सरलता से ऋण प्राप्त करने का एक माध्यम प्रदान करना है परंतु सरकार द्वारा ऋण की दरों या ऋण के प्रकार (जैसे-कृषि ऋण की दर, शहरी क्षेत्रों में मकानों के लिये निर्धारित ऋण दर आदि) के विषय में अधिक जानकारी नहीं दी गई है. 
  • इंटरनेट :वर्तमान समय प्रतिस्पर्द्धा और विकास के इस दौर में इंटरनेट की भूमिका बहुत ही आवश्यक हो गई है मगर आज भी देश के बहुत से ग्रामीण क्षेत्र अच्छे मोबाईल नेटवर्क और तीव्र गति की इंटरनेट की पहुँच से बाहर हैं, ऐसे में सुदूर क्षेत्रों में इस योजना के अंतर्गत आँकड़ों को ऑनलाइन अपलोड करने और उनकी जाँच करने में समस्याएँ आ सकती हैं.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : India-US cooperation in the renewable energy sector

संदर्भ

हाल ही में अमरीका की ओर से “जलवायु पर विशेष दूत” जॉन कैरी भारत की यात्रा पर आये हुए हैं. इस दौरान भारत के पर्यावरण मंत्री के साथ उनकी बैठक के दौरान दोनों देशों के मध्य वर्ष 2030 तक भारत में 450GW नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना करने से सम्बंधित समझौते पर सहमति व्यक्त की गई.

नवीकरणाय ऊर्जा क्षेत्र में भारत-अमरीका सहयोग के मुख्य बिंदु

दोनों देशों के द्वारा क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइजेशन डायलाग (CAFMD) का अनावरण किया गया. यह डायलाग तीन मुख्य स्तम्भों पर आधारित होगा, जो हैं –

  1. क्लाइमेट एक्शन: इसमें अगले दशक में कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए साझेदारी पर बल दिया जायेगा.
  2. 450GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापना का रोड मैप निर्मित करना.
  3. फाइनेंस: स्वच्छ ऊर्जा तकनीको के लिए वित्त जुटाने के लिए आपसी सहयोग.

बैठक के दौरान जॉन कैरी ने भारत से वर्ष 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन” पर भारत का समर्थन प्राप्त करने पर भी चर्चा की. ज्ञातव्य है कि भारत ने “नेट जीरो उत्सर्जन: के संबंध में अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं.

कार्बन न्यूट्रैलिटी (कार्बन तटस्थता)

  • कार्बन न्यूट्रैलिटी या नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का तात्पर्य है कि जितनी कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित की जाएगी, उतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड वातावरण से हटाई जाएगी.
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अर्थव्यवस्था के हर महत्त्वपूर्ण क्षेत्र को इको फ्रेंडली बनाना होता है.
  • विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को प्रदूषण फैलाने वाले कोयले और गैस व तेल से चलने वाले बिजली स्टेशनों की जगह, पवन या सौर ऊर्जा फार्म जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के ज़रिये सशक्त करना होता है.

वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कार्बन तटस्थता की स्थिति

  • विकसित देशों द्वारा कार्बन तटस्थता की घोषणाओं के बाद भी कार्बन के उत्सर्जन में अपेक्षाकृत कमी नहीं ला पा रहे हैं .
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भूमि उपयोग और भूमि उपयोग परिवर्तन एवं वन संबंधित उत्सर्जन (land use and land use change and forest related emissions) पर गंभीरता से विचार विचार नहीं किया है.
  • यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए एक कानून निर्मित किया गया है. यह सौदा यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है. यह जलवायु कानून विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने के लिए यूरोप की योजनाओं के लिए एक आधार तैयार करेगा.
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन सर्वप्रथम स्थान पर हैऔर इसके पश्चात् अमरीका का स्थान आता है तथा तीसरे स्थान पर भारत है.

भारत की प्रतिबद्धता

  • विश्‍व सतत विकास शिखर सम्‍मेलन-2021 का उद्घाटन करने के बाद भारत ने कहा कि साझा प्रयासों से ही सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है और इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में भारत अपनी भूमिका के लिए तैयार है.
  • भारत ने अप्रैल 2016 में औपचारिक रूप सेपेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये थेभारत का लक्ष्य 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन को 33-35% तक कम करना है.
  • इसके साथ ही भारत का लक्ष्य 2030 तक अतिरिक्त वनों के माध्यम से 2.5-3 अरब टन कार्बन डाई ऑक्साइड के बराबर कार्बन में कमी लाना है.भारत अपने लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Related to Space.

Topic : What Chandrayaan-2 has sent

संदर्भ

ऑर्बिटर और चंद्रयान -2 मिशन के साथ भेजे गए अन्य उपकरणों द्वारा गत दो वर्षों में, कई नई जानकारी एकत्रित की गयी हैं, जिससे चंद्रमा और उसके पर्यावरण के विषय में हमारे ज्ञान में वृद्धि हुई है.

चंद्रयान-2 के साथ हुई दुर्घटना

  • ‘चंद्रयान-2’ (Chandrayaan-2), भारत का चंद्रमा पर भेजे गया दूसरा मिशन था, जो चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ करने में विफल रहा.
  • यान पर लगे लैंडर और ‘रोवर’ अंतिम क्षणों में क्षतिग्रस्त हो गए.

इस मिशन की वर्तमान में प्रासंगिकता

  • विफलता के बाद भी, मिशन के साथ भेजे गए ‘ऑर्बिटर’ और अन्य उपकरण सामान्य रूप से काम कर रहे हैं और चंद्रमा पर सतहीय जानकारी एकत्रित कर रहे हैं.
  • हाल ही में, ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) ने ‘चंद्रयान-2’ के वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा अब तक एकत्र की गई जानकारी को सार्वजनिक रूप से जारी किया था, इसमें से कुछ जानकारी का विश्लेषण और आकलन किया जाना अभी शेष है.

पृष्ठभूमि

चंद्रयान-1 की सफलता के बाद इसरो ने चंद्रयान-2 की योजना बनाई थी. ISRO का कहना था कि चंद्रयान-2 चंद्रमा की उस सतह पर जाएगा जहाँ आज तक किसी भी देश का यान नहीं पहुँचा है. चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाना था. चंद्रयान-II के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर एक रोवर उतारने के लिए भेजा गया. विदित हो कि अब तक केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा की सतह से बिना टकराए हुए यान सफलतापूर्वक उतार सके हैं.  

चन्द्रयान II मिशन 

  • चंद्रयान -2 मिशन (Chandrayaan-2 mission), लगभग दस वर्ष के वैज्ञानिक अनुसंधान और अभियान्त्रिकी विकास के कामयाब दौर के बाद भेजा गया भारत का दूसरा चंद्र अभियान था.
  • वर्ष 2019 में चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग में ‘हार्ड लैंडिंग’ करने के बाद इसका इसरो के साथ संपर्क टूट गया था, परन्तु अपने ऑर्बिटर के रूप में चंद्रयान -2 चंद्रमा के ऊपर चक्कर काटते हुए अभी तक सक्रिय है.
  • वैज्ञानिकों द्वारा, सूर्य का अध्ययन करने के लिए, चंद्रयान-2 पर लगे हुए ‘सोलर एक्स-रे मॉनिटर’ (Solar X-ray Monitor – XSM) का प्रयोग किया गया है.
  • चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य, चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंड करने और सतह पर रोबोटिक रोवर को संचालित करने की क्षमता का प्रदर्शन करना था.
  • इस मिशन में, एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे और चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए सभी वैज्ञानिक उपकरणों से लैस था.

Prelims Vishesh

Mission 5000 :-

  • “मिशन 5,000″ का उद्देश्य प्रभावी संसदीय लोकतंत्र सुनिश्चित करना है.
  • स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने देश के सभी 5,000 विधायकों से संसदीय सत्र के दौरान विधायिका की कार्यवाही को बाधित न करने का संकल्प लेने की अपील की है.

Web portal launched for New Industrial Devlopment Scheme for Jammu and Kashmir :-

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है. इसे 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ वर्ष 2037 तक की अवधि के लिए शुरू किया गया है.
  • योजना का उद्देश्य संघ राज्यक्षेत्र जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जाना है.
  • यह भारत सरकार द्वारा प्रथम बार शुरू की गई एक औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है.
  • इसके अंतर्गत रोजगार सृजन, कौशल विकास और सतत विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है.
  • यह छोटी और बड़ी दोनों इकाइयों को पूंजी निवेश प्रोत्साहन, पूंजी ब्याज सहायता, जीएसटी संबंधित प्रोत्साहन और कार्यशील पूंजी ब्याज सहायता प्रदान करती है.

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