Sansar Daily Current Affairs, 12 January 2022
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ.
Topic : Election Commission of India
संदर्भ
हाल ही में, ‘भारत निर्वाचन आयोग’ (Election Commission of India) द्वारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए चुनाव-व्यय की सीमा (Election Expenditure Limit) में बढ़ोत्तरी की गयी है.
हाल में किए गये परिवर्तन
- लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के उम्मीदवारों के लिए चुनाव-व्यय की सीमा 54 लाख रुपये-70 लाख रुपये (राज्यों के अनुसार) से बढ़ाकर 70 लाख-95 लाख रुपये कर दी गई है.
- विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव-व्यय की सीमा 20 लाख रुपये-28 लाख रुपये से, बढ़ाकर 28 लाख रुपये- 40 लाख रुपये (राज्यों के अनुसार) कर दी गई है.
- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के लिए चुनाव-व्यय में 40 लाख रुपये की, तथा गोवा और मणिपुर के लिए 28 लाख रुपये की बढोत्तरी की गयी है.
चुनाव व्यय सीमा (Election Expenditure Limit)
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act – RPA), 1951 की धारा 77 के तहत, प्रत्येक उम्मीदवार को अपने नामांकन दाखिल करने की तारीख से लेकर चुनाव परिणाम की घोषणा होने की तारीख तक के बीच किए जाने वाले सभी व्ययों का एक अलग और सही हिसाब रखना आवश्यक है.
- चुनाव के पूरा होने के 30 दिनों के भीतर, सभी उम्मीदवारों के लिए अपने चुनाव-व्यय का विवरण ‘भारत निर्वाचन आयोग’ (ECI) के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है.
- उम्मीदवार द्वारा गलत विविरण देने या अधिकतम सीमा से अधिक व्यय करने पर, उसे निर्वाचन आयोग द्वारा ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम’ (RPA), 1951 की धारा 10A के तहत तीन साल तक के लिए ‘चुनाव लड़ने के अयोग्य’ घोषित किया जा सकता है.
पृष्ठभूमि
उम्मीदवारों के लिए चुनाव-व्यय सीमा में पिछली बार वृद्धि वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले की गयी थी, जिसे वर्ष 2020 में 10% और बढ़ा दिया गया था.
उसी वर्ष, निर्वाचन आयोग द्वारा, चुनावों में लागत कारकों और अन्य संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने तथा उपयुक्त सिफारिश देने हेतु एक समिति का गठन भी किया गया.
भारत निर्वाचन आयोग
भारत एक प्रजातन्त्रात्मक देश है. यहाँ प्रत्यक्ष मतदान द्वारा व्यवस्थापिका का संगठन किया जाता है. आम चुनाव के निष्पक्षतापूर्वक सम्पादन हेतु एक निर्वाचन आयोग की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार की गई है. निर्वाचन आयोग पर कार्यपालिका अथवा न्यायपालिका किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है और यह आयोग निष्पक्षतापूर्वक अपने कार्य को संपन्न करता है. निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) या मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है और अन्य दो चुनाव आयुक्त होते हैं. Chief Election Commissioner of India प्रायः Indian Civil Services के मेम्बर या IAS होते हैं.
नियुक्ति
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अधीन इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इसकी सहायता पहुँचाने के लिए राष्ट्रपति अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी करता है. मुख्य चुनाव आयुक्त को छोड़कर भारत में चुनाव आयुक्तों की संख्या कितनी हो यह निर्धारित करना राष्ट्रपति का ही कार्य है. मुख्य चुनाव आयुक्त को पदच्युत करने के लिए उस प्रणाली को अपनाना होता है जिस प्रणाली को उच्चतम न्यायलाय के न्यायाधीश को पदच्युत करने के लिए अपनाना होता है. निर्वाचन आयोग के अन्य सदस्यों को राष्ट्रपति तभी पदच्युत करता है जब मुख्य चुनाव आयुक्त उससे इस प्रकार की सिफारिश करता है.
- मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है या 65 वर्ष की आयु तक होता है (इनमें से जो भी पहले हो).
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों का वेतन और पेंशन सुप्रीम कोर्ट के जज की सैलरी इतनी ही होती है.
- चुनाव आयुक्त अपना कार्य स्वयं के निर्णय और विवेक से करती है. यदि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों के बीच यदि किस बात पर मतभेद हो तो ऐसे मामले बहुमत की राय के अनुसार तय किये जाते हैं.
भारत के संविधान ने यह सुनिश्चित किया है कि आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करेगा. मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के सामान संसद द्वारा महाभियोग (impeachment) के जरिए ही हटाया जा सकता है. दूसरे शब्दों में जब तक दो-तिहाई लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ अवास्तविक आचरण या अनुचित कार्रवाइयों के लिए वोट न कर दें, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाया नहीं जा सकता.
निर्वाचन आयोग के कार्य
भारत निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, विधान सभाओ, विधान परिषदों, निगमों, नगरपालिकाओं, जिला परिषदों, ग्राम पंचायतों आदि के निर्वाचनों का सञ्चालन करता है.
निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग मुख्य रुप से निन्मलिखित कार्य संपन्न करता है: –
- भारत के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का चुनाव करना
- लोकसभा और विधान मंडलों के मतदाताओं की सूची तैयार करवाना और उनका निरीक्षण करना
- लोकसभा, राज्यसभाओं और विधानमंडलों के निर्वाचन की व्यवस्था, नियंत्रण और निरितिक्षण करना
- चुनाव के सम्बन्ध में जो वाद-विवाद अथवा संदेह उत्पन्न हों तो उनके निर्णय के लिए चुनाव न्यायालयों (Election Tribunals) की नियुक्ति करना
- चुनाव आयुक्त को अपने कार्यों को सुचारू रूप से सम्पादन करने के लिए बहुत से अन्य कर्मचारियों की आवश्यकता होती है. आयोग के आवेदन पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल द्वारा की जाती है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय.
Topic : Emergency Credit Line Guarantee Scheme – ECLGS
संदर्भ
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme – ECLGS) पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) द्वारा किए गए शोध अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक:
- सरकार की इस योजना ने 5 लाख फर्मों को दिवालिया होने से बचाया है और जिसके परिणामस्वरूप 1.5 करोड़ नौकरियां बची हैं.
- कुल मिलाकर, 1.8 लाख करोड़ रुपये के MSME ऋण खातों को बचाया गया है.
- इस प्रकार के लगभग 7 प्रतिशत खाते ‘सूक्ष्म एवं लघु’ श्रेणी के हैं.
- राज्यों में, गुजरात इस योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश का स्थान है.
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना
- आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन के कारण बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है. इससे MSME क्षेत्र में विनिर्माण और अन्य गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक परेशानी झेल रही MSME को पूरी गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रुप में तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग उपलब्ध कराते हुए उन्हें राहत दिलाना है.
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं यानी बैंकों, वित्तीय संस्थानों (FI), और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को कोविड-19 संकट की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे MSME कर्जदारों को देने के लिए उनके पास अतिरिक्त फंडिंग सुविधा की उपलब्धता बढ़ाना है. उन्हें कर्जदारों द्वारा जीईसीएल फंडिंग का पुनर्भुगतान नहीं किए जाने की वजह से होने वाले किसी नुकसान के लिए 100% गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी.
- ECLGS 3.0 के तहत 29 फरवरी, 2020 तक सभी ऋण देने वाली संस्थाओं की कुल बकाया ऋण के 40 प्रतिशत तक का विस्तार शामिल किया जाएगा.
- ECLGS 3.0 के तहत दिए गए ऋणों का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा, जिसमें 2 वर्ष की छूट अवधि शामिल होगी.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय.
Topic : One District One Product – ODOP
संदर्भ
हाल ही में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिककरण’ (Pradhan Mantri Formalisation of Micro food processing Enterprises – PMFME) योजना के ब्रांडिंग और विपणन घटक के अंतर्गत चयनित ‘एक जिला एक उत्पाद’ (One District One Product – ODOP) के 10 ब्रांड विकसित करने के लिए नेफेड (NAFED) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
इनमें से अमृत फल, कोरी गोल्ड, कश्मीरी मंत्र, मधु मंत्र, सोमदाना और दिल्ली बेक्स के होल व्हीट कुकीज नाम के छह ब्रांड का हाल ही में शुभारंभ किया गया है.
- आंवला के रस के लिए अमृत फल ब्रांड को विशेष रूप से हरियाणा के गुरुग्राम के लिए ओडीओपी अवधारणा के अंतर्गत विकसित किया गया है.
- कोरी गोल्ड ब्रांड को धनिया पाउडर के लिए विकसित किया गया है जो राजस्थान के कोटा के लिए तैयार किया गया ओडीओपी उत्पाद है.
- कश्मीरी मंत्र ब्रांड जम्मू-कश्मीर में कुलगाम के मसालों का सार है.
- उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के शहद के लिए ओडीओपी अवधारणा के अंतर्गत ब्रांड मधु मंत्र विकसित किया गया है.
- सोमदाना ब्रांड को महाराष्ट्र में ठाणे के मिलेट की ओडीओपी अवधारणा के अंतर्गत विकसित किया गया है.
- होल व्हीट कुकी, दिल्ली बेक्स ब्रांड के तहत विकसित किया गया एक अन्य उत्पाद है. ब्रांड और उत्पाद को दिल्ली के लिए बेकरी ओडीओपी अवधारणा के तहत विकसित किया गया है.
ये सभी उत्पाद नैफेड बाजार, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और पूरे भारत के प्रमुख रिटेल स्टोर पर उपलब्ध होंगे.
‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिककरण (PMFME) योजना’ के बारे में:
- 2020 में शुरू की गई ‘PMFME योजना को 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि तक लागू किया जाएगा.
- यह अखिल भारतीय आधार पर असंगठित क्षेत्र के लिए शुरू की गयी है.
PMFME योजना के उद्देश्य
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि
- लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि
- खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन
- समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाना
- असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन
- महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान
- अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन
- जनजातीय जिलों में लघु वनोपजों पर ध्यान देना.
मुख्य विशेषताएँ
- केन्द्र प्रायोजित योजना. व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा.
- 2,00,000 सूक्ष्म-उद्यमों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी.
- योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा.
- समूह दृष्टिकोण
- खराब होने वाली वस्तुओं पर विशेष ध्यान
प्रशासनिक एवं कार्यान्वयन तंत्र
- इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (IMEC) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी.
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/क़ोओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी.
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे.
- इस कार्यक्रम में तीसरे पक्ष का एक मूल्याँकन और मध्यावधि समीक्षा तंत्र भी बनाया जाएगा.
‘एक ज़िला एक उत्पाद’ (One District One Product- ODDP) का दृष्टिकोण
- निवेश प्रबंधन, आम सेवाओं का लाभ उठाने और उत्पादों के विपणन को बढ़ाने के लिये योजना के तहत एक ज़िला एक उत्पाद के दृष्टिकोण को अपनाया गया है.
- राज्यों द्वारा कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक ज़िले के लिये एक खाद्य उत्पाद की पहचान की जाएगी.
- ODOP में जल्दी खराब होने वाला उत्पाद या अनाज आधारित उत्पाद हो सकता है जिसका ज़िले और उनके संबद्ध क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जाता है.
- ऐसे उत्पादों की सूची में आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, कीनू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, मत्स्यन, मुर्गी पालन आदि शामिल हैं.
मेरी राय – मेंस के लिए
योजना के माध्यम से असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों यथा संस्थागत ऋण तक पहुँच, बुनियादी ढाँचे, ब्रांडिंग और मार्केटिंग कौशल आदि का समाधान करना संभव हो पाएगा। जिससे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: वृद्धि एवं विकास.
Topic : Centre To Allow 20% FDI In LIC Before Mega IPO
संदर्भ
भारत सरकार ने हाल ही में जीवन बीमा निगम (LIC) में 20% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने का निर्णय लिया है.
उल्लेखनीय है कि संसद ने मार्च 2021 में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को वर्तमान 74% से बढ़ाकर 49% करने के लिए संशोधन विधेयक पारित कर दिया था. इसके अलावा सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ भी लाने की योजना बना रही है.
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट / एफडीआई) कहलाता है. ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा प्राप्त हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है. किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा देश के बाहर स्थित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को दो मार्गों- स्वचालित मार्ग (ऑटोमेटिक रुट) और अनुमोदन मार्ग (अप्रूवल रूट) के माध्यम से विनियमित किया जाता है.
ऑटोमेटिक रुट
FEMA 20(R) के विनियमन 16 में निर्दिष्ट सभी गतिविधियों/क्षेत्रों में सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना स्वचालित मार्ग के तहत विदेशी निवेश की अनुमति है. भारत में 91-95% FDI इसी मार्ग से आता है.
अप्रूवल रूट
यह थोड़ा अधिक प्रतिबंधित है. विदेशी निवेशक या भारतीय कंपनी को निवेश करने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक या भारत सरकार से पर्वानमति लेनी होती है. सरकार ने 5000 करोड़ से अधिक के FDI की अनुमति देने पर संस्तुति देने के लिए विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIFP) का गठन किया है. यह पोर्टल औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (DIPP) द्वारा प्रशासित किया जाता है. 5000 करोड़ से अधिक मूल्य के FDI की अनुमति अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा दी जाती है.
Prelims Vishesh
India’s first open rock museum :-
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा भारत के पहले ‘ओपन रॉक म्यूजियम’ (open rock museum) का उद्घाटन किया है.
- इसमें भारत के विभिन्न भागों से इकठ्ठा की गई 35 अलग-अलग प्रकार की चट्टानों को प्रदर्शित किया गया है जिनका समय काल 3 बिलियन वर्ष से लेकर 55 मिलियन वर्ष पूर्व का है.
- यह चट्टानें धरती की सतह से लेकर 175 किलोमीटर तक की गहराई तक अलग-अलग स्तरों से ली गईं हैं.
Article 348(1) :-
- हाल ही में, गुजरात उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अदालत की अवमानना का सामना कर रहे एक पत्रकार को केवल अंग्रेजी में बोलने के लिए कहा, क्योंकि उच्च न्यायपालिका में इसी भाषा का प्रयोग किया जा रहा है.
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 (1) में प्रावधान है, कि जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक, सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी.
- अनुच्छेद 348 (2) के तहत, राज्य के राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से, उच्च न्यायालय की कार्यवाही में राज्य के किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाने वाली हिंदी भाषा या किसी अन्य भाषा के उपयोग को अधिकृत कर सकते हैं. परन्तु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को लागू नहीं होगी.
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