Sansar Daily Current Affairs, 12 March 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : ‘Trends in International Arms Transfers-2018’
संदर्भ
स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शान्ति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) ने हाल ही में विश्व में हथियारों की आवाजाही से सम्बंधित 2018 का प्रतिवेदन निर्गत किया है. इस प्रतिवेदन में 2014 से लेकर 2018 तक की अवधि का मूल्यांकन किया गया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- 2014-18 में भारत प्रमुख हथियारों का सबसे अधिक आयात करने वाला दूसरा देश था और उसका आयात विश्व के सम्पूर्ण आयात का 9.5% था.
- आठ वर्ष तक विश्व का हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहने के पश्चात् अब भारत से सऊदी अरब आगे निकल गया है.
- भारत द्वारा शस्त्रों के आयात में लगातार गिरावट का कारण : इसका एक कारण विदेशी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा हथियारों की आपूर्ति में किया जाने वाला विलम्ब है. उदाहरण के लिए, भारत ने रूस को 2001 में युद्धक विमान के लिए आदेश दिया था और 2008 में फ्रान्स को पनडुब्बियों की आपूर्ति का आदेश दिया था.
- 2011-15 के पंचवर्षीय कालखंड में विश्व के सबसे बड़े शस्त्र-निर्यातक क्रमशः अमेरिका, रूस, फ़्रांस, जर्मनी और चीन रहे. इनमें अमेरिका और रूस अभी भी शस्त्रों के सबसे बड़े निर्यातक बने हुए हैं और इसमें उनका योगदान विश्व का क्रमशः 36% और 21% है.
- चीन अब संसार का पाँचवा बड़ा शस्त्र निर्यातक हो गया है. यह पाकिस्तान और बांग्लादेश को अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने में सहायता पहुँचा रहा है. चीन के 2014-18 के निर्यात का 53% अंश इन्हीं दो देशों को गया था.
- चीन विश्व का छठा सबसे बड़ा शस्त्र आयातक (2014-18) भी है और वैश्विक आयात का 4.2% चीन ही आयात करता है.
- 2014-18 में 2009-13 की तुलना में पाकिस्तान के शस्त्र-आयात में 39% की तेज गिरावट आई क्योंकि अमेरिका उसको सैन्य सहायता अथवा हथियार देने से कतराता रहा.
- वास्तव में पाकिस्तान को अमेरिका से आने वाले शस्त्रों में 81% की गिरावट आई. इस कारण पाकिस्तान चीन के अतिरिक्त इधर-उधर से भी शस्त्र लेने का प्रयास करने लगा. उदाहरण के लिए 2018 में उसने तुर्की को 4 युद्धक जलयान और 30 युद्धक हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति का आदेश दिया.
SIPRI
- SIPRI का गठन स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) में 1966 में हुई थी.
- इसका एक कार्यालय बीजिंग, चीन में भी है और पूरी दुनिया में इसे एक सम्मानित थिंक-टैंक के रूप में जाना जाता है.
- यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, हथियार, शस्त्र-नियंत्रण और निरस्त्रीकरण से सम्बंधित अनुसंधान को समर्पित है.
- यह संस्थान नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और रूचि रखने वाले लोगों को आँकड़े, विश्लेष्ण और सुझाव देता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World Gold Council (WGC)
संदर्भ
विश्व स्वर्ण परिषद् (WGC) ने हाल ही में विभिन्न देशों में सोने की मात्रा के सम्बन्ध में एक प्रतिवेदन विमुक्त किया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- भारत सोने का विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
- भारत में वर्तमान में 607 टन का स्वर्ण भंडार है जो विश्व का 11वाँ सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार है.
- सोने का तीसरा सबसे बड़ा भंडार (2,814 टन) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास है.
- विश्व में सबसे अधिक बड़ा स्वर्ण भंडार अमेरिका (8,133.5 टन) के पास है. इसके पश्चात् जर्मनी (3,369.7 टन) का स्थान आता है.
- जहाँ तक एशियाई देशों की बात है चीन और जापान के पास भारत से अधिक बड़ा स्वर्ण भंडार है.
- 64.6 टन के स्वर्ण भंडार के साथ पाकिस्तान 45वें स्थान पर है.
विश्व स्वर्ण परिषद् क्या है?
- विश्व स्वर्ण परिषद् (World Gold Council) स्वर्ण उद्योग के लिए बाजार विकास का एक संगठन है.
- यह स्वर्ण उद्योग से जुड़े हुए हर कार्य को देखता है चाहे वह सोने का खनन हो या सोने का निवेश.
- इस परिषद् का उद्देश्य सोने की माँग को उत्प्रेरित करना और उसे बनाए रखना है.
- विश्व स्वर्ण परिषद् एक ऐसा संघ है जिसमें विश्व की अग्रणी स्वर्ण खदान कंपनियाँ सदस्य होती हैं.
- यह परिषद् अपने सदस्यों को उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से खनन करने में सहायता देती है.
- इसी परिषद् ने Conflict Free Gold Standard को विकसित किया है.
- विश्व स्वर्ण परिषद् का मुख्यालय इंग्लैंड में है और इसके कार्यालय भारत, चीन, सिंगापुर, जापान एवं अमेरिका में हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Knowledge Network
संदर्भ
भारत ने अपने राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) में बांग्लादेश को शामिल करने का निर्णय लिया है.
राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN)
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) सीमाओं से रहित ज्ञान आधारित समाज बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. इससे ज्ञान आधारित समुदाय और समस्त मानवजाति को अभूतपूर्व लाभ होगा.
- इस ज्ञान नेटवर्क का उद्देश्य आवश्यक शोध सुविधाओं वाले गुणवत्तापूर्ण संस्थान बनाना तथा उच्च प्रशिक्षणप्राप्त पेशेवरों का समूह तैयार करना है, जो देश की कोशिश का महत्वपूर्ण अंग है.
- NKN अत्याधुनिक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क है. यह भारत की सूचना अवसंचना के विकास को सुगम बनाता है, अनुसंधान में तेजी लाता है और अगली पीढ़ी के लिए एप्लीकेशंस और सेवाएं तैयार करता है.
- NKN की परिकल्पना उच्च उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण सेवा, सुरक्षा और विश्वसनीयता उपलब्ध कराने के लिए की गई है.
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) योजना का लक्ष्य सशक्त और सुदृढ़ आंतरिक भारतीय नेटवर्क स्थापित करना है, जो सुरक्षित और विश्वसनीय कनेक्टीविटी में सक्षम होगा. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, कृषि और शासन से सम्बद्ध सभी हितधारकों को समान मंच पर लाएगा.
मुख्य बिंदु
- NKN की संरचना की परिकल्पना विश्वसनीयता, उपलब्धता और मापनीयता के लिए की गई है.
- इस नेटवर्क में अल्ट्रा-हाई स्पीड कोर है जो मल्टीपल 2.5/10जी से शुरू होता है और 40/100 गीगाबाइट प्रति सेकेंड (जीबीपीएस) तक जाता है.
- इस कोर के साथ डिस्ट्रीब्यूशन लेयर है, जो सभी जिलों को समुचित गति से कवर करती है. दूसरे छोर पर भागीदार संस्थान NKN की बदौलत बिना किसी रुकावट के NKN के साथ गीगाबाइट स्पीड से जुड़ सकेगा.
- NKN, ज्ञान आधारित समाज विकसित करने के लिए भारत के लिए महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना हो सकता है. NKN एक महत्वपूर्ण कदम है जो देशभर के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को महत्वपूर्ण एवं उभरते क्षेत्रों में मानव विकास को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने में सक्षम बनाएगा –
- हाई-स्पीड बैकबोन कनेक्टीविटी की स्थापना करना, जो ज्ञान और सूचना के आदान-प्रदान में सक्षम बनाए.
- सहयोगपूर्ण अनुसंधान, विकास और नवरचना संभव बनाना.
- अभियांत्रिकी, विज्ञान, चिकित्सा आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में उच्च दूरस्थ शिक्षा में सहयोग करना.
- ई-गवर्नेंस के लिए अल्ट्रा हाई स्पीड बैकबोन सुगम बनाना.
- अनुसंधान, शिक्षा, स्वास्थ्य, वाणिज्य एवं प्रशासन के क्षेत्र में विभिन्न वर्गीय नेटवर्क्स का एकीकरण सम्भव बनाना.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Home Min allows States to use 9,400 enemy properties
संदर्भ
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले के बाद पाकिस्तान पर नकेल कसने में जुटे भारत ने 72 साल बाद एक और बड़ा फैसला किया है. केंद्र की मोदी सरकार ने शत्रु संपत्तियों के सार्वजनिक उपयोग की अनुमति दे दी है. इस फैसले के बाद इन संपत्तियों का उपयोग आम आदमी कर सकेगा. अभी तक इन संपत्तियों को आम आदमी उपयोग नहीं कर पाता था
शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?
- पाकिस्तान में जा बसे लोगों और 1962 के युद्ध के बाद चीन चले गए लोगों की भारत में स्थित संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा जाता है.
- 1968 में संसद द्वारा पारित शत्रु संपत्ति अधिनियम के बाद इन संपत्तियों पर भारत संरकार का कब्जा हो गया था. तब से इन संपत्तियों की देखभाल गृह मंत्रालय कर रहा था.
पृष्ठभूमि
देश के कई राज्यों में शत्रु संपत्ति फैली हुई है. लंबे समय से कई संगठन इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की मांग कर रहे थे. केंद्र सरकार ने अब जाकर इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की अनुमति दी है. 2017 में सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर इन लोगों का संपत्ति से अधिकार खत्म कर दिया था. भारत में 1 लाख करोड़ की हैं. शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की शत्रु संपत्ति है. इनकी संख्या 9400 के करीब है. इसके अतिरिक्त तीन हजार करोड़ रुपए के शत्रु शेयर भी भारत सरकार के पास हैं. इन संपत्तियों में से सबसे अधिक 4991 उत्तर प्रदेश, 2735 पश्चिम बंगाल और 487 संपत्ति दिल्ली में स्थित हैं. इसके अतिरिक्त भारत छोड़कर चीन जाने वालों की 57 संपत्ति मेघालय, 29 पश्चिम बंगाल और 7 असम में स्थित है. केंद्र सरकार लंबे समय से इन संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, देश में करीब तीन हजार करोड़ रुपए मूल्य के शत्रु शेयर हैं. पिछले साल केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर की ओर से राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, 996 कंपनियों में करीब 20 हजार लोगों के 6 करोड़ से ज्यादा शत्रु शेयर हैं. यह शेयर 588 सक्रिय, 139 सूचीबद्ध और बाकी गैरसूचीबद्ध कंपनियों में हैं. केंद्र सरकार ने इन शेयरों को बेचने के लिए पिछले महीने एक कमेटी का भी गठन किया था. यह कंपनी इन शेयरों की बिक्री का मूल्य निर्धारण का कार्य करेगी.
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम (Enemy properties Act)
- 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् 1968 में शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पारित हुआ जिसका उद्देश्य ऐसी संपत्तियों का विनियमन करना और संरक्षक की शक्तियों का वर्णन करना था.
- कालांतर में महमूदाबाद के राजा मुहम्मद आमीर खान की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अवस्थित सम्पत्तियों को लेकर उसके उत्तरधिकारियों के दावों को ध्यान में रखकर सरकार ने इस अधिनियम में कतिपय संशोधन किए थे.
- अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार ने शत्रु सम्पत्तियों को शत्रु सम्पत्ति संरक्षक (Custodian of Enemy Property for India) के हवाले कर रखा है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : ISRO’s AstroSat
संदर्भ
हाल ही में AstroSAT वेधशाला का प्रयोग करते हुए तिरुअनंतपुरम और मुंबई के खगोलवेत्ताओं ने गोलाकार तारक-संकुल NGC 2808 (globular cluster NGC 2808) के अंदर पराबैंगनी तारों के एक नए झुण्ड का पता लगाया है. विदित हो कि AstroSAT बहुत प्रकार के तरंग दैर्घ्य वाली पहली भारतीय अन्तरिक्ष वेधशाला है जिसका प्रक्षेपण सितम्बर, 2015 में किया गया था और जो अभी भी रोचक परिणाम दे रहा है.
गोलाकार तारक-संकुल क्या हैं?
गोलाकार तारक-संकुल हजारों से लेकर लाखों तारों के वे झुण्ड हैं जो एक इकाई के रूप में चलायमान होते हैं. संकुल के गुरुत्वाकर्षण के कारण ये तारे एक-दूसरे से कस कर जुड़े होते हैं. वैज्ञानिकों का विश्वास है कि एक संकुल के सभी तारे कुल मिलाकर एक ही समय अस्तित्व में आये होंगे. हमारी अपनी आकाशगंगा में 150 से अधिक गोलाकार तारक संकुल हैं. कहा जाता है कि ये संकुल हमारी आकाशगंगा के सबसे प्राचीन पिंड हैं.
AstroSAT क्या है?
- जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि AstroSAT भारत की पहली अनेक तरंग दैर्घ्य वाली अन्तरिक्ष वेधशाला है. इसका प्रक्षेपण ब्रह्मांड की विस्तृत समझ पैदा करने के लिए किया गया था.
- AstroSAT में पाँच पेलोड हैं जिनकी सहायता से वह विद्युत-चुम्बकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) के दृश्य, पराबैंगनी निम्न एवं उच्च ऊर्जा वाले एक्स-रे क्षेत्रों में एक साथ ही पूरे ब्रह्मांड पर नज़र रखता है.
- AstroSAT का एक उद्देश्य न्यूट्रोन तारों और कृष्ण विवरों (black holes) से युक्त बाइनरी तारक प्रणालियों में घटने वाली उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना भी है. इसके अतिरिक्त यह न्यूट्रोन तारों के चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुमान लगाता है और तारों के जन्म वाले क्षेत्रों का अध्ययन भी करता है. इसके अतिरिक्त इसका एक काम मिल्कीवे आकाशगंगा से बाहर अवस्थित तारक प्रणालियों में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन का भी करना है.
- AstroSAT के प्रक्षेपण से भारत उन चुनिन्दा देशों में एक हो गया है जिसके पास अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. ऐसे जो अन्य देश हैं, वे हैं – अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और रूस.
Prelims Vishesh
Pinaka Guided Weapons :-
- हाल ही में भारत में निर्मित लक्ष्य-चिन्हित हथियार प्रणाली – पिनाक – का राजस्थान के पोखरण मरुस्थल में सफल परीक्षण हुआ.
- इसका निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है.
- मूलतः इसकी पहुँच 30 से 40 किमी. थी जिसे बढ़ाकर 70 से 80 किमी. कर दिया गया है.
30th birthday of World Wide Web :–
- 12 मार्च, 2019 को वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार के 30 वर्ष पूरे हुए.
- ज्ञातव्य है कि इसका आविष्कार सर टिम बर्नर्स-ली ने 33 वर्ष की उम्र में किया था जब वे यूरोप के CERN प्रयोगशाला में काम कर रहे थे.
- आज दो बिलियन वेबसाइट चल रहे हैं.
Wood snake :–
- मेघामलई वन्यजीव आश्रयणी में एक सर्वेक्षण के क्रम में वैज्ञानिकों की दृष्टि वुड स्नेक की एक प्रजाति पर पड़ी है जो पिछले 140 वर्षों में नहीं देखी गई थी.
- पहले यह प्रजाति मेघामलई जंगलों और पेरियार व्याघ्र सुरक्षित क्षेत्र में बहुतायत से मिलती थी.
National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) :-
- हाल ही में राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने कैंसर की 390 गैर-अनुसूचित दवाओं के मूल्य में 87% कमी कर दी है.
- विदित हो कि NPPA भारत सरकार का एक संगठन है जिसका एक काम नियंत्रित थोक दवाओं के मूल्यों में संशोधन करना और उसे लागू करना है.
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