Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 May 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 12 May 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : India- China Border dispute

संदर्भ

पिछले दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों में झगड़ा हुआ जिसमें एक चीनी सैनिक के मुँह पर भारतीय सैन्य अधिकारी ने घूसा जड़ दिया. बाद में बीच-बचाव करके मामला सुलझाया गया.

हुआ क्या था?

ये घटनाएँ नाकु ला (Naku La) क्षेत्र में और लद्दाख की झील पांगोंग सो (Pangong Tso) के निकट स्थित विवादित स्थान पर घटीं. सेना ने इन घटनाओं को क्षणिक झड़प बताते हुए सूचित किया कि झगड़े को स्थानीय कमांडरों ने सैन्य प्रोटोकोल के अनुसार बातचीत और फ्लैग बैठक के माध्यम से सुलझा लिया.

pangong tso laku la map

नाकु ला कहाँ है?

  • नाकु ला क्षेत्र सिक्किम में स्थित एक दर्रा है जो समुद्र तल से पाँच हजार मीटर से अधिक ऊँचाई पर है.
  • यह तीस्ता नदी के उद्गम स्थान मुगुतांग (Muguthang) अथवा चो लामु (Cho Lhamu) के आगे पड़ता है. विदित हो कि सिक्किम में नाथु ला और जेलेप ला दर्रे भी हैं.

पांगोंग सो कहाँ है?

पांगोंग सो 135 किलोमीटर और 4,350 मीटर ऊँची एक झील है जो भारत से लेकर चीन तक फैली हुई है. इसका 45 किलोमीटर भाग भारत के नियंत्रण में है जबकि शेष 90 किलोमीटर चीन के नियंत्रण में है. यह एक नमकीन पानी की झील है जो टेथीस जियोसिंकलाइन (ethys geosyncline) के कारण अस्तित्व में आया है.

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद

भारत की 3,488 किलोमीटर की सीमा रेखा चीन के साथ लगती है. चीन-भारत सीमा को सामान्यतः तीन क्षेत्रों में बांटा गया है:

  • पश्चिमी क्षेत्र, (2) मध्य क्षेत्र, और (3) पूर्वी क्षेत्र.

 पश्चिमी क्षेत्र

पश्चिमी क्षेत्र में चीन के साथ 2152 किमी लंबी भारतीय सीमा है. यह सीमा जम्मू और कश्मीर तथा चीन के भझिंजियांग (सिक्‍यांग) प्रांत के बीच है.

अक्साई चीन

  • अक्साई चीन पर क्षेत्रीय विवाद की जड़ें ब्रिटिश साम्राज्य की अपने भारतीय उपनिवेश और चीन के बीच कानूनी सीमा की स्पष्ट व्याख्या न करने की विफलता में निहित हैं.
  • ब्रिटिश राज के दौरान भारत और चीन के बीच दो सीमाएं प्रस्तावित की गई थीं – जॉनसन लाइन (Johnson’s Line) और मैकडॉनाल्ड लाइन (McDonald Line)
  • जॉनसन लाइन, अक्साई चिन को भारतीय नियंत्रण में प्रदर्शित करती है जबकि मैकडॉनाल्ड लाइन इसे चीन के नियंत्रण में प्रदर्शित करती है.
  • भारत चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में जॉनसन लाइन को सही मानता है जबकि दूसरी ओर, चीन मैकडॉनल्ड लाइन को भारत-चीन के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा मानता है.
  • भारतीय-प्रशासित क्षेत्रों को अक्साई चीन से अलग करने वाली रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल: LAC) के रूप में जाना जाता है और यह रेखा चीन द्वारा दावा की जाने वाली अक्साई चिन सीमा रेखा के साथ समवर्ती है.
  • भारत और चीन के बीच 1962 में विवादित अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ था. भारत का दावा है कि यह कश्मीर का हिस्सा है, जबकि चीन ने दावा किया कि यह भिंजियांग का हिस्सा है.

मध्य क्षेत्र

मध्य क्षेत्र में लगभग 625 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा लद्दाख से नेपाल तक जलविभाजक (वाटरशेड) के साथ-साथ चलती है. इस सीमा रेखा पर भारत के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य, तिब्बत (चीन) के साथ लगते हैं.

पूर्वी क्षेत्र

  • पूर्वी क्षेत्र में सीमा रेखा 1,140 किमी लंबी है तथा यह भूटान की पूर्वी सीमा से लेकर भारत, तिब्बत और म्यांमार के मिलन बिंदु, तालू दर्रा के पास तक विस्तृत है. इस सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा (हेनरी मैकमोहन के नाम पर) कहते हैं. हेनरी मैकमोहन एक ब्रिटिश प्रतिनिधि थे जिन्होंने 1913-14 के शिमला कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे.
  • यह सीमा रेखा हिमालय पर्वत के उत्तरी भाग में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी के जलविभाजक से लगी हुई है, जहां लोहित, दिहांग, सुबनसिरी और केमांग नदियाँ उस जल विभाजक से होकर निकलती हैं.
  • चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी और अस्वीकार्य मानता है. उसके अनुसार, तिब्बत को मैकमोहन रेखा का निर्धारण करने वाले 1914 के शिमला कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं था.

सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास

  1. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी चीन गये थे जिसके पश्चात् एक संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group – JWG) की स्थापना हुई थी.
  2. 1993 में इस समूह को सहायता पहुँचाने के लिए भारत-चीन कूटनीतिज्ञ एवं सैन्य अधिकारी विशेषज्ञ समूह (Expert Group of Diplomatic and Military Officers) गठित हुआ. साथ ही एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसके अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाये रखने का निर्णय हुआ.
  3. 1996 में आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए (Agreement on Confidence Building Measures – CBMs) एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
  4. 2003 में भारत और चीन का एक-एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त हुआ जिसे सीमा विवाद का राजनैतिक समाधान निकालने का दायित्व दिया गया.
  5. 2009 तक इन विशेष प्रतिनिधियों के बीच 17 बार वार्ता हो चुकी है, परन्तु समाधान की ओर कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है. पिछले दिनों वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परामर्शी अजित डोभाल को विशेष दूत के रूप में नियुक्त किया गया है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Global Nutrition Report

संदर्भ

2020 का वैश्विक पोषण प्रतिवेदन निर्गत हो चुका है. ज्ञातव्य है कि इस प्रतिवेदन से विश्वभर में पोषण के प्रति सरकारों, सहायता प्रदान करने वालों, सिविल सोसाइटियों, संयुक्त राष्ट्र एवं व्यवसाय जगत के 100 हितधारकों की प्रतिबद्धता का अनुगमन किया जाता है.

इसकी परिकल्पना 2013 में सम्पन्न प्रथम वृद्धि के लिए पोषण पहल के शिखर सम्मलेन (Nutrition for Growth Initiative Summit – N4G) में की गई थी.

प्रतिवेदन में भारत की स्थिति

  1. भारत उन 88 देशों में से है जो 2025 तक वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रह सकते हैं.
  2. भारत में कुपोषण को लेकर घर के अन्दर विषमता की दर सर्वाधिक है.
  3. नाइजीरिया और इंडोनेशिया के साथ भारत उन तीन सबसे बुरे देशों में से है जहाँ विभिन्न समुदायों के बीच कुंठित वृद्धि में असामनता देखी जाती है.
  4. पोषण के चार संकेतक निर्धारित हैं – 5 वर्ष की कम आयु के बच्चों में कुंठित वृद्धि, प्रजनन आयु वाली महिलाओं में रक्ताल्पता, बच्चों का अधिक भारी होना तथा केवल स्तनपान पर बच्चों को रखना. प्रतिवेदन के अनुसार, इन सभी संकेतकों के लक्ष्य तक भारत का पहुँचना संदिग्ध है.
  5. बच्चों का हल्का होना : 2000 से 2016 के बीच कम भार वाले बच्चों का प्रतिशत लड़कों के मामले में 66% से घटकर 58.1% तथा लड़कियों के मामले में 54.2% से घटकर 50.1% हो गया है. परन्तु यह स्थिति उत्साहजनक नहीं है क्योंकि एशिया में कम भार वाले लड़कों और लड़कियों का औसत प्रतिशत क्रमशः 35.6% और 31.8% है.
  6. उम्र की दृष्टि से कुंठित विकास (Stunting) और लम्बाई की दृष्टि से कम वृद्धि (Wasting) : भारत में पांच वर्ष से कम के 9% बच्चों में उम्र की दृष्टि से वृद्धि कम हो रही है तथा 20.8% बच्चे ऐसे हैं जिनमें लम्बाई की दृष्टि से कम वृद्धि हुई है. विदित हो कि इन मामलों में एशिया का औसत क्रमशः 22.7% और 9.4% है.
  7. रक्ताल्पता : प्रजनन के योग्य आयु वाली भारत की आधी महिलायें रक्ताल्पता से ग्रस्त होती हैं. वहीं दूसरी ओर, मोटापा और अधिक भार की दर बढ़ती जा रही है. यह दर महिलाओं और पुरुषों में क्रमशः 21.6% और 17.8% है.

वैश्विक पोषण लक्ष्य

विश्व स्वास्थ्य सभा ने 2012 में माताओं, शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए पोषण के छह लक्ष्य निर्धारित किये थे जिनको 2025 तक पूरा किया जाएगा.

  1. सरकारों से अपेक्षा की गई है कि वे पाँच वर्ष से कम के बच्चों में उम्र की दृष्टि से कुंठित वृद्धि को 40% घटा दें तथा 19-49 आयुवर्ग की महिलाओं में रक्ताल्पता 50% कम कर दें.
  2. इसके अतिरिक्त सरकारों को चाहिए कि जन्म के समय बच्चे के भार में 30% कमी सुनिश्चित करें और बच्चों को आवश्यकता से अधिक भारी नहीं होने दें.
  3. जन्म के पहले छह महीने तक केवल स्तनपान पर बच्चे को रखने की दर को कम से कम 50% बढ़ाने का लक्ष्य है.
  4. बचपन में लम्बाई की दृष्टि से कुंठित वृद्धि को 5% से कम पर रखने का लक्ष्य है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Mission Sagar

संदर्भ

पूर्वी हिन्द महासागर में स्थित द्वीपीय देशों को कोविड-19 महामारी से लड़ने में सहायता पहुँचाने के लिए भारत ने मिशन सागर नामक एक अभियान आरम्भ किया है.

मिशन सागर क्या है?

इस मिशन के अंतर्गत पूर्वी हिन्द महासागर में स्थित पाँच देशों – मालदीव, मॉरिशस, सेशेल्स, मेडागास्कर और कोमोरोस – को भारत खाद्य सामग्री के साथ-साथ महामारी से जुड़ी दवाइयाँ, जैसे – HCQ गोलियाँ और विशेष आयुर्वेदिक औषधियाँ देगा.

इसके अतिरिक्त भारत चिकित्सा दल भी मुहैया कराएगा. इसके लिए भारत से केसरी नामक एक नौसेना का जलयान प्रस्थान कर चुका है. प्रथम चरण में यह जलयान मालदीव की राजधानी माले पहुंचेगा और वहाँ 600 टन खाद्य सामग्री पहुँचायेगा.

मिशन का माहात्म्य

भारत इस क्षेत्र में सबसे पहले कार्रवाई करने वाले देश की भूमिका निभाता रहा है. मिशन सागर इसी की एक अगली कड़ी है. यह मार्च, 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित क्षेत्र के सभी देशों को सुरक्षा मिले और उनकी वृद्धि हो (Security and Growth for All in the Region), इस नीति के भी अनुरूप है.

भारत की नीति रही है कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे सम्बन्ध रखे जाएँ और उन्हें और भी सुदृढ़ किया जाये.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : What is ultraviolet germicidal radiation (UVGI)?

संदर्भ

वैज्ञानिक ऐसी पद्धति पर काम कर रहे हैं जिससे अल्ट्रावॉलेट किरणों (Ultraviolet Rays) की मदद से सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना संक्रमण (Infection) खत्म किया जा सके.

अल्ट्रावॉलेट किरण और इससे होने वाली हानियाँ

हम सब जानते हैं कि अल्ट्रावायरस किरणें सूर्य से आती हैं और वे हमारी धरती की सतह तक नहीं पहुँच पाती हैं. यदि ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो जाता है तो यह पृथ्वी में प्रवेश कर हमारी कोशिकाओं को मार सकती हैं. हमें कैंसर से पीड़ित तक कर सकती हैं. हमारे डीएनए तक को क्षति पहुंचा सकती हैं.

फिर कैसे किया जाएगा UV किरणों का कोरोना को खत्म करने में प्रयोग?

  • अल्ट्रावॉलेट किरणें मानव के लिए बहुत नुकसानदेह होती हैं, परन्तु आजकल वैज्ञानिक अल्ट्रावॉलेट जर्मिसाइडल रेडिएशन (UVGI) से सार्वजिनक स्थानों पर वायरस संक्रमण वाली जगहों को विसंक्रमित (Disinfect) करने की तकनीक पर अध्ययन कर रहे हैं.
  • ऐसी पद्धति विकसित की जा रही है जिससे विद्यालय, होटल, मॉल आदि जैसे सार्वजनिक स्थलों को विसंक्रमित करने के लिए अल्ट्रावॉलेट किरणों का उपयोग किया जा सकता है.
  • इस शोध में समझाया गया है कि ये किरणें संक्रमण फैलाने वाले रोगाणुओं को भी मार सकती हैं.
  • वैज्ञानिक अल्ट्रावॉलेट किरणों की मारक क्षमता का प्रयोग करना चाहते हैं. उनका विश्वास है कि इससे कोरोना संक्रमण फैलने से रुक सकता है और उसका प्रसार काबू किया जा सकता है.

कैसे काम करती है यह पद्धति?

  • UVGI उन सतहों पर इन किरणों को फेंकता है जो संक्रमित हैं. इसमें हवा, पानी और सतहें सम्मिलित हैं जहाँ कोरोना वायरस की उपस्थिति सरलता से हो सकती है. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिसीज प्रवेंशन एंड कंट्रोल (CDC) का कहना है कि यह एक आशाजनक विसंक्रमण (Disinfection) विधि हो सकती है. 
  • वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि संक्रमित कमरों में अगल UVGI लैम्प लगाया जाए तो वे सतहों पर जमे रोगाणु को नष्ट कर देंगे. ऐसे में छत पर लगा पंखा चला दिया जाए तो यह काम और शीघ्र होगा क्योंकि रोगाणु जल्दी से हवा में आ जाएंगे और जल्दी से से विसंक्रमण होने की संभावना बनेगी. UVGI लैम्प कमरों के कोने में, एयर क्लीनर्स या वेंटीलेटर सिस्टम के एयर डक्ट में भी लगाया जा सकता है.

टीबी को विसंक्रमित करने के लिए उपयोग में आती है यह पद्धति

इससे पहले UVGI का उपयोग टीबी जैसी बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसके लिए CDC ने गाइडलाइन भी जारी की हुई हैं. साल 2005 में CDC ने इन गाइडलाइन में संशोधन भी किया था. इन गाइडलाइन का उद्देश्य अस्पताल में मरीजों से स्वास्थ्यकर्मियों के बीच टीबी संक्रमण को फैलने से रोकना था.

चुनौतियाँ

  • इस मामले में कुछ कारक भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है. इसमें मौसम, हवा में नमी और कितनी मात्रा में इसके उपयोग की आवश्यकता है यह देखना भी जरूरी है.
  • इसके अतिरिक्त हवा का प्रवाह, रोगाणु की उपस्थिति का स्थान आदि का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है. जैसे यह देखना जरूरी है कि संक्रमण फैलाने वाले रोगाणु कहीं लैम्प के पीछे ही न पहुँच जाएँ.
  • फिर भी बड़े पैमाने से UVGI का उपयोग कितना कारगर होगा यह भी देखने की बात है. स्कूल, विश्वविद्यालय, होटल, सिनेमा हॉल जैसी विशाल एवं खुली जगहों पर इस पद्धति को अपनाना महंगा भी साबित हो सकता है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : National Technology Day

संदर्भ

भारत में हर साल 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन  भारत की विज्ञान में दक्षता एवं प्रौद्योगिकी में विकास को दर्शाता है. इस दिन राष्ट्र गौरव के साथ-साथ देश अपने वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को भी याद करता है.

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

  • यह दिवस 1999 से लगातार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है.
  • इस बार इसकी थीम है – विज्ञान लोगों के लिए और लोग विज्ञान के लिए.
  • इस आयोजन के लिए 11 मई इसलिए चुना गया था कि इसी तिथि को 1998 में भारत ने तीन अणु बमों का राजस्थान के पोखरण में विस्फोट किया था.
  • इसके अतिरिक्त उसी दिन बंगलौर में भारत के पहले स्वदेशी वायुयान (हंस3) का परीक्षण तथा त्रिशूल नामक छोटी दूरी के मारक मिसाइल का भी परीक्षण हुआ था.
  • यह दिवस हमारी ताकत, कमज़ोरियों, लक्ष्य के विचार मंथन के लिये मनाया जाता है, जिससे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमें देश की दशा और दिशा का सही ज्ञान हो सके.

Prelims Vishesh

The Resistance Front :

  • अप्रैल 2020 को कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास एक आतंकी घटना घटी जिसमें भारत के पाँच सैनिक मारे गये.
  • इस घटना की जिम्मेवारी रेसिस्टेंस-फ्रंट नामक संगठन ने ली.
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक नया संगठन है जो लश्कर-ए-तोएबा और अन्य आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ है.

Vande Bharat Mission :-

  • कोविड-19 के चलते लगाये गये प्रतिबंधों के कारण विदेश में अनेक भारतीय नागरिक फँसे हुए हैं. उनको देश में लाने के लिए वन्दे भारत नामक एक मिशन चलाया है.
  • इसके अंतर्गत उन्हीं नागरिकों को देश लाया जायेगा जो स्वदेश लौटने के लिए कई कारणों से विवश हो गये हैं, जैसे – उनकी नौकरी चली गई है, उनका वीजा समाप्त हो गया है और फिर से नया वीजा नहीं बनने वाला है, जिनके परिवार के सदस्य प्राण गँवा चुके हैं आदि.

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