Sansar Daily Current Affairs, 12 May 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian and its neighbourhood. Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Israel-Palestine Conflict
संदर्भ
अप्रैल के मध्य में रमजान प्रारम्भ होने के पश्चात् से इजरायल की सेना और फिलिस्तीनियों के बीच यरूशलेम में तनाव बढ़ता जा रहा है.
- हाल ही में, इजरायली सशस्त्र बलों ने यरूशलेम के हरम अश-शरीफ (Haram esh-Sharif) में स्थित अल-अक्सा मस्जिद पर हमला कर दिया था.
- इसकी जवाबी कार्रवाई में, इस्लामिक आतंकवादी समूह ‘हमास’ (Hamas) द्वारा दर्जनों रॉकेट दागे गए. विदित हो कि गाजा पट्टी पर ‘हमास’ का नियंत्रण है.
फिलिस्तीन के बारे में
मध्य पूर्व में भूमध्यसागर और जॉर्डन नदी के बीच की भूमि को फिलिस्तीन कहा जाता था. यह क्षेत्र पहले खिलाफ़त उस्मानिया में रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने इस पर कब्जा कर लिया. वर्ष 1948 में यहाँ के अधिकांश क्षेत्र पर इजरायली राज्य की स्थापना की गई. इसकी राजधानी बैतुल मुक़द्दस हुआ करती थी, जिसे इजरायली येरुशलम कहते हैं. यह शहर यहदियों, ईसाइयों और मुसलमानों तीनों के लिए पवित्र माना जाता है. वर्तमान में फिलिस्तीन केवल गाजा पट्टी एवं वेस्ट बैंक तक सीमित रह गया है. यही भूमि विवाद फिलिस्तीन-इजरायल विवाद के रूप में जाना जाता है, इसी कारण अरब देशों और इजरायल के बीच कई युद्ध हो चुके हैं.
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष
- 1948 के अरब-इजराइली युद्ध में जॉर्डन ने वेस्ट बैंक पर आधिपत्य कर लिया था.
- 1967 के छह दिवसीय युद्ध के समय इजराइल ने जॉर्डन से यह भूभाग छीन लिया और तब से इस पर इजराइल का ही कब्ज़ा है.
- इजराइल ने यहाँ 130 औपचारिक बस्तियाँ बनाई हैं. इसके अतिरिक्त इतनी ही बस्तियाँ पिछले 20-25 वर्षों में यहाँ बन चुकी हैं.
- यहाँ 26 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ 4 लाख इजराइली बस गये हैं. यहूदियों का मानना है कि इस भूभाग पर उनको बाइबिल में ही जन्मसिद्ध अधिकार मिला हुआ है.
- फिलिस्तीनी लोगों का कोई अलग देश नहीं है. उनका लक्ष्य है कि इस भूभाग में फिलिस्तीन देश स्थापित किया जाए जिसकी राजधानी पूर्वी जेरुसलम हो. इस कारण यहूदियों और फिलिस्तीनियों में झगड़ा होता रहता है. फिलिस्तीनियों का मानना है कि 1967 के बाद वेस्ट बैंक ने जो यहूदी बस्तियाँ बसायीं, वे सभी अवैध हैं.
- संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद् और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय भी यही मानता है कि वेस्ट बैंक में इजराइल द्वारा बस्तियाँ स्थापित करना चौथी जिनेवा संधि (1949) का उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि यदि कोई देश किसी भूभाग पर कब्ज़ा करता है तो वहाँ अपने नागरिकों को नहीं बसा सकता है.
- रोम स्टैच्यूट (Rome Statute) के अंतर्गत 1998 में गठित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) के अनुसार भी इस प्रकार एक देश के लोगों को कब्जे वाली भूमि पर बसाना एक युद्ध अपराध है.
अमेरिका और भारत का दृष्टिकोण
अमेरिका इजराइली बस्तियों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं मानता है, अपितु उन्हें इजराइल की सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है. भारत पारम्परिक रूप से इस मामले में दो देशों के अस्तित्व के सिद्धांत (2-state solution) पर चलता आया है और इसलिए वह एक संप्रभु और स्वतंत्र फिलिस्तीन देश के स्थापना का समर्थन करता है. फिर भी इजराइल से भारत के रिश्ते दिन-प्रतिदिन प्रगाढ़ होते रहे हैं.
यरूशलेम, वर्तमान घटनाओं का केंद्र
यरूशलम, शुरू से ही इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के केंद्र में रहा है.
- 1947 की संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना (UN Partition Plan) के मूल दस्त्वेजों के अनुसार, यरूशलेम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया जाना प्रस्तावित था.
- किंतु, वर्ष 1948 में हुए पहले अरब-इजरायल युद्ध में, इजरायलियों ने शहर के पश्चिमी आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया, और जॉर्डन ने पूर्वी हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया. शहर के पूर्वी भाग में ‘ओल्ड सिटी’ भी शामिल है जिसमे ‘हरम अश-शरीफ’ स्थित है.
- अल-अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque), इस्लाम धर्म का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और ‘हरम अश-शरीफ’ के भीतर ‘चट्टानी गुंबद’ (Dome of the Rock) स्थित है.
- इज़राइल ने वर्ष 1967 हुए छह-दिवसीय युद्ध में, जॉर्डन के अधिकार में आने वाले पूर्वी यरूशलेम पर कब्ज़ा कर लिया और बाद में इसे अपने राज्य में शामिल कर लिया.
नागरिकता संबंधी मुद्दे
- अपने राज्य में शामिल करने के बाद से, इज़राइल द्वारा पूर्वी यरुशलम में बस्तियों का विस्तार किया गया है, जिनमे अब लगभग 220,000 यहूदी निवास करते हैं.
- पूर्वी येरुशलम में पैदा होने वाले यहूदियों को इजरायली नागरिकता प्रदान की जाती हैं, जबकि शहर में रहने वाले फिलिस्तीनियों को सशर्त निवास परमिट दिए जाते हैं.
- इजरायली कब्जे वाले वेस्ट बैंक के अन्य हिस्सों के विपरीत, पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनीयों को, इजरायल की नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति है.
- हालांकि, बहुत कम फिलिस्तीनियों द्वारा इजरायल की नागरिकता के लिए आवेदन किया गया है.
समस्या का मूल कारण
- इज़राइल पूरे यरुशलम शहर को “एकीकृत, अपरिवर्तनशील राजधानी” मानता है. इज़राइल के इस दावे का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने समर्थन किया था, यद्यपि अधिकांश अन्य देश इस दावे को मान्यता नहीं देते हैं.
- संपूर्ण राजनीतिक विस्तार के फिलिस्तीनी नेताओं का कहना है कि, जब तक पूर्वी यरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी नहीं घोषित किया जाता है, तब तक, वे भविष्य में बनने वाले फिलिस्तीनी राष्ट्र के लिए किसी भी समझौता फार्मूला को स्वीकार नहीं करेंगे.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Jal Jeevan Mission
संदर्भ
केंद्र सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम, जल जीवन मिशन के तहत हर ग्रामीण घर तक पानी की आपूर्ति करने वाला पुड्डुचेरी चौथा केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. इससे पहले गोवा, तेलंगाना और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस लक्ष्य पर प्राप्त कर चुके हैं.
जल जीवन अभियान क्या है?
- यह अभियान 2024 तक सभी ग्रामीण और शहरी घरों (हर घर जल) में नलके से पानी पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है.
- जल जीवन अभियान की घोषणा अगस्त, 2019 में हुई थी.
- इसके अतिरिक्त इस अभियान का उद्देश्य है वर्षा जल संग्रह, भूजल वापसी और घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को खेती में प्रयोग करने से सम्बंधित स्थानीय अवसंरचनाओं का निर्माण करना.
- जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जाएँगे, जैसे – पॉइंट रिचार्ज, छोटे सिंचाई जलाशयों से गाद निकालना, अपशिष्ट जल को खेती में डालना और जल स्रोतों को टिकाऊ बनाना.
- सतत जल आपूर्ति के लक्ष्य को पाने के लिए जल जीवन अभियान में अन्य केन्द्रीय और राज्य योजनाएँ समाहित की जाएँगी.
अभियान के लाभ
- घर-घर में नलके द्वारा पानी की आपूर्ति
- स्वच्छ एवं पीने योग्य जल
- भूजल का स्तर ऊपर लाना
- स्थानीय अवसंरचना को बेहतर बनाना
- जल से होने वाले रोगों में कमी
- जल की बर्बादी में कमी
अन्य उठाए गये कदम इस प्रकार हैं –
- जल जीवन मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल सेवा वितरण प्रणाली के मापन और निगरानी के लिए रूपरेखा तैयार करने हेतु एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (technical expert committee) का गठन किया है.
- इस मिशन द्वारा एक स्मार्ट वाटर सप्लाई मेजरमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम को विकसित करने हेतु सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ग्रैंड चैलेंज का आयोजन किया जा रहा है.
- जलापूर्ति अवसंरचना का डिजिटलीकरण करने हेतु तकनीकी प्रगतियों (जैसे इंटरनेट ऑफ् थिंग्स : IoT, बिग डेटा एनालिटिक्स) का उपयोग किया जा रहा है.
- JJM को राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है.
मेरी राय – मेंस के लिए
ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से पेयजल आपूर्ति की योजना में पानी की गुणवत्ता एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है. इसीलिए शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए अनुसंधान पर विशेष बल दिया जा रहा है. इसके लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में शोध, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और उद्यमियों के साथ इनोवेशन को प्रोत्साहन देने की योजना है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जलापूर्ति की गुणवत्ता के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की योजना तैयार की है. देश के विभिन्न हिस्सों में पानी गुणवत्ता की समस्या भी अलग तरह की है.
ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में सामाजिक, पर्यावरण संबंधी और तकनीकी चुनौतियाँ हैं. अधिकांश हिस्सों में जल की आपूर्ति भूजल के माध्यम से की जाती है. प्रत्येक हिस्से में भूजल का स्तर, उसकी गुणवत्ता वहां की जलवायु के हिसाब से परिवर्तित हो जाती है. पेयजल आपूर्ति को लेकर देश के कई हिस्सों में अजीब तरह की सोच है, जिसके लिए जनजागरुकता की भी आवश्यकता है. ग्रामीण जल सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत सतर्क है.
गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे. जल जीवन मिशन को निर्धारित समय में पूरा करने की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के अपनाए जाने पर भी बल दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से फिर दुहराया कि हर परिस्थिति में 2024 तक ग्रामीण जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद से मंत्रालय में युद्ध स्तर पर कार्य होने लगा है. सभी राज्यों के साथ साप्ताहिक समीक्षाएं होती हैं. मिशन की प्रगति की लगातार समीक्षा भी हो रही है. जल जीवन मिशन को लागू करने में राज्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण को रोजाना 55 लीटर गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति की जानी है. वर्ष-भर के अन्दर दो करोड़ परिवारों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : National Programme on Advanced Chemistry Cell Battery Storage
संदर्भ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना “राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम” को स्वीकृति दे दी है. भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था. इस योजना के तहत पचास (50) गीगावॉट ऑवर्सऔर पांच गीगावॉट ऑवर्स की “उपयुक्त” एसीसीबैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है. इसकी लागत 18,100 करोड़ रुपये है. विदित हो कि गीगावॉट ऑवर्स का अर्थ एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा प्रति घंटा निर्माण करना है.
‘राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम’
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ‘राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम’ (National Programme on Advanced Chemistry Cell Battery Storage) को स्वीकृति दे दी है.
- भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था.
- इस योजना के तहत 50 गीगावॉट ऑवर्स (Giga Watt Hour-GWh) की एसीसी बैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है. इसके अतिरिक्त, इस योजना का लक्ष्य 5 गीगावॉट ऑवर्स की “उपयुक्त” (Niche) एसीसी बैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य भी है.
- इसकी लागत 18,100 करोड़ रुपये है.
उन्नत रसायन सेल (Advanced Chemistry Cell-ACC)
- उन्नत रसायन सेल (Advanced Chemistry Cell-ACC) नई पीढ़ी की बैट्री है.
- एसीसी के तहत बिजली को इलेक्ट्रो-कैमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है. जब जरूरत पड़े, तो इसे फिर से बिजली में बदला जा सकता है.
- आने वाले दिनों में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में इस तरह की बैट्री की भारी मांग होगी.
इस योजना से संभावित लाभ और परिणाम
- इस कार्यक्रम के तहत भारत में कुल 50 गीगावॉट ऑवर्स की एसीसी निर्माण सुविधा की स्थापना.
- एसीसी बैट्री भंडारण निर्माण परियोजनाओं में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का सीधा निवेश.
- भारत में बैट्री निर्माण की मांग को पूरा करना.
- मेक इन इंडिया को बढ़ावाः घरेलू स्तर पर मूल्य संवर्धन पर जोर और आयात पर निर्भरता कम करना.
- उम्मीद की जाती है कि योजना के तहत एसीसी बैट्री निर्माण से विद्युत चालित वाहन (ईवी) को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी, जिसके कारण 2,00,000 करोड़ रुपये से 2,50,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.
- एसीसी के निर्माण से ईवी की मांग बढ़ेगी, जिनसे कम प्रदूषण होता है. भारत महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा एजेंडे पर पूरी ताकत से अमल कर रहा है, इसलिए एसीसी कार्यक्रम से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी में कमी आयेगी. भारत इस दिशा में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये प्रतिबद्ध है.
- हर वर्ष लगभग 20,000 करोड़ रुपये का आयात बचेगा.
- एसीसी में उच्च विशिष्ट ऊर्जा सघनता को हासिल करने के लिये अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन.
- नई और अनुकूल बैट्री प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : Production Linked Incentive Scheme for Food Processing Industry
संदर्भ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme for Food Processing Industry – PLISFPI) हेतु दिशा-निर्देश जारी किए.
पृष्ठभूमि
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme for the Food Processing Industry – PLISFPI) को “आत्मनिर्भर भारत” के एक भाग के रूप में एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना के रूप में आरंभ किया गया था. मंत्रालय ने PLSFPI के लिए एक पोर्टल का भी अनावरण किया है.
मुख्य विशेषताएँ
परिव्यय अवधि व कवरेज
- वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर वित्त वर्ष 2026-27 तक के लिए 10900 करोड़ रुपये.
- अखिल भारतीय स्तर पर आरम्भ.
उद्देश्य
- सुदृढ़ भारतीय ब्रांडों के उदय को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार एवं विदेशों में ब्रांडिंग को बढ़ावा देना.
- वैश्विक खाद्य विनिर्माण चैंपियनों का निर्माण करना.
- कृषि उपज के लाभकारी मूल्यों को सुनिश्चित करना.
शामिल घटक
- रेडी टू कुक/रेडी टू ईट (RTC/RTE) खाद्य पदार्थ, प्रसंस्कृत फल एवं सब्जियाँ आदि.
- लघु एवं मध्यम उद्यमों के जैविक उत्पाद, जैसे- कुक्कुटपालन, मांस, अंडा उत्पाद आदि.
कार्यान्वयन
- एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी के माध्यम से कार्यान्वयन.
- योजना के उद्देश्य के लिए आवेदक: (1) स्वामित्व फर्म या साझेदारी फर्म या सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) या भारत में पंजीकृत कंपनी (ii) सहकारी समितियां (iii) SME व योजना के तहत कवरेज के लिए अनुमोदन प्राप्त करने हेतु आवेदन करना.
अपेक्षित प्रभाव
- 33,494 मूल्य का प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादन करने के लिए प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार होगा.
- वर्ष 2020-27 तक लगभग 5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार का सृजन होगा.
अभिसरण ढाँचा
- PLI योजना के अंतर्गत कवरेज अन्य योजनाओं के तहत पात्रता को प्रभावित नहीं करेगा, जैसे प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना.
Prelims Vishesh
Special 301 Report :-
- स्पेशल 301 रिपोर्ट उन अमेरिकी व्यापार भागीदारों की पहचान करता है जो प्रभावी तरीके से आईपी अधिकारों का संरक्षण या पालन नहीं करते .
- यह 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के अनुसार प्रकाशित किया जाता है.
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (USTR) के कार्यालय द्वारा प्रतिवर्ष तैयार किया जाता है.
- इस अधिनियम के प्रावधान (जैसे धारा 301) अमेरिका को किसी भी ऐसे देश की “जाँच” की अनुमति प्रदान करते हैं, जिन्हें वह अमेरिकी कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन का दोषी मानता हो. यदि जाँच में किसी देश को “दोषी” पाया जाता है तो उल्लंघन करने वाले देश पर व्यापार प्रतिकार या प्रतिशोध (Trade Retaliation) की कार्रवाई जा सकती है.
Consumer Confidence Survey :-
- यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संचालित किया जाता है.
- CCS सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार परिदृश्य, मूल्य स्तर तथा परिवारों की आय एवं व्यय पर परिवारों की संवेदनाओं के संदर्भ में उनसे गुणात्मक प्रतिक्रियाएं एकत्रित करता है.
P-8I patrol aircraft :-
- हाल ही में, अमेरिका ने भारत को छहP-8I गश्ती विमानों की प्रस्तावित बिक्री को स्वीकृति प्रदान की है.
- P-8। एक लंबी दूरी का मल्टी-मिशन समुद्री गश्ती विमान है.
- इसे भारतीय नौसेना के लिए बोइंग द्वारा पेश किया गया है.
- P-8I भारतीय नौसेना के टुपोलेव टीयू-142 विमानों के पुराने बेड़े को प्रतिस्थापित करेगा.
- यह भारत के विशाल समुद्र तट और राज्यक्षेत्रीय जल की सुरक्षा के लिए अभिकल्पित किया गया था.
- यह पनडुब्बी रोधी युद्ध (anti-submarine warfare: ASW), सतह रोधी युद्ध (anti-surface warfare: AsuW), आसूचना, समुद्री गश्त और निगरानी एवं टोही (surveillance and reconnaissance) मिशनों का संचालन कर सकता है.
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