Sansar Daily Current Affairs, 12 September 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : e-AarogyaBharati (e-VBAB) Network Project
संदर्भ
विदेश मंत्रालय और दूरसंचार परामर्शी भारत लिमिटेड (Telecommunications Consultants India Ltd – TCIL) ने ई-विद्या भारती तथा ई-आरोग्य भारती (e-VBAB) नेटवर्क परियोजना को लागू करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.
इस परियोजना के माध्यम से भारत और अफ्रीका के बीच ज्ञान और स्वास्थ्य के विषय में डिजिटल जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाएगा.
e-VBAB नेटवर्क परियोजना क्या है?
यह परियोजना मुख्य रूप से अखिल अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजा (चरण 1)/Pan-African e-Network Project (Phase 1) का एक तकनीकी उन्नयन एवं विस्तार है, जो 2009 से लेकर 2017 तक अफ्रीका के 48 भागीदार देशों में कार्यान्वित की गई थी.
चरण 1 में भारत के शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों को अफ्रीकी देशों से जोड़ते हुए टेली-शिक्षा और टेली-औषधि सफलतापूर्वक प्रदान की गई थी.
परियोजना के दूसरे पंचवर्षीय चरण में अफ्रीकी देशों के 4,000 छात्रों को प्रतिवर्ष विभिन्न शैक्षणिक विषयों के टेली-शिक्षण पाठ्यक्रम निःशुल्क उपलब्ध कराये जायेंगे. इस परियोजना का उपयोग अफ्रीकी डॉक्टरों/नर्सों/परा-चिकित्सकीय कर्मचारियों को बिना शुल्क के सतत चिकित्सकीय शिक्षा (प्रतिवर्ष) देने में किया जायेगा. इसके अतिरिक्त इस परियोजना के माध्यम से भारत के डॉक्टर अफ्रीका के ऐसे डॉक्टरों को निःशुल्क चिकित्सकीय परामर्श देंगे जो इस प्रकार का परामर्श चाहते हैं.
जो अफ्रीकी देश इस परियोजना का एक भाग बनना चाहते हैं उनमें ज्ञानार्जन केन्द्रों की स्थापना की जायेगी तथा भारत में डाटा केंद्र तथा आपदा रिकवरी केंद्र स्थापित किया जायेंगे जिससे e-VBAB नेटवर्क परियोजना को संचालित किया जा सके. विद्या भारती (टेली शिक्षा) तथा ई-आरोग्य भारती (टेली चिकित्सा) के लिए दो अलग-अलग मंच होंगे जो एक वेब-आधारित तकनीक के माध्यम से भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों को परियोजना से जुड़े हुए अफ्रीकी देशों से जोड़ने का काम करेंगे.
भारत सरकार e-VBAB नेटवर्क परियोजना, जब तक इसकी अवधि समाप्त न हो, के सम्पूर्ण कोष के लिए धन मुहैया कराएगी. यह अफ्रीका के सभी हमारे भागीदार देशों की प्रतिभागिता के लिए खुली रहेगी. इस प्रकार यह परियोजना अफ्रीका के साथ हमारी विकास सम्बन्धी साझेदारी के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Pradhan Mantri Mudra Yojana
संदर्भ
पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि भारत में बैंकिंग क्षेत्र का अगला संकट मुद्रा ऋण नामक उन ऋणों के कारण हो सकता है जो असंगठित सूक्ष्म एवं लघु व्यवसायों के लिए दिए गये हैं. इस संकट का एक कारण किसान साख कार्ड (Kisan credit card) के माध्यम से दिए गये ऋण भी हो सकते हैं.
उन्होंने सरकार को महत्त्वाकांक्षी ऋण लक्ष्य निर्धारित करने अथवा ऋण माफ़ी से बचने की सलाह दी है. उन्होंने विशेष रूप से भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के द्वारा MSMEs के लिए संचालित ऋण प्रत्याभूति योजना (Credit Guarantee Scheme) को लक्षित किया है और उसे एक ऐसी बढ़ती हुई देनदारी बताया है जिसपर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.
पृष्ठभूमि
MUDRA (Micro Units Development and Refinance Agency) के वेबसाईट में दिखाए जा रहे आँकड़े के अनुसार मुद्रा योजना के अंतर्गत सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थाओं ने अभी तक कुल ₹6.37 लाख करोड़ वितरित किये हैं.
मुद्रा योजना क्या है?
- मुद्रा योजना का पूरा नाम प्रधानमन्त्री मुद्रा योजना (PMMY) है. इसका आरम्भ अप्रैल, 2015 में हुआ था. इस योजना का उद्देश्य छोटे-छोटे ऋणार्थियों को जमानत-मुक्त ऋण देना है.
- इस योजना के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई पूँजी 20,000 करोड़ रु. है. इसके तहत छोटे-छोटे व्यवसायियों को 50,000 रु. से लेकर 10 लाख रु. तक का कर्ज दिया जाता है.
- गैर-कृषि गतिविधियों के लिए 10 लाख रु. तक का मुद्रा ऋण दिया जाता है. ये गतिविधियाँ हैं – दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन आदि.
- मुद्रा योजना की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसमें एक मुद्रा कार्ड भी दिया जाता है जिसके माध्यम से ATM और कार्ड मशीन से वांछित कार्यपूँजी निकाली जा सकती है.
- मुद्रा योजना के ऋणों को इन तीन भागों में बाँटा गया है –
- शिशु (50,000 रु. तक)
- किशोर (50,001 रु. से 5 लाख रु. तक)
- तरुण (500,001 रु. से 10,00,000 रु. तक)
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Apsara – U Reactor
संदर्भ
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (THE BHABHA Atomic Research Centre) ने लगभग 10 वर्ष पहले बंद कर दिए गये भारत के सबसे पुराने अनुसंधान संयत्र (research reactor) – अप्सरा – को उत्क्रमित कर फिर से चालू कर दिया है. महाराष्ट्र के ट्राम्बे परिसर में स्थित यह संयंत्र Apsara – U के नाम से जाना जाता है.
अप्सरा आणविक संयंत्र क्या है?
- अप्सरा भारत का सबसे पुराना अनुसंधान संयंत्र है. इसका रूपांकन भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) ने किया था और इसका निर्माण इंग्लैंड की सहायता से किया गया था (इंग्लैंड ने ही 80% संवर्धित यूरेनियम वाले ईंधन की शुरू में आपूर्ति की थी).
- अप्सरा संयंत्र सबसे पहले 4 अगस्त, 1956 को चालू हुआ.
- APSARA एक हल्के जल वाले तरण ताल जैसा संयंत्र (light water swimming pool-type reactor) है जिसका अधिकतम ऊर्जा उत्पादन 1 MWt थर्मल है.
- यह रिएक्टर में समृद्ध यूरेनियम को जलाता है जो एल्यूमिनियम की मिश्र धातु से बनी मुड़े हुए प्लेटों की आकृति (curved plates) का होता है.
- अप्सरा संयंत्र का उपयोग कई प्रयोगों के लिए भी होता है, जैसे – न्यूट्रोन एक्टिवेशन विश्लेषण (neutron activation analysis), रेडिएशन क्षति का अध्ययन (radiation damage studies), फोरेंसिक शोध (forensic research), न्यूट्रोन रेडियोग्राफ़ (neutron radiography) तथा शील्डिंग (shielding experiments).
- इस संयंत्र का प्रयोग रेडियोसोटोपों (radioisotopes) पर शोध तथा उनका उत्पादन के लिए भी किया जाता है.
अप्सरा – उत्क्रमित (Apsara- Upgraded)
- अप्सरा – उत्क्रमित (Apsara- Upgraded) देश में ही बनाया गया है. इसमें कम संवर्धित यूरेनियम (Low Enriched Uranium – LEU) से बने प्लेट-जैसे विसर्जन ईंधन तत्त्वों (dispersion fuel elements) का प्रयोग होता है.
- उच्चतर न्यूट्रोन प्रवाह के होने के कारण यह संयंत्र चिकित्सकीय प्रयोग के लिए रेडियो-आइसोटोपों के स्वदेशी उत्पादन में 50% तक वृद्धि करने में समर्थ है.
- अप्सरा – उत्क्रमित के निर्माण ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि हमारे भारतीय वैज्ञानिक और इंजिनियर में वह क्षमता है कि वे स्वास्थ्य की देखभाल, वैज्ञानिक शिक्षा तथा अनुसंधान के लिए जटिल निर्माण करने में समर्थ हैं.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Model International Center for Transformative AI (ICTAI)
संदर्भ
कृत्रिम बुद्धि (AI) से बने हुए एप्लीकेशन पर आधारित शोध परियोजनाओं का विकास करने के लिए नीति आयोग, Intel और टाटा आधारभूत शोध संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research – TIFR) मिलकर परिवर्तनात्मक कृत्रिम बुद्धि के लिए एक आदर्श अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Center for Transformative Artificial Intelligence – ICTAI) स्थापित करने जा रहे हैं.
ICTAI का उद्देश्य
- ICTAI बेंगलुरू में स्थित होगा. आदर्श ICTAI का उद्देश्य है उन्नत शोध कार्य करना जिससे कि इन तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धि से बने सोल्यूशन तैयार हो सके – स्वास्थ्य की देखभाल, कृषि और स्मार्ट मोबिलिटी. इसके लिए Intel और TIFR की विशेषज्ञता का सहारा लेना होगा.
- ICTAI का एक प्रमुख उद्देश्य उन सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग और अंगीकार करना है जो ICTAI के प्रशासन, आधारभूत अनुसंधान, भौतिक अवसंरचना तथा प्रतिभा वृद्धि के क्षेत्रों में अपनाई जा रही है.
AI क्या है?
- आजकल कंप्यूटर सिस्टम की प्रोग्रामिंग इस प्रकार की जाती है कि वे ऐसे काम कर सकते हैं जो अन्यथा मानवीय बुद्धि से ही संभव होते हैं. इसी को कृत्रिम बुद्धि (artificial intelligence) कहा जाता है.
- दिन-प्रतिदिन नए-नए app और software आते जा रहे हैं जो कृत्रिम बुद्धि पर आधारित हैं और जिनके कारण हमारे रोजमर्रा के काम पहले से सरल हो गये हैं.
आज विश्व में कृत्रिम बुद्धि का बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है. आशा की जाती है कि 2020 तक यह 153 बिलियन डॉलर का बाजार हो जाएगा. 2016 से 2022 तक इस बाजार की वार्षिक वृद्धि की दर 45.4% रहने की संभावना है. परन्तु विचारकों का कहना है कि कृत्रिम बुद्धि के विकास के साथ-साथ बेरोजगारी में वृद्धि होगी. अतः आवश्यकता है कि इसका प्रयोग भली-भाँति विचार कर किया जाए.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : India’s first missile tracking ship is readying for sea trials
संदर्भ
हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) अक्टूबर के पहले सप्ताह तक भारत के पहले मिसाइलों का पता लगाने वाले जहाज को परीक्षण हेतु समुद्र में उतारने की तैयारी कर रहा है.
मुख्य तथ्य
- देश के रणनीतिक आयुध कार्यक्रम (strategic weapons programme) को सुदृढ़ करने के लिए भारत के द्वारा बनाया गया यह पहला सामुद्रिक निगरानी करने वाला जहाज (surveillance ship) है.
- इस जहाज के निर्माण के साथ भारत उन ऐसे गिने-चुने देशों की मंडली में शामिल हो जाएगा जिनके पास इस प्रकार का परिष्कृत सामुद्रिक निगरानी जहाज है.
- इस जहाज में 300 लोग रह सकते हैं. साथ ही इसमें उच्च तकनीक के उपकरण और संचार प्रणालियाँ हैं. यह जहाज दो-डीजल इंजनों से चलेगा और इसके विशाल डेक पर हेलीकाप्टर भी उतर सकते हैं.
Prelims Vishesh
Yudh Abhyas 2018 :-
- उत्तराखंड के चौबटिया में भारत और अमेरिका के सैनिकों का एक संयुक्त सैन्य अभ्यास –Yudh Abhyas 2018 होगा.
- इन दो देशों के बीच यह इस प्रकार का 14वाँ सैन्य अभ्यास है.
Sahyog :-
- रेल मंत्रालय ने रेल-सहयोग वेब-पोर्टल का अनावरण किया है. (www.railsahyog.in)
- इस पोर्टल के मंच का उपयोग कर कॉर्पोरेट एवं सार्वजनिक लोक उपक्रम रेलवे स्टेशनों पर जन सुविधाओं के सृजन के लिए धन मुहैया करेंगे.
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