Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 13 April 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : China’s BRI

संदर्भ

मलेशिया के पूर्वी तट पर चीन एक गहरे समुद्र वाला बंदरगाह बना रहा है जो उसकी “पट्टी एवं सड़क पहल (Belt and Road Initiative)” के अंतर्गत आता है. इस बंदरगाह का निर्माण कार्य रुक गया था और इसको लेकर मलेशिया और चीन में बात चल रही थी.

हाल ही में यह बातचीत समाप्त हो गयी और मलेशिया ने China Communications Construction Company (CCCC) के साथ मिलकर इस बंदरगाह पर काम करना शुरू कर दिया है. ज्ञातव्य है कि चीन ने इस परियोजना का खर्च एक तिहाई घटा दिया है.

बेल्ट एंड रोड

इस परियोजना की घोषणा चीन द्वारा 2013 में हुई थी. BRI पहल एक ऐसी पहल है जिसमें स्थल और समुद्र दोनों में सिल्क रोड की पट्टियाँ होंगी. इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया के आर्थिक क्षेत्र को यूरोप के आर्थिक क्षेत्र से जोड़ना बताया जाता है. इस प्रकार इस परियोजना के अन्दर एशिया, यूरोप और अफ्रीका तीन महाद्वीप आते हैं. यदि यह परियोजना लागू होती है तो इसके अन्दर सकल वैश्विक जनसंख्या का 65% और विश्व की GDP का 60% आ जायेगा. साथ ही इसमें अभिकल्पित 6 आर्थिक गलियारों में 70 देश समाहित हो जाएँगे.

चीन यूरोप, पश्चिम एशिया, पूर्व अफ्रीका एवं स्वयं चीन को स्थलीय और सामुद्रिक व्यापार सम्पर्कों को फिर से जीवित करने और नये ढंग से रचने के लिए लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. इसके अंदर ऐसे आधुनिक बंदरगाह बनाए जा रहे हैं जो तीव्र गति वाली सड़कों और रेल गलियारों से जुड़ जाएँगे.

भारत की चिंता

  • गलियारा का हिस्सा PoK से होकर गुजरेगा जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत का कहना है कि यह गलियारा उसकी क्षेत्रीय अखंडता को आहत करता है.
  • इस परियोजना के कारण हिन्द महासागर में चीन का दबदबा बढ़ सकता है जिससे भारतीय हितों को क्षति पहुँच सकती है.
  • BRI परियोजनाओं के चलते कई देश गहरे कर्ज में डूब रहे हैं जिनको नहीं चुका पाने के कारण इन देशों की सम्प्रभुता पर आँच आ रही है.
  • इस परियोजना में चीन अपने कौशल अथवा तकनीक को हस्तांतरित नहीं कर रहा है. अतः अंततोगत्वा उन देशों को कोई लाभ नहीं होगा जहाँ उसका काम चल रहा है.
  • चीन की परियोजनाएँ पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल नहीं हैं.
  • इसके माध्यम से चीन भारत पर रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है. वह पूर्वोत्तर भारत के आस-पास अपनी उपस्थिति सुदृढ़ करना चाहता है. विदित हो कि यहाँ के कुछ भागों पर चीन अपना दावा करता रहा है. इस प्रकार इस परियोजना से भारत की सुरक्षा पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  • चीन और भारत के आपसी रिश्ते ठीक नहीं हैं और दक्षिण-एशिया और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के इरादे ऐसे हैं कि भारत कभी भी इस परियोजना के लिए हामी नहीं भरेगा.
  • इस परियोजना के अंदर बन रही अवसंरचनाओं की सुरक्षा के लिए चीन 30,000 सैनिकों की तैनाती शुरू कर चुका है. भारत का कहना है कि यह तैनाती अंततोगत्वा भारत को घेरने के निमित्त की गई है.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO)

संदर्भ

केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हाल ही में बहुतायत से प्रयोग में आने वाले एंटी-बायोटिक दवाओं के निर्माताओं को कहा है कि वे इन दवाओं से सम्बंधित विवरण जनसाधारण को अवश्य उपलब्ध कराएँ. यह निर्देश भारतीय औषधि कम्पनी निगरानी कार्यक्रम (Pharmacovigilance Programme of India – PvPI) के अंतर्गत राष्ट्रीय समन्वय केंद्र के सुझाव पर दिए गये हैं.

PvPI क्या है?

यह भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जो 14 जुलाई, 2010 से चल रहा है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत नई दिल्ली के AIIMS को राष्ट्रीय समन्वय केंद्र बनाया गया. यह केंद्र लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने के उद्देश्य से देश में औषधियों के दुष्प्रभाव पर निगरानी रखता है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों का पता लगाया जाता है तथा उनका मूल्यांकन करते हुए दुष्प्रभावों की रोकथाम की जाती है.

CDSCO क्या है?

  • केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है.
  • औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम (Drugs and Cosmetics Act) के अनुसार CDSCO इन कार्यों के लिए उत्तरदायी है – नई औषधियों का अनुमोदन, चिकित्सकीय परीक्षण, औषधियों के लिए मानक का निर्धारण, आयात की गई औषधियों की गुणवत्ता पर नियंत्रण एवं राज्यों के औषधि नियंत्रण संगठनों के कार्यकलाप का समन्वयन.
  • CDSCO औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में समरूपता लाने के लिए राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञतापूर्ण परामर्श मुहैया करता है.
  • इसके अतिरिक्त CDSCO और राज नियामक निकाय रक्त एवं रक्त उत्पादों, I.V. द्रवों, टीकों और सीरम जैसी महत्त्वपूर्ण दवाओं की विशेष श्रेणियों के लिए लाइसेंस देने हेतु संयुक्त रूप से उत्तरदायी होते हैं.

GS Paper  2 Source: Business Standard

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Topic : Legislation to strengthen US-India strategic partnership

संदर्भ

हाल ही में अमेरिकी सांसदों ने H R 2123 नामक विधेयक के माध्यम से अमेरिका और भारत की सामरिक भागीदारी को सुदृढ़ करने का प्रस्ताव दिया है.

निहितार्थ

  • यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो अमेरिका का विदेश विभाग भारत के साथ आयुध निर्यात नियंत्रण अधिनियम (Arms Export Control Act) के अंतर्गत एक नाटो मित्र के रूप में व्यवहार करने लगेगा.
  • यह कानून सशक्त सन्देश देगा कि भारत को आयुध बेचने के मामले में प्राथमिकता दी जायेगी.
  • यह विधेयक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा और रक्षा और विदेश विभागों के बीच पूर्ण तालमेल सुनिश्चित करेगा.

विधेयक की आवश्यकता

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का एक बड़ा स्तम्भ है. निर्यात नियंत्रण की नीतियों के प्रति भारत प्रबल प्रतिबद्धता दिखाता रहा है. विधेयक के पारित हो जाने से अमेरिका और भारत की भागीदारी और भी फले-फूलेगी तथा इससे भारत प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं का पालन भी सुनिश्चित हो सकेगा.

पृष्ठभूमि

वित्त वर्ष 2017 में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (National Defense Authorization Act – NDAA) में भारत को अमेरिका का प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में परिभाषित किया गया था. इस परिभाषा के अनुसार व्यापार और तकनीक-हस्तांतरण के मामले में अमेरिका भारत के साथ विशेष रिश्ता रखा करेगा. इस भावना को साकार रूप देने के लिए अमेरिका-भारत उन्नत सहयोग अधिनियम आयुध निर्यात अधिनियम में संशोधन लाकर भारत को अन्य नाटो मित्रों के समकक्ष ले आएगा. विदित हो कि इजराइल, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और जापान ऐसे ही नाटो मित्र हैं.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : India stares at pile of solar e-waste

संदर्भ

वैज्ञानिकों का कहना है कि 2050 तक भारत में सौर ई-कचरे का एक विशाल भंडार जमा हो जायेगा. इस ई-कचरे को फोटो-वोलटेयिक कचरा भी कहते हैं. अनुमान है कि 2030 तक यह कचरा बढ़ कर 2 लाख टन हो जाएगा और 2050 तक यह 1.8 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा.

ऐसा क्यों हो रहा है?

  • वर्तमान में भारत में ई-कचरे के बारे में कोई कानून नहीं बना है जो सौर बैटरी के निर्माताओं को इस बात के लिए बाध्य करे कि वे ई-कचरे को या तो निपटाएँ या उनका फिर से उपयोग करें.
  • सरकार ने फोटो-वोलटेयिक कचरे को संभालने के लिए अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है.
  • परत लगे काँच और ई-कचरे को फिर से उपयोग में लाने के लिए देश में मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं हैं. केन्द्रीय प्रूदषण नियंत्रण बोर्ड का नवीनतम अनुमान है कि भारत में ई-कचरे के 4% से भी कम अंश को संगठित प्रक्षेत्र में फिर से उपयोग में लाया जाता है.

सौर ई-कचरा क्या है?

सौर संयंत्रों में हानिकारक पदार्थों का प्रयोग होता है, जैसे – सीसे के यौगिक पोलिमर और केडमियम यौगिक. यदि इनका ठीक ढंग से निपटारा नहीं किया गया तो इनका क्षरण हो सकता है और इससे वातावरण और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. उदाहरण के लिए यदि सीसे का क्षरण होता है तो उससे पर्यावरण पर ये दुष्प्रभाव हो सकते हैं – जैव विविधता की कमी, पौधों और पशुओं के विकास एवं प्रजनन दर में गिरावट, वृक्क में विकार तथा शरीर की स्नायु प्रणाली, प्रतिरोध प्रणाली, प्रजनन प्रणाली तथा ह्रदय प्रणाली में दोष उत्पन्न होना.

क्या किया जाए?

  • कचरा प्रबंधन और उपचार के लिए प्रत्येक हितधारक को उसका उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से निर्धारित कर देना.
  • सौर यंत्र बनाने वालों को ऐसा रूपांकन करने को कहना जो पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हों.
  • फोटो-वोलटेयिक कचरे को जमा करने, उसका उपचार करने और उसके निपटारे के लिए मानकों को निर्धारित करना.
  • सौर यंत्र आपूर्तिकर्ताओं, योजना निर्माताओं, बिजली क्रेताओं के बीच में कचरे के फिर से प्रयोग करने के विषय में आपसी समझौता को बढ़ावा देना.
  • कचरे के पुनः प्रयोग की सुविधाओं का नियमित रूप से निरीक्षण करना जिससे कि प्रयोग में लाई जा रही तकनीक और क्षमता के स्तर का आकलन हो सके.
  • फोटो-वोलटेयिक कचरे को फिर से प्रयोग में लाने के लिए बनी सुविधाओं के लिए निवेश और तकनीकी आवश्यकताओं का पता लगा कर उचित कार्रवाई करना.

आगे की राह

भारत विश्व में सौर बैटरियों का एक प्रमुख बाजार है. यहाँ की सरकार ने प्रण किया है कि 2022 तक देश में 100GW सौर बिजली का उत्पादन किया जाएगा. अभी तक भारत में लगभग 28GW के सौर संयंत्र लग चुके हैं जिनमें अधिकांशतः विदेशों से आयत की गई बैटरियों का प्रयोग हुआ है. अतः यह समय है कि भारत कचरे की समस्या के निपटान के लिए एक व्यापक नीति बनाये.


Prelims Vishesh

Russia’s highest civilian award for PM :

  • द्विपक्षीय सम्बन्धों के लिए काम करने हेतु भारतीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान – “Order of the Holy Apostle Andrew the First” – प्रदान किया जाएगा.
  • यह सम्मान 1698 में रूस के सम्राट “पीटर द ग्रेट” ने शुरू किया था पर आगे चलकर यह बंद हो गया था. पुनः 1998 में रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्सिन ने इसे फिर से चालू किया था.

New early human species found: Homo luzonensis :

  • शोधकर्ताओं ने फिलीपींस के एक द्वीप में 50,000 वर्ष पूर्व रहने वाले मानव की एक प्रजाति ढूँढ़ निकाली है जिसको Homo luzonensis नाम दिया गया है.
  • यह मानव चार फीट से कम लम्बाई के थे और इनके पैर और अंगुलियाँ मुड़ी हुई थीं.

India to be Guest of Honour at ADIBF 2019 :

  • 2019 के अप्रैल में होने वाले अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में भारत को गेस्ट ऑफ़ हॉनर देश चुना गया है.
  • इस मेले का उद्देश्य यूएई की समृद्ध विरासत को उजागर करना है और साथ ही साथ इसकी प्रामाणिकता, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को प्रदर्शित करना है.
  • यह अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले का 29 वां संस्करण होगा.

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