Sansar Daily Current Affairs, 13 December 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Saubhagya scheme
संदर्भ
भारत के सात राज्यों में वर्तमान में हर घर में बिजली की व्यवस्था हो चुकी है. हाल ही में सौभाग्य योजना के तहत इस सूची में नौ और राज्य जुड़ गये हैं, ये हैं – मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, बिहार, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मिजोरम, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल. इस प्रकार अब 16 राज्यों में हर घर में बिजली पहुँच चुकी है.
सौभाग्य योजना क्या है?
- SAUBHAGYA का full form है – (प्रधानमन्त्री) सहज बिजली हर घर योजना.
- इस योजना का उद्घाटन सितम्बर, 2017 में हुआ था.
- इस योजना के अंदर ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर (APL और BPL दोनों) तथा शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों को निःशुल्क बिजली कनेक्शन दिया जाता है.
- सौभाग्य योजना के संचालन के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (Rural Electrification Corporation – REC) को सूत्रधार एजेंसी (nodal agency) बनाया गया है.
- इस योजना का उद्देश्य देश के हर घर में बिजली पहुँचाना है.
- इस योजना पर कुल मिलाकर 16,320 करोड़ का खर्च आएगा.
- इस योजना में सरकारी कुल खर्च = 16, 320 करोड़ रू. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 12, 320 करोड़ रू.
- ग्रामीण आवास व्यय = 14025 करोड़ रु. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 10, 587.50 करोड़ रु.
- शहरी आवास व्यय = 1732.50 करोड़ रु. – – – सरकारी बजटीय सहायता = 2295 करोड़ रु.
- इस योजना के लिए सभी DISCOMs को अर्थात् बिजली वितरक कंपनियों, राज्य ऊर्जा विभागों एवं ग्रामीण विद्युतीकरण सहकारी सोसाइटियों को सहायता दी जायेगी.
भारत में जो दुर्गम क्षेत्र हैं यानी जहाँ बिजली तो दूर, आना-जाना मुश्किल है …वहां सरकार हर परिवार को Battery Bank यानी 200 से 300 WP का Solar Power Pack पहुँचाएगी. निम्नलिखित चीजें इन क्षेत्रों में पहुँचाई जायेंगी –
- 5 LED Lights
- एक DC Fan
- एक DC Power Plug
- 5 वर्ष के लिए free repair service
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : National Register of Citizens (NRC)
संदर्भ
दिसम्बर 12, 2018 को सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने असम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (National Register of Citizens- NRC) के प्रथम प्रारूप में नहीं आ सकने वाले व्यक्तियों के दावों और आपत्तियों को जमा करने की समय-सीमा बढ़ाकर दिसम्बर 31, 2018 कर दिया है.
पृष्ठभूमि
स्मरणीय है कि असम सरकार ने जुलाई 30, 2018 को NRC का अंतिम प्रारूप निर्गत किया था. इस सूची में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ व्यक्तियों के नाम सम्मिलित किये गये थे तथा 40.7 लाख लोगों के नाम इसमें आने से रह गये थे.
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) वह सूची है जिसमें असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों के नाम दर्ज हैं. असम देश का एकमात्र राज्य है जहाँ NRC विद्यमान है. असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
NRC
- NRC को पूरे देश में पहली और आखिरी बार 1951 में तैयार किया गया था.
- लेकिन इसके बाद इसे update नहीं किया गया था.
- NRC में भारतीय नागरिकों का लेखा-जोखा दर्ज होता है.
- 2005 में केंद्र, राज्य और All Assam Students Union के बीच समझौते के बाद असम के नागरिकों की दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. ये पढ़ें >> असम समझौता
- मौजूदा प्रकिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है.
- सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो करोड़ दावों की जांच के बाद 31 December तक NRC को पहला draft जारी करने का निर्देश दिया था.
- कोर्ट ने जांच में करीब 38 लाख लोगों के दस्तावेज संदिग्ध पाए थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Rohingya refugees
संदर्भ
हाल ही में भारत ने म्यांमार के उपद्रवग्रस्त रखाइन प्रांत के विस्थापित अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के लिए उसके द्वारा बनाए गये 50 घरों को म्यांमार को सौंप दिए हैं.
पृष्ठभूमि
स्मरणीय है कि पिछले वर्ष के अंत में भारत ने म्यांमार में एक विकास कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किये थे जिसके अनुसार भारत म्यांमार सरकार को रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के लिए घर बनाने में सहायता करेगा.
2017 में हुई सैनिक कार्रवाई की प्रतिक्रिया में म्यांमार के रखाइन राज्य के 7 लाख रोहिंग्या मुसलमान वहाँ से भाग गए और भारत, बांग्लादेश आदि देशों में शरणार्थी के रूप में प्रवेश कर गए.
रोहिंग्या कौन हैं?
रोहिंग्या स्वयं को एक अलग नस्लीय समूह (different racial groups) बतलाते हैं. इनकी भाषा और संस्कृति (language and culture) सभी देशों से बिल्कुल अलग (different) है. रोहिंग्या खुद को म्यांमार के रखाइन राज्य (Rakhine State) का निवासी मानते हैं.
अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों का भी अनुसरण करते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यांमार में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.
रोहिंग्या संकट का इतिहास
रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था. साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : What Are Britain’s ‘Golden Visas’?
संदर्भ
ब्रिटेन की सरकार की एक योजना थी जिसके अंतर्गत अत्यंत धनी विदेशी नागरिक (भारतीय समेत) तेजी से ब्रिटेन में बसने का अधिकार प्राप्त कर सकते थे. ऐसे विदेशी नागरिकों के लिए गोल्डन वीजा नामक श्रेणी की अभिकल्पना की गई थी. परन्तु हाल ही में, ब्रिटेन की सरकार ने इस प्रकार का वीजा देने का कार्यक्रम रोक दिया है.
गोल्डन वीजा अर्थात् टियर – 1 वीजा क्या हैं?
ब्रिटेन सरकार ने 2008 में एक कार्यक्रम बनाया था जिसके अनुसार यूरोपीय संघ के बाहर और स्विट्ज़रलैंड के समृद्ध लोगों का निवेश प्राप्त करने के लिए उन्हें तेजी से वीजा उपलब्ध कराया जाता है. ऐसे वीजा को गोल्डन वीजा अथवा टियर – 1 वीजा नाम दिया गया है. इसके लिए विदेशियों द्वारा यूनाइटेड किंगडम बांड, शेयर पूँजी और कंपनियों में निवेश करना होता है.
गोल्डन वीजा के लिए शर्त
- गोल्डन वीजा उसी विदेशी व्यक्ति को मिलता है जो ब्रिटेन में कम-से-कम 2 मिलियन पौंड का निवेश करे. ऐसे व्यक्ति पाँच साल में ब्रिटेन में स्थायी आवास के लिए आवेदन कर सकते हैं.
- यदि विदेशी व्यक्ति 5 मिलियन पौंड का निवेश कर रहा है तो वह तीन वर्ष के बाद ही स्थाई आवास के लिए आवेदन कर सकता है.
- यदि विदेशी व्यक्ति 10 मिलियन पौंड का निवेश कर रहा है तो दो वर्ष के बाद ही स्थाई आवास के लिए आवेदन कर सकता है.
ये सभी व्यक्ति आवेदन देने के पश्चात् सिद्धांत रूप में नागरिकता के लिए आवेदन देने के पात्र हो जाते हैं.
गोल्ड वीजा की आलोचना
गोल्डन वीजा कार्यक्रम के कारण ब्रिटेन में पिछले 10 वर्षों से अधिक के समय में करोड़ों पौंड और साथ ही विश्व-भर के कई समृद्ध लोग आ चुके हैं. परन्तु इस कार्यक्रम की कुछ लोग आलोचना करते रहे हैं. उनका कहना है कि यह कार्यक्रम भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है क्योंकि निवेश में जो पैसा आता है वह काली कमाई का हिस्सा होता है.
इसके अतिरिक्त एक सर्वेक्षण से पता चला कि इस कार्यक्रम से होने वाला आर्थिक लाभ सीमित ही है क्योंकि अधिकांश निवेशकों ने गिल्ट नामक तय ब्याज वाले ऋण बांड में ही पैसा लगाया. इसका अभिप्राय यह हुआ कि वे लोग वस्तुतः सरकार को ऋण दे रहे हैं न कि देश में निवेश कर रहे हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : UN ‘Momentum for Change’ climate action award
संदर्भ
इस वर्ष विश्व की 15 क्रान्तिकारी परियोजनाओं को ‘Momentum for Change’ नामक संयुक्त राष्ट्र जलवायु पुरस्कार दिए गये हैं जिनमें एक परियोजना भारत की भी है. इस निजी परियोजना का नाम HelpUsGreen है.
HelpUsGreen परियोजना क्या है?
- इस परियोजना में उत्तर प्रदेश के कई शहरों के मंदिरों आदि से फूल इकट्ठे किये जाते हैं और उन फूलों से प्राकृतिक गंध, जैविक खाद और जैव-विघटनीय पैकेज बनाए जाते हैं.
- इस परियोजना में अभी उत्तर प्रदेश की 1,260 स्त्रियाँ काम कर रही हैं.
- HelpUsGreen परियोजना के फलस्वरूप मंदिरों के कचरे के माध्यम से नदी में जा रहे रासायनिक कीटनाशक को रोकने में सहायता मिलती है.
- HelpUsGreen मंदिरों के कचरे के लाभप्रद निपटारे के लिए बनी विश्व की पहली योजना है.
- इस योजना में उन स्त्रियों को लगाया जाता है जो पहले हाथ से साफ़-सफाई का काम किया करती थीं.
- इस योजना का लक्ष्य 5,100 स्त्रियों को आजीविका देना और 2021 तक नित्य 51 टन मन्दिर का कचरा फिर से प्रयोग में लाना है.
- इस कार्यक्रम के अधीन अभी तक 11,060 मेट्रिक टन मन्दिर के कचरे का फिर से उपयोग कर विभिन्न उत्पाद बनाए जा चुके हैं. परिणामतः मंदिर के कचरों से नदी में जाने वाले 110 मेट्रिक टन रासायनिक कीटनाशकों को रोक दिया गया है.
Momentum for Change क्या है?
यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सचिवालय के द्वारा चलाई गई एक पहल है जो विश्व-भर में चल रही उन गतिविधियों को प्रकाश में लाता है जो कार्बन के उत्सर्जन में कमी लाने में लगी हुई हैं. यह पुरस्कार नवाचार एवं रूपान्तरकारी समाधानों के लिए दिया जाता है जिससे जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण विषयक चुनैतियों का समाधान भी हो सके.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : FAME-India Scheme
संदर्भ
FAME-India योजना चरण – I (भारत में संकर एवं बिजली वाहनों का तीव्र निर्माण एवं प्रयोग) की अवधि को 31 अप्रैल, 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 अथवा उस समय तक बढ़ा दिया गया है जब तक FAME II की अधिसूचना निर्गत न हो जाए. ज्ञातव्य है कि यह योजना 1 अप्रैल, 2015 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य था बिजली और संकर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के निर्माण के तकनीक को बढ़ावा देना और उसकी सतत वृद्धि को सुनिश्चित करना.
FAME-India क्या है?
- FAME का full-form है – Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid &) Electric Vehicles.
- यह राष्ट्रीय बिजली गतिशीलता मिशन योजना का अंग है.
- पर्यावरण के अनुकूल वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने 2015 में भारत में (FAME – INDIA) योजना की शुरुआत की थी.
- फेम इंडिया योजना का लक्ष्य है कि दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया यात्री वाहन, हल्के वाणिज्यिक वाहन और बसों सहित सभी वाहन क्षेत्रों में बिजली के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए. इसके लिए यह योजना सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है.
- इस योजना के तहत संकर एवं इलेक्ट्रिक तकनीकों, जैसे – सशक्त संकर तकनीक (strong hybrid), प्लग-इन शंकर तकनीक (plug-in hybrid) और बैटरी/बिजली तकनीक को प्रोत्साहित किया जाता है.
- इस योजना को भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा चालाया जा रहा है.
- FAME योजना इन चार क्षेत्रों पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है – तकनीकी विकास, माँग का सृजन, प्रायोगिक परियोजनाएँ एवं चार्ज करने की सुविधा.
FAME-India Scheme Phase – II
- इस योजना के अंदर सार्वजनिक परिवहन में बिजली की गाड़ियों (EVs) के प्रयोग को बढ़ावा देना है और इसके लिए बाजार और माँग का सृजन करना है.
- इसके तहत वाहन परिक्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जायेगी.
- इस प्रक्षेत्र के लिए कोई नियम नहीं होंगे और निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार के निवेशक स्वचालित वाहन प्रक्षेत्र में निवेश करने के लिए स्वतंत्र होंगे. वे निवेशक चाहें तो बिजली के वाहनों एवं बिजली की बसों के निर्माण में भी पैसा लगा सकते हैं.
Prelims Vishesh
Water traces found on asteroid Bennu :-
- NASA द्वारा प्रक्षेपित OSIRIS-REx अन्तरिक्षयान ने Bennu नामक क्षुद्रग्रह की चट्टानी सतह में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के अणुओं का पता लगाया है जिससे वहाँ पानी और जीवन होने की संभावना दिखाई पड़ती है.
- विदित हो कि इस अन्तरिक्षयान का लक्ष्य Bennu नामक क्षुद्रगृह की सतह से कम-से-कम 60 ग्राम सामग्री उठाना और उसे लेकर 2030 तक पृथ्वी लौट आना है.
Indian Navy- Deep Submergence Rescue Vehicle :-
- भारतीय नौसेना ने मुंबई-स्थित नौसैनिक डॉकयार्ड में समुद्र के अत्यंत भीतर बचाव का कार्य करने वाली वाहन की पहली प्रणाली को चालू किया है.
- इस प्रकार ऐसी सुविधा वाले विश्व के चुनिन्दा देशों में भारत का भी काम आ गया है.
- इस प्रणाली से समुद्र में 650 मीटर तक की गहराई में फंसी पनडुब्बी में राहत की कार्रवाई की जा सकती है.
India’s first Jean Monnet CoE opened at MAHE :-
- हाल ही में मणिपाल उच्चतर शिक्षा अकादमी (MAHE) के यूरोपीय अध्ययन विभाग में भारत के पहले ज्यां मोने उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना हुई है.
- इस केंद्र में संस्कृति, साहित्य, शिक्षा एवं समाज के विषय में अध्ययन के लिए यूरोपीय संघ ने एक लाख यूरो का अनुदान दिया है.
- ज्ञातव्य है कि जिन ज्यां मोने के नाम पर यह केंद्र बना है, वे यूरोपीय संघ के संस्थापक पिताओं में से एक माने जाते हैं.
Universal Health Coverage Day- December 12 :-
- 12 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज दिवस (International Universal Health Coverage Day – UHC Day) मनाया गया.
- इस दिवस की थीम थी – सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज : हर कोई, हर जगह.
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