Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 February 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 13 February 2019


GS Paper 2 Source: Down to Earth

Topic : Minimum support for minor forest produce

संदर्भ

भारत सरकार लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के लिए नए मार्गनिर्देश बनाने जा रही है और इसके क्षेत्र को विस्तारित करने जा रही है. इसका उद्देश्य 10 करोड़ जनजातियों को लाभ पहुँचाना है. सरकार विभिन्न लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 40% बढ़ाने भी जा रही है. ज्ञातव्य है कि लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना 2013 से कार्यान्वित हो रही है.

लघु वन उत्पादों का माहात्म्य

  • लघु वन उत्पाद वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के लिए आजीविका के एक प्रमुख साधन होते हैं. इन लोगों के लिए लघु वन उत्पादों का महत्त्व इसी बात से पता चलता है कि लगभग 100 मिलियन वनवासी भोजन, आश्रय, औषधियों और नकद आय के लिए लघु वन उत्पादों पर ही निर्भर रहते हैं.
  • जिस समय खाने-पीने की कमी होती है तो उस समय आदिवासियों, विशेषकर आदिम जनजातियों जैसे शिकारियों और भोजन संग्रह करने वालों तथा भूमिहीनों के लिए लघु वन उत्पाद जीने का सहारा होते हैं. आदिवासियों की वार्षिक आय का 20-40% इन्हीं उत्पादों से आता है और इनके संग्रहण आदि में इनका अधिकांश समय बीतता है.
  • अधिकांश लघु वन उत्पादों को स्त्रियाँ ही जमा करती हैं, उपयोग में लाती हैं और बेचती हैं. इसलिए इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने से स्त्रियों की आर्थिक स्थिति सशक्त होगी.
  • लघु वन उत्पाद प्रक्षेत्र एक ऐसा प्रक्षेत्र है जो देश में प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन कार्य दिवस का सृजन करने कि क्षमता रखता है.

वन धन विकास योजना

  • वन धन योजना के अंतर्गत 30 जनजातीय संग्रहकर्ताओं के 10 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) अर्थात् वन धन विकास समूहों का गठन किया जाएगा. इसके बाद इन्हें वन से एकत्रित उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन हेतु कार्यशील पूँजी प्रदान की जायेगी.
  • एक ही गाँव के भीतर इस प्रकार के 10 SHGs के संकुल द्वारा वन धन विकास केंद्र का गठन किया जाएगा.
  • वन धन विकास केंद्र कौशल उन्नयन, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन सुविधा की स्थापना इत्यादि प्रदान करने हेतु बहुउद्देशीय प्रतिष्ठान होते हैं.
  • प्राथमिक प्रसंस्करण के बाद इन SHGs द्वारा स्टॉक को राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के पास भेजा जाएगा.
  • जिला स्तर पर द्वितीय स्तर तथा राज्य स्तर पर तृतीय स्तर की मूल्य संवर्द्धन सुविधा के निर्माण के लिए बड़े निगमों को PPP मॉडल के तहत सम्मिलित किया जाएगा.
  • वन धन योजना केन्द्रीय स्तर पर नोडल विभाग के रुप में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा तथा राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में ट्राइफेड (TRIFED) के माध्यम से क्रियान्वित की जायेगी.
  • राज्य स्तर पर MFP हेतु राज्य नोडल एजेंसी तथा प्राथमिक स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा योजना कार्यान्वयन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की परिकल्पना की गई है.
  • पहला मॉडल वन धन विकास केंद्र छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थापित किया जा रहा है, जो 300 लाभार्थियों को प्रशिक्षित करेगा.

MSP क्या है

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार के द्वारा तय किया गया वह मूल्य है जिसपर किसान अपनी फसल सरकार को बेच सकते हैं.
  • जब बाजार की कीमतें सरकार द्वारा तय किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ जाती हैं तो सरकार की खरीद-एजेंसियाँ किसानों के ​​फसल को खरीदने के लिए आगे आ जाती हैं.
  • जिन फसलों की आपूर्ति घट जाती है, उन फसलों को आगामी मौसम में लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने हेतु MSP का सहारा लिया जाता है.
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति बुवाई के हर मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए MSP की घोषणा करती है.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य का फैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices – CACP) की अनुशंसा पर लिया जाता है.
  • CACP अपनी अनुशंसा माँग और आपूर्ति, उत्पादन की लागत एवं कीमत की रुझान के आधार पर करता है.

चुनौतियाँ

वन धन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना पाँच वर्ष पुरानी हो चुकी है. परन्तु इसे ठीक से लागू नहीं किया जा सका है. आज यह आवश्यक है कि इस योजना को सुदृढ़ किया जाए अन्यथा वनों में रहने वाले और वनों पर निर्भर समुदायों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल सकेगा. वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जनजातीय समुदायों को लघु वन उत्पाद अधिकार तो मिल चुके हैं, किन्तु कई राज्यों ने लघु वन उत्पादों जैसे तेंदू (tendu), का राष्ट्रीयकरण नहीं किया है, अतः इन उत्पादों का अवैध व्यापार जारी है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : World Government Summit

संदर्भ

विश्व सरकार शिखर सम्मलेन की 7वीं वार्षिक बैठक दुबई में होने जा रही है.

विश्व सरकार शिखर सम्मलेन क्या है?

  • विश्व सरकार शिखर सम्मेलन एक वैश्विक मंच है जो विश्व-भर में शासन के भविष्य को आकार देने के प्रति समर्पित है.
  • प्रत्येक वर्ष इस सम्मेलन में सरकारों की अगली पीढ़ी के लिए कार्यसूची निर्धारित की जाती है जिसमें इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि मानवता द्वारा सामना की जा रहीं सार्वभौम चुनौतियों को सुलझाने के लिए ये सरकारें नवाचार तथा तकनीक का प्रयोग किस प्रकार कर रही हैं.
  • वास्तव में यह सम्मलेन ज्ञान विनिमय का केंद्र है जहाँ शासन, भविष्यवाद, प्रौद्योगिकी और नवाचार का संगम होता है.
  • एक ओर यह नेतृत्व का मंच है तो दूसरी ओर यहाँ नीति निर्माता, विशेषज्ञ तथा मानव विकास के पुरोधा जमा होते हैं.
  • इस सम्मेलन को हम भविष्य का द्वार भी कह सकते हैं क्योंकि यह भविष्य की रुझानों तथा मानवमात्र के समक्ष उपस्थित समस्याओं और अवसरों के विश्लेषण का मंच है.
  • इस मंच पर भविष्य की चुनौतियों को सुलझाने से सम्बंधित नवाचारों और उत्कृष्ट प्रथाओं को जगत के समक्ष प्रदर्शित किया जाता है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Bill to amend Cinematograph Act scheme

हाल ही में भारत सरकार ने सिनेमेटोग्राफ अधिनियम में संशोधन के लिए राज्यसभा में एक विधेयक प्रस्तुत किया है जिसके अन्दर फिल्मों की चोर-बाजारी (piracy) की समस्या से लड़ने के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया जा रहा है.

सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2019

  • इस विधेयक में सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 में कुछ ऐसे संशोधन प्रावधान डाले गये हैं जिनमें अनधिकृत रूप से फिल्मों की प्रतिलिपि तैयार करने पर अथवा कैमरे से रिकॉर्ड करने पर दंड की व्यवस्था की गई है.
  • संशोधन विधेयक का मुख्य लक्ष्य फिल्मों की चोर बाजारी को रोकना है. ऐसा देखा जाता है कि किसी फिल्म के सिनेमाघर में पहुँचने के पहले उसका चोर-बाजारी वाला संस्करण इन्टरनेट पर डाल दिया जाता है जिस कारण फिल्म उद्योग को बड़ा घाटा तो होता ही है, सरकार को भी अर्थ की हानि होती है.
  • विधयेक में फिल्मों की चोर-बाजारी के लिए 3 वर्ष तक के कारावास और 10 लाख रु. के जुर्माने तक के अर्थदंड का प्रावधान है.
  • प्रस्तावित संशोधन कहता है कि वह हर व्यक्ति दंड का अधिकारी होगा जो स्वत्त्वाधिकारी की लिखित स्वीकृति के बिना किसी फिल्म की प्रतिलिपि तैयार करता है अथवा उसको प्रसारित करता है अथवा ऐसी प्रतिलिपि के प्रचार-प्रसार के लिए सहायता देता है.

संशोधनों की महत्ता

फिल्म उद्योग बहुत लम्बे समय से सरकार से माँग करता रहा है कि फिल्मों को कैमरे से रिकॉर्ड करने और उसे प्रसारित करने को रोकने के लिए कानून में बदलाव लाए. प्रस्तावित संशोधन इसी संदर्भ में पेश किया गया है. इससे फिल्म उद्योग की आय में वृद्धि होगी, रोजगार बढ़ेंगे और राष्ट्र की बौद्धिक सम्पत्ति नीति के लक्ष्यों को पूरा करने में सफलता मिलेगी.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Dam Rehabilitation and Improvement Project (DRIP)

संदर्भ

भारत सरकार, ओडिशा सरकार और विश्व बैंक की संयुक्त पहल के रूप में पांचवां अंतर्राष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन भुवनेश्वर में 13-14 फरवरी को आयोजित किया जा रहा है. संस्थागत मजबूती के तौर पर विश्व बैंक की सहायता से बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP) चलाई जा रही है.

DRIP क्या है?

DRIP एक छह वर्षीय परियोजना है जिसे भारत सरकार का जल संसाधन मंत्रालय विश्व बैंक के सहयोग से कार्यान्वित कर रहा है. इस परियोजना का समन्वयन और पर्यवेक्षण केन्द्रीय जल आयोग के केन्द्रीय बाँध सुरक्षा संगठन के द्वारा हो रहा है. इसके लिए वह संगठन एक परामर्शी प्रतिष्ठान की सहायता ले रहा है.

लक्ष्य

  • DRIP का फुल फॉर्म है – Dam Rehabilitation and Improvement Project.
  • DRIP को भारत में विश्व बैंक की सहायता से जल संसाधन मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था.
  • शुरू में यह परियोजना केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के 223 बाँधों के लिए थी, परन्तु बाद में इसमें कर्नाटक, उत्तराखंड और झारखंड भी शामिल कर लिए गए जिससे बाँधों की योग संख्या 250 हो गयी.
  • ड्रिप के मुख्य उद्देश्य हैं – चुनिन्दा बांधों की सुरक्षा और सक्षमता में सुधार, भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा से सम्बंधित संस्थागत निर्माण को मजबूत बनाना.
  • सात ड्रिप राज्य हैं– झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड.

भारत में बाँध की स्थिति

  • बड़े बांधों की संख्या के अनुसार चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है.
  • भारत में बड़े बांधों की संख्या 5264 है, जबकि 437 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं. इन बांधों द्वारा जल की कुल भंडारण क्षमता लगभग 283 बिलियन घन मीटर है.
  • हमारे लगभग 80 प्रतिशत बड़े बांध 25 वर्षों से अधिक पुराने हैं. लगभग 209 बांध 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. इन बांधों का निर्माण ऐसे दौर में किया गया था जब डिजाइन और सुरक्षा संबंधी मानकों का स्तर वर्तमान युग की तुलना में काफी नीचे था.

कृषि, ग्रामीण, शहरी क्षेत्र में जल सुरक्षा और सतत विकास के साथ-साथ औद्योगिक विकास के क्षेत्र में इन बांधों की महत्वपूर्ण भूमिका है. स्वतंत्रता के समय से लेकर भारत सरकार के लिए ये प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल रहे हैं.  पिछले 70 वर्षों से अधिक समय में भारत ने इस महत्त्वपूर्ण सुविधा पर काफी धनराशि लगाई है. खाद्य, ऊर्जा और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सूखे तथा बाढ़ में कमी लाने के क्रम में, जलाशयों के सीमित जल के भंडारण और प्रबंधन के लिए यह आवश्यक भी है.


GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahaabhiyan or KUSUM scheme

संदर्भ

भारत सरकार एक योजना बनाने जा रही है जिसका नाम कुसम अर्थात् किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान है. इस योजना के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है किसानों के बीच सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना.

कुसुम योजना क्या है?

  • कुसुम योजना का निर्माण विकेन्द्रित सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर 28,250 MW तक ले जाना जिससे किसानों को लाभ मिल सके. इस योजना में अनुमानतः 4 लाख करोड़ रु. का व्यय होगा.
  • KUSUM योजना के अनुसार बंजर भूमियों पर स्थापित सौर उर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली में से surplus अंश को किसान ग्रिडों को आपूर्ति कर सकेंगे जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी मिलेगा.
  • इसके लिए, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को किसानों से पाँच वर्षों तक बिजली खरीदने के लिए 50 पैसे प्रति इकाई की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.
  • सरकार किसानों कोखेतों के लिए 5 लाख ऑफ़-ग्रिड (ग्रिड रहित) सौर पम्प खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी. केंद्र और राज्य प्रत्येक सौर पम्प पर 30% सब्सिडी प्रदान करेंगे. अन्य 30% ऋण के माध्यम से प्राप्त होगा, जबकि 10% लागत किसान द्वारा वहन की जायेगी.
  • इस योजना का एक अवयव बंजर भूमि पर 10,000 MW सौर संयंत्र लगाना है.
  • 7,250 MW क्षमता केग्रिड से सम्बद्ध (ग्रिड-कनेक्टेड) खेतों के पम्पों का सौरकरण (Solarisation) किया जाएगा.
  • सरकारी विभागों के ग्रिड से सम्बद्ध जल पम्पों का सौरकरण किया जाएगा.

अपेक्षित लाभ

  • यहकृषि क्षेत्र को डीजल-रहित बनाने में सहायता करेगा. यह क्षेत्रक लगभग 10 लाख डीजल चालित पम्पों का उपयोग करता है.
  • यह कृषि क्षेत्र मेंसब्सिडी का बोझ कम कर DISCOMs की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में सहायता करेगी.
  • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादनको प्रोत्साहन.
  • ऑफ-ग्रिड और ग्रिड कनेक्टेड, दोनों प्रकार के सौर जल पम्पों द्वारा सुनिश्चित जल स्रोतों के प्रावधान के माध्यम से किसानों को जल-सुरक्षा.
  • नवीकरणीय खरीद दायित्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राज्यों का समर्थन करना.
  • छतों के ऊपर और बड़े पार्कों के बीच इंटरमीडिइट रेंज में सौर ऊर्जा उत्पादन की रीक्तियों को भरना.
  • ऑफ-ग्रिड व्यवस्था के माध्यम से पारेषण क्षति (transmission loss) को कम करना.

Prelims Vishesh

Minority Status of Aligarh Muslim University :-

  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए 1981 में अधिनियम में संशोधन किया गया था. परन्तु कालांतर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की कार्रवाई को असंवैधानिक बता दिया था.
  • बाद में यह मामला सर्वोच्च न्यायालय गया. इसी संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में यह व्यवस्था दी है कि इस विषय में एक सात न्यायाधीशों की बेंच में विचार किया जाएगा.
  • ज्ञातव्य है कि यदि कोई शैक्षणिक संस्थान अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त कर लेता है तो संविधान की धारा 30 (1) के अंतर्गत उसे कई विशेषाधिकार प्राप्त हो जाते हैं.

1st Aqua Mega Food Park in Andhra Pradesh :-

  • हाल ही में सरकार ने आंध्र प्रदेश में पहला एक्वा मेगा फूड पार्क को चालू कर दिया है.
  • यह पार्क पश्चिम गोदावरी जिले के भीमावरम मंडल में स्थित तुनडुर्रू गाँव में संचालित होगा.
  • विदित हो कि यह फूड पार्क केवल मछली और समुद्री उत्पादों के लिए है.

Swacch Shakti – 2019 :-

  • हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्वच्छ शक्ति-2019 के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया.
  • इस सम्मेलन में महिला सरपंचों तथा स्वच्छता अभियान में सम्मिलित देश भर की महिलाओं ने हिस्सा लिया.
  • सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के उदेश्य से अक्टूबर 2014 में इस मिशन का अनावरण किया गया था.
  • मिशन का लक्ष्य स्वच्छ भारत की प्राप्ति करना तथा महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर उचित श्रद्धांजलि देने रूप में 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है.

Mohar reservoir project :-

  • छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग ने बालोद जिले में मोहर जलाशय परियोजना का काम शुरू कर दिया परन्तु इसके लिए न भूमि का अधिग्रहण किया और न ही पर्यावरण एवं वन की अनुमति ही ली, ऐसा CAG ने अपने एक रिपोर्ट में प्रतिवेदित किया है.

Crying Keelback :

हाल ही में अनुसंधानकर्ताओं ने रोने वाले अरुणाचली कीलबैक सांप देखा है जिसका जीव वैज्ञानिक नाम Hebius lacrima है और जो अपनी आँखों के नीचे बने चिन्ह के कारण रोता हुआ दिखाई पड़ता है.


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