Sansar Daily Current Affairs, 13 February 2020
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian constitution and historical underpinnings.
Topic : Reservation in promotion in public posts not a fundamental right: SC
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनों यह व्यवस्था दी कि नियुक्तियों और प्रोन्नतियों में आरक्षण देने के लिए राज्य बाध्य नहीं हैं क्योंकि प्रोन्नति में आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं होता.
न्यायालय ने क्या कहा?
- सरकारी पदों में प्रोन्नति के लिए आरक्षण का दावा मौलिक अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता.
- संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A) व्यक्तियों को प्रोन्नति में आरक्षण का मौलिक अधिकार नहीं देते. ये राज्य को इसके लिए अधिकृत करते हैं कि वे नियुक्ति और प्रोन्नति में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण तभी दे सकते हैं जब उनको ऐसा लगे कि राज्य की नौकरियों में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है.
- राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं और यह उनके विवेक पर निर्भर है.
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में टिप्पणी की कि न्यायालयों को भी यह अधिकार नहीं है कि वे राज्य सरकारों को आरक्षण देने के लिए निर्देश दें.
आरक्षण का संवैधानिक आधार – अनुच्छेद 335
संविधान का अनुच्छेद 335 यह मान्य करता है कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को समान स्तर पर लाने के लिए विशेष उपाय किये जा सकते हैं.
इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघ एवं एम. नागराज मामला
- 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहिनी बनाम भारतीय संघ में एक महत्त्वपूर्ण न्याय-निर्णय दिया था. इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत आरक्षण मात्र सरकारी नौकरी में घुसने के समय दिया जा सकता है न कि प्रोन्नति में.
- इसमें यह भी कहा गया था कि जो प्रोन्नतियाँ पहले ही हो चुकी हैं, वे ज्यों की त्यों रहेंगी और इस न्याय-निर्णय के बाद पाँच वर्षों तक मान्य रहेंगी. यह भी व्यवस्था दी गई कि इन प्रोन्नतियों में क्रीमी लेयर को बाहर रखना अनिवार्य है.
- परन्तु संसद ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए जून 17, 1995 में अनुच्छेद 16 में 77वें संशोधन के माध्यम से उपवाक्य (4A) जोड़ दिया जिससे प्रोन्नति में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण मिल गया.
- संसद के इस कार्य के विरुद्ध कई लोग सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे. इस विषय में वहाँ जो मामला चला उसे नागराज मामला (Nagaraj case) कहा जाता है.
- सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान में किये गये उपर्युक्त संशोधन को वैध ठहराया, परन्तु साथ ही यह भी निर्देश दिया कि प्रोन्नति में आरक्षण करने के पहले इन आँकड़ों को अवश्य जमा करने चाहिएँ – पिछड़ापन, सरकारी नौकरी में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और साथ ही यह भी देख लेना होगा कि कहीं इस आरक्षण से कहीं सरकारी सेवा की कार्यकुशलता पर बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and their working.
Topic : Disha law
संदर्भ
दिशा विधेयक पर राष्ट्रपति का अनुमोदन होने वाला है यह देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार इसके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कार्रवाइयाँ करने जा रही है, जैसे – फोरेंसिक प्रयोगशालाएँ बनाना, विशेष न्यायालयों का गठन करना और लोक अभियोजकों की नियुक्ति करना.
पृष्ठभूमि
हैदराबाद में नवम्बर 27 को बलात्कार की शिकार हुई और मार दी गई पशु चिकित्सा दिशा के नाम पर इस विधेयक को दिशा विधेयक, 2019 भी कहा जा रहा है.
दिशा विधेयक के मुख्य तत्त्व
- अभी बलात्कार के मामलों के निपटारे के लिए निर्धारित समय-सीमा 4 महीने है. यह विधेयक उस सीमा को घटाकर 21 दिन करता है. साथ ही इसमें प्रावधान है कि यदि पर्याप्त निर्णायक साक्ष्य हैं तो जाँच-पड़ताल का काम एक सप्ताह में और मुकदमा 14 कार्यदिवसों में अवश्य पूरा कर लिया जाए.
- विधेयक में बच्चों के प्रति यौन अपराध के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है.
- विधेयक के अनुसार भारतीय दंड संहिता 354E अनुभाग जोड़कर यह व्यवस्था की जायेगी कि यदि कोई स्त्रियों को सोशल अथवा डिजिटल मीडिया के द्वारा परेशान करता है तो उसे पहले अपराध पर 2 वर्ष का कारावास तथा अगले इस प्रकार के अपराधों के लिए 4-4 वर्षों का कारावास दिया जाएगा.
- दिशा विधेयक के अनुसार आंध्र प्रदेश सरकार स्त्रियों और बच्चों के प्रति अपराध करने वालों की एक पंजी इलेक्ट्रॉनिक रूप में बनाएगी और उसे सार्वजनिक करते हुए विधि प्रवर्तन (law enforcement) एजेंसियों को उपलब्ध करवा देगी.
- तीव्र मुकदमे के लिए सरकार प्रत्येक जिले में ऐसे विशेष न्यायालय गठित करेगी जो स्त्रियों और बच्चों के प्रति अपराध जैसे बलात्कार, तेज़ाब फेकना, पीछा करना, घूर के देखना, सोशल मीडिया के माध्यम से परेशान करना और POCSO अधिनियम में आने वाले सभी मामलों को देखेंगे.
- इसी प्रकार प्रत्येक जिले में DSP की अध्यक्षता में जिला विशेष पुलिस दल गठित होंगे जो स्त्रियों और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की जाँच करेंगे.
- प्रत्येक विशेष न्यायालय के लिए एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करेगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Vigilance wing for Health in Kerala
संदर्भ
केरल सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में एक निगरानी शाखा (Vigilance Wing) गठित करने का प्रस्ताव किया है जो डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर नज़र रखेगी और झोलाछाप डॉक्टरों की धर-पकड़ करेगी.
निगरानी शाखा (Vigilance Wing) की बनावट और कार्य
- निगरानी शाखा का प्रमुख एक उप-पुलिस अधीक्षक (Deputy Superintendent of Police) होगा.
- यह शाखा चिकित्सा शिक्षा सेवा के डॉक्टरों के द्वारा निजी प्रैक्टिस करने का पता लगाएगी, झोलाछाप डॉक्टरों की धर-पकड़ करेगी तथा सरकारी डॉक्टरों और निजी निदान क्लिनिकों, फार्मेसियों एवं स्वास्थ्यकार्य प्रतिष्ठानों के बीच वित्तीय साठ-गाँठ का भंडाफोड़ करेगी.
- यह स्वास्थ्य कार्य से सम्बंधित विज्ञापनों पर भी नज़र रखेगी तथा स्वास्थ्यकार्य कम्पनियों के द्वारा किये गये गलत दावों का पर्दाफाश करेगी. विदित हो कि कई कम्पनियाँ बिना डॉक्टर की अनुशंसा वाली अंग्रेजी और आयुर्वेदिक दवाओं का विज्ञापन करते हुए यह दावा करती हैं कि ये अनेक रोगों को ठीक कर सकती हैं.
- कुछ स्वयंभू चिकित्सक सोशल मीडिया का लाभ उठाकर सरकारी टीका कार्यक्रमों के प्रति संदेह उत्पन्न करते हैं और इस प्रकार कोरोना वायरस जैसी महामारियों से लड़ने की सरकारी चेष्टा को बाधित करते हैं. निगरानी शाखा ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध मुकदमा चलाएगी.
आवश्कयता
शिकायतें मिल रही थीं कि निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध का डॉक्टर उल्लंघन कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त कुछ अविशेषज्ञ व्यक्ति डॉक्टरी का काम चुपचाप कर रहे हैं जिसके चलते कई लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो रहे हैं. इसलिए इन सब पर रोक लगाने के लिए एक निगरानी तंत्र होना आवश्यक हो गया था. परन्तु कई डॉक्टर ऐसा समझते हैं कि निगरानी शाखा का हस्तक्षेप होने से उनके काम में अनावश्यक बाधा उपस्थित होगी.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology.
Topic : Muktoshri- arsenic-resistant rice
संदर्भ
पश्चिम बंगाल में मुक्तोश्री नामक चावल की एक नई किस्म तैयार की गई है जो आर्सेनिक मिट्टी में भी उपजाई जा सकती है. इस किस्म का विकास संयुक्त रूप से पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के अन्दर आने वाले चिन्सुरा स्थित चावल अनुसंधान केंद्र तथा लखनऊ के राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान के द्वारा किया गया है.
पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल के भूमि जल में आर्सेनिक का बहुत भारी जमाव है. राज्य के सात जिलों में ऐसे 83 प्रखंड हैं जहाँ आर्सेनिक का स्तर स्वीकृत सीमा से ऊपर है.
आर्सेनिक से सम्बंधित कुछ तथ्य
आर्सेनिक वह रसायन है जो बहुत ही विषाक्त होता है. यह कई देशों में प्राकृतिक रूप से भूमि जल में बहुत मात्रा में पाया जाता है. यह चट्टानों और मिट्टी में भी पाया जाता है.
आर्सेनिक की मात्रा कितनी हो इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ दिशानिर्देश बना रखे हैं. इनके अनुसार पीने के पानी में आर्सेनिक 0.01 mg/l (10 μg/l) होना चाहिए. वहीँ भारत में आर्सेनिक की स्वीकृत सीमा 0.05 mg/l (50 μg/l) है.
जैविक और अ-जैविक आर्सेनिक में अंतर
- यदि किसी आर्सेनिक यौगिक में कार्बन होता है तो वह जैविक आर्सेनिक कहलाता है. दूसरी ओर यदि उसमें कार्बन नहीं होता है तो वह अ-जैविक आर्सेनिक यौगिक कहलाता है.
- विदित हो कि अ-जैविक आर्सेनिक से मनुष्य को कैंसर होने का तथा अन्य स्वास्थ्यगत दुष्प्रभाव होने का खतरा रहता है.
आर्सेनिक के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > भूजल में आर्सेनिक
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Protected Special Agricultural Zone (PSAZ)
संदर्भ
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कावेरी डेल्टा को सुरक्षित विशेष कृषि जोन (Protected Special Agricultural Zone – PSAZ) घोषित कर दिया है. इसके लिए शीघ्र ही एक कानून बनाया जाएगा.
सुरक्षित विशेष कृषि जोन (Protected Special Agricultural Zone – PSAZ) में तंजावुर, तिरुवरुर और नागपट्टनम जिले तथा त्रिची, अरियालुर, कुड्डलौर और पुडुकोट्टइ के डेल्टाई क्षेत्र होंगे.
सुरक्षित विशेष कृषि जोन के उद्देश्य
सुरक्षित विशेष कृषि जोन (PSAZ) का उद्देश्य भविष्य के लिए कावेरी डेल्टा क्षेत्र को सुरक्षित रखना है. ऐसा करने से तमिलनाडु की भोजन विषयक आवश्यकताएँ पूरी होंगी और साथ ही डेल्टा क्षेत्र के किसानों का कल्याण भी होगा. इस क्षेत्र के किसान पेट्रोल की खुदाई से चिंतित हैं. सुरक्षित विशेष कृषि जोन उनकी इस चिंता को दूर करेगा और खाद्य सुरक्षा को महत्त्व देगा.
ज्ञातव्य है कि कावेरी डेल्टा की 28 लाख एकड़ भूमि में 33 लाख टन अनाज उपजता है. यहाँ पिछले दस वर्षों से मीथेन, हाइड्रो कार्बन, तेल और प्राकृतिक गैस की परियोजनाएँ लगाई जा रही हैं जिनके कारण उर्वर भूमि का अधिग्रहण हो रहा है और जहाँ-तहाँ तेल के कुएँ खोदे जा रहे हैं. ऐसा होने से भूमि जल का प्रदूषण होने की आशंका है. इसलिए इस क्षेत्र को सुरक्षित करना आवश्यक था.
आगे की चुनौतियाँ
- सुरक्षित विशेष कृषि जोन (PSAZ) लागू करने के लिए एक कानून पारित करना होगा.
- 2017 में तमिलनाडु सरकार ने कुड्डलौर और नागपट्टनम जिलों में 23,000 हेक्टेयर के क्षेत्र में बसे 45 गाँवों को पेट्रोलियम, रासायनिक एवं पेट्रोल रासायनिक निवेश क्षेत्र घोषित कर रखा है और इस क्षेत्र में 90,000 करोड़ रु. का निवेश होना है. PSAZ बन जान से इस योजना का क्या होगा यह विचारणीय है.
- सुरक्षित विशेष कृषि जोन (PSAZ) लागू करने के समय सरकार पर केंद्र का दबाव तो आएगा ही साथ ही यहाँ जो कम्पनियाँ पैसा लगा चुकी हैं वे मुकदमें ठोकेंगी.
- सुरक्षित विशेष कृषि जोन (PSAZ) की घोषणा से राज्य के निवेश का वातावरण प्रभावित होगा अर्थात् भविष्य के निवेशक इस राज्य में आने से कतरायेंगे.
Prelims Vishesh
Exercise AJEYA WARRIOR – 2020 :–
- भारत और यूनाइटेड किंगडम के द्वारा संयुक्त रूप से होने वाले सैन्य अभ्यास – अजेय वारियर – का पाँचवाँ आयोजन इस वर्ष फ़रवरी, 2020 में यूनाइटेड किंगडम के सेलिसबरी समतल भूमि पर होगा.
- इस सैन्य अभ्यास में शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में आंतक विरोधी ऑपरेशन पर विशेष बल दिया जाएगा. स्मरणीय है कि ऐसा पहला संयुक्त अभ्यास 2013 में भारत के बेलगाम में हुआ था.
World Pulses Day :–
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने वैश्विक खाद्य के रूप में दालों के महत्त्व को मान्यता देने के लिए वर्ष 2019 से फ़रवरी 10 को विश्व दाल दिवस मनाने की घोषित की थी. इस वर्ष भी यह दिवस इसी तिथि को मनाया गया.
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