Sansar Daily Current Affairs, 13 January 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography.
Topic : Java Sea
संदर्भ
हाल ही में इंडोनेशिया की श्रीविजया एयरलाइन का एक विमान बोइंग 737-500 जावा सागर के पास के दुर्घटना ग्रस्त हो गया था. इंडोनेशिया की नौसेना ने इस विमान के ब्लैक बॉक्स को जावा सागर से खोज निकाला है और मृतकों की पहचान के साथ दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है.
जावा सागर
- जावा सागर पूर्वी एशियाई देश इंडोनेशिया के जावा द्वीप के ठीक उत्तर में स्थित एक सागर है.
- इसके उत्तर में दक्षिण चीन सागर और पूर्व में फ्लोरस सागर स्थित है.
- कम औसत गहराई वाले इस सागर का का क्षेत्रफल लगभग 3.2 लाख वर्ग किलोमीटर है.
- मत्स्य आखेट जावा सागर में होने वाली प्रमुख आर्थिक गतिविधि है. क्षेत्र में समुद्री जीवों की 3,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. करीमुंजवा राष्ट्रीय उद्यान जावा सागर के क्षेत्र में ही स्थित हैं.
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
किसी भी वाणिज्यिक अथवा निगम के विमान में एक कॉकपिट शब्द रिकॉर्डर और एक उड़ान डाटा रिकॉर्डर अनिवार्य रूप से होता है. इन दोनों को ही बोलचाल की भाषा में ब्लैक बॉक्स कहा जाता है. जब विमान हवा में होता है उस समय इन बोक्सों का कोई काम नहीं होता, परन्तु जब दुर्घटना हो जाती है तो इनसे पता चलता है कि दुर्घटना के ठीक पहले विमान में क्या-कुछ घटा. यदि विमान समुद्र के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त होता है तो ये ब्लैकबॉक्स पानी के अन्दर चले जाते हैं, उस दशा में पानी के अंदर काम करने वाली एक मशाल (Underwater Locator Beacon – ULB) से उनकी खोज की जाती है. ब्लैक बॉक्स पानी के अन्दर 14,000 फुट गहराई सभी संदेश भेज सकते हैं. यहाँ पर यह बता देना अप्रासंगिक नहीं होगा कि ब्लैक बॉक्स काले रंग का नहीं होता है अपितु इसका रंग चमकीला नारंगी होता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : Natural Capital Accounting and Valuation of the Ecosystem Services: NCAVES
संदर्भ
प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन (Natural Capital Accounting and Valuation of the Ecosystem Services: NCAVES) इंडिया फोरम 2021 का आयोजन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन (MoSPI) मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है.
NCAVES परियोजना द्वारा ब्राजील, चीन, भारत, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका में पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन के सिद्धांत एवं व्यवहार को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
इंडिया फोरम 2021
यह यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित है और इसे संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (UNSD), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) तथा जैविक विविधता सम्मेलन (CBD) द्वारा संयुक्त रूप से लागू किया गया है.
इस परियोजना में भागीदारी से सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को ‘पर्यावरणीय आर्थिक लेखा प्रणाली’ (SEEA) फ्रेमवर्क के अनुरूप पर्यावरणीय खातों के संकलन को आरंभ करने और वर्ष 2018 से वार्षिक आधार पर अपने प्रकाशन “एनवीस्टैट्स इंडिया” में पर्यावरणीय लेखाओं को जारी करने में सहायता प्राप्त हुई है.
प्राकृतिक पूंजी लेखांकन
- प्राकृतिक पूंजी लेखांकन (एनसीए) एक ऐसी पद्धति है जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से जुड़ी आय और लागत को समायोजित करने के लिए किया जाता है. यह पद्धति वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित की गई एक रूपरेखा पर आधारित है और जिसे ‘पर्यावरणीय आर्थिक लेखा प्रणाली (SEEA)’ कहा जाता है.
- प्राकृतिक पूंजी में वे सभी संसाधन शामिल हैं, जिनकी सरलता से पहचान और मापन किया जा सकता है. उदाहरण के लिए: खनिज, ऊर्जा, काष्ठ, कृषि भूमि आदि और “अदृश्य” संसाधन, जैसे वायु एवं जल निस्यंदन, बाढ़ सुरक्षा, कार्बन भंडारण आदि.
- प्राकृतिक पूंजी को राष्ट्रीय लेखाओं में शामिल करने से पर्यावरण के साथ आर्थिक गतिविधियों की अंतक्रिया का पता चलता है और इससे बेहतर आर्थिक निर्णयों को समर्थन प्राप्त होता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian diaspora.
Topic : Pravasi Bharatiya Divas
संदर्भ
वर्तमान कोविड महामारी के बाद भी 9 जनवरी 2021 को देश में 16वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.
9 जनवरी ही क्यों?
प्रवासी भारतीय दिवस को मनाने के लिए 9 जनवरी को इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1915 में महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत पहुँचे थे और भारत के स्वातंत्र्य संघर्ष का नेतृत्व किया था.
इस समारोह का महत्त्व
प्रवासी भारतीय दिवस 2003 से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कई सम्मेलन होते हैं जहाँ विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग भारत की सरकार और अपने पूर्वजों की भूमि के लोगों से मिलते-जुलते हैं और पारस्परिक लाभ वाली गतिविधियाँ चलाते हैं.
इन सम्मेलनों से विभिन्न देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय एक-दूसरे को जानते समझते हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में किये गये अपने अनुभवों को आपस में बाँटते हैं.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : New Industrial Development Scheme for Jammu & Kashmir
संदर्भ
हाल ही में, भारत सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए जम्मू-कश्मीर हेतु नई औद्योगिक विकास योजना (New Industrial Development Scheme for Jammu & Kashmir– J&K IDS, 2021) तैयार की गयी है.
योजना के बारे में
जम्मू-कश्मीर हेतु नई औद्योगिक विकास योजना (J&K IDS, 2021) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है.
इस योजना का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास को ले जाना है और यह भारत सरकार द्वारा पहली बार ब्लॉक स्तर पर शुरू की गई औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है.
- प्रस्तावित योजना का वित्तीय परिव्यय योजना अवधि 2020-21 से 2036-37 के लिए 28,400 करोड़ रुपये है.
- इस योजना में नए निवेश को आकर्षित करने तथा जम्मू-कश्मीर में मौजूदा उद्योगों के विकास हेतु 5 सालों के लिए 5% की दर से कार्यशील पूंजी की सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है.
लक्ष्य
इस योजना का लक्ष्य केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ब्लॉक स्तर तक औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना है. यह भारत सरकार की पहली औद्योगिक प्रोत्साहन योजना है तथा संपूर्ण केंद्रशासित प्रदेश में स्थायी तथा संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी.
लाभार्थी
योजना छोटी और बड़ी दोनों तरह की इकाइयों के लिये आकर्षक बनाई गई है.
परिव्यय
वर्ष 2020-21 से वर्ष 2036-37 की अवधि (कुल 17 वर्ष) के लिये प्रस्तावित योजना का कुल परिव्यय 28,400 करोड़ रुपए है. अभी तक विभिन्न स्पेशल पैकेज योजनाओं के अंतर्गत 1,123.84 करोड़ रुपए दिये जा चुके हैं.
योजना के क्रियान्वयन में जम्मू-कश्मीर की भूमिका
योजना हेतु पंजीकरण और क्रियान्वयन के लिये केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की व्यापक भूमिका निर्धारित की गई है. इसके तहत दावे स्वीकृत करने से पूर्व स्वतंत्र ऑडिट एजेंसी द्वारा उचित नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था की जाएगी.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian economy – growth and development
Topic : Banks’ gross NPAs may rise to 13.5% by Sept: Financial stability report
संदर्भ
हाल ही में रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के 22वें अंक को प्रकाशित किया है. इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता के जोखिमों से संबंधित वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन और वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित समसामयिक मुद्दों के संदर्भ में वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को दर्शाया गया है.
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
- वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) भारतीय रिज़र्व बैंक का एक अर्द्धवार्षिक प्रकाशन है जो भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत करती है.
- साथ ही यह वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करती है.
22वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- COVID-19 महामारी के प्रारंभिक चरण में, सामान्य कामकाज को बहाल करने और तनाव को कम करने को ध्यान में रखते हुए नीतिगत कार्रवाईयों को तैयार किया गया था; अब बहाली के समर्थन और कारोबारों तथा परिवारों के दिवालियापन को संरक्षित करने की दिशा में ध्यान को उन्मुख किया जा रहा है.
- वैक्सीन के विकास पर सकारात्मक खबर ने संभावनाओं पर आशावाद को दृढ किया है, हालांकि इसे अधिक संक्रामक उपभेदों सहित वायरस की दूसरी तरंगों ने आघात पहुंचाया है.
- बैंकों के कार्यनिष्पादन मापदंडों में काफी सुधार हुआ है, जो कि COVID-19 महामारी की प्रतिक्रिया में उपलब्ध कराए गए विनियामक व्यवस्था से समर्थित है.
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2020 में 14.7 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में 15.8 प्रतिशत हो गया, जबकि उनकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 8.4 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया और प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) 66.2 प्रतिशत से बढ़कर 72.4 प्रतिशत हो गया.
- 7 जनवरी 2021 को जारी 2020-21 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रथम अग्रिम अनुमानों को शामिल करने वाले समष्टि तनाव परीक्षणों से संकेत मिलता है कि बेसलाइन परिदृश्य के तहत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जीएनपीए अनुपात सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 13.5 प्रतिशत हो सकता है और एक गंभीर तनाव परिदृश्य के तहत यह अनुपात 14.8 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. यह संपत्ति की गुणवत्ता में संभावित गिरावट का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी के अग्रसक्रिय निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है.
- नेटवर्क विश्लेषण से पता चलता है कि सितंबर 2020 को समाप्त हुई तिमाही में वित्तीय प्रणाली में संस्थाओं के बीच कुल द्विपक्षीय एक्सपोजर में मामूली वृद्धि हुई है. अंतर-बैंक बाजार के सिकुड़ने और बैंकों के बेहतर पूंजीकरण के साथ, विभिन्न परिदृश्यों के तहत मार्च 2020 की तुलना में बैंकिंग प्रणाली के लिए छद्म जोखिम में गिरावट आई है.
Financial Stability and Development Council (FSDC) :-
- वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् का गठन दिसम्बर, 2010 में हुआ था.
- इसका उद्देश्य है – वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के तन्त्र को सुदृढ़ करना एवं उसे संस्थागत बनाना.
- विभिन्न नियामक संस्थाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देना तथा वित्तीय प्रक्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करना.
- इस परिषद् के अध्यक्ष केन्द्रीय वित्त मंत्री होते हैं.
Prelims Vishesh
Vanadium :-
- अरुणाचल प्रदेश में पापुम पारे जिले के डेपो और तमांग क्षेत्रों में पैलियो-प्रोटरोज़ोइक कार्बोसाइट फ़ाइलाइट चट्टानों में वनेडियम की उच्च मात्रा पायी गयी है. यह भारत में वैनेडियम के प्राथमिक निक्षेप संबंधी पहली रिपोर्ट है.
- वनेडियम एक रासायनिक तत्त्व है. यह एक सख़्त, श्वेत-चाँदी रंग की, तन्य व आघातवर्धक धातु है.
- प्रकृति में वनेडियम केवल अन्य तत्वों के साथ बने यौगिकों के रूप में ही मिलता है लेकिन, अगर इसे शुद्ध किया जाए तो इसके ऊपर एक पतली ओक्साइड की परत बन जाती है जिस से अंदर की धातु सुरक्षित रहती है.
- विश्व का 97% वनेडियम तीन देशों – चीन, रूस और दक्षिण अफ़्रीका – में खनिजों से निकाला जाता है.
What is Merchant Discount Rate? :-
- हाल ही में डिजिटल भुगतान फर्मों द्वारा यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और रुपे (RuPay) नेटवर्क पर होने वाले लेनदेनों पर MDR की प्रतिपूर्ति की माँग रखी गई है.
- Merchant Discount Rate वह शुल्क है, जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर आपसे लेता है. दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सुविधा पर लगने वाला शुल्क है.
- Merchant Discount Rate से प्राप्त राशि दुकानदार को नहीं मिलती है. कार्ड से होने वाले प्रत्येक भुगतान की एक खाश राशि को दुकानदार MDR के रूप में चुकानी पड़ती है.
- अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें > Merchant Discount Rate in Hindi
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