Sansar Daily Current Affairs, 13 July 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Mahila Kisan Sashaktikaran Pariyojana
संदर्भ
भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय केवल महिला किसानों के लिए एक कार्यक्रम चलाने की योजना बना रहा है जिसका नाम महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना होगा. यह परियोजना राष्ट्रीय कृषक नीति (NPF) (2007) के प्रावधानों के अनुरूप संचालित होगी.
इस योजना में भारत सरकार राज्यों को 60% धनराशि मुहैया कराएगी. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह अनुपात 90% होगा.
परियोजना के विषय में मुख्य तथ्य
- महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना (MKSP) दीनदयाल अन्त्योदय योजना – NRLM (DAY-NRLM) का एक उपांग है जिसका उद्देश्य कृषि में महिलाओं की वर्तमान स्थिति में सुधार लाना तथा उनको नए-बनाये अवसर देकर सशक्त बनाना है.
- MKSP परियोजना महिलाओं को किसान मानते हुए कृषि तथा पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ प्रथाओं के क्षेत्र में उनकी क्षमता का संवर्धन करना चाहती है.
- यह परियोजना निर्धन से निर्धन परिवारों तक पहुँच कर महिला किसानों द्वारा वर्तमान में किये जाने वाले कृषि कार्य के दायरे को विस्तारित करने का लक्ष्य रखती है.
- MKSP का मुख्य बल इस बात पर दिया जाता है कि छोटे-छोटे किसान कृषि की ऐसी पद्धतियाँ अपनाएँ जो जलवायु के उतार-चढ़ाव का सामना कर सकें. ऐसा करने से अंतत: कुशल सामुदायिक पेशेवर तैयार हो जाएँगे.
- इस संदर्भ में जिन पद्धतियों का सहारा लिया जाएगा वे हैं– समुदाय द्वारा प्रबंधित सतत कृषि (CMSA), नॉन-पेस्टीसाइड मैनेजमेंट (NPM), शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF), घर-घर जाकर पशु की देखभाल करने के लिए पशु-सखी मॉडल, गैर-इमारती वनोत्पाद को फिर से उत्पन्न करने और काटने के टिकाऊ उपाय.
कृषि में महिलाओं को महत्त्व देने की आवश्यकता
भारत समेत अधिकांश विकासशील देशों में कृषि कार्य में ग्रामीण महिलाएँ सबसे बढ़-चढ़कर के शामिल होती हैं. ज्ञातव्य है कि गाँवों की 80% महिलाएँ अपनी आजीविका के लिए खेती से जुड़ी रहती हैं. लगभग 20% खेती का काम महिलाओं के द्वारा होता है. ऐसा इसलिए होता है कि विधवा हो जाने पर अथवा प्रत्यक्त हो जाने पर अथवा पुरुष के बाहर चले जाने के कारण खेती का काम उनको ही देखना पड़ता है. ऐसी महिलाओं को बीज, पानी, ऋण, सब्सिडी आदि पाने में सहयोग की आवश्यकता होती है. यह परियोजना इन सब पहलुओं को ध्यान में रखकर उन्हें सशक्त बनाएगी.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Foreigners Tribunals
संदर्भ
असम सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र दाखिल करते हुए कहा है कि विदेशी पंचाटों (foreigners tribunals) ने 1985 से लेकर अगस्त 2018 के बीच में 1,03,764 जनों को विदेशी घोषित किया है. यही सूचना असम सरकार ने विधान सभा को भी दी है.
विदित हो कि असम में वर्तमान में 100 विदेशी पंचाट काम कर रहे हैं और सितम्बर 1, 2019 तक ऐसे 200 अतिरिक्त पंचाट काम करने लगेंगे.
विदेशी पंचाट कैसे काम करते हैं?
विदेशी पंचाट अर्धन्यायिक निकाय (quasi-judicial bodies) होते हैं. इनका काम यह मन्तव्य देना है कि कोई व्यक्ति विदेशी अधिनियम, 1946 (Foreigners Act, 1946) के अनुसार विदेशी है अथवा नहीं.
1964 में केंद्र सरकार ने विदेशी अधिनियम, 1946 के अनुभाग 3 में वर्णित प्रावधान के अनुसार विदेशी (पंचाट) आदेश पारित किया था.
विदेशी पंचाट दो प्रकार के मामलों को देखते हैं – एक मामला वह होता है जब सीमा पुलिस पंचाट के पास प्राथना पत्र समर्पित करती है और दूसरा वे मामले जिनमें चुनाव सूची में किसी के नाम के आगे “संदिग्ध” होता है.
विदेशी पंचाट एकपक्षीय आदेश किस प्रावधान के अन्दर देता है?
विदेशी अधिनियम के अनुभाग 9 में कहा गया है कि कोई व्यक्ति विदेशी है अथवा नहीं है यह सिद्ध करने का भार उसी व्यक्ति पर होता है चाहे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में इस विषय में कोई भी प्रावधान हो अथवा नहीं हो.
इस प्रकार, आरोपित जन को भी सिद्ध करना होता है कि वह भारतीय है अथवा नहीं. ऐसी स्थिति में यदि वह व्यक्ति पंचाट के समक्ष उपस्थित नहीं होता है तो पंचाट एकपक्षीय आदेश निकाल सकता है.
क्या आरोपित व्यक्ति एकपक्षीय आदेश के विरुद्ध अपील कर सकता है?
विदेशी पंचाट द्वारा दिए गये एकपक्षीय आदेश की समीक्षा वह स्वयं कर सकता है यदि सम्बंधित व्यक्ति इस बात का पर्याप्त कारण दे कि वह अनुपस्थित क्यों हुआ था अथवा उसे मामले की कोई जानकारी नहीं थी.
यदि एकपक्षीय आदेश की समीक्षा नहीं होती है तो क्या होगा?
यदि आदेश पारित होने के पश्चात् पुलिस उस व्यक्ति का पता लगा सकती है तो उसको गिरफ्तार किया जाएगा और एक बंदी शिविर में रखा जाएगा. यदि नहीं तो वह व्यक्ति लापता विदेशी माना जाएगा.
विदेशी पंचाट के द्वारा विदेशी घोषित व्यक्तियों में से कई उच्च न्यायालय और तत्पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपील करते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : UNODC
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र औषधि एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office of Drugs and Crime – UNODC) ने पिछले दिनों 2019 से सम्बंधित हत्या विषयक वैश्विक अध्ययन प्रकाशित किया है.
मुख्य निष्कर्ष
- एशिया में विश्व की 60% जनसंख्या रहती है. यहाँ 2017 में सबसे कम हत्याएँ हुईं. यहाँ हुईं हत्याओं का अनुपात प्रति एक लाख व्यक्तियों में 3 था.
- हत्या की दर सर्वाधिक उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में थी.
- पूरे विश्व में 2017 में 4,64,000 लोग प्राणघातक हिंसा के शिकार हुए जबकि 1992 में यह संख्या 3,95,542 थी. इसी अवधि में युद्ध के कारण 89,000 लोगों के प्राण गये.
- वैश्विक हत्या दर 1992 के 2 से घटकर 2017 में 6.1 रह गई.
- संसार-भर में होने वाली htaayहत्या की घटनाओं का 23% एशिया में घटित हुआ.
- एशिया में हत्या-दर के कम होने का कारण यह हो सकता है कि यहाँ विशाल जनसंख्या वाले कई देश हैं. चीन, जापान और कोरिया ये सभी दावा करते हैं कि वहाँ एक वर्ष में एक लाख लोगों में एक से भी कम हत्या होती है. इसके अतिरिक्त ये ऐसे देश हैं जहाँ आधुनिकीकरण की नीति अपनाई गई है जिसमें शैक्षणिक उपलब्धियों पर विशेष बल दिया गया है. साथ ही यहाँ की संस्कृति दीर्घावधि योजनाओं को पुरस्कृत करने की रही है.
- सभी क्षेत्रों में हत्या का खतरा सबसे अधिक युवाओं को होता है.
- पुरुषों की तुलना में स्त्रियाँ एवं बच्चियाँ हत्या का शिकार कम होती हैं. हत्या के 10 संदिग्धों में 9 पुरुष ही निकलते हैं.
UNODC क्या है?
- यह संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यालय है जो अवैध औषधियों और अंतर्राष्ट्रीय अपराध के विरुद्ध लड़ाई में वैश्विक नेतृत्व संभाले हुए है.
- इसकी स्थापना 1997 में संयुक्त राष्ट्र औषधि नियंत्रण कार्यक्रम तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराध रोकथाम केंद्र का विलय कर की गई थी.
- UNODC का 90% खर्चा विभिन्न सरकारों द्वारा दिए गये स्वैच्छिक योगदान से चलता है.
- UNODC का काम है कि वह सदस्य देशों को उनके द्वारा अवैध औषधियों, अपराधों और आतंकवाद के विरुद्ध छेड़ी गई लड़ाई में सहायता करे.
UNODC के तीन मुख्य कार्यक्रम
- तकनीकी सहयोग की योजनाएँ चलाना जिससे अवैध दवाओं. अपराध और आतंकवाद से लड़ने की सदस्य देशों की क्षमता में वृद्धि हो.
- अनुसंधान और विश्लेषणात्मक कार्यकलाप संचालित करना जिससे कि दवाओं और आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी और समझ बढ़ सके तथा नीतिगत एवं संचालनगत निर्णयों के लिए साक्ष्य के आधार में बढ़ोतरी हो.
- इन कार्यों में देशों को सहायता करना – i) प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर करना और उनका कार्यान्वयन करना ii) दवाओं, अपराध और आतंकवाद पर कानून बनाना एवं iii) विभिन्न संधियों के अनुसार सचिवालय, प्रशासी निकाय और आनुसंगिक सेवाओं का प्रावधान करना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Environment Pollution (Prevention and Control) Authority (EPCA)
संदर्भ
दिल्ली में वायु प्रदूषण को घटाने के लिए पर्यावरण प्रदूषण (प्रतिषेध एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह दिल्ली की अत्यंत अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन अवसंरचना में हस्तक्षेप करे.
EPCA क्या है?
- राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्यावरण प्रदूषण (प्रतिषेध एवं नियंत्रण) प्राधिकरण है. यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan – GRAP) पर काम करता है.
- इसकी अधिसूचना पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 के अंतर्गत पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्गत की गई थी.
- EPCA राजधानी क्षेत्र के विषयक विभिन्न मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का सहयोग करने का काम भी करता है.
EPCA का स्वरूप
EPCA में एक अध्यक्ष और 14 सदस्य होते हैं. ये सदस्य हैं – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पर्यावरण सचिव, नई दिल्ली नगर परिषद् के अध्यक्ष, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के परिवहन आयुक्त, दिल्ली के विभिन्न नगर निगमों के आयुक्त तथा IIT दिल्ली और JNU के सदस्य.
क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना क्या है?
- जब प्रदूषण “ठीक-ठाक” और “खराब” के बीच की श्रेणी में होता है तो पराली जलाने पर रोक लगा दी जाती है.
- यदि वायुप्रदूषण “बहुत खराब” श्रेणी में पहुँच जाता है तो ये उपाय किये जाते हैं – डीजल जनरेटर बंद कराना, पार्किंग शुल्क को बढ़ाना और मेट्रो तथा बसों की पारियों में वृद्धि लाना.
- जब वायु की गुणवत्ता “भीषण” हो जाति है तो ये कदम उठाने पड़ते हैं – मशीन से सड़कों को बार-बार साफ़ करना और पानी का छिड़काव करना, शहर में ट्रकों के आने पर रोक लगाना, निर्माण के कार्यों की रोकथाम करना और स्कूल बंद कराना आदि.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : National Dairy Plan
संदर्भ
देश के 18 राज्यों में पशुपालन एवं गव्य विभाग विश्व बैंक की सहायता से राष्ट्रीय गव्य योजना – I चला रहा है जिसका उद्देश्य दुग्ध सहकारी संस्थाओं और दुग्ध उत्पादक कम्पनियों को सहायता देने के अतिरिक्त गोवश की नस्ल में सुधार करना भी है.
योजना के मुख्य तत्त्व
- राष्ट्रीय गव्य योजना – I एक केन्द्रीय योजना है.
- यह योजना 18 मुख्य दुग्ध उत्पादन राज्यों में चल रही है जिनके नाम हैं – आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़. विदित हो कि देश में होने वाले दुग्ध उत्पादन का 90% से अधिक दुग्ध इन्हीं राज्यों में होता है.
उद्देश्य
- इस योजना का उद्देश्य दुधारू पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग देना तथा इस प्रकार दूध उत्पादन में वृद्धि करते हुए दूध की तेजी से बढ़ती हुई माँग को पूरा करना है.
- गावों में दूध का उत्पादन करने वालों की संगठित दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र तक पहुँच को सुलभ बनाना है.
राष्ट्रीय गव्य योजना – I के कार्यान्वयन से जुडी हुई एजेंसियाँ इस प्रकार हैं – राज्य सहकारी गव्य संघ; जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ; उत्पादक कंपनियों जैसे सहकारी प्रतिष्ठान; राज्य पशुधन विकास बोर्ड; केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्म (CCBF), केंद्रीय जमा हुआ वीर्य उत्पादन एवं प्रशिक्षण संस्थान (CFSP & TI), क्षेत्रीय चारा उत्पादन एवं प्रदर्शन केंद्र; पंजीकृत सोसायटियाँ / न्यास (एनजीओ); धारा 25 कंपनियाँ, वैधानिक निकायों की सहायक संस्थाएं, आईसीएआर संस्थान एवं पशु चिकित्सा / डेयरी संस्थान / विश्वविद्यालय जो प्रत्येक गतिविधि के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) के द्वारा तय निर्धारित पात्रता के मानदंड को पूरा करते हैं.
पृष्ठभूमि
भारत में दुग्ध उत्पादन पिछले दो वर्षों में 6.62% की दर से बढ़ी है. 2016-17 में दूध का उत्पादन 165.40 MMT था जो 2017-18 में बढ़कर 176.35 MMT हो गया. दूध के उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में पहला स्थान है.
2017-18 में देश में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 375 ग्राम प्रतिदिन थी. अनुमान है कि 2023-24 तक यह उपलब्धता 592 ग्राम प्रतिदिन हो जायेगी.
Prelims Vishesh
National Translation Mission (NTM) :-
- 2018 में आरम्भ की गई राष्ट्रीय अनुवाद मिशन योजना (NMT) का क्रियान्वयन मैसूरू में स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान द्वारा किया जा रहा है.
- इस योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद संविधान की 8वीं सूची में वर्णित सभी भाषाओं में किया जाता है.
UNESCO’s World Heritage List:
विश्व धरोहर समिति ने UNESCOकी विश्व धरोहर सूची में 7 सांस्कृतिक स्थलों के नाम जोड़े हैं, ये हैं –
- Burial Mounds (Bahrain)
- Budj Bim Cultural Landscape (Australia)
- Archaeological Ruins of Liangzhu City (China)
- Jaipur City, Rajasthan (India)
- Ombilin Coal Mining Heritage of Sawahlunto, (Indonesia)
- Mozu-Furuichi Kofun Group:Mounded Tombs of Ancient Japan (Japan)
- Megalithic Jar Sites in Xiengkhouang — Plain of Jars (Lao People’s Democratic Republic)
Operation Milap :-
- दिसम्बर, 2014 में आरम्भ ऑपरेशन मिलाप योजना में बच्चों को मानव तस्करी अथवा अपहरण से बचाया जाता है. बचाने का यह काम दिल्ली पुलिस की मानव तस्करी विरोधी इकाई (AHTU) किया करती है.
- बचाए हुए बच्चों को मंत्रणा देने के अतिरिक्त उनके स्वास्थ्य पर आवश्यक ध्यान भी दिया जाता है.
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