Sansar Daily Current Affairs, 13 June 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Financial Action Task Force (FATF)
संदर्भ
आतंकवाद के विरुद्ध कोई विशेष कार्रवाई नहीं करने के कारण सम्भावना है कि पाकिस्तान FATF की ग्रे सूची में बना रह जाएगा अर्थात् वह देश अभी इस मामले में संदेहास्पद माना जाता रहेगा.
पृष्ठभूमि
जून 2018 में पाकिस्तान को झटका देते हुए G7 के वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (Financial Action Task Force – FATF) ने इसे संदिग्ध सूची (‘Grey List’) में रखा था. पाकिस्तान पर आरोप था कि वह आंतकवादियों को धन मुहैया कराता है.
ग्रे लिस्ट में होने का अर्थ
- पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि FATF की संदिग्ध सूची में रहने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगेगा और विदेशी निवेशकों और कम्पनियों को वहाँ व्यवसाय करने में और भी कठिनाई होगी.
- पाकिस्तानी दृष्टिकोण यह है कि निगरानी की सूची में डालने से पाकिस्तान की आतंकवाद से लड़ने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ेगा. इससे कुछ विदेशी संस्थान पाकिस्तान के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लेन-देन करने से कतरायेंगे.
- वैसे तो FATF की निगरानी सूची का कोई कानूनी निहितार्थ नहीं है, परन्तु इस सूची में होने के कारण नियामक संस्थाएँ और वित्तीय संस्थान अतिरिक्त जाँच-पड़ताल करके ही कोई काम करेंगे जिसका दुष्प्रभाव व्यापार और निवेश पर पड़ेगा और लेन-देन की लागत बढ़ जायेगी.
FATF क्या है?
- FATF एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो 1989 में G7 की पहल पर स्थापित किया गया है.
- यह एक नीति-निर्माता निकाय है जिसका काम विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय विधायी एवं नियामक सुधार लाने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति तैयार करना है.
- FATF का सचिवालय पेरिस केOECD मुख्यालय भवन में स्थित है.
FATF के उद्देश्य
FATF का उद्देश्य मनी लौन्डरिंग, आतंकवादियों को धनराशि मुहैया करने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को खतरे में डालने जैसी अन्य कार्रवाइयों को रोकने हेतु कानूनी, नियामक और संचालन से सम्बंधित उपायों के लिए मानक निर्धारित करना तथा उनको बढ़ावा देना है.
ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट क्या हैं?
FATF देशों के लिए दो अलग-अलग सूचियाँ संधारित करता है. पहली सूची में वे देश आते हैं जहाँ मनी लौंडरिंग जैसी कुप्रथाएँ तो हैं परन्तु वे उसे दूर करने के लिए एक कार्योजना के प्रति वचनबद्ध होते हैं. दूसरे प्रकार की सूची में वे देश हैं जो इस कुरीति को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं. इनमें से पहली सूची को ग्रे लिस्ट और दूसरी को ब्लैक लिस्ट कहते हैं.
एक बार जब कोई देश ब्लैक लिस्ट में आ जाता है तो FATF अन्य देशों को आह्वान कर उनसे कहता है कि ब्लैक लिस्ट में आये हुए देश के साथ व्यवसाय में अधिक सतर्कता बरतें और यदि आवश्यक हो तो उसके साथ लेन-देन समाप्त ही कर दें.
आज की तिथि में दो ही देश ब्लैक लिस्ट में आते हैं – ईरान और उत्तरी कोरिया. सात देश ग्रे लिस्ट में हैं, जिनके नाम हैं – पाकिस्तान, श्रीलंका, सीरिया और यमन.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Clean drinking water to all by 2024
संदर्भ
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने निर्णय किया कि 2024 तक 100% घरों में नलके का पानी पहुँचा दिया जाएगा. विदित हो कि अभी मात्र 18% घरों में ही इस प्रकार की व्यवस्था है.
कुछ तथ्य
- 163 मिलियन भारतीयों अर्थात् रूस की जनसंख्या से अधिक भारतीयों के पास सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है.
- गर्मियों में भारत के गाँवों में जल का स्तर नीचे चला जाता है और धरातल पर स्थित जल के स्रोत सूख जाते हैं.
- अनुमान है कि 2025 तक प्रत्येक भारतीयों को 1,341 क्यूबिक घन मीटर पानी उपलब्ध होगा. यह मात्रा घटते-घटते 2050 में 1,140 क्यूबिक घन मीटर हो सकती है और इस प्रकार जल का विकट अभाव उपस्थित हो सकता है.
NRDP और उसका प्रदर्शन
- पेयजल के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (National Rural Drinking Water Programme) चला रखा है. 2012 से लेकर 2017 तक इस कार्यक्रम के लिए 89,956 करोड़ रु. का बजट दिया गया था. इस बजट की 90% धनराशि खर्च हो चुकी है, परन्तु अगस्त, 2018 के CAG रिपोर्ट के अनुसार यह कार्यक्रम अपने लक्ष्यों को पाने में विफल रहा है.
- इस कार्यक्रम का लक्ष्य है गाँवों के 35% घरों में नलके लगाना और प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को 40 लीटर अर्थात् लगभग 2 बाल्टी पानी देना. परन्तु यह लक्ष्य आधा ही पूरा हो सका है.
- गाँवों में रहने वाले 7 मिलियन लोगों में से 78% को प्रतिदिन 40 लीटर पानी प्रतिव्यक्ति उपलब्ध है. परन्तु वास्तव में इनको पानी मिलता नहीं है, ऐसा विशेषज्ञों का विचार है. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अन्दर 18% ऐसी ग्रामीण बस्तियाँ हैं जहाँ लोगों को 40 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति से कम पानी मिलता है.
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम एक केंद्र-संपोषित योजना है जिसका उद्देश्य है कि गाँवों में प्रत्येक जन को पीने, खाना बनाने और अन्य घरेलू कामों के लिए सतत रूप से उचित मात्रा में सुरक्षित जल मिले.
- इस कार्यक्रम के अन्दर राज्य सरकारों गाँवों में नलके लगाने के लिए वित्तीय सहयोग के साथ-साथ तकनीकी सहायता भी दी जाती है.
आगे की राह
भारत के लगभग 14 करोड़ घरों में स्वच्छ पेयजल पहुँचना अभी भी शेष है. संविधान के अनुसार पानी राज्य सूची में आता है, अतः पेयजल पहुँचाने के अभियान में राज्यों की भागीदारी का बड़ा महत्त्व है. इसलिए आज यह आवश्यकता है कि जल की आपूर्ति और माँग को पूरी करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाए.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Leader of Rajya Sabha
संदर्भ
पिछले दिनों केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचाँद गहलोत को राज्यसभा का नेता चुना गया. ज्ञातव्य है कि राज्यसभा के नेता की नियुक्ति केंद्र में सत्तासीन दल करता है.
सदन के नेता कौन होते हैं?
- “सदन के नेता” इस शब्दावली की परिभाषा लोकसभा एवं राज्यसभा की प्रक्रिया नियमावलियों में दी गई है.
- लोकसभा प्रक्रिया एवं कारोबार संचालन नियमावली के नियम 2 में यह लिखा हुआ है कि लोकसभा का नेता प्रधानमन्त्री ही होता है बशर्ते वह लोकसभा का सदस्य हो. परन्तु प्रधानमन्त्री चाहे तो किसी भी सांसद को सदन के नेता के रूप में काम करने के लिए नामांकित कर सकता है.
- प्रधानमंत्री निरपवाद रूप से लोकसभा का नेता होता है.
सदन के नेता का कार्य
- सदन का नेता एक महत्त्वपूर्ण संसदीय पदधारक होता है जो संसदीय कारोबार पर अपनी छाप प्रत्यक्ष रूप से डालता है.
- इस पद में सरकार के द्वारा कारोबार के संचालन से सम्बंधित सारी नीतियाँ केद्रित होती हैं.
- सरकारी कारोबार की व्यवस्था सदन के नेता का परम उत्तरदायित्व होता है. यद्यपि इस कारोबार से सम्बंधित विवरण उसके ही अनुमोदन से मुख्य व्हिप (Chief Whip) तय करता है.
- सदन का नेता ही अध्यक्ष के अनुमोदन से यह तय करता है कि सदन को कब बुलाया जाए और कब इसके सत्रों को समाप्त किया जाए.
- सदन का नेता ही संसद के किसी सत्र में होने वाले सरकारी कारोबार के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करता है जिसके अंतर्गत ये विषय आते हैं – विधेयक, प्रस्ताव तथा पंचवर्षीय योजनाओं, विदेश नीति, आर्थिक अथवा औद्योगिक नीति एवं अन्य महत्त्वपूर्ण सरकारी गतिविधियों पर होने वाली साधारण अथवा विशेष चर्चा.
- सदन का कार्य सुचारू रूप से हो इसके लिए सदन का नेता यह निश्चित करता है कि कौन से कारोबार को पहले विचार के लिए रखा जाए.
- पूरे सत्र के लिए एक तात्कालिक कार्यक्रम बनाने के पश्चात् सदन का नेता कार्य में होने वाली प्रगति की स्थिति को देखते हुए साप्ताहिक एवं दैनिक कार्यक्रम भी निकालता है जिसकी सूचना प्रत्येक सप्ताह सांसदों को पहले ही दे दी जाती है.
- सदन के नेता से समय-समय पर पाए गये सुझावों के आधार पर ही कारोबार सलाहकार समिति सरकारी विधेयकों एवं अन्य कारोबारों के लिए समय का आवंटन करती है.
- लोकसभा का नेता अर्थात् प्रधानमन्त्री कारोबार सलाहकार समिति में कभी नहीं बैठता है, अपितु उसकी ओर से उस समिति में संसदीय कार्य मंत्री प्रतिभागिता करते हैं. किन्तु राज्यसभा का नेता साधारणतः कारोबार सलाहकार समिति के सदस्य होता है. यदि वह इस नीति का सदस्य नहीं होता है तो उसे समिति की बैठकों में आमंत्रित अवश्य किया जाता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : J&K President’s rule
संदर्भ
पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि को 3 जुलाई, 2019 से आगे छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है. संसद के अगले सत्र में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा.
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन
जम्मू-कश्मीर का संविधान अलग है, अतः संविधान की धारा 370 के अनुभाग 92 के अनुसार इस राज्य में पहले राज्यपाल शासन लगाया जाता है. यह शासन छह महीने चलता है और इसके लिए राष्ट्रपति से अनुमोदन लेना होता है. यदि छह महीने के भीतर-भीतर विधानसभा भंग नहीं हो जाती है तो राज्य में संविधान की धारा 365 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लग जाता है.
संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन
- संविधान की धारा 356 के तहत अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है जबकि जम्मू-कश्मीर के लिए धारा 370 सेक्शन 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाने का प्रावधान है.
- राज्यपाल शासन की अवधि छह महीने की होती है परन्तु इसे बढ़ाया भी जा सकता है.
- 370 धारा के अनुसार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को यदि लगे कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी ठप पड़ गई है तो वह प्रशासन का सम्पूर्ण कार्य अपने हाथ में ले सकते हैं और संवैधानिक स्थिति के फिर से बहाल होने तक आवश्यक कदम उठा सकते हैं.
- राज्यपाल शासन के समय राज्यपाल के पास कानून बनाने का भी अधिकार होता है.
- इस अवधि में वे जो भी कानून बनाए जाएँगे वह राज्यपाल शासन की समाप्ति सेदो वर्ष बाद तक मान्य होंगे.
धारा 356 एवं राष्ट्रपति शासन
संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को राज्यपाल से सूचना मिले अथवा उसे यह विश्वास हो जाए कि किसी राज्य में संविधान के अनुसार शासन चलाना असंभव हो गया है, तो वह घोषणा द्वारा उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है. ऐसी स्थिति में वह राज्य की कार्यपालिका शक्ति अपने हाथों में ले सकता है. राज्य के विधानमंडल की शक्तियाँ संसद राष्ट्रपति को दे सकती है. राष्ट्रपति कभी भी दूसरी घोषणा द्वारा इस घोषणा को रद्द कर सकता है. राष्ट्रपति शासन के लिए संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है. यह शासन मूल्यत: छह महीने के लिए होता है किन्तु यदि आवश्यकता हो तो इसे आगे अधिकतम तीन वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस विस्तार के लिए हर छह महीने पर संसद का अनुमोदन अनिवार्य होता है.
Prelims Vishesh
Kashmir annual Kheer Bhawani mela :-
- पिछले दिनों कश्मीर में प्रत्येक वर्ष लगने वाला खीर भवानी मेला आयोजित हुआ.
- यह मेला कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष महत्त्व का होता है.
Traffic Index 2018 :-
- नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम नगर में स्थित कम्पनी टॉमटॉम ने 2018 का यातायात सूचकांक प्रकाशित कर दिया है.
- यह सूचकांक आठ वर्षों से निर्गत होता रहा है.
- 2018 के सूचकांक में मुंबई को लगातार दूसरे वर्ष यातायात की दृष्टि से सबसे कठिन नगर (congested city) घोषित किया गया है.
- इस सूचकांक में दिल्ली का स्थान चौथा है.
End of Childhood Index :-
- पिछले दिनों “सेव द चिल्ड्रेन” नामक एक लाभ-रहित संस्था ने बाल्यकाल का अंत सूचकांक निर्गत किया है जिसमें 19 वर्ष से कम की आयु के बच्चों के जीवन को आठ मानदंडों के ऊपर मूल्यांकित किया गया है, जैसे – बाल मृत्यु, कुपोषण, शिक्षा का अभाव, बाल श्रम, बाल विवाह, किशोराव्स्था में जन्म देना, युद्ध के कारण निर्वासन एवं बाल हत्या.
- इस सूचकांक में 176 देशों की जाँच हुई जिसमें भारत को 113वाँ स्थान मिला. यह अवश्य है कि भारत ने बाल मृत्यु की दर में अच्छी-खासी प्रगति की है.
- सिंगापुर को इस सूचकांक में शीर्षस्थ स्थान मिला है और शीर्ष के दस देशों में आठ देश यूरोप के हैं.
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