Sansar Daily Current Affairs, 13 June 2020
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues related to women.
Topic : SC turns down request to stay govt notification suspending female foeticide rules
संदर्भ
COVID-19 महामारी के दौरान कन्या भ्रूण हत्या नियमों के निलंबन का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुँचा है. इस दौरान कोर्ट ने PC/PNDT अधिनियम पर 4 अप्रैल की अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. SC ने कहा कि इस स्तर पर हस्तक्षेप करना संभव नहीं होगा. अभी एक राष्ट्रीय संकट है. अप्रैल की अधिसूचना में प्रयोगशालाओं, क्लीनिकों में पंजीकरण और पूर्व गर्भाधान, गर्भावस्था आदि से संबंधित रिकॉर्ड के रखरखाव के नियमों को निलंबित कर दिया है.
PC/PNDT अधिनियम से सम्बंधित तथ्य
गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 ऐसा एक अधिनियम है जो कन्या भ्रूण हत्या और भारत में गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिये लागू किया गया था. इसमें निम्नलिखित प्रावधान हैं –
- गर्भाधान के पूर्व या बाद लिंग चयन तकनीक के उपयोग पर प्रतिबंध.
- लिंग चयनात्मक गर्भपात के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के दुरूपयोग को रोकना.
- ऐसे तकनीकों को विनियमित करना.
- इस कानून के अंतर्गत, जिन सभी केन्द्रों के पास गर्भाधान पूर्व या प्रसव-पूर्व संभावित रूप से भ्रूण के लिंग का परीक्षण करने वाला कोई भी उपकरण है, तो उन्हें समुचित प्राधिकारियों के साथ पंजीकृत होना चाहिए.
- यह लिंग का पता लगाने या निर्धारित करने के लिए ऐसी तकनीकों के सम्बन्ध में विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है.
- परिसर को सील करना और साक्षियों को प्रवर्तन में लाने सहित विधि के उल्लंघनकर्ताओं की मशीनों, उपकरणों और अभिलेखों की तलाशी, जब्ती और सील करने के सम्बन्ध में समुचित प्राधिकारियों को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं.
- 2003 में लिंग चयन में समक्ष प्रौद्योगिकी के विनियमन में सुधार हेतु इसमें संशोधन किया गया था.
- गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अन्तर्गत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रुण हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, इसके लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है, जिसमें 3 से 5 वर्ष तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रू. तक का जुर्माना हो सकता है.
बाल लिंग अनुपात में गिरावट की रोकथाम के लिए की गयी पहल
- बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना
- पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन का प्रतिषेध) अधिनियम, 1994
- आंध्र प्रदेश सरकार की गले चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम
- हरियाणा सरकार द्वारा “आपकी बेटी, हमारी बेटी” योजना
- राजस्थान सरकार की आश्रय योजना
- तमिलनाडु सरकार की शिवगामी अम्माययार मेमोरियल कन्या संरक्षण योजना
- बिहार सरकार की मुख्य मंत्री कन्या सुरक्षा योजना
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
- आंगनवाड़ी केंद्रों में पहली तिमाही में गर्भधारण के पंजीकरण को बढ़ावा देना
- हितधारकों का प्रशिक्षण
- सामुदायिक सहयोग और संवेदीकरण
- जेंडर समर्थकों की भागीदारी
- संस्थानों को मान्यता और फ्रंटलाइन श्रमिकों को पुरस्कार
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
- पूर्व गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (1994) के क्रियान्वयन का निरीक्षण
- संस्थागत प्रसव में वृद्धि करना
- जन्म का पंजीकरण
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
- बालिकाओं का सार्वभौम नामांकन
- विद्यालय छोड़ने की दर को कम करना
- विद्यालयों में कन्याओं के साथ अनुकूल व्यवहार का निर्धारण
- शिक्षा का अधिकार (RTE) का सशक्त कार्यान्वयन
- बालिकाओं के लिए कार्यात्मक शौचालय का निर्माण
मेरी राय – मेंस के लिए
यही उचित समय यह समझने का कि कोई भी समाज तब तक समृद्ध नहीं बन सकता जब तक कि उसकी आधी आबादी के साथ भेदभाव व्याप्त हो. डॉक्टरों, अकुशल चिकित्सकों और अवैध अल्ट्रासाउंड केन्द्रों के बीच होने वाले सांठगाठ को समाप्त करने के लिए अंतर-राज्ययीय समन्वय की आवश्यकता है. बालिकाओं की शिक्षा तथा बालकों के साथ समानता के प्रोत्साहन से भविष्य में उच्च लिंग अनुपात के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : SC turns down request to stay govt notification suspending female foeticide rules
संदर्भ
तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश द्वारा एक दूसरे के दिरुद्ध शिकायत करने के पश्चात, केंद्र सरकार, कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के जल-उपयोग का जायजा लेने जा रही है.
इस संबंध में, केंद्रीय जल मंत्रालय ने कृष्णा तथा गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों के अध्यक्षों से महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाओं के विवरणों को भी प्राप्त करने तथा एक माह के भीतर केंद्र के पास जमा करने को कहा है.
आवश्यकता
इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य, विवाद के मद्देनजर नयी परियोजनाओं हेतु अधिशेष जल की उपलब्धता का आकलन करना है.
विवाद का कारण
- कृष्णा और गोदावरी नदियाँ तथा उनकी कुछ सहायक नदियाँ, आंध्रप्रदेश तथा तेलंगाना, दोनों राज्यों से होकर बहती हैं.
- इन राज्यों ने, नदी जल बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग तथा शीर्ष जल परिषद, जिसमे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री तथा राज्य के मुख्य मंत्री सम्मिलित होते हैं, से अनुमति प्राप्त किए बगैर कई नई परियोजनाओं का आरम्भ किया है.
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अंतर्गत, इस राज्यों द्वारा किसी नयी परियोजना के शुरू करने हेतु, नदी जल बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग तथा शीर्ष जल परिषद की अनुमति लेना अनिवार्य है.
- तेलंगाना सरकार ने पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश सरकार के विरुद्ध कृष्णा नदी पर परियोजनाएं शुरू करने पर शिकायत दर्ज की थी.
कृष्णा नदी
- यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली एक बड़ी नदी है.
- इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में महाबलेश्वर की पहाडियों से होती है तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
- सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, मल्लप्रभा, कोयना, भीम, घटप्रभा, एरला, वारणा, डिंडी, मूसी तथा दूधगंगा.
- अपनी सहायक नदियों के साथ कृष्णा नदी एक बहुत विशाल घाटी बनाती है जिसके अन्दर चारों राज्यों के कुल क्षेत्रफल का 33% भूभाग आ जाता है.
गोदावरी नदी
यह महाराष्ट्र में नासिक के समीप त्र्यंबकेश्वर पहाड़ियों से निकलती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व लगभग 1465 किलोमीटर की दूरी तक प्रवाहित होती है.
नदी बेसिन: गोदावरी बेसिन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, कर्नाटक और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के कुछ भागों तक विस्तृत है.
सहायक नदियाँ: प्रवर, पूर्णा, मंजरा, पेनगंगा, वर्धा, वैनगंगा, प्राणहिता (वैनगंगा, पेनगंगा गंगा तथा वर्धा नदियों का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, मानेर और सबरी.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology
Topic : Carbon Nanolube (CNTs)
कार्बन नैनोल्यूब क्या है?
- कार्बन नैनोल्यूब (CNTs), कार्बन का एक अपरूप है – यह सामान्यतः: माइक्रान के दसवें भाग के बराबर लंबाई और 7 से 50 नैनोमीटर व्यास वाले शुद्ध ग्रेफाइट के एकल पत्रक (कार्बन की पघटकोणिय जाली) से मिलकर बना है. यह बेलनाकार खोखला फाइबर होता है.
- पूर्णतया कार्बन से बनी खोखली ट्यूब होने के कारण, यह अत्यधिक हल्का भी होता है.
- इनका असाधारण गुणधर्म होता है जो इन्हें नैनोप्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रकाशिकी और पदार्थ विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में विस्तृत प्रकार के अनुप्रयोगों में संभावित रूप से उपयोगी बनाता है.
कार्बन फाइबर से अंतर
- कार्बन फाइबर लगभग 5-10 माइक्रोमीटर व्यास के और अधिकांशतः कार्बन परमाणुओं से बने फाइबर होते हैं. कार्बन फाइबर के कुछ महत्त्वपूर्ण गुणधर्म अग्रलिखित हैं – उच्च कठोरता, उच्च तन्यता क्षमता, कम वजन, उच्च रासायनिक प्रतिरोध, उच्च तापमान सहिष्णुता और कम तापीय विस्तार. ये गुणधर्म इन्हें एयरोस्पेस, सिविल इंजीनियरिंग, सैन्य और खेलकूद में बहुत ही उपयोगी बनाते हैं.
- नैनो पैमाने पर होने के कारण कार्बन नैनोस्यूत में कार्बन फाइबर के उपर्युक्त सभी गुण अधिक मात्रा में मिलते हैं. इनका विभिन्न संरचनात्मक सामग्रियों में योजकों के रूप में उपयोग किया जाता हैं. इनके गुणों में सुधार करने के लिए अक्सर कार्बन फाइबर के साथ इन्हें मिश्रित किया जाता हैं. इनका गोल्फ क्लब, कार सहायक सामग्री, एयरोस्पेस वाहनों आदि में उपयोग किया जाता है.
- कार्बन फाइबर (या कांच के फाइबर) और थर्मोसेट (उदाहरण एपॉक्साइड) से बने संरचनात्मक सम्मिश्रणों में कार्बन नैनोट्यूब का प्रचलन होने से काफी सुधार हुआ है.
कार्बन नैनोट्यूब के उपयोग
- भार वहन करने वाले अनुप्रयोगों में प्रयुक्त सामग्रियों की कठोरता और मजबूती महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनसे सामग्री का द्रव्यमानऔर आयाम कम हो जाता है.
- CNTs वस्तुतः CNTs और धात्विक मैट्रिक्स के बीच मजबूत अन्तरापूष्ठिय आसंजन के साथ पूरी धातु में समरूप तरीके से फैल जाते हैं.
- CNTs मेटल मैट्रिक्स कंपोजिट में उत्कृष्ट विद्युतीय गुण होते हैं और इसका धातुओं का विद्युतीय गुणधर्म बढ़ाने के लिए उनके सुदृढीकरण के रूप में उपयोग किया जाता है.
- कार्बन नैनोट्यूब में अत्यधिक उच्च तापीय चालकता होती है जिससे मेटल मैट्रिक्स कार्बन नैनोट्यूब का तापीय प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाना संभव होता है.
- मेटल मैट्रिक्स कंपोजिट के तापीय गुणधर्मों में मैट्रिक्स के साथ CNTs के वितरण और आबंध के आधार पर सुधार किया जा सकता है.
- मेटल मैट्रिक्स कंपोजिट का उत्पादन आर्थिक रूप से व्यवहार्य है.
GS Paper 3 Source : PIB
Topic : Nature Index 2020
हाल ही में, वर्ष 2020 के लिए प्रकृति सूचकांक से सम्बंधित रेटिंग जारी की गई है.
प्रकृति सूचकांक क्या है?
प्रकृति सूचकांक (Nature Index) स्वतंत्र रूप से चयनित 82 उच्च गुणवत्ता वाले विज्ञान पत्रिकाओं के समूह में प्रकाशित शोध लेखों से संबंधित जानकारी का एक डेटाबेस है. यह शोध लेखक की संबद्धताओं तथा संस्थागत संबंधों का विवरण प्रदान करता है.
- इस डेटाबेस को नेचर रिसर्च द्वारा संकलित किया गया है.
- यह सूचकांक उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान परिणाम तथा संस्थागत, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग संबधो के विषय में बताता है.
- यह प्राकृतिक और भौतिक विज्ञान में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान के संकेतक के रूप में काम करता है.
प्रकृति सूचकांक मैट्रिक्स
- यह सूचकांक अनुसंधान परिणाम तथा सहकार्यता के बारे में कई मैट्रिक्स प्रदान करता है.
- इनमें शोध गणना, भिन्नात्मक गणना तथा बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय सहकार्यता स्कोर सम्मिलित होता है.
भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तीन स्वायत्तशासी संस्थानों शीर्ष 30 भारतीय संस्थानों के बीच अपना स्थान बनाया है.
- इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS), कोलकाता 7वें स्थान पर, जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साईटिफिक रिसर्च (JNCASR), बंगलुरु 14वें स्थान पर एवं एस एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता 30वें स्थान पर हैं.
- वैश्विक रूप से शीर्ष आंके गए भारतीय संस्थानों में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) 160वें स्थान पर है तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बंगलुरु 184वें स्थान पर है.
वैश्विक संस्थाएँ
इस सूचकांक में शीर्ष पाँच स्थान क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और जापान को प्राप्त हुए हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Census of Asiatic Lion
यह क्या है?
हाल ही में, गुजरात सरकार ने एशियाई सिंह की गणना की है तथा उसका विवरण निर्गत किया है.
भारत में एशियाई सिंह की गणना
- भारत में हर पाँच वर्षो में शेरों की गणना की जाती है. इस वर्ष लॉकडाउन के चलते गणना में देरी हुई है.
- भारत में सर्वप्रथम सिंह की गणना वर्ष 1936 में जूनागढ़ के नवाब द्वारा कराई गई थी; वर्ष 1965 से, वन विभाग द्वारा नियमित रूप से हर पांच साल में शेरों की गणना की जा रही है.
महत्त्वपूर्ण आँकड़े
- देश में शेरों की संख्या में 28% की वृद्धि हुई है.
- भौगोलिक रूप से, वितरण क्षेत्र या फैलाव 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है. वर्तमान में एशियाई सिंहों का प्रवास क्षेत्रफल वर्ष 2015 के 22,000 वर्ग किमी. से बढ़कर 30,000 वर्ग किमी. हो गया है.
- एशियाई सिंह सौराष्ट्र के संरक्षित क्षेत्रों और कृषि-चारागाह क्षेत्रों में पाए जाते है, तथा नौ जिलों में फैले हुए है.
एशियाई सिंह
- एशियाई सिंह को IUCN लाल सूची में संकटग्रस्त बताया गया है.
- इसकी संख्या भारत के गुजरात राज्य तक ही सीमित है.
- संरक्षण कार्यों के चलते इनकी संख्या 500 से अधिक हो गई है जबकि 1890 में यह संख्या मात्र 50 थी.
- 2015 की पशु गणना के अनुसार गिर सुरक्षित क्षेत्र में 523 एशियाई सिंह निवास करते हैं.
संख्या में लगातार वृद्धि के प्रमुख कारक
गत कई सालों से, गुजरात में सिंहों की संख्या में अनवरत रूप से वृद्धि हो रही है. इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
- सामुदायिक भागीदारी
- प्रौद्योगिकी पर जोर
- वन्यजीव स्वास्थ्य सेवा
- उचित आवास प्रबंधन
- मानव-शेर संघर्ष को कम करने हेतु उठाये गए कदम
मेरी राय – मेंस के लिए
एशियाई सिंहों के संरक्षण के लिए ये उपाय किये जा सकते हैं – सिंहों के निवास-स्थल को सुधारना, वहाँ और अधिक जल-स्रोतों की व्यवस्था करना, वन्य जीव अपराध कोषांग बनाना, वृहत्तर गिर क्षेत्र के लिए कार्यदल का गठन करना (विदित हो कि वृहत्तर गिर क्षेत्र में गिरनार के राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त गिरनार, पनिया और मिटियाला की आश्रयणियाँ भी आती हैं), GPS पर आधारित अन्वेषण प्रणाली तैयार करना जिससे पशुओं, वाहनों और सर्वेक्षण पर नजर रखी जा सके, एक स्वाचालित सेंसर ग्रिड बनाया जाना चाहिए जिसमें चुम्बकीय मूवमेंट सेंसर के अतिरिक्त एक इन्फ्रारेड ताप सेंसर भी उपयोग में लाया जा सके, एक ऐसा पशु विज्ञान संस्थान बनाया जाए जो केवल सिंहों के लिए ही हो, सिंहों के लिए एम्बुलेंस और दवाओं के एक भंडार का भी संधारण किया जाए.
प्रीलिम्स बूस्टर
भारत सरकार और गुजरात सरकार ने मिलकर एशियाई सिंह संरक्षण परियोजना (Asiatic Lion Conservation Project) घोषित की है जिसमें 97.85 करोड़ रु. का व्यय संभावित है.
Prelims Vishesh
Petrapole :-
- पेट्रापोल भारत और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित एक चेकपॉइंट है जिससे होकर दोनों देशों के बीच 60% व्यापार होता है.
- यह एक जमीनी बंदरगाह है जो पश्चिम बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना में बोनगाँव के निकट स्थित है.
- यह एशिया का सबसे बड़ा जमीनी चुंगी स्टेशन है.
#iCommit’ initiative :-
- भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीनस्थ ऊर्जा कुशलता सेवा लिमिटेड (EESL) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पहल आरम्भ की है जिसका नाम #iCommit है.
- इसका उद्देश्य ऊर्जा की कुशलता बढ़ाना, नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ोतरी करना तथा भविष्य में ऊर्जा तंत्र को सुदृढ़ बनाना है.
- इस पहल में शामिल पक्षकार हैं – सरकारें, निगम, बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय संगठन, थिंकटैंक, विशेषज्ञ आदि.
Healthy and Energy Efficient Buildings Initiative :-
- भवन निर्माण करते समय उचित लागत पर ऊर्जा की व्यवस्था करने और विशेषकर शीतलीकरण पर ध्यान केन्द्रित करने के काम में गति बढ़ाने के उद्देश्य से ऊर्जा कुशलता सेवा लिमिटेड (EESL) और S. Agency for International Development’s (USAID) ने संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम बनाया है जिसे MAITREE नाम दिया गया है.
- MAITREE का पूरा नाम है – Market Integration and Transformation Program for Energy Efficiency.
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