Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 March 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 13 March 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Space Hurricane

संदर्भ

वैज्ञानिकों ने पहली बार एक “स्पेस हरिकेन” की खोज की है. पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में उत्तरी ध्रुव पर आठ घंटे तक यह तूफान चलता रहा. इस ‘स्पेस हरिकेन’ से संबंधित सभी सूचना वर्ष 2014 में एकत्र किये गए डेटा के पूर्वव्यापी विश्लेषण से प्राप्त हुई है. इलेक्ट्रॉन की वर्षा वाले इस हरिकेन को पहली बार उत्तरी ध्रुव के ऊपरी वातावरण में रिकॉर्ड किया गया था. ज्ञातव्य है कि ये तूफान अधिकांशतः पृथ्वी के निचले वातावरण में घटित होते हैं. इन्हें ऊपरी वायुमंडल में कभी नहीं देखा गया था. 

मुख्य तथ्य

  1. वैज्ञानिकों के प्रतिवेदन के अनुसार, यह हरिकेन करीब 600 मील क्षेत्र में विस्तृत था और इसके द्वारा लगभग आठ घंटों तक आवेशित इलेक्ट्रॉनों की बारिश होती रही.
  2. अकादमिक पेपर के अनुसार, यह स्पेस हरिकेन, वामावर्त्त दिशा (counter clockwise) में 4,700 मील प्रति घंटे की गति से घूर्णन कर रहा था.
  3. स्पेस हरिकेन उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर अंतरिक्ष में देखा गया था.

इसका माहात्म्य

इस नई खोज से वैज्ञानिकों को यह जानने में सहायता मिल सकती है, कि ‘सूर्य, पृथ्वी के वायुमंडल को किस प्रकार प्रभावित करता है?’ और इसके अतिरिक्त ‘विभिन्न कक्षाओं में स्थित उपग्रहों के लिए अंतरिक्षीय मौसम, किस प्रकार हानि पहुँचा सकता है?’ – इस विषय में भी अधिक जानकारी प्राप्त हो सकती है.

स्पेस हरिकेन’ क्या हैं?

स्पेस हरिकेन’ या ‘अंतरिक्षीय तूफ़ान’ को सौर हवाओं तथा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बीच परस्पर क्रिया का परिणाम माना जाता है.

  1. ‘स्पेस हरिकेन’, आकार में बहुत ही विशाल, कीप की भाँति, सर्पिल भू-चुंबकीय तूफान होते हैं, जो सामान्यतःअत्याधिक शांत परिस्थितियों में धुर्वों के ऊपर पृथ्वी के आयनमंडल में निर्मित होते हैं.
  2. अन्य हरिकेन के विपरीत, ‘स्पेस हरिकेन’ में इलेक्ट्रॉनों की वर्षा होती है, जिससे हरिकेन के निचले हिस्से में एक विशाल और चमकदार हरे रंग के ‘ऑरोरा’ (Aurora) का निर्माण होता है. ‘स्पेस हरिकेन’ का अध्ययन वैज्ञानिकों को महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष मौसम प्रभावों को समझने में मदद करेगा. ज्ञात हो कि अंतरिक्ष में, खगोलविदों ने मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह पर भी ‘हरिकेन’ दर्ज किये हैं.
  3. ये प्लाज्मा से निर्मित होते हैं, तथा इनमे अत्याधिक तप्त आयनित गैसें विद्यमान होती हैं, जो बहुत ही तेज गति से घूर्णन करती हैं.

निर्माण

सूर्य से सौर-पवनों के रूप में उन्मुक्त की गयी प्लाज्मा से ‘स्पेस हरिकेन’ का निर्माण होता है. इन आवेशित कणों के बादल अंतरिक्ष से होकर गुजरने के दौरान चुंबकीय क्षेत्रों से अंत:क्रिया करते हैं तथा चुंबकीय तूफानों को उर्जा प्रदान करते हैं.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

लैंडफॉल क्या है?

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र का समुद्र तट के साथ प्रतिच्छेदन या तट रेखा पर प्रवेश करना लैंडफॉल कहलाता है.
  • एक लैंडफॉल में सामान्यतः तेज हवाएँ, भारी वर्षा और उठती हुई समुद्री लहरें होती हैं.

भारत में चक्रवात

  • भारत अपने लम्बे समुद्र तट के चलते विश्व के लगभग 10% उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रभाव क्षेत्र में आता है.
  • अधिकांश चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं और इसलिए ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट से टकराते हैं.
  • भारतीय तट रेखा पर 2016 में ऐसे अन्य चक्रवात भी आये जैसे रोआनु और नाडा.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Food security related issues.

Topic : ONE NATION-ONE RATION CARD SCHEME

संदर्भ

हाल ही में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card) योजना के तहत “मेरा राशन मोबाइल एप’ का प्रारंभ किया गया है. यह एप उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा जो अपनी आजीविका के लिए अपने घरों से किसी अन्य स्थान पर जाते हैं.

एक राष्ट्र –  एक राशन कार्ड योजना क्या है?

यह एक राष्ट्रीय योजना है जो यह सुनिश्चित करती है कि कि जन-वितरण प्रणाली से लाभ लेने वाले सभी व्यक्ति, विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले, देश के अन्दर किसी भी अपनी पसंद की PDS दुकान से अनाज आदि प्राप्त कर सकें.

अब तक यह सुविधा आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे 17 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध कराई गई है.

लाभ

इस योजना का लाभ यह होगा कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी युक्त अनाज पाने से कोई निर्धन व्यक्ति इसलिए वंचित न हो जाए कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान चला गया है. इस योजना से एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि कोई व्यक्ति अलग-अलग राज्यों में जन-वितरण प्रणाली का लाभ लेने के लिए एक से अधिक राशन कार्ड नहीं बनवा पायेगा.

माहात्म्य

इस योजना से के फ़लस्वरूप लाभार्थी किसी एक PDS दुकान से बंधा नहीं रह जाएगा और ऐसी दुकान चलाने वालों पर उसकी निर्भरता घट जायेगी और साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी कटौती होगी.

चुनौतियाँ

  • प्रत्येक राज्य के पास जन-वितरण प्रणाली के विषय में अपने नियम होते हैं. यदि एक राष्ट्र – एक राशन कार्ड योजना लागू की गई तो संभावना है कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले. वैसे भी सभी जानते हैं कि इस प्रणाली में भ्रष्टाचार होता रहता है.
  • इस योजना से जन-सामान्य का कष्ट बढ़ जाएगा और बिचौलिए तथा भ्रष्ट PDS दुकान के मालिक उसका शोषण करेंगे.
  • इन्हीं कारणों से तमिलनाडु ने इस योजना का विरोध किया है और कहा है कि इसको लागू करने से अवांछित परिणाम होंगे. साथ ही उसका कहना है कि यह योजना संघवाद पर कुठाराघात करती है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) : यह अधिनियम भारत सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया था.इसका उद्देश्य लोगों को उचित मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन, सस्ते दामों में उपलब्ध कराते हुए उनकी खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा प्रदान करना है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

इस योजना से कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सकेगा.

योजना को लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए.

योजना कागज पर तो अच्छी है, लेकिन इसे लागू करने में कई व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशन कार्डों को डिजिटल स्वरूप देना होगा. कई राज्य इस मामले में काफी पिछड़े हैं. इसके अतिरिक्त पीडीएस से जुड़े दुकानदार भी इस मामले में अड़ंगा लगा सकते हैं. सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना करनी होगी. अगर राशन दुकान मालिकों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका तो इस योजना का मकसद पूरा नहीं होगा. पीडीएस में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं. राशन कार्ड के पोर्टेबल होने के बावजूद दुकानदारों की मनमानी पर अंकुश लगाने की राह में राजनीति समेत कई बाधाएँ हैं. सरकार के एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू करने से पहले इन पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure- roadways.

Topic : Report on Mobilising Electric Vehicle Financing in India

संदर्भ

देश में इलेक्ट्रिक वाहन वित्‍तपोषण उद्योग 2030 में तीन लाख 70 हजार करोड़ रूपये का होने का अनुमान है. नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) इंडिया ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्त पोषण (Mobilising Electric Vehicle Financing in India)  पर एक नया प्रतिवेदन निर्गत किया है. इसमें बिजली से चलने वाले वाहनो को आपनाने में फाइनेंस उद्योग की भूमिका का उल्‍लेख किया गया है. 

Mobilising Electric Vehicle Financing in India रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • इस रिपोर्ट में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles – EV) की स्वीकार्यता में वित्त की भूमिका को रेखांकित किया गया है. भारत के EV-तंत्र के समक्ष अभी भी प्रौद्योगिकी लागत, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और उपभोक्ता व्यवहार संबंधी अवरोध उपस्थित हैं.
  • मांग सृजन, राज्य की EV नीतियाँ और घरेलू विनिर्माण के कारण EV के प्रति आकर्षण में वृद्धि हो रही है.
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अवसंरचना तथा बैटरी क्षेत्र में आगामी दशक में संचित रूप से 266 बिलियन डॉलर (19.7 लाख रुपए) के पूंजी निवेश की जरूरत है.
  • भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की स्वीकार्यता के समक्ष अग्रलिखित बाधाओं की पहचान की गई है –
  1. उच्च प्रौद्योगिकी लागत; नीति का कार्यान्वयन; अल्प घरेलू विनिर्माण और आपूर्ति; चार्जिंग अवसंरचना जैसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण में कमी आदि.
  2. वित्तपोषण संबंधी बाधाएँ: उच्च ब्याज दरें, ऋण-मूल्य अनुपात का कम होना, सीमित वित्तपोषण विकल्प, उच्च बीमा लागत इत्यादि. (रिपोर्ट में आवश्यक पूंजी को उत्प्रेरित करने हेतु समाधान के कुछ विकल्पों की पहचान की गई है.)

लघु अवधि

  • बैंकों को ऋणों में वृद्धि के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (Priority sector lending: PSL) संबंधी दिशा-निर्देशों में EVs को सम्मिलित करना.
  • ऋण की वहनीयता में सुधार के लिए ब्याज सहायता प्रदान करना.

मध्यम अवधि

  • EV मॉडल से संबंधित अनिश्चितता के निवारण के लिए उत्पाद की गारंटी और वारंटी प्रदान की जाएगी.
  • सरकार और विविध हितघारकों के नेतृत्व में एक जोखिम साझाकरण तंत्र स्थापित किया जाएगा. यह तंत्र EV क्षेत्र में विश्वास सृजन के साथ-साथ EVs के वित्तपोषण से संबंधित संभावित क्षतियों को समाविष्ट करेगा.

दीर्घावधि

उद्योग-नेतृत्व आधारित बायबैक (वापसी खरीद) कार्यक्रमों, जैसे द्वितीयक बाजार का विकास करना तथा बैटरी-रीपर्पजिंग (मिन्न प्रयोजनार्थ उपयोग) योजनाओं का निर्माण करना आदि जिनसे EVs के अवशिष्ट मूल्य में सुधार प्रेरित होगा.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Trust Deficit hampering seamless movement of goods between India, Bangladesh: World Bank

संदर्भ

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश और भारत के बीच निर्बाध द्विपक्षीय संपर्क से बांग्लादेश की राष्ट्रीय आय में 17% और भारत की राष्ट्रीय आय में 8% की वृद्धि संभव है.

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में किसी कंपनी के लिए, बांग्लादेश की किसी कंपनी की तुलना में ब्राजील या जर्मनी की किसी कंपनी के साथ व्यापार करने की लागत लगभग 15-20% तक कम है.
  • आज की तिथि में, बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर यान समझौते के बाद भी ट्रकों को भारत और बांग्लादेश के बीच आवाजाही की अनुमति नहीं है.
  • पेत्रापोल-बेनापोल (Petrapole-Benapole) में सीमा पार करने में औसतन 138 घंटे लगते हैं.

व्यापार के समक्ष मुख्य बाधाएँ

  • अपर्याप्त परिवहन अवसंरचना
  • संरक्षणात्मक प्रशुल्क और गैर-प्रशुल्क बाधाएँ तथा
  • व्यापक स्तर पर विश्वास की कमी.

भारत और बांग्लादेश के मध्य कार्गो के मुक्त आवागमन से पूर्वोत्तर राज्यों के लिए समग्र लाभ के साथ-साथ, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र जैसे राज्यों को भी अनेक लाभ प्राप्त होने की संभावना है. विश्व बैंक द्वारा यह रिपोर्ट ऐसे समय में निर्गत की गई है, जब भारत के प्रधानमंत्री मैत्री सेतु (Maitri Bridge) का उद्घाटन कर रहे थे. यह सेतु त्रिपुरा और बांग्लादेश के मध्य भारतीय सीमा पर फेनी नदी पर निर्मित किया गया है.  

मैत्री सेतु

  1. विदित हो कि मैत्री सेतु, रामगढ़ (बांग्लादेश) और सबरूम (भारत) को जोड़ता है.
  2. यह सेतु त्रिपुरा से चटगाँव समुद्री पत्तन तक पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा.
  3. यह पत्तन सबरूम से मात्र 80 किमी की दूरी पर अवस्थित है.

Prelims Vishesh

Senkaku/Diaovyu Islands :-

senkaku island

  • चीन और जापान दोनों ही इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं. जिन्हें जापान में सेनकाकू और चीन में डियाओस (दियाओयू) के नाम से जाना जाता है. इन द्वीपों का प्रशासन 1972 से जापान के हाथों में है. लेकिन उनकी कानूनी स्थिति अब तक कुछ विवादित रही है.
  • पूर्वी चीन सागर में मौजूद इस द्वीप पर ताइवान भी अपना दावा जताता रहा है. हालांकि द्वीप पर इस वक्त जापान का कब्जा है.
  • वहीं, चीन का दावा है कि यह द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए.
  • इस विवाद का कारण पूर्वी चीन सागर में स्थित आठ निर्जन द्वीप हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 7 वर्ग किमी. है.
  • यह ताइवान के उत्तर-पूर्व, चीनी मुख्य भूमि के पूर्व में और जापान के दक्षिण-पूर्व प्रांत, ओकिनावा के दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं.

Mongla Port :-

  • यह बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा समुद्र पत्तन है.
  • भारत और बांग्लादेश ने 2015 में चट्टोग्राम (चटगाँव) और मोंगला पत्तनों के उपयोग पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये थे. यह मोंगला पत्तन से जलमार्ग, सड़कों और रेलवे के माध्यम से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में माल-परिवहन की व्यवस्था पर आधारित था.

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