Sansar Daily Current Affairs, 13 May 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : SC/ST quota in promotions
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अजा-जजा) वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति और परिणामी वरिष्ठता में आरक्षण के राज्य सरकार के निर्णय को बरकरार रखा.
- पदोन्नति में आरक्षण के संशोधित कानून को शीर्ष अदालत से मिली मंजूरी से हजारों अजा-जजा वर्ग के कर्मचारियों को लाभ होगा.
आदेश में क्या कहा गया
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक सरकार के Karnataka Extension of Consequential Seniority to Government Servants Promoted on the Basis of Reservation (to the Posts in the Civil Services of the State) Act, 2018 को वैध बताया और कहा कि इस अधिनियम ने त्रुटि का निराकरण कर दिया है जिसके आधार पर 2002 में प्रोन्नति में आरक्षण के लिए बनाए गये कानून को 2017 में निरस्त कर दिया गया था. विदित हो कि नागराजन बनाम भारतीय संघ मामले में उच्चतम न्यायालय ने 2006 में एक न्याय-निर्णय दिया था जिसमें कहा गया था कि कानून बनाने के पहले इस बात का प्रयास नहीं किया गया था कि आरक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व, उनके पिछड़ेपन और समग्र कार्यकुशलता पर प्रभाव के विषय में आँकड़ों का संग्रहण किया जाए. नए अधिनियम में इस दोष का निराकरण कर दिया गया है.
पृष्ठभूमि
कर्नाटक सरकार ने अपने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कर्मचारियों के लिए 2002 में एक कानून लाकर प्रमोशन मे आरक्षण की व्यवस्था की थी. संवैधानिक वैधता को चुनौती मिलने के बाद 2006 में संविधान पीठ ने उसकी वैधता को तो माना लेकिन एक मात्रात्मक डाटा की उपलब्धता का मुद्दा उठाते हुए राज्य सरकार को एससी-एसटी समुदायों में पिछड़ेपन के निर्धारण से जुड़े आंकड़े इकट्ठा करने को कहा था. 2011 और 2017 में राज्य सरकार के अधिनियम को फिर चुनौती दी गई. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य को इस बारे में आधिकारिक तौर पर स्पष्ट करना ही होगा कि इस तरह के आरक्षण को लागू करने की क्या अपरिहार्यताएं थीं.
SC/ST के प्रोन्नति में आरक्षण हेतु संविधान संशोधन
- इसके लिये 77वाँ संविधान संशोधन किया गया और संविधान में अनुच्छेद 16 (4A) जोड़ा गया जिसके अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रोन्नति में दिया गया आरक्षण जारी रहेगा.
- 85वें संविधान संशोधन के द्वारा SC/ST को प्रोन्नति में परिणामी वरिष्ठता प्रदान करने की बात कही गई है.
संविधान की धारा 335
- धारा 335 के माध्यम से संविधान यह व्यवस्था करता है कि SC/ST के दावों पर विचार करने के लिए विशेष उपाय होने चाहिएँ जिससे कि इन वर्गों को समान अवसर मिल सके.
- यह कहा जाता है कि इन वर्गों के साथ सामंतवादी और जातिवादी समाज के अन्दर शताब्दियों से भेदभाव होता रहा है. इस भेदभाव के निराकरण के लिए विशेष उपाय आवश्यक हैं.
प्रोन्नति में आरक्षण से सम्बंधित कुछ प्रमुख वाद
- इंदिरा साहनी वाद : सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में अनुच्छेद 16 (4) के संदर्भ में निर्णय देते हुए कहा कि अनुच्छेद 16 (4) में दिया गया आरक्षण केवल आरंभिक नियुक्ति तक है, प्रोन्नति में नहीं. अतः इंदिरा साहनी वाद में यह स्पष्ट कहा गया है कि आरक्षण प्रोन्नति में नहीं दिया जा सकता.
- नागराजन वाद : 2007 में नागराजन वाद में 77वें और 85वें संविधान संशोधन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई लेकिन न्यायालय ने इन संशोधनों को वैध कहा और प्रोन्नति में आरक्षण को स्वीकार कर लिया गया. परंतु न्यायपालिका ने कहा कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजातियों के पिछड़ेपन, सेवाओं की कुशलता तथा उनकी सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आँकड़े प्रस्तुत करना आवश्यक होगा.
GS Paper 2 Source: BBC
Topic : US-China tariff wars
संदर्भ
अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क की दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दी है. अमेरिका का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देश आपस में छिड़े ट्रेड वॉर को खत्म करने का प्रयास कर रहे थे.
पृष्ठभूमि
पिछले साल अमरीका ने चीन के साथ ट्रेड वॉर शुरू किया. उसका आरोप है कि चीन व्यापार में ग़लत हथकंडे अपनाता है. अमरीका ने चीन पर टेक्नोलॉजी चोरी करने का आरोप लगाया है. वो चाहता है कि बीजिंग अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव करे क्योंकि वो घरेलू सब्सिडी देकर अपनी कंपनियों की मदद करता है. अमरीका ये भी चाहता है कि 419 अरब डॉलर के विशाल व्यापार घाटे को काबू करने के लिए चीन अमरीकी सामान खरीदे. आयात और निर्यात में अंतर का अनुपात व्यापार घाटा कहलाता है. इस अंतर को कम करना ट्रंप की व्यापार नीति का अहम हिस्सा है.
अमेरिका के लिए चिंता का विषय
- दुनिया की इन दो आर्थिक महाशक्तियों का टकराव विश्व अर्थव्यवस्था पर इतना गहरा असर डाल सकता है कि खुद अमेरिका के लिए भी उसके विनाशकारी प्रभाव से बचना कठिन होगा.
- चीनी उत्पादों का अमेरिका में दखल बहुत ज्यादा है और उन पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा तो निम्न मध्यवर्गीय अमेरिकी अपनी कुछ जरूरतें पूरी नहीं कर पाएंगे.
- अमेरिका को यह डर है कि तकनीकी तरक्की के जरिये चीनी अर्थव्यवस्था कहीं अमेरिका से भी बड़ी न हो जाए.
- साल 2025 तक संपूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने का चीनी नारा भी अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. अनुमान है कि तब तक वह अपनी 150 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को अमेरिका की 200 खरब डॉलर की इकॉनमी के करीब ला खड़ा करेगा.
इसीलिए चीन को कुछ खास क्षेत्रों से बाहर रखने का दबाव अमेरिका इस ट्रेड वार के जरिये बना रहा है. उसकी सबसे बड़ी कोशिश यह है कि चीन अपने यहां व्यापार करने आई अमेरिकी कंपनियों के सामने टेक्नॉलजी शेयर करने की शर्त न रखे.
भारत पर प्रभाव
- चीन अमेरिका से सोयाबीन का आयात करता है और अमेरिका इसका दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. अगर अमेरिका चीन को इसके लिए इनकार करता है तो उसकी यह मांग भारत पूरी कर सकता है.
- इसके अतिरिक्त अमेरिका जिन चीजों की आयात करता है अगर चीन उससे इनकार करता है तो अमेरिका की जरूरतें भारत पूरा कर सकता है.
- चीन और अमेरिका में ट्रेड वॉर बढ़ा तो ऐसी कई वस्तुओं से अमेरिकी आयात पर चीन जवाबी टैरिफ लगा सकता है. चीन अमेरिका द्वारा एकतरफा टैरिफ लगाने की किसी भी संभावित नुकसान से अपने को बचाने के लिए पूरी तरह तैयार है. यदि ट्रेड वॉर की वजह से कृषि उत्पादों की आपूर्ति में कमी आती है तो यह मेक इन इंडिया उत्पादों के लिए अवसर होगा.
आगे की राह
शुल्क बढ़ाना किसी समस्या का समाधान नहीं है और यह सिर्फ चीन और अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए नुकसानदेह है. विश्व बिरादरी को इस मामले में मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए. उसे चीन और अमेरिका दोनों पर दबाव डालकर इस टकराव को तार्किक धरातल पर लाने की पहल करनी चाहिए. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती दूरी से भारत और चीन के बीच आर्थिक रिश्ते और बेहतर हो सकते हैं.
GS Paper 3 Source: Indian Express
Topic : MANAV : Human Atlas Initiative
संदर्भ
जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने हाल ही में मानव : मानवीय एटलस पहल नामक कार्यक्रम का अनावरण किया है जिसका उद्देश्य मानवीय शरीर-विज्ञान के विषय में जानकारी बढ़ाना होगा.
मानव : मानवीय एटलस पहल क्या है?
- यह एक परियोजना है जिसके लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग कोष की व्यवस्था करेगा.
- इस परियोजना के अंतर्गत उपलब्ध वैज्ञानिक साहित्य के आधार पर मानव शरीर के सभी ऊतकों से सम्बंधित डेटाबेस तैयार होगा.
- इस परियोजना के अन्दर जो विशाल डाटा जमा किया जाएगा उसके लिए वैज्ञानिक कौशल की आवश्यकता होगी.
- इस कार्यक्रम में शरीर वैज्ञानिक और आणविक मैप तैयार करते हुए पूर्वानुमान कंप्यूटिंग के द्वारा रोगों के मॉडल बनाए जाएँगे और औषधि की खोज के लिए इन सब का समग्र विश्लेषण किया जाएगा.
इस परियोजना में प्रतिभागी कौन होंगे?
- इस परियोजना में वे छात्र शामिल हो सकते हैं जो स्नातक के अंतिम वर्ष अथवा उससे आगे की पढ़ाई कर रहे हैं. परियोजना में जुड़ने वाले छात्र इन विषयों का अध्ययन करने वाले हो सकते हैं – जैव रसायनशास्त्र, जैव प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीवविज्ञान, वनस्पतिशास्त्र, जन्तु शास्त्र, जैव सूचना, स्वास्थ्य विज्ञान, जीव वैज्ञानिक, फार्मेकॉलिजिस्ट और डाटा विज्ञान.
- यहाँ तक कि वैसे व्यक्ति जिनकी पृष्ठभूमि विज्ञान की हो परन्तु जो किसी वैज्ञानिक शोध से जुड़े हुए नहीं हों, फिर भी वे इस परियोजना का अंग बन सकते हैं.
परियोजना का माहात्म्य
- इस परियोजना का लाभ यह होगा कि छात्र ऊतकों से सम्बंधित वर्गीकृत वैज्ञानिक साहित्य का अध्ययन करना सीखेंगे तथा एनोटेशन और क्यूरेशन भी कर सकेंगे.
- इससे जो सूचना सृजित होगी उसकी समीक्षा कई स्तरों पर की जायेगी. इस प्रकार मानव शरीर के ऊतकों के बारे में एक विश्वसनीय संग्रह अर्थात् एटलस तैयार हो जाएगा. यह एटलस भविष्य के शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी तो होगा ही, साथ ही यह डॉक्टरों और औषधिनिर्माताओं को भी लाभ पहुँचायेगा.
Prelims Vishesh
Mariana Trench :-
- मारियाना गर्त हाल ही में अमेरिका के एक अंडर-सी एक्सप्लोरर (Under-sea Explorer), विक्टर वेस्कोवो ने प्रशांत महासागर के मारियाना गर्त (Mariana Trench) में लगभग 8 मील तक गोता लगाया.
- विदित हो कि यह पृथ्वी पर सबसे गहरी जगह है.
National Technology Day :-
- 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया.
- यह दिवस 1999 से लगातार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है.
- इस बार इसकी थीम है – विज्ञान लोगों के लिए और लोग विज्ञान के लिए.
- इस आयोजन के लिए 11 मई इसलिए चुना गया था कि इसी तिथि को 1998 में भारत ने तीन अणु बमों का राजस्थान के पोखरण में विस्फोट किया था.
- इसके अतिरिक्त उसी दिन बंगलौर में भारत के पहले स्वदेशी वायुयान (हंस 3) का परीक्षण तथा त्रिशूल नामक छोटी दूरी के मारक मिसाइल का भी परीक्षण हुआ था.
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