Sansar Daily Current Affairs, 13 May 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act
संदर्भ
हाल ही में, विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा है, कि कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने की अपील करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट गैरकानूनी हैं.
- कार्यकर्ताओं ने आगाह किया है, कि इस प्रकार विज्ञापन अथवा पोस्ट, ‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम’, 2015 (जेजे एक्ट- JJ Act) की धारा 80 और 81 के तहत गैरकानूनी हैं.
- जेजे एक्ट की उपरोक्त धाराओं में, अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अलावा, किसी अन्य प्रकार से बच्चों को गोद लेने अथवा देने संबंधी प्रस्तावों को प्रतिबंधित किया गया है. इसके साथ ही बच्चों की बिक्री और खरीद पर भी रोक लगाई गई है.
- अधिनियम में, इस प्रकार के कृत्यों के लिए तीन से पांच साल की जेल अथवा 1 लाख रुपए जुर्माने की सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है.
अनाथ हो चुके बच्चों के संदर्भ में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
यदि किसी व्यक्ति को किसी ऐसे बच्चे के बारे में जानकारी मिलती है, जिसे देखभाल की जरूरत है, तो उस व्यक्ति के द्वारा निम्नलिखित चार एजेंसियों में से किसी एक से संपर्क किया जाएगा:
- चाइल्डलाइन 1098,
- जिला बाल कल्याण समिति (CWC),
- जिला बाल संरक्षण अधिकारी (DCPO) अथवा
- बाल अधिकार संरक्षण राज्य आयोग की हेल्पलाइन.
इसके पश्चात्, बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee- CWC) उस बच्चे का आकलन करेगी तथा और उसे तत्काल ही ‘विशेष दत्तक ग्रहण’ एजेंसी की देखभाल में रखेगी. जब किसी बच्चे का कोई परिवार नहीं होता है, तो राज्य, उस बच्चे का अभिभावक बन जाता है.
‘जेजे एक्ट’ क्या है?
उद्देश्य: विधि का अभिकथित उल्लंघन करते पाए जाने वाले बालकों और देखरेख तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित मामलों का व्यापक रूप से समाधान करना.
- अधिनियम के तहत, प्रत्येक जिले में ‘किशोर न्याय बोर्ड’ और ‘बाल कल्याण समितियां’ स्थापित करने का निर्देश दिया गया है. इन संस्थाओं में कम से कम एक महिला सदस्य होनी अनिवार्य है.
- इसके अलावा, इसके तहत ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ (Central Adoption Resource Authority– CARA) को वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया है, जिससे यह प्राधिकरण अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम होगा.
- इस अधिनियम में बालकों के खिलाफ होने वाले कई नए अपराधों (जैसे, अवैध रूप से गोद लेना, आतंकवादी समूहों द्वारा बालकों का उपयोग, विकलांग बालकों के खिलाफ अपराध, आदि), जो किसी अन्य कानून के तहत पर्याप्त रूप से आच्छादित नहीं है, को शामिल किया गया है.
- राज्य सरकार द्वारा, स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित होने वाले सभी बाल देखभाल संस्थानों के लिए क़ानून के प्रारंभ होने की तारीख से 6 महीने के अन्दर अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना आवश्यक है.
CARA क्या है?
- केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है.
- CARA देशंतारीय दत्तक ग्रहण विषयक 1993 की हेग संधि, जिसे भारत ने 2003 में अंगीकृत किया था, में CARA को ऐसे मामलों के लिए केन्द्रीय प्राधिकरण घोषित किया गया था.
- CARA का मुख्य कार्य अनाथ, त्यक्त और समर्पित किये गये बच्चों के दत्तकग्रहण को विनियमित है.
- हेग संधि (Hague Convention) का कार्य बच्चों और उनके परिवारों को विदेश में अवैध, अनियमित, समय-पूर्व अथवा अविचारित दत्तक ग्रहण से रक्षा करना है.
- हाल ही में अवैध दत्तकग्रहण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया था कि एक महीने के अन्दर वे सभी बाल देखभाल संस्थानों को पंजीकृत करें और उन्हें CARA से जोड़ दें.
- ज्ञातव्य है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 में यह प्रावधान है कि बाल देखभाल की सभी संस्थाएँ पंजीकृत की जाएँ और उन्हें CARA से जोड़ दिया जाए.
मेरी राय – मेंस के लिए
यह समय, रिश्तेदारों द्वारा देखभाल उपलब्ध कराए जाने पर ध्यान केंद्रित करने का है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सभी संबंधित राज्य विभागों को तत्काल ही रिश्तेदार-देखभाल कार्यक्रम (kinship care programme) शुरू कर देना चाहिए और इसे ‘जेजे अधिनियम’ के तहत ‘पालक-देखभाल प्रावधानों’ (foster care provisions) का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
गोद लेना, कई विकल्पों में से एक विकल्प है परन्तु यह एकमात्र विकल्प नहीं है. ऐसे अनाथ बच्चों की देखभाल करने के लिए उनके चाचा-चाची अथवा अन्य कोई निकट संबंधी भी हो सकते हैं. बच्चे अपने स्वयं के परिवार के साथ संपर्क करने और अपनी पैतृक संपति में ही रहने की मांग कर सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में संबंधित बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना बहुत जरूरी हो जाता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its Neighbourhood.
Topic : Manipur HC allows 7 Myanmar refugees to approach UNHCR
संदर्भ
मणिपुर उच्च न्यायलाय ने सात म्यांमार नागरिकों को, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (UNHCR) से सहायता प्राप्त करने के लिए नई दिल्ली की यात्रा करने की अनुमति प्रदान की है.
उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यद्यपि, भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी अभिसमय का पक्षकार नहीं है, परन्तु भारत वर्ष 1948 की मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा तथा वर्ष 1966 के नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते का पक्षकार है. इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 21 में ‘अवापसी का सिद्धांत’ (principle of “non-refoulment”) भी समाविष्ट है.
अवापसी का सिद्धांत यह प्रत्याभूत करता है कि किसी भी व्यक्ति को ऐसे देश में वापस नहीं लौटाया जाना चाहिए, जहां उसे यातना, क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड और अन्य अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़े.
शरणार्थियों पर भारत का पक्ष
- भारत के पास कोई स्पष्ट शरणार्थी नीति नहीं है. निर्णय अलग-अलग प्रकरणों के आधार पर लिए जाते हैं.
- भारत ने शरणार्थियों की परिस्थिति पर 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी अभिसमय, या इसके 1967 प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यह प्रोटोकॉल उन अधिकारों व सेवाओं को निर्धारित करता है, जिन्हें मेजबान राज्यों द्वारा शरणार्थियों को अवश्य उपलब्ध करवाए जाने चाहिए.
- इसके बाद भी भारत ने तिब्बतियों, बांग्लादेश के चकमा, अफगानों और श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों को आश्रय प्रदान किया है.
- नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 का उद्देश्य चयनित देशों के अवैध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees -UNHCR) एक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और एक वैश्विक संगठन है जो शरणार्थियों के जीवन बचाने, उसके अधिकारों की रक्षा करने और उनके लिये बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रति समर्पित है.
- संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1950 में की गई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में स्थित है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications.
Topic : Iron Dome air defence system
संदर्भ
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष में दोनों पक्षों द्वारा हवाई हमले और रॉकेट हमले किए गए हैं. हाल ही में, गाजा पट्टी से दागे जाने वाले रॉकेटों को इजरायली ‘आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम’ (Iron Dome air defence system) द्वारा बीच में ही रोक दिया गया. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे रॉकेट किसी अदृश्य ढाल से टकरा रहे हों.
आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम क्या है?
- यह छोटी दूरी का ज़मीन से हवा में मार करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें एक रडार (Radar) और तामिर (Tamir) इंटरसेप्टर मिसाइल शामिल हैं जो इजरायल पर हमला करने वाली मिसाइलों या रॉकेटो को ट्रैक करके उन्हें बेअसर कर देता है.
- इसका उपयोग रॉकेट, तोप और मोर्टार के साथ-साथ विमान, हेलीकॉप्टर तथा मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) का प्रतिरोध करने के लिये किया जाता है.
- यह दिन और रात सहित सभी मौसमों में कार्य करने में सक्षम है.
- इसे राज्य द्वारा संचालित राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम (Rafael Advanced Defense System) और इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (Israel Aerospace Industries) द्वारा विकसित किया गया है तथा इसे वर्ष 2011 में तैनात किया गया था.
- राफेल इसकी सफलता दर 90% से अधिक का दावा करती है, जिसमें 2,000 से अधिक अवरोधन (Interception) हैं. हालाँकि विशेषज्ञ इसकी सफलता दर 80% से अधिक मानते हैं.
- यह तैनात और युद्धाभ्यासरत बलों, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (Forward Operating Base) तथा शहरी क्षेत्र को अप्रत्यक्ष एवं हवाई खतरों से बचा सकता है.
घटक
आयरन डोम में तीन मुख्य प्रणालियाँ होती हैं, जो अपनी तैनाती क्षेत्र को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिये एक साथ कार्य करती हैं.
-
- रडार: इसमें किसी भी खतरे का पता लगाने के लिये एक डिटेक्शन और ट्रैकिंग रडार है.
- हथियार नियंत्रण: इसमें युद्ध प्रबंधन और हथियार नियंत्रण प्रणाली (BMC) है.
- मिसाइल फायर: इसमें मिसाइल फायरिंग यूनिट भी है. बीएमसी मूल रूप से रडार और इंटरसेप्टर मिसाइल के बीच संपर्क स्थापित करता है.
भारत के पास इस तरह की कौन सी प्रणाली है?
- भारत के पास एक हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली है जो आकाश में शत्रु के विमान को धरती पर से ही भेद सकती है. यह रूस की सर्वाधिक उन्नत प्रणाली है जो 380 km. दूर स्थित बमवर्षकों, जेटों, मिसाइलों और ड्रोनों को भी नष्ट कर सकती है. यह प्रणाली रूस में 2007 से काम कर रही है. इस प्रणाली का निर्माण Almaz-Antey ने किया है.
- फिलहाल इस समय, भारत के पास कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल, और एक रूसी प्रणाली ‘पिकोरा’ (Pechora) है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Related to space.
Topic : Axiom Mission 1
संदर्भ
हाल ही में नासा (NASA) और निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘एक्सिओम स्पेस’ ने ‘एक्सिओम मिशन 1’ (Axiom Mission 1 or Ax-1 ) के लिए हस्ताक्षर किये हैं.
‘एक्सिओम मिशन 1’ (Axiom Mission 1)
- ‘एक्सिओम मिशन 1’ (Axiom Mission 1 or Ax-1), अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में प्रथम निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन है.
- इस मिशन को निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘एक्सिओम स्पेस’ (Axiom Space) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) मिलकर वर्ष 2022 तक लांच करेंगे.
- इसके लिए हाल ही में नासा (NASA) और ‘एक्सिओम स्पेस’ (Axiom Space) ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.
- ‘एक्सिओम मिशन 1’ को वर्ष 2022 में नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अनावृत किया जाएगा.
- ‘एक्सिओम मिशन 1’ के अंतर्गत चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में भेजा जाएगा. ये अंतरिक्ष यात्री लगभग 8 दिन अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताएंगे.
Prelims Vishesh
Putola Nach :-
- हाल ही में, यूनिसेफ (UNICEF) के सहयोग से असम स्थित एक ट्रस्ट ने कोविड के संदर्भ में उचित व्यवहार पर व्यापक जागरूकता सृजित करने के लिए पुतला नाच का उपयोग करते हुए तीन लघु चलचित्रों का निर्माण किया है.
- पुतला नाच असम की धागा पुतली कला है.
- यह तीन क्षेत्रों में मिन्न-भिन्न विशेषताओं के साथ प्रदर्शित की जाती है :
- निचला असम: पुतला-भूरिया और पुतला-भाओना.
- ऊपरी असम (माजुली द्वीप): शंकरदेव द्वारा विकसित अंकिया नाट शैली.
- उत्तरी असम: यह विषय और परिधान के मामले में असम के सचल रंगमंच (भ्रामयमन) से काफी मात्रा में प्रेरित है.
1 May – Labour Day :-
- एक मई को दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day 2019) मनाया जाता है.
- भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई. भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी.
- इन दिन को लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस और मजदूर दिवस भी कहा जाता है.
- अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 4 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में चल रहे मजदूर आन्दोलन के बीच पुलिस द्वारा की गई गोलबारी में कुछ मजदूरों के देहांत के याद में मनाया जाता है.
- इस दिवस को 1 मई को मनाने की परम्परा 1891 को जाकर शुरू हुई.
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