Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 November 2019

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100 Questions for Current Affairs Revise Part 1 >  Test Link

Sansar Daily Current Affairs, 13 November 2019


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : International Treaty on Plant Genetic Resources for Food and Agriculture

संदर्भ

ITPGRFA के प्रशासी निकाय का आठवाँ सत्र इटली के रोम में हो रहा है.

इस सत्र प्रतिभागियों को बताया गया कि किसानों के अधिकारों और ग्रिडिंग करने वालों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत ने एक अनूठा कानून बनाया है जिसका नाम “पादप प्रकार एवं कृषक अधिकार सुरक्षा अधिनियम (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights (PPV&FR) Act) है.

ITPGRFA संधि क्या है?

  • ITPGRFA का पूरा नाम है – अंतर्राष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि हेतु पादप आनुवंशिक संसाधन संधि (International Treaty of Plant Genetic Resources for Food and Agriculture)
  • इसे 3 नवम्बर, 2001 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के 31वें सम्मलेन में अंगीकृत किया गया था.
  • यह “बीज संधि” (seed treaty) भी कहलाती है क्योंकि यह व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समझौता विश्व के खाद्य एवं कृषि से सम्बंधित पादप आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण, विनिमय एवं सतत उपयोग के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

ITPGRFA के उद्देश्य

  • विश्व को भोजन देने वाली फसलों की विविधता में किसानों के महान योगदान को मान्यता देना.
  • किसानों, पादप ब्रीडिंग करने वालों और वैज्ञानिकों को पादप आनुवंशिक सामग्रियों को मुहैया करते हुए एक वैश्विक प्रणाली की स्थापना करना.
  • जिन देशों में ये आनुवंशिक सामग्रियाँ मूलतः उत्पन्न हुई हैं उनके उपयोग से होने वाले लाभों को साझा करने का काम सुनिश्चित करना.

पादप प्रकार एवं कृषक अधिकार सुरक्षा अधिनियम (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights (PPV&FR) Act) क्या है?

  • यह अधिनियम 2001 में पारित हुआ था.
  • यह अधिनियम 1978 के अंतर्राष्ट्रीय नवीन पादप-प्रकार सुरक्षा संघ (International Union for the Protection of New Varieties of Plants) के प्रस्तावों के अनुरूप है.
  • यह कानून पादप ब्रीडिंग गतिविधियों में वाणिज्यिक पादप ब्रीडरों और किसानों दोनों के योगदान को मान्यता देता है. इसके अतिरिक्त यह निजी, सार्वजनिक प्रक्षेत्रों एवं शोध संस्थानों के साथ-साथ संसाधन की कमी से जूझते किसानों आदि सभी हितधारकों के सामाजिक-आर्थिक हितों का भी समर्थन करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation / Money laundering related issues.

Topic : FCRA and foreign funding

संदर्भ

भारत सरकार ने 1,800 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों को इस वर्ष विदेश से पैसा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि ये विदेशी धन प्राप्ति से सम्बंधित कानून – विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम, 2010 – का उल्लंघन करते हुए पाए गये थे.

विदेशी राशि लेने से सम्बंधित अधिनियम

विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम, 2010 और इस अधिनियम के तहत बनाये गये नियम भारत में गैर सरकारी संगठनों के द्वारा विदेशी योगदान की प्राप्ति एवं उपयोग को नियमित करने का काम करते हैं.

FCRA का प्रभाव क्षेत्र और उद्देश्य

FCRA इसलिए पारित किया गया था कि राष्ट्रीय हित के विरुद्ध किसी गतिविधि में विदेशी योगदान की रोकथाम की जाए. इस अधिनियम का प्रभाव क्षेत्र बहुत व्यापक है. यह किसी व्यक्ति, निगमित निकाय, अन्य प्रकार की भारतीय इकाइयों (निगमित अथवा अनिगमित), प्रवासी भारतीयों, विदेश में स्थित भारतीय कंपनियों की शाखाओं अथवा उपकार्यालयों एवं भारत में निर्मित अथवा पंजीकृत इकाइयों पर लागू होता है. इसका इसका कार्यान्वयन भारत सरकार का गृह मंत्रालय करता है.

विदेशी धन लेने की अनुमति

FCRA उन्हीं NGO को विदेशी दान स्वीकार करने की अनुमति देता है जिनके पास कोई निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यक्रम हो और वह भी तब जब सम्बंधित NGO अधिनियम के तहत पूर्वानुमति प्राप्त करे अथवा पंजीकरण का प्रमाणपत्र प्राप्त करे.

विदेशी धन के प्रयोग की शर्तें

  • NGO द्वारा ली जाने वाली राशि का उपयोग मात्र उसी उद्देश्य के लिए हो जिसके लिए वह ली गई हो.
  • प्राप्त राशि का उपयोग अधिनियम में बताई गई अनुमानात्मक गतिविधियों में किसी भी दशा में न हो.
  • सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति के बिना विदेशी धनराशि ऐसी किसी इकाई को नहीं दी जा सकती है जो अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है.
  • विदेशी धनराशि से खरीदी गई कोई भी सम्पदा NGO के नाम से ही होनी चाहिए न कि इसके पदाधिकारियों अथवा सदस्यों के नाम से.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : World Pneumonia Day

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस (World Pneumonia Day) मनाया गया. ज्ञातव्य है कि यह दिवस 2009 से मनाया जाता रहा है.

निमोनिया क्या है?

  • निमोनिया होने पर फेफड़ों में हवा की थैलियों में संक्रमण या बलगम भर जाता है. निमोनिया सबसे पहले फेफड़े के एक हिस्से को सख्त कर देता है. उसमें शुद्ध हवा का आवागमन बाधित हो जाता है. गम्भीर निमोनिया घातक भी हो सकता है.
  • बच्चे और 65 वर्ष के ऊपर के व्यक्ति विशेष रूप से निमोनिया की चपेट में आते हैं.
  • यह बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद के संक्रमण से होता है.
  • इसके लिए दो बैक्टीरिया विशेषकर दोषी होते हैं – Streptococcus pneumoniae और Haemophilus influenzae type b (Hib).
  • जिस वायरस से निमोनिया से होता है उसका नाम है – Respiratory syncytial virus.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व-भर में बच्चे जिस किसी एक सबसे बड़े कारण से मरते हैं वह निमोनिया ही है.
  • प्रत्येक वर्ष 5 वर्ष से नीचे के 1.4 मिलियन बच्चे अर्थात् कुल मृत्यु का 18% निमोनिया से मरते हैं. यह स्थिति है तब है जब निमोनिया ऐसा रोग है जिससे बचा जा सकता है और जिसका उपचार हो सकता है.
  • UNICEF के अनुसार प्रत्येक 39 सेकंड में एक बच्चा निमोनिया से प्राण गँवा बैठता है अर्थात् प्रत्येक वर्ष 8 लाख बच्चे इससे मर जाते हैं.

निमोनिया के लक्षण

सामान्य से अधिक तेज़ सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना आदि.


GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Development, Bio diversity, Environment, Security and Disaster Management.

Topic : Brown to Green Report 2019

संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्था क्लाइमेट ट्रांसपरेंसी पार्टनरशिप ने पिछले दिनों 2019 का ब्राउन टू ग्रीन रिपोर्ट प्रकाशित किया.

यह रिपोर्ट G20 के देशों के द्वारा जलवायु के विषय में किये गये कार्यों की व्यापक समीक्षा करता है.

मुख्य निष्कर्ष

  • भारत समेत विश्व की सर्वाधिक बड़ी 20 अर्थव्यवस्थाओं में कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है.
  • G20 देशों में किसी भी के पास लक्ष्य पाने के लिए उपयुक्त योजना नहीं है.
  • G20 देशों में ऊर्जा से जुड़े कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 2018 में 1.8% की उछाल आई क्योंकि ऊर्जा की माँग बढ़ रही है.
  • यद्यपि G20 देशों में 2018 में नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति 5% बढ़ी है, परन्तु जीवाश्म ईंधन अभी भी 82% उपयोग में आते हैं.
  • अब नवीकरणीय स्रोतों से 25.5% बिजली पैदा होती है परन्तु हरित ऊर्जा का लक्ष्य पाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है.
  • यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखना है तो 2050 तक कम कार्बन वाले ईंधनों का उपयोग 10 गुना बढ़ाना होगा.
  • 2018 में G20 देशों में सबसे अधिक (4.1%) वृद्धि निर्माण क्षेत्र में हुई थी. पुरानी अवसंरचनाओं में कम उत्सर्जन वाले उपकरण लगाना एक बड़ी समस्या है. नए भवनों को भी 2020-25 तक शून्य ऊर्जा के आस-पास होना पड़ेगा नहीं तो वैश्विक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखना दुष्कर होगा.

रिपोर्ट में भारत की स्थिति

  • G20 देशों में भारत की सरकारी स्तर पर सक्रियता सबसे अधिक रही है, किन्तु उत्सर्जन में अच्छी-खासी कमी लाने के लिए और भी कुछ करने को शेष है.
  • ऊर्जा के क्षेत्र में वर्तमान में भारत नवीकरणीय ऊर्जा पर सबसे अधिक निवेश कर रहा है.
  • चीन के साथ-साथ भारत उन G20 देशों में से एक है जिन्होंने सबसे अधिक प्रगतिशील ऊर्जा बचत नीतियाँ बनाई हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Dal Lake area to be eco-sensitive zone

संदर्भ

जम्मू-कश्मीर संघीय क्षेत्र सरकार एक 10 सदस्यीय समिति बनाने जा रही है जो डल झील को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करेगी.

ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एक प्रतिवेदन के अनुसार, डल झील पहले 31 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी, परन्तु अब सिकुड़ कर 24 वर्ग किलोमीटर में रह गई है.

पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र क्या हैं?

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 में “पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र” शब्द का उल्लेख नहीं है.
  • अधिनियम के अनुभाग 3 (2) (v) के अनुसार, केंद्र सरकार कुछ क्षेत्रों को प्रतिबंधित कर सकती है कि वहाँ किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रियाएँ नहीं की जाएंगी अथवा बहुत आवश्यक हो तो ये उद्योग, प्रक्रियाएँ या संचालन कुछ सुरक्षा उपायों के अधीन ही किये जाएँगे.
  • इस अधिनियम के अनुभाग 5 (1) के अनुसार, केंद्र सरकार किसी क्षेत्र की जैविक विविधता के आधार पर, प्रदूषण की अधिकतम स्वीकार्य सीमा, पर्यावरण के अनुकूलभूमि उपयोग अथवा संरक्षित क्षेत्रों से निकटता के आधार पर उद्योगों व प्रक्रियाओं को प्रतिबंधित कर सकती है.

पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने के मानदंड

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने के मानदंडों के लिए दिशानिर्देश निर्गत कर रखे हैं.

इन मानदंडों का आधार निम्नलिखित है –

  1. प्रजाति आधारित (प्रचुरता, विरलता आदि)
  2. पारिस्थितिकी आधारित (पवित्र वृक्ष, सीमान्त वन आदि)
  3. भू-आकृति आधारित (जनशून्य द्वीप, नदी उद्गम आदि)

Prelims Vishesh

Sri Lanka has criminalised match-fixing :-

श्रीलंका दक्षिण एशिया का वह पहला देश बन गया है जिसने मैच फिक्सिंग से सम्बंधित कई गतिविधियों को आपराधिक घोषित कर दिया है और इनके लिए डंडों का प्रावधान कर दिया है.

World Congress on Rural and Agricultural Finance :

  • नई दिल्ली में ग्रामीण एवं कृषिगत वित्त से सम्बंधित छठे विश्व कांग्रेस का आयोजन चल रहा है.
  • यह आयोजन नाबार्ड और APRACA (एशिया-प्रशांत ग्रामीण एवं कृषि ऋण संघ) मिलजुल कर कर रहा है और इसमें भारत सरकार का कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय अपना सहयोग दे रहा है.
  • इस बार की थीम है – ग्रामीण एवं कृषिगत वित्त : समावेशी एवं सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अत्यावश्यक इनपुट / Rural and Agricultural Finance: Critical Input to Achieve Inclusive and Sustainable Development.

Project Zero :

  • अमेज़न ने अपने मंच से नकली सामग्रियों की बिक्री को रोकने के लिए एक परियोजना चलाई है जिसे प्रोजेक्ट जीरो नाम दिया गया है.
  • यह नकली सामग्रियों को पहचानने, रोकने और हटाने के सशक्त तंत्रों से युक्त है.

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