Sansar Daily Current Affairs, 13 October 2020
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : Atal Innovation Mission (AIM)
संदर्भ
अटल नवाचार मिशन (AIM), नीति आयोग ने स्कूलों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सीजीआई इंडिया के साथ आशय के विवरण (SOI) पर हस्ताक्षर किए हैं. AIM को लगातार समर्थन देने की अपने किस्म की अटल टिंकरिंग लैब पहल के एक हिस्से के रूप में, एआईएम और सीजीआई इंडिया ने स्कूलों में एक सफल और नवाचारी कार्यबल का सृजन करने के लिए सहयोग किया है. AIM और सीजीआई इंडिया सबसे बड़ी आईटी और व्यापार परामर्श सेवा फर्मों में शामिल हैं.
अटल नवाचार मिशन क्या है?
- यह मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है जिसका प्रयोजन देश में नवाचार एवं उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है.
- इस मिशन का कार्य देश के अन्दर नवाचार के वातावरण पर दृष्टि रखने के लिए एक बहु-आयामी अवसरंचना का निर्माण करना है जिससे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार पारिस्थितिकी तन्त्र में क्रान्ति लाई जा सके.
अटल नवाचार मिशन के दो प्रमुख कार्य
स्वरोजगार और प्रतिभा के उपयोग के द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देना. इसके लिए नवाचार करने वाले को सफल उद्यमी बनाने के निमित्त सहायता और मन्त्रणा दोनों दी जायेगी.
प्रभाव
- इस मिशन ने कई बड़े-बड़े और प्रगतिशील पहलें शुरू की हैं, जैसे – अटल टिकरिंग लैब (ATL) और अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AIC).
- अटल नवाचार मिशन की तकनीकी सहायता से भारत सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों ने नवाचार से सम्बद्ध गतिविधियाँ आरम्भ की हैं.
- अटल टिकरिंग लैब कार्यक्रम के अंतर्गत 2020 तक 10,000 से अधिक विद्यालय ऐसी प्रयोगशालाएँ स्थापित करने जा रहे हैं.
- देश-भर में 100 से अधिक अटल इनक्यूबेशन सेंटर भी बन रहे हैं जिनके माध्यम से पहले पाँच वर्षों में कम से कम 50-60 स्टार्ट-अपों को सहारा दिया जाएगा.
- अपने आविष्कारों को उत्पाद में बदलने के लिए 100 से अधिक नवाचारियों को इस मिशन के अंतर्गत कुछ न कुछ सहयोग मिलने की सम्भावना है.
- प्रत्येक चौथे वर्ष एक-एक इनक्यूबेटर तकनीकी नवाचार पर आधारित 50-60 स्टार्ट-अपों को सम्पोषित करेगा.
- नवाचार पर आधारित नए-नए स्टार्ट-अप खुलने से रोजगार में व्यापक वृद्धि होने की संभावना है.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
AIM की छह प्रमुख पहल:
- अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs): भारत के विद्यालयों में समस्याओं को सुलझाने की मानसिकता (Problem-solving Mindset) को विकसित करना.
- अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (Atal Incubation Centers): विश्व स्तर के स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना और इनक्यूबेटर मॉडल में एक नया आयाम जोड़ना.
- अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज़ (Atal New India Challenges): विभिन्न क्षेत्रों/मंत्रालयों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये उत्पाद नवाचारों को बढ़ावा देना.
- मेंटर इंडिया कैंपेन (Mentor India Campaign): मिशन की सभी पहलों का समर्थन करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र, कॉरपोरेट्स और संस्थानों के सहयोग से एक नेशनल मेंटर नेटवर्क (National Mentor Network) विकसित करना.
- अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र (Atal Community Innovation Center): टियर-2 और टियर-3 शहरों समेत देश के दूरस्थ क्षेत्रों में समुदाय केंद्रित नवाचार और विचारों को प्रोत्साहित करने के लिये.
- उन्नत मरम्मत और औद्योगिक कौशल संवर्द्धन (Advanced Repair & Industrial Skill Enhencement- ARISE):सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) में नवाचार तथा अनुसंधान को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health.
Topic : AYURVED DIWAS
संदर्भ
इस वर्ष के ‘आयुर्वेद दिवस‘ का आयोजन कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में आयुर्वेद की संभावित भूमिका पर केंद्रित होगा. इस वर्ष यह दिवस 13 नवंबर 2020 को मनाया जायेगा.
आयुर्वेद दिवस 2020 से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- आयुष मंत्रालय ने 5वें ‘आयुर्वेद दिवस’ को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें वर्तमान महामारी से संबंधित चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है और इस संदर्भ में आयुर्वेद रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्माण में कैसे मदद कर सकता है.
- इस वर्ष ‘आयुर्वेद दिवस’ पर ‘कोविड-19 महामारी के लिए आयुर्वेद’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जाएगा. इसका उद्देश्य आयुर्वेद प्रणाली की विभिन्न पहलों के माध्यम से कोविड-19 महामारी को कम करने के बारे में वर्चुअल माध्यम से सूचना प्रसार का एक अवसर है.
- दुनिया भर के लगभग 1.5 लाख प्रतिभागियों के वेबिनार में भाग लेने की आशा है. आयुष मंत्रालय ने विदेशों में दूतावासों/मिशनों से भी अनुरोध किया है कि वे उपयुक्त गतिविधियों के साथ आयुर्वेद दिवस का आयोजन करें, जिसमें जनता की सहभागिता हो.
आयुर्वेद दिवस
- सन् 2016 से प्रति वर्ष धन्वंतरि जयंती के दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है.
- आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य आयुर्वेद और उसके अद्वितीय उपचार सिद्धांतों की शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करना है.
- आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करके रोग और संबंधित मृत्यु दर को कम करने की दिशा में काम करना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम, और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में योगदान के लिए आयुर्वेद की क्षमता का उपयोग करने के साथ-साथ समाज में चिकित्सा के लिये आयुर्वेदिक सिद्धांतों को बढ़ावा देना इसके उद्देश्यों में शामिल है.
- इस प्रकार, आयुर्वेद दिवस, उत्सव और समारोह से अधिक व्यवसाय और समाज के लिए समर्पण का एक अवसर है.
मेरी राय – मेंस के लिए
कोरोना महामारी काल में आयुर्वेद के महत्व को सभी ने समझा है. कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल आज देश में हर जगह हो रहा है. देश में तेजी से आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है. आयुर्वेद दिवस केवल समारोह या उत्सव नहीं, बल्कि व्यवसाय और समाज के प्रति पुन: समर्पण का अवसर है. आयुर्वेद, मानवता की मूल स्वास्थ्य परंपरा, केवल एक चिकित्सा प्रणाली नहीं है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे सहजीवी संबंध की अभिव्यक्ति भी है. यह लिखित प्रमाणों के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है, जिसमें बीमारी की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, दोनों पर उचित ध्यान दिया जाता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health.
Topic : Generic Medicines
संदर्भ
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार भारत दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में शामिल है. प्रारंभिक चरण में, आपातकालीन मामलों में एचसीक्यू और एज़िथ्रोमाइसिन को कोविड-19 के उपचार हेतु दवाओं में से एक के रूप में चिन्ह्ति किया गया था. दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में भारत विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में ख्याति अर्जित की है.
जेनेरिक दवा
- जेनेरिक दवाएँ उतनी ही गुणवत्तायुक्त और कारगर हैं जितनी ब्रांड की गई महँगी दवाइयाँ. साथ ही इनके दाम इन महँगी दवाइयों की तुलना में बहुत कम होते हैं.
- अनुसंधान एवं नवाचार के पश्चात् दवाओं का निर्माण किया जाता है जिसका दवा निर्माता कंपनी द्वारा ट्रिप्स पद्धति के अंतर्गत पेटेंट कराया जाता है. पेटेंट द्वारा दवा का निर्माण तथा विक्रय संबंधित कंपनी के लिये अनन्य हो जाता है तथा किसी अन्य संस्था के लिये उस दवा का निर्माण करना प्रतिबंधित कर दिया जाता है.
- यह पेटेंट 20 वर्षों के लिये ही संभव होता है. इस पेटेंट के नवीनीकरण के लिये दवा निर्माता को दवा में मौलिक परिवर्तन करना होता है. इसके बिना दवा का पेटेंट समाप्त हो जाता है.
- पेटेंट समाप्ति के पश्चात् कोई भी कंपनी अथवा देश उस दवा का निर्माण कर सकने में सक्षम होता है. ऐसी दवाओं को जेनेरिक दवाएँ कहा जाता है. प्रायः यह दवाएँ ब्राण्ड के नाम के बिना या किसी अन्य नाम अथवा फोर्मुले द्वारा बेची जाती हैं. साथ ही इन दवाओं का प्रभाव तथा उपयोगिता पेटेंट दवाओं के समान ही होती है.
- इसी प्रकार अनिवार्य लाइसेंसिंग (Compulsory license) भी ऐसी पद्धति है जिसमें कोई देश जनहित में किसी भी पेटेंट दवा के निर्माण का लाइसेंस किसी अन्य दवा निर्माता कंपनी को दे सकता है, ताकि दवा की कीमत को कम तथा उसके उपयोग को व्यापक किया जा सके. भारत में नैट्को कंपनी के मामले में अनिवार्य लाइसेंसिंग की व्यवस्था की गई है.
जेनेरिक दवाएँ आवश्यक क्यों हैं?
भारत में लोगों की क्रय-शक्ति कम होने के कारण दवाओं की ऊँची कीमतें प्रभावी स्वास्थ्य सेवा के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा साबित हो रही है. नीचे दिये गए तथ्य भारत में बीमारी के बढ़ते बोझ के प्रत्यक्ष कारण हैं और इस संदर्भ में जेनेरिक दवाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
मेरी राय – मेंस के लिए
भारत में एक तीसरी तरह की दवा बिकती है, जिसे लिखना डॉक्टर अधिक पसंद करते हैं, वह है– ब्रांडेड जेनरिक. हमारे देश में जेनरिक दवाइयों को ही अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में ब्रांडेड दवा कहते हैं. दरअसल, दवा कम्पनियां जिन दवाइयों की बिक्री MR (मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव ) के माध्यम से करती हैं, वे ब्राण्डेड जेनरिक कहलाती हैं और जिन दवाइयों को दवा दुकानदार सीधे कम्पनी के डिस्ट्रीब्यूटर से ख़रीदकर स्वयं बेचते हैं, उन्हें जेनरिक दवा कहते हैं. एक दवा दुकानदार को जेनरिक दवाइयां बेचने में बहुत ज़्यादा मुनाफा है. यदि एक जेनरिक दवा की कीमत 100 रूपये है, तो दुकानदार उसे मुश्किल से मात्र 20 रूपये में खरीदता है.
भारत एक नवोन्मेषी बाज़ार में रूपांतरित होने के मुहाने पर खड़ा है. यह उपयुक्त समय होगा कि भारत जेनेरिक दवाओं के महत्त्व और उनकी सीमितता, दोनों पर तथ्यों की सार्वजनिक उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिये एक अधिक दृढ़ भूमिका का निर्वाह करे. देश को मज़बूत सम्मति और भागीदारी के निर्माण की आवश्यकता है जो लाभ और दोष दोनों को उजागर करे ताकि नवोन्मेष के लिये मज़बूत आधार प्राप्त हो. नवोन्मेष और नीति विफलताओं के बहाने से उत्पादक कार्यबलों को जीवन रक्षक दवाओं तक पहुँच से वंचित रखना उपयुक्त नहीं होगा.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Ocean Conservation Reserve
संदर्भ
रामसर सम्मेलन संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की मान्यता वाली सूची में एक और आर्द्रभूमि जुड़ी है. देहरादून स्थित आसन संरक्षण रिजर्व (OCR) उत्तराखंड में रामसर से मान्यता प्राप्त करने वाला पहली आर्द्रभूमि है.
पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत कार्य करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था कन्वेशन आफ माइग्रेट्री स्पीसीज (CMS) की ओर नई आर्द्रभूमि का प्रस्ताव माँगा गया था. इसी क्रम में उत्तराखंड वन विभाग ने देहरादून जिले में स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व का प्रस्ताव CMS को भेजा था.
स्मरणीय जानकारी
- इसी के साथ देश में रामसर साइट की संख्या बढ़कर 38 हो गई है.
- इसी के साथ भारत दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा रामसर साइट वाला देश बन गया है.
आसन कंजर्वेशन रिजर्व के बारे में
- उत्तराखंड में प्रवासी की ऐशगाह माने जाने वाली आसन कंजर्वेशन रिजर्व को 14 अगस्त 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा देश को समर्पित किया गया था.
- यहाँ अक्टूबर में प्रवासी परिंदों का आगमन होता है और ये मार्च आखिर तक डेरा डाले रहते हैं. यहाँ मध्य एशिया समेत चीन, रूस आदि इलाकों से पक्षियां प्रवास पर पहुंचते हैं.
- आसन वेटलैंड सुर्खाब पक्षी, जिसे रूडी शेल्डक भी कहा जाता है, का पसंदीदा स्थल है.
अन्य रामसर स्थल किन राज्यों में हैं?
राजस्थान, केरल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, गुजरात, तमिलनाडु और त्रिपुरा.
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रामसर संधि क्या है?
- रामसर आर्द्रभूमि समझौते (Ramsar Convention on Wetlands) पर 2 फरवरी, 1971 में इरान के कैप्सियन सागर के तट पर स्थित शहर रामसर में हस्ताक्षर किये गये थे. इसलिए इसे रामसर संधि कहा जाता है. कुछ लोग इस संधि को आर्द्रभूमि संधि (Wetland Convention) भी कहते हैं.
- यह 1975 में लागू हुई.
- इस संधि का औपचारिक नाम है –अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व, विशेषकर जल पक्षी आवास के रूप में आर्द्रभूमियों के विषय में संधि.
- यह एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि के संरक्षण और समुचित उपयोग के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान करती है.
- भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
- भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण के मामलों के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु-परवर्तन मंत्रालय नोडल मंत्रालय घोषित है.
- विदित हो कि भारत में सम्पूर्ण भूमि के 4.7% पर आर्द्रभूमि फैली हुई है.
Prelims Vishesh
Zozila Tunnel :-
- जम्मू कश्मीर ज़ोज़िला टनल पर आज एक आयोजन में विस्फोट के बाद निर्माण का कार्य शुरू हो गया. एनएच-1 पर इस बनने वाली इस टनल से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच (लद्दाख पठार में) सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा.
- जम्मू कश्मीर में श्रीनगर से करगिल होते हुए लेह तक जाने वाली एक 14.2 km. लम्बी .Zoji-la नामक सुरंग पर काम शरू हो गया है इसका शिलान्यास प्रधानमन्त्री मोदी के द्वारा 20 मई, 2018 को किया गया था.
- इस सुरंग के कारण किसी भी मौसम में श्रीनगर से लेह जाने में कोई रुकावट नहीं आएगी.
- ज्ञातव्य है कि भारी बर्फबारी के कारण जाड़ों में करगिल और लेह का सम्पर्क शेष भारत से टूटा रहता है.
- इस सुरंग के निर्माण का कार्य सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा National Highways and Infrastructure Development Corporation Limited (NHIDCL) के माध्यम से करवाया जा रहा है.
- यह मार्ग अतिसुरक्षित रहेगा और साथ ही श्रीनगर से लेह तक की यात्रा का समय 3.5 घंटे से घटकर 15 मिनट रह जायेगा.
- सुरक्षा की दृष्टि से भी यह सुरंग फलदायी होगा क्योंकि इसके आस-पास घुसपैठ एवं लड़ाइयाँ आये दिन होती रहती हैं.
- जैसे कि हम सब जानते हैं कि जोजिला दर्रा 11,578 ft. की ऊँचाई पर स्थित है जो जाड़ों में (December से April) सर्दी और हिमस्खलन के कारण बंद ही रहता है.
Mahila Kisan Diwas :-
कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महिला किसान दिवस का आयोजन किया.
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