Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 September 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 13 September 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Ethics Committee of Lok Sabha

संदर्भ

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने वरिष्ठ भाजपा नेता एल.के. आडवानी को लोकसभा नैतिकता समिति (Lok Sabha Ethics Committee) का अध्यक्ष नामित किया है.

नैतिकता समिति क्या है?

लोक सभा की नैतिकता समिति का गठन एक तदर्थ (ad-hoc) समिति के रूप में 16 मई, 2000 को हुआ था. परन्तु इसे अगस्त 2015 में नियमित स्थाई समिति (permanent Standing Committee status) का दर्जा दिया गया.

समिति के कार्य

  • नैतिकता समिति किसी सदस्य द्वारा अनैतिक आचरण की शिकायत मिलने पर उस पर विचार करती है.
  • वह चाहे तो किसी सदस्य द्वारा अनैतिक आचरण किये जाने के मामले का स्वतः संज्ञान भी ले सकती है और उसपर विचार कर यथोचित अनुशंसा दे सकती है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Fixed dose combination (FDC) drugs

संदर्भ

सरकार ने 328 नियत डोज के सम्मिश्रण वाली (fixed dose combination – FDC) दवाओं के मानव के उपयोग के लिए निर्माण, विक्रय अथवा वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है.

जिन दवाओं पर प्रतिबन्ध लगा है उनमें दर्दनिवारक, मधुमेह, श्वसन एवं पेट की बीमारियों से सम्बंधित दवाएँ शामिल हैं. प्रतिबंधित ब्रांडों की संख्या 6,000 है.

प्रतिबंध का आधार

विशेषज्ञ पैनल ने नियत डोज के सम्मिश्रण वाली दवाओं का परीक्षण किया था और उन्हें अतार्कित बताया था क्योंकि वे सुरक्षित नहीं थी और उनके उपचार के दावे उचित नहीं थे. पैनल ने यह पाया कि इन दवाओं को डोज के विषय में बिना उचित ध्यान दिए तैयार किया गया था और इनमें डोज एक समान नहीं थे जिसके चलते विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है.

FDC क्या है?

नियत डोज के सम्मिश्रण (FDC) वाली दवाएँ दो या अधिक सक्रिय औषधीय तत्त्वों को एक नियत अनुपात  में मिलाकर तैयार की जाती हैं. अमेरिका के स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाली संस्था IMS Health के अनुसार 2014 में भारत में जितनी दवाएँ बिक रही थीं, उनमें आधी FDC ही थी. इस प्रकार भारत ऐसी दवाओं का प्रचालन विश्व भर में सबसे ज्यादा है.

FDC भारत में लोकप्रिय क्यों?

भारत में FDC की लोकप्रियता के मुख्य कारण हैं – बढ़ी हुई प्रभावशीलता, घटे हुए दाम और वितरण में सुविधा. FDC दवाएँ उन रोगों के उपचार में कारगर हैं जो संक्रामक होते हैं, जैसे – HIV, मलेरिया, तपेदिक आदि. ये पुरानी बीमारियों में भी काम आती हैं, विशेषकर उन बीमारियों में जिनमें एक से अधिक विकृतियाँ साथ-साथ होती हैं.

FDC के खतरे

जब एक ही उपचार से जुड़ी अनेक दवाएँ, जैसे – एंटी-बायटिक सम्मिश्रित कर दी जाती हैं तो इसके कारण प्रतिरोध (resistance) उत्पन्न हो सकता है. पिछले दिनों सार्वजनिक विज्ञान पुस्तकालय की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में बाजार में उपलब्ध 70% NSAID (non-steroidal anti-inflammatory drug) सम्मिश्रण, जिनका प्रयोग दर्द निवारक के रूप में होता है, बिना भारत सरकार की अनुमति के बेची जा रही हैं.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Capacity Development Scheme

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने कौशल विकास योजना (CDS) को 2017-18 से 2019-20 तक चालू रखने की मंजूरी दी है.

CDS क्या है?

CDS सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (Central Sector Scheme) है.

इस योजना का उद्देश्य अवसंरचना, तकनीक तथा मानव संसाधनों में वृद्धि करना है जिससे नीति निर्माताओं और जन-सामान्य को विश्वसनीय और सामयिक सरकारी आँकड़ें उपलब्ध हो सकें.

इस योजना के अंतर्गत चल रही गतिविधियाँ निम्नलिखित हैं

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), सांख्यिक वर्गीकरण (Statistical classifications) आदि से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण सांख्यिक उत्पादों का सृजन करने हेतु संसाधनों में वृद्धि करना.
  • सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, कौशल निर्माण, सांख्यिक समन्वय को सुदृढ़ करना और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) की अवसंरचना में सुधार करना.
  • सामयिक श्रम वर्ग सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey – PLFS) के माध्यम से योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में श्रम वर्ग का त्रैमासिक और पूरे देश का वार्षिक मूल्यांकन किया जाता है.
  • कुछ महत्त्वपूर्ण अन्य सर्वेक्षण हैं – समय उपयोग सर्वेक्षण, सेवा क्षेत्र उपक्रमों का वार्षिक सर्वेक्षण तथा अनिर्मित क्षेत्र के उपक्रमों का वार्षिक सर्वेक्षण.

कौशल विकास योजना के अंतर्गत दो उप योजनाएँ

आर्थिक गणना (Economic Census)

CDS में 2013-14 में अंतिम आर्थिक गणना की थी. उसके बाद कोई आर्थिक गणना हुई नहीं है परन्तु सरकार का विचार है कि इस तरह की गणना भविष्य में हर तीसरे साल की जाए.

SSS उप-योजना

इस योजना का उद्देश्य राज्य स्तर पर संचालित सांख्यिकी प्रणालियों/अवसरंचनाओं को सुदृढ़ करना है जिससे पूरे राष्ट्र के स्तर पर एक मजबूत सांख्यिक प्रणाली का विकास हो सके. SSS का full form है – State/ Sub-State level Statistical Systems

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : First tribal circuit under Swadesh Darshan Scheme

संदर्भ

स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में पहली जनजातीय सर्किट योजना का अनावरण होने जा रहा है. यह दूसरी सर्किट परियोजना है जिसे स्वदेश दर्शन योजना के तहत उद्घाटित किया जा रहा है. इस प्रकार जनजातीय सर्किट योजना नागालैंड और तेलंगाना के लिए भी प्रस्तावित हैं.

मुख्य तथ्य

  • इस जनजातीय सर्किट परियोजना में आने वाले छत्तीसगढ़ के स्थल हैं – जशपुर, कंकुरी, मेनपत, कमलेशपुर, महेशपुर, कुर्दार, सरोद दादर, गंगरेल, कोंडागांव, नाथिया नवागांव, जगदलपुर, चित्रकूट, तीरथगढ़.
  • इस परियोजना के लिए जो निर्माण कार्य किये जायेंगे, वे हैं – इको लॉग हट (eco log huts/कुटीर), शिल्प हाट, सोवनियर दुकान/गुमटी (souvenir shops/ kiosk), यात्रियों के लिए स्वागत एवं सुविधा केंद्र, खुली क्रीडांगन (open amphitheatre), जनजातीय दुभाषिया केंद्र (tribal interpretation centres), कार्यशाला केंद्र, यात्रिक सुविधा केंद्र, अंतिम गंतव्य तक सम्पर्क की सुविधा आदि आदि.
  • जनजातीय सर्किट के बन जाने से यात्रियों को यहाँ घूमने में सुविधा तो मिलेगी ही, क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

स्वदेश दर्शन योजना के बारे में

  • जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
  • यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
  • प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
  • एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
  • कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.
  • पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
  • इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
  • योजना के अंतर्गत 13 विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गई है, ये सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : UN Interagency Task Force (UNIATF)

संदर्भ

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर-सचिव एवं मिशन निदेशक को प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र इंटर एजेंसी टास्क फाॅर्स (UN Interagency Task Force – UNIATF) पुरष्कार से सम्मानित किया गया है. यह पुरष्कार उन्हें असंक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण करने तथा सम्बंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान हेतु दिया गया है.

UNIATF क्या है?

UNIATF का गठन संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामजिक परिषद् (ECOSOC) के जुलाई, 2013 के प्रस्ताव के अंतर्गत किया गया था. इस कार्यदल (task force) की बैठक का आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन करता है और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के माध्यम से इस विषय में ECOSOC को प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है.

UNIATF के कार्य

  • UNIATF का काम संयुक्त राष्ट्र के असंक्रामक रोग के विषय में निर्गत राजनैतिक घोषणा में लिए गये संकल्पों को चरितार्थ करने हेतु संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न कार्यक्रमों, कोषों एवं विशेषज्ञ एजेंसियों की गतिविधियों का समन्वय करना है.
  • सतत विकास के 2030 एजेंडा को देखते हुए UNIATF का कार्यक्षेत्र 2016 में बढ़ाते हुए उसमें उन विषयों को भी शामिल किया है जो असंक्रामक रोगों को प्रभावित करते हैं, जैसे – मानसिक स्वास्थ्य, हिंसा एवं शारीरिक क्षति, पोषण और पर्यावरणिक समस्याएँ.

असंक्रामक रोग (NCD) क्या हैं?

  • असंक्रामक रोग लम्बे चलने वाले रोग हैं जो आनुवांशिक, शारीरिक, पर्यावरणगत, व्यवहारगत कारणों से होते हैं.
  • यह प्रमुख असंक्रामक रोग हैं – ह्रदयरोग (जैसे – हार्ट अटैक और स्ट्रोक), कैंसर, दमा और श्वास रोग एवं मधुमेह.

असंक्रामक रोगों से क्षति

  • असंक्रामक रोगों से प्रत्येक वर्ष 41 मिलियन लोग मरते हैं जो कुल मृत्यु का 71% है.
  • असंक्रामक रोगों से प्रति वर्ष मरने वाले 30 से 69 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 15 मिलियन है जिनमें 85% मृत्यु असामयिक कहलाती है जो निम्न और माध्यम आय वाले देशों में होती है.
  • असंक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु हृदय रोग (17.9 मिलियन), कैंसर (9 मिलियन), श्वास रोग (3.9 मिलियन) और मधुमेह (1.6 मिलियन) से होती है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Ethanol Blended Petrol (EBP) Programme

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आगामी गन्ना सत्र 2018-19 के लिए B-Heavy शीरा/आंशिक गन्ना रस से बने इथनॉल के मूल्य में संशोधन/निर्धारण तथा 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल की ऊँची कीमत तय करने की मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी इथनॉल आपूर्ति वर्ष 1 दिसंबर, 2018 से 30 नवंबर, 2019 के लिए इस प्रकार है-

  • B-Heavy शीरा/आंशिक गन्ना रस से निकाले गए इथनॉल की कारखाना-मूल्य को 47.13 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर निर्धारित करना.
  • इथनॉल उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत गन्ना रस देने वाली और चीनी बनाने का कार्य नहीं करने वाली मिलों के लिए 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल का कारखाना-मूल्य 7.13 रूपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 59.13 रुपये प्रति लीटर तय करना. इसके अतिरिक्त मिल मालिकों को GST तथा परिवहन शुल्क भी देना होगा.
  • तेल वितरण कंपनियों को (1) 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल (2) B-Heavy शीरा/आंशिक गन्ना रस (3) C-Heavy शीरा तथा (4) क्षतिग्रस्त अनाज/अन्य स्रोत को क्रमानुसार प्राथमिकता देने का आदेश दिया गया है.

प्रभावः

  • सरकार के इस निर्णय से अनेक कार्यों के लिए गन्ने की अधिक खपत में कमी आएगी.
  • सम्बंधित कारखाने किसानों के बकाया गन्ना मूल्य को चुका सकेंगे और इथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के लिए अधिक इथनॉल की उपलब्धता बढ़ेगी.
  • सभी डिस्टिलरी इस योजना का लाभ उठा सकेंगी और अधिक से अधिक संख्या में डिस्टिलरी ईबीपी कार्यक्रम हेतु इथनॉल की आपूर्ति करेंगी.
  • इथनॉल आपूर्तिकर्ताओं को समर्थन मिलने से गन्ना किसानों के बकाये में कमी आएगी और इस प्रक्रिया में गन्ना किसानों की मुश्किलों में कमी आएगी.
  • B-Heavy शीरा/आंशिक गन्ना रस तथ 100% गन्ना रस से तैयार इथनॉल की खरीद के लिए ऊंचे मूल्य पेश किए जाने के कारण ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल की उपलब्धता पहली बार बढ़ेगी.

लाभ

पेट्रोल में इथनॉल मिलाने के कई लाभ हैं –

  • इससे आयात पर निर्भरता में कमी आएगी.
  • कृषि क्षेत्र को समर्थन मिलेगा
  • पर्यावरण अनुकूल ईंधन उपलब्ध होगा
  • प्रदूषण का स्तर कम होगा.
  • किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी.

पृष्ठभूमिः

सरकार ने प्रायोगिक आधार पर 2003 में इथनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम का अनावरण किया था जिसे बाद में 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों तक बढ़ाया गया ताकि वैकल्पिक तथा पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके. इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भरता में कमी लाना है और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना है.

सरकार ने 2014 से इथनॉल के सरकारी मूल्य को अधिसूचित किया है. इस निर्णय से पिछले चार वर्षों में इथनॉल की आपूर्ति में अच्छा-ख़ासा सुधार हुआ है. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर इथनॉल की खरीद की गई. यह खरीद 2017-18 में बढ़कर140 करोड़ लीटर हो गई.

गन्ने का उत्पादन लगातार अधिक होने के चलते गन्ने के भाव में कमी आ रही है. फलतः गन्ना कृषकों की बकाया राशि बढ़ रही है क्योंकि मिलों के पास गन्ना किसानों को भुगतान करने की क्षमता कम है. सरकार ने गन्ना किसानों की बकाया राशि में कमी लाने के लिए कई निर्णय लिए हैं.

विदित हो कि C-Heavy शीरा से तैयार की जाने वाली इथनॉल की तुलना में B-Heavy शीरे को अपनाने से गन्ना रस की आवश्यक मात्रा में 20 % की कमी आती है और इथनॉल की उपलब्धता लगभग 100% बढ़ जाती है. दूसरी ओर गन्ना रस से निर्मित इथनॉल से गन्ने में 100% की कमी आती है और लगभग 600 प्रतिशत इथनॉल की उपलब्धता बढ़ जाती है.

एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम

  • एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के द्वारा होने वाली एथनॉल की खरीद की प्रक्रिया निर्धारित की है.
  • इस योजना के तहत एथनॉल की खरीद अच्छे दामों पर की जायेगी जिससे सम्बंधित मिल गन्ना किसानों के बकायों का भुगतान करने में सक्षम हो जायेंगे.
  • C heavy खांड़ (गुड़ का एक रूप) से बनने वाले एथनॉल का दाम ऊँचा होने तथा B heavy खांड़ एवं गन्ने के रस से उत्पन्न एथनॉल की खरीद की सुविधा के कारण EBP कार्यक्रम के तहत एथेनॉल की उपलब्धता बहुत बढ़ने की संभावना है.
  • पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के कई लाभ हैं.
  • इससे बाहर से पेट्रोल मंगाने की आवश्यकता में कमी तो आएगी ही, साथ ही इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा.
  • यह ईंधन पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है क्योंकि इससे कम प्रदूषण होता है.

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