Sansar Daily Current Affairs, 14 April 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Register of Indigenous Inhabitants Of Nagaland (RIIN)
संदर्भ
सूचनाओं के अनुसार, नागालैंड सरकार द्वारा ‘नागालैंड के स्थानीय नागरिकों का रजिस्टर’ (Register of Indigenous Inhabitants of Nagaland-RIIN) तैयार करने से सम्बंधित प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ करने का प्रयास किया जा रहा है.
RIIN से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- RINN कार्यक्रम, जुलाई 2019 में शुरू किया गया था.
- RIIN पंजी नागालैंड के सभी मूल निवासियों की मास्टर सूची होगी.
- यह सूची व्यापक सर्वेक्षण करके तैयार की जायेगी.
- यह सूची जिला प्रशासन के पर्यवेक्षण में ग्रामीण और शहरी वार्डों के मूल निवासियों से सम्बंधित सरकारी रिकॉर्डों के आधार पर तैयार होगी.
- सर्वेक्षण के पश्चात् सभी गाँवों और वार्डों में तथा सरकारी वेबसाइटों में एक प्राथमिक सूची सितम्बर 11, 2019 तक प्रकाशित कर दी जायेगी.
- RIIN की अंतिम सूची में आने वाले व्यक्तियों को एक बार कोड वाला और नम्बर वाला मूल निवासी प्रमाणपत्र निर्गत किया जाएगा.
- सर्वेक्षण का कार्य नागालैंड में पहले से लागू ऑनलाइन प्रणाली – इनर लाइन परमिट – के एक अंग के रूप में किया जाएगा.
- RIIN के निर्माण की समूची प्रक्रिया का अनुश्रवण नागालैंड के आयुक्त करेंगे. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार सचिव के स्तर के नोडल अधिकारी भी नामित करेगी जिनका काम पंजी को लागू करना होगा.
- RIIN को एक बार अंतिम रूप दे दिए जाने के पश्चात् कोई नया मूल निवासी प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाएगा. हाँ, यह अवश्य है कि इन मूल निवासियों को जो बच्चे होंगे उनको यह प्रमाण पत्र अवश्य दिया जायेगा.
इनर लाइन परमिट
बंगाल पूर्वी-सीमांत नियम 1873 :- इस नियम के अनुसार भारत सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह नागाओं की नागरिकता, अधिकारों और विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट निर्गत कर सकता है. विदित हो कि इनर लाइन परमिट भारत सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Biden administration to restore $235m in US aid to Palestinians
संदर्भ
संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में फिलिस्तीन के लिये 235 मिलियन डॉलर सहायता की घोषणा की है. इस सहायता राशि में से 75 मिलियन डॉलर वेस्ट बैंक और गाजा की आर्थिक मदद हेतु, 10 मिलियन डॉलर “यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट” (USAID) के “शांति निर्माण” कार्यक्रमों के लिये और 150 मिलियन डॉलर संयुक्त राष्ट्र गहत और निर्माण एजेंसी (UNRWA) को मानवीय सहयोग के लिये प्रदान किये जाएँगे.
फिलिस्तीन के बारे में
मध्य पूर्व में भूमध्यसागर और जॉर्डन नदी के बीच की भूमि को फिलिस्तीन कहा जाता था. यह क्षेत्र पहले खिलाफ़त उस्मानिया में रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने इस पर कब्जा कर लिया. वर्ष 1948 में यहाँ के अधिकांश क्षेत्र पर इजरायली राज्य की स्थापना की गई. इसकी राजधानी बैतुल मुक़द्दस हुआ करती थी, जिसे इजरायली येरुशलम कहते हैं. यह शहर यहदियों, ईसाइयों और मुसलमानों तीनों के लिए पवित्र माना जाता है. वर्तमान में फिलिस्तीन केवल गाजा पट्टी एवं वेस्ट बैंक तक सीमित रह गया है. यही भूमि विवाद फिलिस्तीन-इजरायल विवाद के रूप में जाना जाता है, इसी कारण अरब देशों और इजरायल के बीच कई युद्ध हो चुके हैं.
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष
- 1948 के अरब-इजराइली युद्ध में जॉर्डन ने वेस्ट बैंक पर आधिपत्य कर लिया था.
- 1967 के छह दिवसीय युद्ध के समय इजराइल ने जॉर्डन से यह भूभाग छीन लिया और तब से इस पर इजराइल का ही कब्ज़ा है.
- इजराइल ने यहाँ 130 औपचारिक बस्तियाँ बनाई हैं. इसके अतिरिक्त इतनी ही बस्तियाँ पिछले 20-25 वर्षों में यहाँ बन चुकी हैं.
- यहाँ 26 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ 4 लाख इजराइली बस गये हैं. यहूदियों का मानना है कि इस भूभाग पर उनको बाइबिल में ही जन्मसिद्ध अधिकार मिला हुआ है.
- फिलिस्तीनी लोगों का कोई अलग देश नहीं है. उनका लक्ष्य है कि इस भूभाग में फिलिस्तीन देश स्थापित किया जाए जिसकी राजधानी पूर्वी जेरुसलम हो. इस कारण यहूदियों और फिलिस्तीनियों में झगड़ा होता रहता है. फिलिस्तीनियों का मानना है कि 1967 के बाद वेस्ट बैंक ने जो यहूदी बस्तियाँ बसायीं, वे सभी अवैध हैं.
- संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद् और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय भी यही मानता है कि वेस्ट बैंक में इजराइल द्वारा बस्तियाँ स्थापित करना चौथी जिनेवा संधि (1949) का उल्लंघन है जिसमें कहा गया था कि यदि कोई देश किसी भूभाग पर कब्ज़ा करता है तो वहाँ अपने नागरिकों को नहीं बसा सकता है.
- रोम स्टैच्यूट (Rome Statute) के अंतर्गत 1998 में गठित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) के अनुसार भी इस प्रकार एक देश के लोगों को कब्जे वाली भूमि पर बसाना एक युद्ध अपराध है.
अमेरिका और भारत का दृष्टिकोण
अमेरिका इजराइली बस्तियों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं मानता है, अपितु उन्हें इजराइल की सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है. भारत पारम्परिक रूप से इस मामले में दो देशों के अस्तित्व के सिद्धांत (2-state solution) पर चलता आया है और इसलिए वह एक संप्रभु और स्वतंत्र फिलिस्तीन देश के स्थापना का समर्थन करता है. फिर भी इजराइल से भारत के रिश्ते दिन-प्रतिदिन प्रगाढ़ होते रहे हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure- energy.
Topic : Hydrogen: An alternative energy-source
संदर्भ
हाल ही में ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था-नई दिल्ली संवाद 2021′ का आयोजन हुआ है.
मुख्य बिंदु
- ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था- नई दिल्ली संवाद 2021’ अपनी तरह का पहला आयोजन है, जिसमें जाने-माने नीति निर्माता, विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रमुख दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों से भाग लिया है. इस सम्मेलन में नीतिगत रोडमैप तैयार करने से लेकर हाइड्रोजन की मांग और आपूर्ति की मैपिंग की गई है.
- इस उच्चस्तरीय गोलमेज सम्मेलन का नेतृत्व भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री ने किया है.
‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था-नई दिल्ली संवाद 2021’ का उद्देश्य
- इसका उद्देश्य हाइड्रोजन ऊर्जा के संबंध में साझेदारी व सहयोग को बढ़ाना तथा इससे जुड़ी संभावनाओं व अवसरों का पता लगाना है.
- इसके अतिरिक्त, इस गोलमेज सम्मेलन का उद्देश्य विश्व के महाद्वीपों पर विद्यमान हाइड्रोजन की वर्तमान पारिस्थितिकी की प्रगति को समझना और थिंक टैंक, सरकारों तथा उद्योग जगत के लिए एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना है जहां सभी पक्ष एक साथ आ सकें और सस्ती तथा टिकाऊ प्रौद्योगिकी विकसित करने के अभियान से जुड़ सकें.
- ज्ञातव्य है कि दुनिया अंतर्राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कदम आगे बढ़ा रही है, ऐसे में हाइड्रोजन का माहात्म्य दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है क्योंकि यह एक मात्र ऐसा पारंपरिक ईंधन का स्रोत है जो ऊर्जा आवश्यकता की खाई को पाट सकता है.
हाइड्रोजन ईंधन सेल की कार्यप्रणाली
- इसमें हाइड्रोजज और ऑक्सीजन के सम्मिश्रण से विद्युत धारा का निर्माण किया जाता है.
- इस प्रक्रिया में जल उप उत्पाद होता है.
- चूँकि इसमें कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नही होता अतः इसे स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है.
- इसे भविष्य का ईंधन बताया जा रहा है, हालाँकि विकसित सुरक्षा तकनीक के प्रयोग के कारण हाइड्रोजन चलित वाहन अभी महँगे हैं.
हाइड्रोजन ईंधन ही क्यों?
- हाइड्रोजन ईंधन का एक स्वच्छ स्रोत है क्योंकि इसके प्रयोग से सह उत्पाद के रूप में मात्र पानी और ताप का ही सृजन होता है.
- हाइड्रोजन कई स्रोतों से निकाला जा सकता है, जैसे – मीथेन, कोयला, पानी और यहाँ तक की कचरा भी.
- बिजली से चलने वाली गाड़ियों को रिचार्ज करने में घंटों लग जाते हैं और वे कुछ सौ किलोमीटर ही चल पाती हैं. किन्तु FCVs को रिचार्ज करने में कम समय लगता है और ये अधिक दूर तक भी जाती हैं.
- यह प्रदूषण को समाप्त करता है, तेल और गैस के आयात पर निर्भरता को कम करता है, उच्च विद्युत दक्षता से युक्त है, शोर-रहित परिचालन होता है आदि.
सीमाएँ
उपकरणों की उच्च लागत, हाइड्रोजन गैस के भंडारण एवं रख-रखाव से संबद्ध मुद्दे (जैसे संक्षारण) आदि.
अनुप्रयोग
स्थिर क्षेत्र (भवनों, पृथक घरों आदि के लिए विद्युत आपूर्ति), वहनीय (पोर्टेबल) क्षेत्र (सैन्य अनुप्रयोगों जैसे सुवाह्य सैनिक शक्ति, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि), परिवहन क्षेत्र इत्यादि.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : e-technology in the aid of farmers.
Topic : IFFCO effects sharp hike in fertilizer prices
संदर्भ
भारत की सबसे बड़ी उर्वरक निर्माता कंपनी इफको लिमिटेड (भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड – IFFCO) ने उर्वरक के मूल्यों में तीव्र वृद्धि की है. ज्ञातव्य है कि डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) के मूल्य में 58.33% की बढ़ोतरी हुई है. DAP के अलावे, NPKs (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर) उर्वरकों के विभिन्न संरूपणों के लिए नए खुदरा मूल्यों में करीब 46% से 51.9% तक की वृद्धि की गई है.
उर्वरक मूल्यों में वृद्धि के कारण
- आयातित अमोनिया और फॉस्फोरिक एसिड के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में वृद्धि.
- उर्वरक के विक्रय को नियंत्रण-मुक्त करना.
प्रभाव
- डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण, किसानों के लिए कृषि आगतों की लागत में वृद्धि हो सकती है.
- रोपित की जाने वाली फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाए जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा. इस प्रकार यह राजकोषीय समेकन को भी प्रभावित कर सकता है. इससे मुद्रास्फीति में वृद्धि की भी संभावना है.
- उर्वरकों की अधिक कीमतें ब्याज दरों को कम रखने के भारतीय रिजर्व बैंक के प्रयास को भी जटिल बना सकती हैं.
हालाँकि, सरकार उर्वरक विनिर्माताओं/आयातकों के जरिये किसानों को सब्सिडीकृत मूल्य पर यूरिया और फास्फेटिक व पोटाशिक (P&K) उर्वरकों के 21 ग्रेड उपलब्ध करा रही है. किसानों को यूरिया, सांविधिक रूप से अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर प्रदान किया जा रहा है. फास्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों के लिए, सरकार द्वारा पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy: NBS) लागू की जा रही है.
पोषक तत्त्वों पर आधारित सब्सिडी (NBS) योजना
- यह योजना उर्वरक और रसायन मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल 2010 से लागू की जा रही है.
- NBS के तहत वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि सब्सिडी वाले फॉस्फेट और पोटाश आधारित उर्वरकों के प्रत्येक ग्रेड पर उसके पोषक तत्त्व के आधार पर प्रदान की जाती है.
IFFCO
- IFFCO का full form है – Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited
- IFFCO भारत की एक बहुत बड़ी बहु-राज्ययीय सहकारी खाद संस्था है.
- यह भारत की सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं में से एक है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : e-technology in the aid of farmers.
Topic : e-NAM
संदर्भ
14 अप्रैल को राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) के 5 वर्ष पूर्ण हो गये. केंद्र सरकार द्वारा 14 अप्रैल 2016 को e-NAM पोर्टल का प्रारम्भ किया गया था. यह एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जो कि कृषि वस्तुओं हेतु एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार निर्माण के लिए विद्यमान APMCs और अन्य बाजार स्थलों को जोड़ने का प्रयास करता है. सरकारी आँकड़ों के अनुसार अब तक 1.70 करोड़ से अधिक किसान और 1.63 लाख व्यापारी e-NAM मंच पर पंजीकृत हुए हैं. e-NAM प्लेटफार्म पर अनुमानित 1.30 लाख करोड़ रूपए मूल्य का कुल संयुक्त व्यापार रिकॉर्ड किया गया है.
E-NAM क्या है?
- e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) कृषि उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन वाणिज्य मंच है जिसका उद्देश्य किसानों, व्यापारियों और क्रेताओं को ऑनलाइन वाणिज्य सुविधा प्रदान करना और बाजार की ऐसी सुचारू व्यवस्था देना है जिसमें कृषि उत्पादों के लिए बेहतर दाम मिल सकें.
- e-NAM का अनावरण भारत सरकार ने 2015 में किया था और क्रमबद्ध रूप से विस्तार होते-होते दिसम्बर 31, 2019 तक इसका विस्तार देश की 585 मंडियों तक हो गया.
E-NAM के लाभ
- इससे किसानों को कृषि उत्पादों की विक्री के लिए एक से अधिक विकल्प मिल जाते हैं.
- किसान की पहुँच सीधे गोदाम तक हो जाती है जिससे उसे मंडी तक उत्पाद पहुँचाने के लिए परिवहन की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है.
- मंडी और बाजार के स्थानीय व्यापारियों को e-NAM के माध्यम से द्वितीयक वाणिज्य (secondary trading) के लिए एक अधिक बड़े राष्ट्रीय बाजार तक पहुँच प्राप्त हो जाती है.
- e-NAM मंच के माध्यम से थोक विक्रेताओं, प्रसंस्कर्ताओं, निर्यातकों आदि को स्थानीय मंडी/बाजार में प्रत्यक्ष प्रतिभागिता करने का अवसर मिल जाता है जिस कारण बिचौलियों का खर्च घट जाता है.
- भविष्य में धीरे-धीरे NAM के अन्दर पूरे देश की सभी बड़ी मंडियाँ आ जाएँगी जिसके चलते लाइसेंस देने, शुल्क लगाने और उत्पादों को इधर-उधर ले जाने की प्रक्रियाएँ समरूप हो जाएँगी.
- NAM से प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए एक वैल्यू चैन देश-भर में उभर कर सामने आ सकता है और साथ ही वैज्ञानिक ढंग से वस्तुओं के भंडारण और परिवहन को बढ़ावा भी मिल सकता है.
E-NAM आवश्यक क्यों है?
- वर्तमान में देश कई बाजार क्षेत्रों में बँटा हुआ है.
- कृषि विपणन से सम्बंधित अवसंरचनाओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है और तकनीक का प्रयोग भी कम होता है.
- पारम्परिक मंडी प्रणाली में किसानों को अपनी फसल के लिए बहुत कम दाम मिल पाता है क्योंकि उनको बाजार में कई बिचौलियों से होकर पहुँचना पड़ता है. इससे उत्पाद की लागत बढ़ जाती है.
- वर्तमान प्रणाली में किसान को अनेक प्रकार के करों, लेवियों और लाइसेंसों की समस्या से दो-चार होना पड़ता है.
Prelims Vishesh
Little Guru app :-
- हाल ही में भारतीय उच्चायोग के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC) ने बांग्लादेश में एक संस्कृत लर्निंग ऐप “लिटिल गुरु” लॉन्च किया.
- यह संस्कृत लर्निंग ऐप भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् द्वारा दुनिया भर के छात्रों, धार्मिक विद्वानों, वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के बीच संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है.
- संस्कृत लर्निंग ऐप “लिटिल गुरु” एक इंटरैक्टिव प्लेटफॉर्म पर आधारित है जो संस्कृत सीखने को आसान, मनोरंजक और मजेदार बना देगा.
- यह ऐप उन लोगों की मदद करेगा जो पहले से ही संस्कृत सीख रहे हैं या जो लोग संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं. यह ऐप मनोरंजन के साथ शिक्षा को जोड़ती है.
Rhino Vision 2020 :-
- पोबितोरा अभयारण्य से मानस राष्ट्रीय उद्यान में अंतिम दो गैंडों को ले जाने के साथ ही महत्त्वाकांशी इंडियन राइनो विजन 2020 कार्यक्रम का समापन हो गया.
- राइनो विजन 2020 की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी.
- इसका उद्देश्य असम राज्य में स्थित 7 विभिन्न संरक्षण क्षेत्रों में एक सींग वाले गैंडे (राइनो) की आबादी को वर्ष 2020 तक 3000 पहुँचाना था. ये संरक्षित क्षेत्र हैं: काजीरंगा, पोबितोरा, ओरांग, मानस, लौखोवा, बुराचपौरी और डिब्रू शैखोवा अभ्यारण्य.
- माना जा रहा है कि असम में 3000 राइनो की संख्या का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है.
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