Sansar Daily Current Affairs, 14 August 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Sexual Harassment of Women at Workplace Act
संदर्भ
निजी कंपनियों के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के अनुपालन का ब्यौरा देना अनिवार्य बना दिया गया है. कारपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry Of Corporate Affairs – MCA) कंपनी ने इसके लिए कंपनी (लेखा) नियम 2014 में संशोधन किया है.
मुख्य तत्त्व
- कंपनी कानून 2013 के अनुच्छेद 134 की व्यवस्थाओं के अनुसार सभी कंपनियों के लिए अब अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह ब्यौरा देना होगा कि उन्होंने कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न, (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 का अपने अनुपालन अनिवार्य रूप से किया है.
- ऐसा न करने पर उन्हें दंड का भागी बनना पड़ेगा.
- ज्ञातव्य है कि अब तक निजी कंपनियाँ सजा के डर से ऐसे मामलों का खुलासा नहीं करती थीं.
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु लगातार प्रयासरत रहा है. सभी केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों तथा उनके अंतर्गत कार्य करने वाले संगठनों हेतु इन नियमों के अंतर्गत अपने यहाँ आंतरिक शिकायत सुनवाई समिति का गठन करना अनिवार्य बना दिया गया है.
- ऐसे सभी संगठन या संस्थान जहाँ 10 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना होगा.
- मंत्रालय ने इसके अतिरिक्त पीड़ित महिलाओं को सीधे अपनी शिकायत भेजने हेतु SHE BOX नाम की एक सुविधा भी उपलब्ध कराई है.
- इस अधिनियम में वे सभी दिशा-निर्देश सम्मिलत हैं जो विशाखा केस में उपलब्ध थीं, पर इसमें कई अन्य प्रावधान भी हैं, जैसे:-
- शिकायत समितियों को सबूत जुटाने के लिए सिविल कोर्ट के समकक्ष शक्तियाँ प्रदान की गई हैं.
- यदि नियोक्ता (employer) अधिनियम के प्रावधानों को पूर्ण करने में असफल हो जाता है तो उसे 50,000 रुपये से अधिक अर्थदंड भरना पड़ेगा.
विशाखा केस क्या है?
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्त 1997 (विशाखा तथा अन्य बनाम राजस्थान सरकार तथा अन्य) में जारी एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि यौन उत्पीड़न की प्रत्येक घटना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 तथा 21 के तहत “मौलिक अधिकारों” का उल्लंघन है तथा अनुच्छेद 19 (1) (जी) के अधीन “स्वतंत्रता का अधिकार” का भी उल्लंघन है.
विदित हो कि विशाखा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की समस्या से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे.
कौन से कार्यस्थल इसके अन्दर आयेंगे?
कार्यस्थल कोई भी कार्यालय/दफ्तर हो सकता है चाहे वह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का कोई संगठन, विभाग, कार्यालय, अस्पताल, नर्सिंग होम, शैक्षिक संस्थान, खेल संस्थान, स्टेडियम, खेल परिसर हो या वे सभी स्थान जहाँ कर्मचारी द्वार कार्यालय के कार्य हेतु दौरा किया गया हो.
समिति के कार्य
यदि महिला समाधान नहीं चाहती है तो जाँच की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे आंतरिक शिकायत समिति को 90 दिन में पूरा करना होगा. पूछताछ पूरी होने जाने पर रिपोर्ट नियोक्ता या जिला अधिकारी को भेज दी जाएगी और जैसा भी मामला हो, उन्हें 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट पर कार्रवाई करना अनिवार्य होगा.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Ease of Living index
सन्दर्भ
केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के द्वारा हाल ही में जीवन सुगमता सूचकांक (Ease of Living Index) 2018 जारी किया गया.
जीवन सुगमता सूचकांक 2018 के बारे में
- शहरों को रैंकिंग देने हेतु देश के 111 शहरों में सर्वेक्षण कराए गए थे.
- सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में रहने के लिए सबसे बेहतरीन शहर पुणे है. पुणे को Ease of Living Index में पहले स्थान पर रखा गया है. नवी मुंबई को दूसरा स्थान हासिल हुआ है.
- पुणे के अतिरिक्त महाराष्ट्र के तीन अन्य शहरों के नाम भी इस लिस्ट में हैं — ठाणे, नवी मुंबई और ग्रेटर मुंबई.
- सूची में टॉप स्थान पाने वाला शहर पुणे शुद्ध हवा, पानी, सुरक्षा, संरक्षा, रोजी रोजगार, आवास, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और मजबूत बुनियादी आदि मामलों में भारत के अन्य शहरों की तुलना में बेहतर है.
- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अतिरिक्त इंदौर ने भी टॉप-10 में अपना स्थान बनाया है. परन्तु कई अधिक जनसंख्या वाले राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु ने टॉप-10 में अपना स्थान नहीं बनाया है.
- रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र का पुणे शहर रहने हेतु लोगों की पहली पसंद है जबकि देश की राजधानी दिल्ली को 65वाँ स्थान प्राप्त हुआ है.
- केंद्र शासित प्रदेशों में सिर्फ मात्र चंडीगढ़ ने टॉप-10 में स्थान पाया है.
- आंध्रप्रदेश के दो शहर विजयवाड़ा और तिरुपति क्रमशः चौथे और नौवें पायदान पर हैं.
- राष्ट्रीय स्तर पर चयनित 111 शहरों में से उत्तर प्रदेश के 14 शहरों को सर्वेक्षण हेतु चुना गया था. इनमें बनारस को 33वें, झांसी को 34वें, इलाहाबाद को 96वें, रायबरेली को 49वें, कानपुर को 75वें, लखनऊ को 73वें, आगरा को 55वें, अलीगढ़ को 86वें, बरेली को 81वें, मेरठ को 101वें, गाजियाबाद को 46वें, मुरादाबाद को 88वें, सहारनपुर को 103वें और रामपुर को 111वें स्थान से संतोष करना पड़ा.
- कोलकाता को इंडेक्स से बाहर रखा गया है.
सर्वे क्यों हुआ?
Ease of Living Index इसलिए बनाया गया है ताकि शहरों को वैश्विक और राष्ट्रीय मानकों के साथ-साथ स्वयं का आकलन करने में सहयोग मिल सके. इसके अतिरिक्त शहरों को शहरी नियोजन और प्रबंधन को और भी अधिक बेहतर करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके. इन सभी शहरों की रैंकिंग इन्स्टीट्यूशनल, सोशल, इकोनॉमिक एवं फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधार पर है.
सर्वे के आकलन हेतु चार पैमाने
सर्वे में शहरों का आकलन करने हेतु चार पैमाने रखे गए –
- इंस्टीट्यूशनल गवर्नेंस
- सामाजिक(शिक्षा और हेल्थ)
- आर्थिक परिस्थितियाँ
- भौतिक परिस्थितियाँ
इंस्टीट्यूशनल गवर्नेंस और सामाजिक श्रेणी हेतु 25-25 अंक थे. जबकि भौतिक परिस्थितियों के लिए अधिकतम 45 अंक थे. पाँच अंक आर्थिक पैमाने के लिए थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Appellate Tribunal for Electricity (ATE)
सन्दर्भ
13 अगस्त, 2018 को न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर को बिजली मंत्रालय में विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal for Electricity – ATE) नया का अध्यक्ष बनाया गया है.
ATE के बारे में
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (के.वि.प्रा.) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 70 द्वारा प्रतिस्थापित निरसित विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 की धारा(1) के अधीन मूल रूप से गठित एक वैधानिक निकाय है.
- इसकी स्थापना वर्ष 1951 में अंशकालिक निकाय के रूप में की गई थी. कालांतर में वर्ष 1975 में इसे पूर्णकालिक निकाय बनाया गया.
- न्यायाधिकरण को विद्युत अधिनियम की धारा-121 के अंतर्गत सुनवाई का वास्तविक अधिकार-क्षेत्र सौंपा गया है और सभी आयोगों को उनके वैधानिक कृत्यों के निर्वहन करने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है.
- विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे.
- प्रत्येक न्यायपीठ (बेंच) का गठन अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा जिसमें कम से कम एक विधि विशेषज्ञ सदस्य और एक तकनीकी सदस्य होगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Swadesh Darshan Scheme
सन्दर्भ
मणिपुर की राज्यपाल डॉ. नजमा ए. हेपतुल्ला ने इंफाल में पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत “पूर्वोत्तर सर्किट विकासः इंफाल और खोंगजोंग” परियोजना का उद्घाटन किया.
पूर्वोत्तर सर्किट विकासः इंफाल और खोंगजोंग
- इस परियोजना में दो साइटों को शामिल किया गया है – कंगला किला और खोंगजोम.
- कंगला किला इम्फाल शहर में स्थित मणिपुर की अत्यंत महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है.
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पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर स्थित कंगला एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। सत्ता का मुख्य केंद्र कंगला किला कभी मणिपुर की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता था.
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मणिपुर की प्राचीन राजधानी के रूप कंगला किले को बड़े सम्मान का दर्जा प्राप्त था.
- खोंगजोम भी एक बेहद चर्चित पर्यटन स्थल है. विदित हो कि इसी स्थान पर मणिपुरियों और अंग्रेजों के बीच आजादी की अंतिम लड़ाई हुई थी.
स्वदेश दर्शन योजना के बारे में
- जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
- यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
- पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
- इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
- योजना के अंतर्गत 13 विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गई है, ये सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.
Prelims Vishesh
ऑपरेशन मदद और ऑपरेशन सहयोग
- हाल ही में केरल में बाढ़ पीड़ितों के सहयोग के लिए भारतीय नौसेना ने Operation Madad लौंच किया है.
- नौसेना के अलावा भारतीय थल सेना ने Operation Sahyog शुरू किया है.
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