Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 February 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 14 February 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Trans fatty acids (TFA)

संदर्भ

वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों में ट्रांस-फैटी अम्लों (TFA) के हानिकारक प्रभावों के प्रति जनसाधारण में जागरूकता उत्पन्न करने तथा स्थानीय खाद्य उद्योग को TFA के लिए निर्धारित वर्तमान वैधानिक सीमाओं को लागू करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने एक कार्ययोजना बनाई है.

  • विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि ऊँची TFA मात्रा वाला भोजन स्वास्थ्यकर नहीं होता है और यह मेटाबोलिक सिंड्रोम को बढ़ाते हुए शरीर में भाँति-भाँति के दुष्प्रभाव छोड़ता है.
  • स्वास्थ्य विभाग इस कार्य योजना को लागू करने जा रहा है. इस काम में उसकी सहायता करने वाले संगठन हैं – वाइटल स्ट्रेटेजीज, विश्व बैंक का पोषण विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, FSSAI तथा राज्य खाद्य सुरक्षा कार्यालय जिसके ऊपर कार्यान्वयन का जिम्मा होगा.

ट्रांस-फैटी एसिड क्या हैं?

  • ट्रांस फैटी एसिड (TFAs) या ट्रांस वसा सबसे हानिकारक प्रकार के वसा होते हैं जो हमारे शरीर पर किसी भी अन्य आहार से अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
  • यह वसामानव निर्मित वसा है. इसका कुछ ही भाग प्रकृति में निर्मित होता है.
  • कृत्रिम TFAs तेल में हाइड्रोजन प्रविष्ट कराकर उत्पन्न किया जाता है.
  • इस प्रक्रिया में तेल का स्वरूप शुद्ध घी या मक्खन जैसा हो जाता है.
  • जहाँ तक प्राकृतिक TFAs का प्रश्न है यह माँस और पशु उत्पादों में सूक्ष्म मात्रा में मिलता है.
  • हमारे भोजन में कृत्रिम ट्रांस-फैट के सबसे बड़े स्रोत हाइड्रोजनेटेड वनस्पति तेल/मार्गरीन हैं.

ट्रांस फैट के स्वास्थ्य खतरे

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, ट्रांस फैट के रूप में ऊर्जा ग्रहण करने में 2% की वृद्धि हृदय रोग की संभावना में 23% की वृद्धि करती है. विदित हो कि प्रत्येक वर्ष 60,000 लोग ट्रांस फैट से उत्पन्न हृदय रोगों से कालकवलित हो जाते हैं. WHO द्वारा एक अन्य अनुमान के अनुसार :-

  • इसके उपभोग से कम-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या LDL (जिसे “ख़राब” कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है) के स्तर में वृद्धि होती है. इसके फलस्वरूप हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही यह उच्च-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या HDL (जिसे “अच्छा” कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं) के स्तर को कम करता है.
  • इन्हें Type-2 मधुमेह का मुख्य कारण माना जाता है, जो इन्सुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ होता है.

TFAs की अनुमान्य सीमा

विश्व स्वास्थ्य की यह अनुशंसा है कि एक व्यक्ति जितनी ऊर्जा लेता है उसमें से मात्र 1% ही ट्रांसफैट होना चाहिए. इस संगठन का आह्वान है कि 2023 तक पूरे विश्व से TFAs हो जाना चाहिए. जहाँ तक FSSAI का प्रश्न है, उसने भोजन में TFAs की सीमा 2% तक रखी है और इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए 2022 का वर्ष निर्धारित किया है.


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : e-AUSHADHI portal

संदर्भ

आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने हाल ही में नई दिल्ली में आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी औषधियों की ऑनलाइन लाइसेंस प्रणाली के लिए ई-औषधि नामक पोर्टल की शुरूआत की.

पोर्टल का उद्देश्य

  • इस ई-औषधि पोर्टल का लक्ष्य पारदर्शिता बढ़ाना, सूचना प्रबंधन सुविधा में सुधार लाना, डाटा के प्रयोग में सुधार लाना और उत्तरदायित्व बढ़ाना है.
  • इस पोर्टल के जरिये आवेदनों की प्रक्रिया के लिए समय सीमा तथा प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाएगी
  • इस पोर्टल के उद्देश्य से ई-गवर्नेंस, कारोबारी सुगमता और मेक इन इंडिया की दिशा में हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का पता चलता है.
  • यह नया ई-पोर्टल आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी ऑटोमेटेड ड्रग हेल्प इनिसियेटिव के लिए एक मूल आधार है.
  • यह पोर्टल लाइसेंस प्रदाता अधिकारी, निर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिए मददगार होने के साथ-साथ लाइसेंसी निर्माताओं तथा उनके उत्पादों, रद्द की गई और नकली औषधियों के विषय में जानकारी, शिकायतों के लिए संबंधित अधिकारी के संपर्क सूत्र भी तत्काल उपलब्ध कराएगा.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : National Commission for Safai Karmacharis

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रf मोदी की अध्यइक्षता में केन्द्रीीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का कार्यकाल 31.03.2019 से आगे 3 साल और बढ़ाने के प्रस्ता‍व को अपनी स्वीकृति दे दी है.

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) की स्थापना वर्ष 1993 में NCSK अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अनुसार प्रारम्भ में 31.03.1997 तक की अवधि के लिए की गई थी.
  • कालांतर में इस अधिनियम की वैधता 31.03.2002 तक और उसके पश्चात् 29.02.2004 तक बढ़ाई गई थी.
  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग को 29.02.2004 में समाप्त हो जाना था. इसके बाद NCSK का कार्यकाल एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.
  • वर्तमान आयोग का कार्यकाल 31.03.2019 तक है.

प्रभाव

इस प्रस्ताव से सफाई कर्मचारी और हाथ से सफाई करने के काम में संलग्न व्यक्ति मुख्य लाभार्थी होंगे क्योंकि NCSK उनके कल्याण और उत्थान के लिए कार्य करेगा.

पृष्ठभूमि

NCSK सफाई कर्मचारियों के कल्याण, सफाई कर्मचारियों के मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों के अध्ययन और आकलन, विशिष्ट परिवेदनाओं के मामलों की जांच-पड़ताल करने के विशेष कार्यक्रमों के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिशें कर रहा है. हाथ से सफाई करने वाले व्यक्तियों की नौकरी की मनाही और उनके पुनर्वास अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार NCSK को इस अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करना, केन्द्र और राज्य सरकारों को इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए परामर्श देना तथा इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन और कार्यान्वयन न होने के विषय में प्राप्त शिकायतों की जाँच करने का कार्य सौंपा गया है. यद्यपि सरकार ने सफाई कर्मचारियों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए हैं, परन्तु उन्हें सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक रूप से जिस भेदभाव को सहना पड़ता है, उसकी समाप्ति अभी बहुत दूर है.

इसके अतिरिक्त हाथ से सफाई करने की प्रक्रिया अभी देश में विद्यमान है और इसका उन्मूलन करना सरकार का सर्वाधिक प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना हुआ है. अतः सरकार ने यह अनुभव किया है कि सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए सरकार के विभिन्न हस्तक्षेपों और उपायों पर लगातार निगरानी करने की आवश्यकता है, ताकि देश में हाथ से सफाई करने की प्रथा का पूरी तरह से उन्मूलन करने का लक्ष्य प्राप्त हो सके. इसलिए मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का कार्यकाल 31.03.2019 से आगे और 3 साल बढ़ाने के वर्तमान प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दी है.


GS Paper 2 Source: Business Standard

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Topic : Credit linked capital subsidy scheme

संदर्भ

भारत सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने घोषणा की है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए बनाई गई योजना – साख से सम्बद्ध पूँजी सब्सिडी एवं तकनीक उत्क्रमण योजना – बारहवीं योजना की अवधि के आगे भी तीन वर्षों (2017-18 से 2019-2020) तक चलती रहेगी. इस योजना के लिए 2,900 करोड़ रु. की बजटीय व्यवस्था होगी.

साख से सम्बद्ध पूँजी सब्सिडी योजना क्या है?

  • इस योजना का उद्देश्य MSEs इकाइयों को 15% पूँजी सब्सिडी (1 करोड़ रु. तक के सांस्थिक वित्त पर) देकर उन्हें 51 विशेष रूप से निर्दिष्ट उप-प्रक्षेत्रों/उत्पादों में उन्नत तकनीक के प्रयोग के लिए सुविधा प्रदान करना है.
  • योजना का मुख्य उद्देश्य MSEs के संयंत्रों और मशीनरी को नवीनतम तकनीक से युक्त बनाना है. जो MSEs अभी नई-नई खड़ी हुई हैं, वे इस योजना में उपलब्ध कराई गई सब्सिडी से योजना के मार्गनिर्देशों में वर्णित विधिवत् अनुमोदित तकनीक अपना सकेंगी.
  • यह योजना माँग पर आधारित है जिसके लिए समग्र वार्षिक व्यय की कोई उच्चतम सीमा नहीं है.

सहायता का स्वरूप

यह योजना MSEs इकाइयों को 15% पूँजी सब्सिडी देकर उन्हें अपनी तकनीक को उत्क्रमित करने का अवसर प्रदान करती है. ऐसी इकाइयों में खादी, नारियल रेशे आदि से सम्बंधित छोटी-छोटी इकाइयाँ आती हैं. यदि ये इकाइयाँ इस योजना का लाभ उठाती हैं तो उनके उत्पादन में नई तकनीक के कारण बढ़ोतरी होगी और फलतः उनकी आय बढ़ेगी. इन इकाइयों के समृद्ध होने से उनके आस-पास के छोटे-मोटे अन्य उद्योगों को लाभ होगा और नए-नए रोजगारों का सृजन होगा.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : National Board for Wildlife (NBWL)

संदर्भ

वन्यजीवों से सम्बंधित भारत के मूर्धन्य निकाय राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) ने सूचित किया है कि उसने उसके पास निरीक्षण के लिए आई हुई 687 परियोजनाओं में से 682 परियोजनाओं की अनुमति दे दी है और अगस्त 2014 से मात्र पाँच परियोजनाएँ ही निरस्त हुई हैं.

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड क्या है?

  • यह एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के तहत हुई है.
  • इस बोर्ड की भूमिका परामर्शी है.
  • यह केन्द्रीय सरकार को देश के वन्यजीवन के संरक्षण के लिए नीतियाँ बनाने और अन्य उपाय करने के विषय में परामर्श देता है.
  • इस बोर्ड का प्राथमिक कार्य वन्यजीवों और वनों के संरक्षण और विकास को प्रोत्साहन देना है.
  • इसके पास वनजीवन से सम्बंधित सभी विषयों की समीक्षा करने और राष्ट्रीय उद्यानों एवं आश्रयणियों में या उनके आस-पास स्थित परियोजनाओं का अनुमोदन करने की शक्ति है.
  • बिना इस बोर्ड के अनुमोदन के किसी भी राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव आश्रयणी की सीमाओं में बदलाव नहीं हो सकता.

बोर्ड की संरचना

इस बोर्ड के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं. उनके अतिरिक्त इसमें 46 अन्य सदस्य होते हैं . इनमें से 19 पदेन सदस्य होते हैं. इस बोर्ड में तीन सांसद भी सदस्य होते हैं (2 लोकसभा के और 1 राज्य सभा के). बोर्ड में 5  गैर सरकारी संगठन के अलावा 10 लब्ध-प्रतिष्ठ पर्यावरणवेत्ता, संरक्षणवादी और वातावरणवेत्ता होते हैं.


Prelims Vishesh

Ghumot to be declared Goa’s heritage musical instrument :-

  • गोवा के मिट्टी से बने स्थानीय तालयंत्र (drum) – घूमोत – को उस राज्य का धरोहर वादनयंत्र अधिसूचित किया जा रहा है.
  • ज्ञातव्य है कि घूमोत गोह की चमड़ी को मिट्टी के एक बर्तन पर कस करके बनता है. इसका प्रयोग गणेश चतुर्थी के अवसर पर आरती के लिए व्यापक रूप से होता है.
  • क्योंकि गोह एक संकटग्रस्त जीव है इसलिए घूमोत पर प्रतिबंध लग गया था और लोग इसमें गोह की चमड़ी की जगह पर बकरी की चमड़ी लगाने लगे हैं.

‘Exercise Topchi’ :-

  • यह भारतीय सेना का एक वार्षिक सैन्य-अभ्यास है जिसमें तोप चलाने, विमान चालन और सर्वेक्षण की क्षमताओं का प्रदर्शन होता है.
  • हाल ही में यह अभ्यास नासिक के निकट स्थित देवलाली शिविर में आयोजित किया गया.

Cobra Gold Military Exercise :-

  • अमेरिका और थाईलैंड इस वर्ष कोबरा नामक बहु-देशीय सैन्य-अभ्यास का आयोजन थाईलैंड के फित्सानुलोक प्रांत में कर रहे हैं.
  • यह अभ्यास इस प्रकार का 38वाँ अभ्यास होगा. इस अभ्यास का मुख्यालय बैंकाक में है.
  • इसमें भारत 2016 से सम्मिलित होता रहा है. 2015 से चीन भी इसमें शामिल है पर उसको मात्र मानवीय सहायता प्रशिक्षण में ही सम्मिलित होने की अनुमति दी गई है.

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