Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 February 2022

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Sansar Daily Current Affairs, 14 February 2022


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना.

Topic : Uniform Civil Code

संदर्भ

हाल ही में, स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code) लागू किया जाना ‘समय की जरूरत’ है और इस पर संसद और समाज दोनों में चर्चा होनी चाहिए.

संबंधित प्रकरण

कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कुछ छत्राओं के हिजाब पहनने कर आने और कुछ हिंदू छात्रों द्वारा कॉलेज में भगवा स्कार्फ पहन कर इसका विरोध करने के बाद, दिसंबर के अंत में देश में ‘हिजाब विवाद’ की शुरुआत हुई थी.

  • इसके बाद, यह विवाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी फैल गया, और हाल ही में कुछ स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, जिससे सरकार को इन संस्थानों में तीन दिन की छुट्टी घोषित करनी पड़ी.
  • हिजाब प्रतिबंध का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि मुस्लिम लड़कियां कॉलेज में हिजाब पहनने पर अड़ी हैं.
  • मुस्लिम मौलवियों का तर्क है कि ‘हिजाब पर प्रतिबंध’ लगाया जाना संविधान में निहित ‘धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार’ का उल्लंघन करता है.

पृष्ठभूमि

हालांकि, राज्य के नीति के निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 44 में संविधान-निर्माताओं द्वारा ये उम्मीद और अपेक्षा की गई है, कि राज्य, भारत के संपूर्ण भू-भाग में नागरिकों के लिए एक ‘समान नागरिक संहिता’ सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे, किंतु इस दिशा में अब तक कोई कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

संविधान में अनुच्छेद 44 में क्या उल्लिखित है?

राज्य नीति निर्देशक तत्त्व (जो अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 तक हैं) के अनुच्छेद 44 में लिखा है कि देश को भारत के सपूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करना चाहिए

समान नागरिक संहिता क्या है?

संविधान निर्माण करते वक़्त बुद्धिजीवियों ने सोचा कि हर धर्म के भारतीय नागरिकों के लिए एक ही सिविल कानून रहना चाहिए. इसके अन्दर आते हैं:—
1. Marriage विवाह
2. Succession संपत्ति-विरासत का उत्तराधिकार
3. Adoption दत्तक ग्रहण

यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने का मतलब ये है कि शादी, तलाक और जमीन जायदाद के उत्तराधिकार के विषय में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने-अपने पर्सनल लॉ के तहत करते हैं.

क्या कुछ नागरिक मामलों में भारत में पहले से ही सामान संहिताएँ लागू हैं?

भारत में कई नागरिक मामलों के लिए एक ही प्रकार की संहिता अथवा अधिनियम लागू हैं, जैसे – भारतीय संविधा अधिनियम (Indian Contract Act), व्यवहार प्रक्रिया संहिता  (Civil Procedure Code), वस्तु विक्रय अधिनियम (Sale of Goods Act), सम्पत्ति हस्तांतरण अधिनियम (Transfer of Property Act), भागीदारी अधिनियम (Partnership Act), साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) आदि आदि.

परन्तु इनमें भी राज्यों ने सैकड़ों संशोधन कर डाले हैं. इसलिए इनमें समरूपता है ऐसा नहीं कह सकते हैं. पिछले दिनों कई राज्यों ने 2019 के समान मोटर वाहन अधिनियम को मानने से मन कर दिया.

समान नागरिक संहिता के विषय में चर्चा कब शुरू हुई?

जब ब्रिटिश भारत आये तो उन्होंने पाया कि यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, इसाई, यहूदी आदि सभी धर्मों के अलग-अलग धर्म-सबंधित नियम-क़ानून हैं. 

जैसे हिन्दू धर्म में:-

1. पुनर्विवाह वर्जित था (Hindu Widow Remarriage Act of 1856 द्वारा ख़त्म किया गया)
2. बाल-विवाह अनुमान्य था, शादी की कोई उम्र-सीमा नहीं थी.
3. पुरुष के लिए बहुपत्नीत्व हिन्दू समाज में स्वीकार्य था.
4. स्त्री (जिसमें बेटी या पत्नी दोनों शामिल थे) को उत्तराधिकार से वंचित रखा जाता था
5. स्त्री के लिए दत्तक पुत्र रखना वर्जित था
6. विवाहित स्त्री को सम्पत्ति का अधिकार नहीं था (Married Women’s Property Act of 1923 द्वारा उसे ख़त्म किया गया)

मुस्लिम धर्म में:-

1. पुनर्विवाह की अनुमति थी
2. उत्तराधिकार में स्त्री का कुछ हिस्सा था
3. तीन बार तलाक बोलने मात्र से अपने जीवन से पुरुष स्त्री को हमेशा के लिए अलग कर सकता था.

अंग्रेजों ने शुरू में इस पर विचार किया कि सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक ही नागरिक संहिता बनायी जाए. पर धर्मों की विविधता और सब के अपने-अपने कानून होने के कारण उन्होंने यह विचार छोड़ दिया. इस प्रकार अंग्रेजों के काल में विभिन्न धर्म के धार्मिक विवादों का निपटारा कोर्ट सम्बन्धित धर्मानुयायियों के पारम्परिक कानूनों के आधार पर करने लगे.     

संविधान सभा ने भी समान नागरिक संहिता पर विचार किया था और एक समय इसे मौलिक अधिकार में रखा जा रहा था. परन्तु 5:4 के बहुतमत से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया. किन्तु राज्य नीति निर्देशक तत्त्व के अन्दर इसे शामिल कर दिया गया.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : Mekedatu issue

संदर्भ

हाल ही में, तमिलनाडु ने कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित ‘मेकेदातु संतुलन जलाशय-सह-पेय जल परियोजना’ (Mekedatu Balancing Reservoir-cum-Drinking Water Project) पर ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (CWMA) द्वारा एक विशेष चर्चा के विचार को खारिज कर दिया है.

तमिलनाडु ने अपनी पक्ष दोहराते हुए कहा है, कि यह विषय न्यायालय में विचाराधीन है और इस पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए.

संबंधित प्रकरण एवं परियोजना में देरी का कारण

तमिलनाडु द्वारा ‘मेकेदातु’ (Mekedatu) में कावेरी नदी पर कर्नाटक द्वारा जलाशय बनाने के कदम का विरोध किया जा रहा है. कर्नाटक, 67 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (tmc ft) की भंडारण क्षमता वाले जलाशय से ‘पीने के पानी के रूप में’ 4.75 हजार मिलियन क्यूबिक फीट जल का उपयोग करना चाहता है, जोकि तमिलनयह राज्य के लिए “मंजूर नहीं” है.

हालांकि, कर्नाटक सरकार का कहना है, कि ‘मेकेदातु परियोजना’ से कोई “खतरा” नहीं है और राज्य द्वारा इस परियोजना को शुरू किया किया जाएगा.

मेकेदातु बाँध परियोजना क्या है?

  • यह कर्नाटक सरकार की एक परियोजना है जो मेकेदातु में चलाई जायेगी. यह स्थान कर्नाटक के रामनगरम जिले में कावेरी नदी के तट पर है.
  • इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य बेंगलुरु को पेयजल मुहैया करना और इस क्षेत्र के भूगर्भ जल के स्तर को ऊँचा करना है.

परियोजना से सम्बन्धित विवाद

तमिलनाडु को इस परियोजना पर आपत्ति है जिसको लेकर उसने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दी है. इस राज्य का मुख्य तर्क यह है कि यह परियोजना कावेरी नदी जल पंचाट के अंतिम निर्देश का उल्लंघन करता है और प्रस्तावित दो जलाशयों के निर्माण के कारण कृष्णराज सागर तथा कावेरी जलाशय के नीचे के निकटवर्ती नदी क्षेत्र तथा कर्णाटक और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित Billigundulu में जलप्रवाह को अवरुद्ध कर देगा.

दूसरी ओर कर्नाटक का कहना है कि यह प्रस्तावित परियोजना तमिलनाडु को दिए जाने वाले जल की निश्चित मात्रा को छोड़ने में आड़े नहीं आएगी और न ही इसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा.

CWC क्या है?

  • केन्द्रीय जल आयोग जल संसाधन से सम्बंधित एक मूर्धन्य तकनीकी निकाय है जोजल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के तहत आता है.
  • CWC का अध्यक्ष चेयरमैन कहलाता है जो भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है.
  • आयोग का कार्य सम्बंधित राज्य सरकारों के साथ विमर्श कर देश-भर में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण एवं उपयोग के लिए आवश्यक योजनाओं को आरम्भ करना, उनका समन्वयन करना और उन्हें आगे बढ़ाना है जिससे कि बाढ़ का नियंत्रण हो तथा सिंचाई, नौकायन, पेयजल आपूर्ति तथा जलशक्ति विकास के कार्य सम्पन्न हो सकें.
  • यदि आवश्यक हो तो यह आयोग ऐसी योजनाओं की छानबीन, निर्माण तथा क्रियान्वयन को भी अपने हाथ में लेता है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : Mission Karmyogi

संदर्भ

हाल ही में “मिशन कर्मयोगी” के तहत क्षमता निर्माण योजना के विजन दस्तावेज का विमोचन और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के प्रशिक्षण मॉड्यूल का शुभारंभ किया गया.

पृष्ठभूमि

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय कैबिनेट ने सितंबर 2020 में “मिशन कर्मयोगी” – राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (NPCSCB) को स्वीकृति दी थी. इसके अंतर्गत करीब 40 लाख केन्द्रीय कर्मियों को कवर किया जायेगा. पिछले वर्ष इंफोसिस के पूर्व सीईओ एस डी शिबू लाल को “मिशन कर्मयोगी” के तहत गठित तीन सदस्यीय टास्क फोर्स का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस टास्क फोर्स को, “मिशन कर्मयोगी” के दिशा-निर्देश एवं संचालन हेतु एक एक स्पष्ट रोड मैप तथा एक Special Purpose Vehicle तैयार करने का कार्य सौंपा गया है.

मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रोफेशनल, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिए तैयार करना है. विशिष्ट भूमिका-दक्षताओं से युक्त सिविल सेवक उच्चतम गुणवत्ता मानकों वाली प्रभावकारी सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करने में समर्थ होंगे.

विशेषताएँ 

  • सिविल सेवा में क्षमता विकास हेतु नई अवसंरचना का विकास किया जायेगा, इसमें व्यक्तिगत, संस्थागत और प्रक्रिया के स्तर पर क्षमता विकास व्यवस्था में व्यापक बदलाव किये जायेंगे.
  • सिविल सेवा क्षमता विकास योजनाओं की मंजूरी एवं निगरानी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मानव संसाधन परिषद का गठन किया जायेगा. इस परिषद में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री और विशेषज्ञ भी शामिल होंगे.
  • प्रशिक्षण मानकों में आपसी तालमेल बनाने के लिए क्षमता विकास आयोग बनाया जायेगा, जो केद्धीय प्रशिक्षण संस्थानों की निंगरानी भी करेगा.
  • कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समन्वय इकाई का गठन किया जायेगा.
  • डिजिटल परिसंपत्तियों के स्वामित्व, परिचालन और प्रशिक्षण के लिए एक विशेष प्रयोजन कम्पनी (SPV) बनाई जायेगी.
  • मिशन कर्मयोगी योजना के तहत अगले 5 वर्षों में लगभग 510 करोड़ खर्च किये जायेंगे. 

Prelims Vishesh

Koala :-

कोआला - विकिपीडिया

  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी राज्यों में यूकेलिप्टस पेड़ों पर रहने वाले शिशुधानीस्तनी प्राणी / ‘मार्सुपियल्स’(Marsupials) के आवासों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने ‘कोआला’ (Koala) को एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में नामित किया है.
  • कोआला (Koala) ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में वृक्षों पर रहने वाला दुर्लभ प्रजाति का जानवर है.यह फैसकोलार्कटिडाए (Phascolarctidae) प्रजाति का कोआला आखिरी दुर्लभ जानवर है.
  • यह एक शाकाहारी धानीप्राणी (Marsupial) स्तनधारी है जो अपने शिशुओं को अपने पेट के पास बनी हुई एक धानी (थैली) में रखते हैं .उल्लेखनीय है कि धानीप्राणी के नवजात शिशु अन्य स्तनधारियों के नवजात बच्चों की तुलना में बहुत अविकसित होते हैं और पैदा होने के बाद यह काफ़ी समय (कई हफ़्तों या महीनों तक) अपनी माता की धानी में ही रहकर विकसित होते हैं.
  • मुख्य तौर पर यह पूर्वी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के तटवर्ती क्षेत्रों में मिलता है.
  • ICUN द्वारा कोआला को जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक असुरक्षित 10 जानवरों की प्रजातियों में शामिल एक सुभेद्य प्रजाति (vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
  • ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से बड़ी संख्या में कोआला मारे गए और उनके रहने के 30 फीसद स्थान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं.

Community Innovator Fellowship – CIF :-

  • अटल नवाचार मिशन (AIM), नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (AIM) के सहयोग से “विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के उपलक्ष्य में ‘कम्युनिटी इनोवेटर फेलोशिप’ (Community Innovator Fellowship – CIF) का शुभारंभ किया है.
  • इस फेलोशिप को ‘प्री-इनक्यूबेशन मॉडल’ के रूप में विकसित किया गया है जो युवाओं को सामुदायिक मुद्दों को हल करने के लिए सतत विकास लक्ष्य (SDG) आधारित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने सामाजिक उद्यम स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी.
  • यह एक साल की अवधि तक चलने वाला गहन फेलोशिप कार्यक्रम होगा, जिसे सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर ध्यान दिए बिना महत्वाकांक्षी सामुदाय नवप्रवर्तक के लिए तैयार किया गया है.

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