Sansar Daily Current Affairs, 14 January 2020
GS Paper 1 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : Taanaji Malusare and the Battle of Singhagad
संदर्भ
अभी पिछले दिनों एक हिंदी फिल्म आई जिसका नाम सूबेदार तानाजी मालुसरे – एक मराठा सैनिक नेता है.
सूबेदार तानाजी मालुसरे कौन थे?
- तानाजीराव का जन्म 17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के कोंकण प्रान्त में महाड के पास ‘उमरथे’ में हुआ था. वे बचपन से छत्रपति शिवाजी के साथी थे. ताना और शिवा एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते थे. तानाजीराव, शिवाजी के साथ हर लड़ाई में शामिल होते थे.
- तानाजी मालुसरे शिवाजी के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान् मराठा सरदार थे. वे छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ हिंदवी स्वराज्य स्थापना के लिए सुभादार (किल्लेदार) की भूमिका निभाते थे.
- वे 1670 ई. में सिंहगढ़ के युद्ध में अपनी महती भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं. किला उदयभान राठोड द्वारा नियंत्रित किया गया था, जो राजकुमार जय सिंह द्वारा नियुक्त किया गया था. उदय भान के नेतृत्व में 5,000 मुगल सैनिकों के साथ तानाजी का भयंकर भयंकर युद्ध हुआ. तानाजी एक बहादुर शेर की तरह लड़े. इस किले को अन्ततः जीत लिया गया था, लेकिन इस प्रक्रिया में, तानाजी गंभीर रूप से घायल हो गए थे और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए.
सिंहगढ़ का युद्ध
- सिंहगढ़ एक पहाड़ी किला है जो महाराष्ट्र के पुणे शहर से लगभग 30 किमी दक्षिण पश्चिम स्थित है. इस किले की उपलब्ध कुछ जानकारी से पता चलता है कि यह किला 2000 साल पहले बनाया गया. सिंहगढ़ किला पहले कोंढाना के नाम से भी जाना जाता था.
- 1647 में, छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसका नाम बदलकर सिंहगढ़ रखा. लेकिन 1649 में शहाजी महाराज को आदिल शाह के कैद से छुड़ाने के लिए उन्हें इस किले को आदिल शाह को सौपना पड़ा.
- इस किले ने 1662, 1663 और 1665 में मुगलों के हमलों को देखा. पुरंदर के माध्यम से, 1665 में किला मुगल सेना प्रमुख “मिर्जाराजे जयसिंग” के हाथों में चला गया.
- सिंहगढ़ का युद्ध 4 फरवरी 1670 को रात के समय पुणे के पास सिंहगढ़ किले पर हुई थी. यह युद्ध छत्रपति शिवाजी के सेनानायकतानाजी मालुसरे और उदयभान राठौड़ के बीच हुई थी. उदयभान राठौड़ सिंहगढ़ दुर्ग का दुर्गपति था और मुगल सेना के सेनानायक जय सिंह प्रथम के अधीन कार्यरत था.
- इस प्रकार 1670 में, तानाजी मालुसरे के साथ मिलकर शिवाजी ने इसपर फिर से कब्जा कर लिया.
- तानाजी की मृत्यु पर शिवाजी ने कहा कि “ गढ़ आला, पण सिंह गेला” (गढ़ आया, पर सिंह चला गया).
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : Swami Vivekananda Jayanti
संदर्भ
प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी जनवरी 12 को स्वामी विवेकानन्द की जयंती मनाई जा रही है. 1984 से इस दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा है जिसका मुख्य उद्देश्य देश के भविष्य-स्वरूप युवाओं में तार्किक चिंतन को प्रोत्साहन देना है.
विवेकान्द कौन थे?
- विवेकानंद का मूलनाम नरेन्द्रनाथ दत्त था.
- उनका जन्म कलकत्ता में जनवरी 12, 1863 को हुआ था.
- वे राम कृष्ण परमहँस के परमभक्त थे.
- उन्होंने शिकागो में 1893 में सम्पन्न विश्व धर्म परिषद् में प्रवचन दिया था.
- संन्यास के बाद उनका नाम सच्चिदानंद रखा गया था परन्तु 1893 में खेतड़ी के महाराजा अजित सिंह के कहने पर उन्होंने अपना नाम विवेकानंद रख लिया.
- उन्हें पश्चिम को योग और वेदान्त से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है.
- उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन स्थापित किया जिसका उद्देश्य दरिद्रतम और तुच्छतम लोगों तक उदात्त विचार पहुँचाना था.
- 1899 में बेलूर मठ बनाया और वहीं स्थायी रूप से रहने लगे.
- उन्होंने राज योग, ज्ञान योग और कर्म योग आदि पुस्तकें लिखीं.
- उन्होंने नव वेदान्त की शिक्षा दी जिसमें भारत की आध्यात्मिकता के साथ-साथ पश्चिम के भौतिक प्रगतिवाद का सम्मिश्रण था.
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उनको आधुनिक भारत का निर्माता बतलाते थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Private property is a human right: Supreme Court
संदर्भ
पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि निजी सम्पत्ति रखना किसी नागरिक का एक मानवाधिकार है और सरकार उस सम्पत्ति का अधिग्रहण बिना उचित प्रक्रिया अपनाए और बिना वैध प्राधिकार के नहीं कर सकती है.
सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ
- सरकार किसी नागरिक की निजी सम्पत्ति में प्रवेश करके उस सम्पत्ति पर अपने स्वामित्व का दावा प्रतिकूल दखल (adverse possession) के नाम पर नहीं कर सकती है.
- यदि सरकार इस प्रकार निजी भूमि को हड़प लेती है और फिर इसे अपना भूखंड मानती है तो वह भी एक अतिक्रमणकारी (encroacher) मानी जायेगी.
- भारत एक कल्याणकारी राज्य है अतः सम्पत्ति का अधिकार यहाँ एक मानवाधिकार है.
- एक कल्याणकारी राज्य प्रतिकूल दखल के आधार पर किसी की सम्पत्ति पर अतिक्रमण नहीं कर सकता है. ज्ञातव्य है कि 12 वर्ष से अधिक किसी सम्पत्ति पर अवैध दखल होने पर सम्पत्ति को हड़पने वाले को उस पर कानूनी स्वत्त्व पाने के लिए प्रयास करने की अनुमति देता है.
मामला क्या है?
1967 में सड़क बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने हमीरपुर जिल में एक व्यक्ति की 4 एकड़ जमीन बलपूर्वक हड़प ली थी और उसके लिए 52 वर्ष बीत जाने पर भी क्षतिपूर्ति नहीं दी.
अपीलकर्ता को ज्ञात नहीं था कि ऐसे मामले में उसका अधिकार क्या है और कानून उसे स्वामित्व देता है अथवा नहीं. इसलिए उसने हड़पी हुई जमीन के लिए क्षतिपूर्ति हेतु कोई मुकदमा नहीं किया. बाद में उसने मुकदमा दर्ज किया है तो उसे उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया जिस कारण उसे सर्वोच्च न्यायालय आना पड़ा.
सम्पत्ति का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 31 के मूलरूप में सम्पत्ति के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बताया गया था. परन्तु 1978 में इसके लिए 44वाँ संवैधानिक संशोधन हुआ और सम्पत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं रह गया. फिर भी संविधान का अनुच्छेद 300A अपेक्षा करता है कि सरकार किसी व्यक्ति की निजी सम्पत्ति अपने हाथ में लेने के पहले समुचित प्रक्रिया और कानूनी शक्ति का अनुपालन करे. सम्पत्ति का अधिकार अब न केवल एक संवैधानिक अथवा वैधानिक अधिकार समझा जाता है वरन् यह एक मानवाधिकार भी माना जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation / Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes.
Topic : Transgender Persons (Protection of Rights) Act, 2019
संदर्भ
भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) अधिनियम, 2019 की अधिसूचना निकाल दी है. स्मरण रहे कि इससे सम्बंधित विधेयक संसद ने नवम्बर, 2019 में पारित कर दिया था.
प्रभाव
यह विधेयक अनेक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभान्वित करेगा, उनके ऊपर लगने वाली लांछना को घटाएगा तथा साथ ही भेद-भाव और दुर्व्यवहार में कमी लाएगा. इस प्रकार वे समाज की मुख्य धारा में आ सकेंगे और समाज के फलदायी सदस्य बन सकेंगे. यह विधेयक ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सशक्त करेगा.
नई परिभाषा
जो संशोधन स्वीकार किये गये, उनमें से एक संशोधन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पुरानी परिभाषा को लेकर था जिसमें उन्हें न तो पूर्णतः स्त्री और न ही पूर्णतः पुरुष बताया गया था. इस परिभाषा को संवेदनहीन कह कर इसकी आलोचना की गई थी.
नई परिभाषा के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसका वर्तमान लिंग जन्म के समय उसके लिंग से भिन्न है और इसमें ये व्यक्ति आते हैं – ट्रांस पुरुष अथवा ट्रांस स्त्री, अंतर-यौन विविधताओं वाले व्यक्ति, विचित्र लिंग वाले व्यक्ति तथा सामाजिक-सांस्कृतिक पहचानों वाले कुछ व्यक्ति जैसे – किन्नर, हिजड़ा, अरावानी और जोगटा.
विधेयक के मुख्य तथ्य
- इस विधेयक का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे भेदभाव को समाप्त करना है. जिन क्षेत्रों में इनसे भेदभाव होता है, वे हैं – शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य-देखभाल.
- विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को इनके लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलाने का निर्देश देता है.
- विधेयक में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को ट्रांसजेंडर में रूप में मान्यता उस पहचान प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाएगी जो जिला छटनी समिति के माध्यम से निर्गत होगा. इस प्रमाण-पत्र को ट्रांसजेंडर की पहचान का साक्ष्य माना जाएगा और विधेयक के अंदर विहित अधिकार उसे दिए जाएँगे.
आलोचना
कई सिविल सोसाइटी समूहों ने मुखर होकर इस विधेयक का विरोध किया है. उनकी आलोचनाएँ नीचे दी गई हैं –
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति को यह अधिकार होना चाहिए था कि वह अपनी पहचान स्वयं दे सके, न कि किसी जिला छटनी समिति के माध्यम से.
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने के मामले में भी विधेयक मौन है.
- विधेयक में संगठित भीक्षाटन के लिए दंड का प्रावधान किया गया है, परन्तु इसके बदले कोई आर्थिक विकल्प नहीं दिया गया है.
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बलात्कार अथवा यौनाचार के लिए विधेयक में किसी दंड का प्रावधान नहीं है क्योंकि भारतीय दंड संहिता में बलात्कार की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को शामिल नहीं किया गया है.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Open-loop scrubber usage in ships
संदर्भ
ग्लोबल डाटा नामक एक डाटा और विश्लेषण कम्पनी के अनुसार पिछले एक वर्ष में ही जलयानों में ओपन-लूप स्क्रबर (open-loop scrubber) का प्रयोग अतिशय बढ़ गया है जबकि दूसरी ओर, इसपर अभी बहस चल ही रही है कि ऐसे स्क्रबर गंधक के उत्सर्जन को घटाने में समर्थ हैं अथवा नहीं.
2018 में 767 जहाजों में स्क्रबर लगे थे जबकि 2019 में ऐसे जहाज़ों की संख्या बढ़कर 3,756 हो चुकी है. इन सभी जहाजों में 65 ही ऐसे स्क्रबर हैं जो बंद-लूप (closed-loop) वाले हैं और शेष खुले लूप वाले हैं.
सल्फर उत्सर्जन (sulphur emissions) को नियंत्रित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संधि
जलयानों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियमित करने के लिए तथा सल्फर ऑक्साइड एवं नाइट्रस ऑक्साइड जैसे ओजोन को घटाने वाले पदार्थों के जान-बूझकर उत्सर्जन की रोकथाम के लिए एक संधि हुई थी जिसका नाम कन्वेंशन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ पोल्यूशन फ्रॉम शिप्स (MARPOL) Annex VI है. इस संधि को अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organisation’s – IMO) ने 2008 में अंगीकृत किया था.
विवाद किस बात पर है?
ऊपर वर्णित संधि के अंगीकरण के उपरान्त जहाज़ों से निकलने वाले गंधक (सल्फर) की मात्रा को घटाने के लिए एक्जोस्ट स्क्रबर (exhaust scrubbers) का प्रयोग सबसे अधिक देखने में आ रहा है क्योंकि ये उत्सर्जन में से प्रदूषक तत्त्वों को बाहर कर डालते हैं.
ऐसे स्क्रबर दो प्रकार के होते हैं – खुले और बंद.
बंद लूप वाले स्क्रबर (closed-loop scrubbers) गंधक के उत्सर्जन को रोके रखते हैं जिससे कि बाद में उसका बंदरगाह पर जाकर निरापद रूप से निपटारा हो सके. परन्तु खुले लूप वाले स्क्रबर (open-loop scrubbers) सल्फर डाइऑक्साइड को गंधकाम्ल (sulphuric acid) में बदलकर उसको समुद्र में बहा देते हैं.
कन्वेंशन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ पोल्यूशन फ्रॉम शिप्स (MARPOL) क्या है?
- यह एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (IMO) द्वारा 2 नवम्बर, 1973 को अंगीकृत किया गया था.
- यह संधि जलयानों से होने वाले प्रदूषण को रोकने और घटाने के लिए नियमों का प्रावधान करती है चाहे यह प्रदूषण दुर्घटनावश हुआ हो या जहाजों के दैनंदिन संचालन से.
- जिन देशों ने MARPOL पर हस्ताक्षर किये हैं उनके सभी जहाजों को इस संधि के नियमों का अनुसरण करना पड़ता है चाहे वे जहाज जहाँ कहीं भी चलायमान हों. संधि के सदस्य देशों का यह दायित्व है कि वे अपने जहाजों को अपनी राष्ट्रीय जलयान पंजी में पंजीकृत करें.
Prelims Vishesh
Island Development Agency (IDA) :-
- IDA भारतीय द्वीपों के विकास के लिए गठित एजेंसी है जिसकी बैठकों की अध्यक्षता गृहमंत्री करते हैं.
- इसके अन्य सदस्य हैं – कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, पर्यावरण सचिव, पर्यटन सचिव और जनजातीय मामलों के सचिव.
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